Saturday, March 26, 2011

मुहम्मद पैगम्बर खुद जन्मजात हिंदू थे और काबा हिंदू मंदिर

अवलीक भारतीय       प्रस्‍तुति-डॉ0 संतोष राय

मुसलमान कहते हैं कि कुरान ईश्वरीय वाणी है तथा यह धर्म अनादि काल से चली रही है,परंतु इनकी एक-एक बात आधारहीन तथा तर्कहीन हैं-सबसे पहले तो ये पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति का जो सिद्धान्त देते हैं वो हिंदु धर्म-सिद्धान्त का ही छाया प्रति है.हमारे ग्रंथ के अनुसार ईश्वर ने मनु तथा सतरूपा को पृथ्वी पर सर्व-प्रथम भेजा था..इसी सिद्धान्त के अनुसार ये भी कहते हैं कि अल्लाह ने सबसे पहले आदम और हौआ को भेजा.ठीक है...पर आदम शब्द संस्कृत शब्द "आदि" से बना है जिसका अर्थ होता है-सबसे पहले.यनि पृथ्वी पर सर्वप्रथम संस्कृत भाषा अस्तित्व में थी..सब भाषाओं की जननी संस्कृत है ये बात तो कट्टर मुस्लिम भी स्वीकार करते हैं..इस प्रकार आदि धर्म-ग्रंथ संस्कृत में होनी चाहिए अरबी या फारसी में नहीं.
इनका अल्लाह शब्द भी संस्कृत शब्द अल्ला से बना है जिसका अर्थ देवी होता है.एक उपनिषद भी है "अल्लोपनिषद". चण्डी,भवानी,दुर्गा,अम्बा,पार्वती आदि देवी को आल्ला से सम्बोधित किया जाता है.जिस प्रकार हमलोग मंत्रों में "या" शब्द का प्रयोग करते हैं देवियों को पुकारने में जैसे "या देवी सर्वभूतेषु....", "या वीणा वर ...." वैसे ही मुसलमान भी पुकारते हैं "या अल्लाह"..इससे सिद्ध होता है कि ये अल्लाह शब्द भी ज्यों का त्यों वही रह गया बस अर्थ बदल दिया गया.
चूँकि सर्वप्रथम विश्व में सिर्फ संस्कृत ही बोली जाती थी इसलिए धर्म भी एक ही था-वैदिक धर्म.बाद में लोगों ने अपना अलग मत और पंथ बनाना शुरु कर दिया और अपने धर्म(जो वास्तव में सिर्फ मत हैं) को आदि धर्म सिद्ध करने के लिए अपने सिद्धान्त को वैदिक सिद्धान्तों से बिल्कुल भिन्न कर लिया ताकि लोगों को ये शक ना हो कि ये वैदिक धर्म से ही निकला नया धर्म है और लोग वैदिक धर्म के बजाय उस नए धर्म को ही अदि धर्म मान ले..चूँकि मुस्लिम धर्म के प्रवर्त्तक बहुत ज्यादा गम्भीर थे अपने धर्म को फैलाने के लिए और ज्यादा डरे हुए थे इसलिए उसने हरेक सिद्धान्त को ही हिंदु धर्म से अलग कर लिया ताकि सब यही समझें कि मुसलमान धर्म ही आदि धर्म है,हिंदु धर्म नहीं..पर एक पुत्र कितना भी अपनेआप को अपने पिता से अलग करना चाहे वो अलग नहीं कर सकता..अगर उसका डी.एन.. टेस्ट किया जाएगा तो पकड़ा ही जाएगा..इतने ज्यादा दिनों तक अरबियों का वैदिक संस्कृति के प्रभाव में रहने के कारण लाख कोशिशों के बाद भी वे सारे प्रमाण नहीं मिटा पाए और मिटा भी नही सकते....
भाषा की दृष्टि से तो अनगिणत प्रमाण हैं यह सिद्ध करने के लिए कि अरब इस्लाम से पहले वैदिक संस्कृति के प्रभाव में थे.जैसे कुछ उदाहरण-मक्का-मदीना,मक्का संस्कृत शब्द मखः से बना है जिसका अर्थ अग्नि है तथा मदीना मेदिनी से बना है जिसका अर्थ भूमि है..मक्का मदीना का तात्पर्य यज्य की भूमि है.,ईद संस्कृत शब्द ईड से बना है जिसका अर्थ पूजा होता है.नबी जो नभ से बना है..नभी अर्थात आकाशी व्यक्ति.पैगम्बर "प्र-गत-अम्बर" का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है आकाश से चल पड़ा व्यक्ति..
चलिए अब शब्दों को छोड़कर इनके कुछ रीति-रिवाजों पर ध्यान देते हैं जो वैदिक संस्कृति के हैं--
ये बकरीद(बकर+ईद) मनाते हैं..बकर को अरबी में गाय कहते हैं यनि बकरीद गाय-पूजा का दिन है.भले ही मुसलमान इसे गाय को काटकर और खाकर मनाने लगे..
जिस तरह हिंदु अपने पितरों को श्रद्धा-पूर्वक उन्हें अन्न-जल चढ़ाते हैं वो परम्परा अब तक मुसलमानों में है जिसे वो ईद-उल-फितर कहते हैं..फितर शब्द पितर से बना है.वैदिक समाज एकादशी को शुभ दिन मानते हैं तथा बहुत से लोग उस दिन उपवास भी रखते हैं,ये प्रथा अब भी है इनलोगों में.ये इस दिन को ग्यारहवीं शरीफ(पवित्र ग्यारहवाँ दिन) कहते हैं,शिव-व्रत जो आगे चलकर शेबे-बरात बन गया,रामध्यान जो रमझान बन गया...इस तरह से अनेक प्रमाण मिल जाएँगे..आइए अब कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर नजर डालते हैं...
अरब हमेशा से रेगिस्तानी भूमि नहीं रहा है..कभी वहाँ भी हरे-भरे पेड़-पौधे लहलाते थे,लेकिन इस्लाम की ऐसी आँधी चली कि इसने हरे-भरे रेगिस्तान को मरुस्थल में बदल दिया.इस बात का सबूत ये है कि अरबी घोड़े प्राचीन काल में बहुत प्रसिद्ध थे..भारतीय इसी देश से घोड़े खरीद कर भारत लाया करते थे और भारतीयों का इतना प्रभाव था इस देश पर कि उन्होंने इसका नामकरण भी कर दिया था-अर्ब-स्थान अर्थात घोड़े का देश.अर्ब संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ घोड़ा होता है. {वैसे ज्यादातर देशों का नामकरण भारतीयों ने ही किया है जैसे सिंगापुर,क्वालालामपुर,मलेशिया,ईरान,ईराक,कजाकिस्थान,तजाकिस्थान,आदि..} घोड़े हरे-भरे स्थानों पर ही पल-बढ़कर हृष्ट-पुष्ट हो सकते हैं बालू वाले जगहों पर नहीं..
इस्लाम की आँधी चलनी शुरु हुई और मुहम्मद के अनुयायियों ने धर्म परिवर्त्तन ना करने वाले हिंदुओं का निर्दयता-पूर्वक काटना शुरु कर दिया..पर उन हिंदुओं की परोपकारिता और अपनों के प्रति प्यार तो देखिए कि मरने के बाद भी पेट्रोलियम पदार्थों में रुपांतरित होकर इनका अबतक भरण-पोषण कर रहे हैं वर्ना ना जाने क्या होता इनका..!अल्लाह जाने..!
चूँकि पूरे अरब में सिर्फ हिंदु संस्कृति ही थी इसलिए पूरा अरब मंदिरों से भरा पड़ा था जिसे बाद में लूट-लूट कर मस्जिद बना लिया गया जिसमें मुख्य मंदिर काबा है.इस बात का ये एक प्रमाण है कि दुनिया में जितने भी मस्जिद हैं उन सबका द्वार काबा की तरफ खुलना चाहिए पर ऐसा नहीं है.ये इस बात का सबूत है कि सारे मंदिर लूटे हुए हैं..इन मंदिरों में सबसे प्रमुख मंदिर काबा का है क्योंकि ये बहुत बड़ा मंदिर था.ये वही जगह है जहाँ भगवान विष्णु का एक पग पड़ा था तीन पग जमीन नापते समय..चूँकि ये मंदिर बहुत बड़ा आस्था का केंद्र था जहाँ भारत से भी काफी मात्रा में लोग जाया करते थे..इसलिए इसमें मुहम्मद जी का धनार्जन का स्वार्थ था या भगवान शिव का प्रभाव कि अभी भी उस मंदिर में सारे हिंदु-रीति रिवाजों का पालन होता है तथा शिवलिंग अभी तक विराजमान है वहाँ..यहाँ आने वाले मुसलमान हिंदु ब्राह्मण की तरह सिर के बाल मुड़वाकर बिना सिलाई किया हुआ एक कपड़ा को शरीर पर लपेट कर काबा के प्रांगण में प्रवेश करते हैं और इसकी सात परिक्रमा करते हैं.यहाँ थोड़ा सा भिन्नता दिखाने के लिए ये लोग वैदिक संस्कृति के विपरीत दिशा में परिक्रमा करते हैं अर्थात हिंदु अगर घड़ी की दिशा में करते हैं तो ये उसके उल्टी दिशा में..पर वैदिक संस्कृति के अनुसार सात ही क्यों.? और ये सब नियम-कानून सिर्फ इसी मस्जिद में क्यों?ना तो सर का मुण्डन करवाना इनके संस्कार में है और ना ही बिना सिलाई के कपड़े पहनना पर ये दोनो नियम हिंदु के अनिवार्य नियम जरुर हैं.
चूँकि ये मस्जिद हिंदुओं से लूटकर बनाई गई है इसलिए इनके मन में हमेशा ये डर बना रहता है कि कहीं ये सच्चाई प्रकट ना हो जाय और ये मंदिर उनके हाथ से निकल ना जाय इस कारण आवश्यकता से अधिक गुप्तता रखी जाती है इस मस्जिद को लेकर..अगर देखा जाय तो मुसलमान हर जगह हमेशा डर-डर कर ही जीते हैं और ये स्वभाविक भी है क्योंकि इतने ज्यादा गलत काम करने के बाद डर तो मन में आएगा ही...अगर देखा जाय तो मुसलमान धर्म का अधार ही डर पर टिका होता है.हमेशा इन्हें छोटी-छोटी बातों के लिए भयानक नर्क की यातनाओं से डराया जाता है..अगर कुरान की बातों को ईश्वरीय बातें ना माने तो नरक,अगर तर्क-वितर्क किए तो नर्क अगर श्रद्धा और आदरपूर्वक किसी के सामने सर झुका दिए तो नर्क.पल-पल इन्हें डरा कर रखा जाता है क्योंकि इस धर्म को बनाने वाला खुद डरा हुआ था कि लोग इसे अपनायेंगे या नहीं और अपना भी लेंगे तो टिकेंगे या नहीं इसलिए लोगों को डरा-डरा कर इस धर्म में लाया जाता है और डरा-डरा कर टिकाकर रखा जाता है..जैसे अगर आप मुसलमान नहीं हो तो नर्क जाओगे,अगर मूर्त्ति-पूजा कर लिया तो नर्क चल जाओगे,मुहम्मद को पैगम्बर ना माने तो नर्क;इन सब बातों से डराकर ये लोगों को अपने धर्म में खींचने का प्रयत्न करते हैं.पहली बार मैंने जब कुरान के सिद्धान्तों को और स्वर्ग-नरक की बातों को सुना था तो मेरी आत्मा काँप गई थी..उस समय मैं दसवीं कक्षा में था और अपनी स्वेच्छा से ही अपने एक विज्यान के शिक्षक से कुरान के बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की थी..उस दिन तक मैं इस धर्म को हिंदु धर्म के समान या थोड़ा उपर ही समझता था पर वो सब सुनने के बाद मेरी सारी भ्रांति दूर हुई और भगवान को लाख-लाख धन्यवाद दिया कि मुझे उन्होंने हिंदु परिवार में जन्म दिया है नहीं पता नहीं मेरे जैसे हरेक बात पर तर्क-वितर्क करने वालों की क्या गति होती...!
एक तो इस मंदिर को बाहर से एक गिलाफ से पूरी तरह ढककर रखा जाता है ही(बालू की आँधी से बचाने के लिए) दूसरा अंदर में भी पर्दा लगा दिया गया है.मुसलमान में पर्दा प्रथा किस हद तक हावी है ये देख लिजिए.औरतों को तो पर्दे में रखते ही हैं एकमात्र प्रमुख और विशाल मस्जिद को भी पर्दे में रखते हैं.क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर ये मस्जिद मंदिर के रुप में इस जगह पर होता जहाँ हिंदु पूजा करते तो उसे इस तरह से काले-बुर्के में ढक कर रखा जाता रेत की आँधी से बचाने के लिए..!! अंदर के दीवार तो ढके हैं ही उपर छत भी कीमती वस्त्रों से ढके हुए हैं.स्पष्ट है सारे गलत कार्य पर्दे के आढ़ में ही होते हैं क्योंकि खुले में नहीं हो सकते..अब इनके डरने की सीमा देखिए कि काबा के ३५ मील के घेरे में गैर-मुसलमान को प्रवेश नहीं करने दिया जाता है,हरेक हज यात्री को ये सौगन्ध दिलवाई जाती है कि वो हज यात्रा में देखी गई बातों का किसी से उल्लेख नहीं करेगा.वैसे तो सारे यात्रियों को चारदीवारी के बाहर से ही शिवलिंग को छूना तथा चूमना पड़ता है पर अगर किसी कारणवश कुछ गिने-चुने मुसलमानों को अंदर जाने की अनुमति मिल भी जाती है तो उसे सौगन्ध दिलवाई जाती है कि अंदर वो जो कुछ भी देखेंगे उसकी जानकारी अन्य को नहीं देंगे..
कुछ लोग जो जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से किसी प्रकार अंदर चले गए हैं,उनके अनुसार काबा के प्रवेश-द्वार पर काँच का एक भव्य द्वीपसमूह लगा है जिसके उपर भगवत गीता के श्लोक अंकित हैं.अंदर दीवार पर एक बहुत बड़ा यशोदा तथा बाल-कृष्ण का चित्र बना हुआ है जिसे वे ईसा और उसकी माता समझते हैं.अंदर गाय के घी का एक पवित्र दीप सदा जलता रहता है.ये दोनों मुसलमान धर्म के विपरीत कार्य(चित्र और गाय के घी का दिया) यहाँ होते हैं..एक अष्टधातु से बना दिया का चित्र में यहाँ लगा रहा हूँ जो ब्रिटिश संग्रहालय में अब तक रखी हुई है..ये दीप अरब से प्राप्त हुआ है जो इस्लाम-पूर्व है.इसी तरह का दीप काबा के अंदर भी अखण्ड दीप्तमान रहता है .
ये सारे प्रमाण ये बताने के लिए हैं कि क्यों मुस्लिम इतना डरे रहते हैं इस मंदिर को लेकर..इस मस्जिद के रहस्य को जानने के लिए कुछ हिंदुओं ने प्रयास किया तो वे क्रूर मुसलमानों के हाथों मार डाले गए और जो कुछ बच कर लौट आए वे भी पर्दे के कारण ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं कर पाए.अंदर के अगर शिलालेख पढ़ने में सफलता मिल जाती तो ज्यादा

44 comments:

Zavvar said...

Bade gande hai ye musalman.....Bhagwan Shiv ko hi kaid karr daala.........Bhagwan inke haathon ittne majboor kyun hai......unhone koi chamatkaar kyun nahin kiya............ke harr kaabe pe aane wala Hindu bann jaatha........

sushil singh said...

zavvar bhagwan to bahut achhe h unhe to jaise rakho ge vo reh lenge vo bhed bhao nhii karte magar tummhare dharm me yahi sab hota h is pe dhyan do tumhare allah jo h vo kitne majbur h ki unhe hamesh mukh chhupana padta h tabi to hamesha parde me rehte

Anonymous said...

bhaiyo aisi koi bat nahi h ap khud iske nbare me jankari karo bad me apko pata chal jayega aapne ye to bata diya ki mohd sahab ke ane se pahle arab me murti pooja hoti thi thik h lekin vo murti pooja ayi kaha se is par jara gaur farmaiye ye murti pooja mulk e saam se aayi thi jise abi log siriya ke nam se jante h

Anonymous said...

One question! how can a created thing be worshipped?

Anonymous said...

To for all........


Kisi ke baare me yu hi ghlata khayal bana lena theek nai h. is duniya me agar ek hi sab ke apne apne nazariye h. agar tum anko maan nai sakte to ya zaroori nai ki unko badnaam karo. islaam se pahle ka dharan agar itna achca hota to log musalman bante hi kyu? ye bhi to socho. log hamesha se hi bure se achhe ki taraf aate h. Aur ye kab kaha gaya h ki duniye me sabse pahle aur suf islaam ayaa h. is duniya me bahut saare pagambar aaye h jinhone khuda ke baare me bataya h aur sahi raah par chalne ke lie kahaa h. Paigambar muhammad sahab paida hue h to koi to dharam hoga. fark is baat se padna chahiye ki unhone kya bataya h, agar id debate ki jagah usko padhne ki koshish ki jaati ti zyada achcha hota. isse kahi zyada zarrori h ki achchi baato par amal karne wali bano, these are my views agar koi ghalti ya koi hurt hua to maafi chahunga.

Allah aapko jazae khaer dr

Anonymous said...

iake baare me thodi aur jankari chahiye ??? bahut hi utsuktahe

Anonymous said...

ye sab bakwas kahani bnayee hue he, khuda ke kalam me to wo taqat he jiski barkat paane ke lye masjido ke bahar non muslims ki lines lagi rehti he, dargaho par muslims se jyada non muslim hote he. ye sab aqidat aur islam me bishwas ki nishani he. islam sirf ek khuda ki ibadat( upasna,pooja) karne ka huqm deta, insan dwara bnayee hue hazaro lakho chizo ki nahi, or na khuda dwara dee gaye natural things ke(aag, paani air ,mountains, animals etc,) ye sab khuda ki nemat he jo insano ke lye bnaee gayee he. pehle islam ko samjho phir kuch kaho.
khuda apko islam ko samajhne aur us par amal karne ki hidayat ata kare.AMEEN.

Anonymous said...

duniya me sabse vayyad dharm agar koi hai to wo islam hai... sab thas logo ki barti hai usme..

chahe jab chahe jo fatwa nikal dete hai.. aise sarfire molvi rehte hai inke... betuki baato ke fatwe.. kya amal karoge un fatwo ko...

hindu dharm me jo bhi baat kahi gayi hai wo sab scientific hai.. foreigners bhi diwane huye ja rahe hai hindu dharm ke ved/shastra/puran par research karne me...

rahi baat iski ki yadi hindu dharm itna mahaan tha to logo ne muslim dhar kyu follow kiya to sab jante hi hai is muhavre ko = "maar maar ke muslman banana"

saale arab Lootere, chor, harami yahan aaye the bharat me loot machane ko.. yaha ke kings me aapas me banti nahi thi.. to un raja ko bhadka bhadka ke bahut loota hai haramiyo ne... aur maar maar kar na jane kitne hindu ko muslim bana diya..

aur aaj bharat me jitne bhi muslim and dawoodi bohra samaaj hai wo actual me hindu hi hai.. wo hindu the par un lutero ne un par pressure daal kar muslim bana diya..

मोहम्मद कमरुद्दीन सिद्दीकी said...

mere bhai Dr Santosh ji, aapke likhe hue is lekh ko padhne se pehle mujhe lag raha tha ki aap shayad padhe likhe hai aur jo kuch likhenge woh bhed bhao se pare hi likhenge aur satya likhenge par padhne ke baad laga ki aap me abhi gyaan ki kami hai, aap bhi wahi kam kar rahe ho jo rss karte hai manghadant baaton se logo ke dilon me zeher gholne wali baat, islam to sirf yeh batata hai ki aap murtiyo se upar udh kar us parameshwar ko pujo jisne aapko humko is pure brahmand ko banaya hai, usko kya pujna jisko aapne hi banaya hai, aur ek baat batadu hindu koi dharam nahi hai dharm to vedic dharam hai hindu to hindu (sindhu) nadi ke kinare rehne walo ko kehte aur har aadmi jo hindustan me rehta hai woh hindu hai, jaisa ki vedic dharam ki dharmic pustaken (ved)kehti hai ki ishwar ek hai nirakar hai uski hi puja karo na ki 365 murtiyon ki, to fir aap apne hi dharam se munh mode huye ho, aap apne dharam ko to samajh nahi rahe dusron ke dharm me meen mekh nikalne chale ho. Dr saheb apna gyan badhaiye tab kuch likhiye sirf likhne se kuch nahi hota hai achchha likhiye,

Praveen Arya said...

Who created language according to me language was created by human being and idol worship is worshiping, comparing or expressing divine power in any materialistic product which is created,modified or used by human being in his daily life.. so language was created, modified and used only by human being...what will you say about this....

Unknown said...

http://www.youtube.com/watch?v=y6VXnEj6YhU&feature=fvst

mahendra joshi said...

मोहम्मद कमरुद्दीन सिद्दीकी jihindu dharm jiske bare me apne likha hai ki murti ki puja ki jati hai unki nahi jinhone hame banaya hai to sir bhagwan or iswar ka matlab hai sara bramand,sori wo vastu jo ham dekh sakte hai ya nahi in shabhi ko hindu dharm me panch tatv kahte hai,isme hava,pani,agni hai in sabh ko mila ke inshan banta hai or usme atma ati hai,to hindu dhrma me pure bramnd ko nahi puj ke ak kisi bhi rup jisme pach tatv ho usko pujne se pure barmand ki puja ho jati hai,un sktiyo ko ham ak murti ya kisi bhi rup me bana kar usme hamre viswas ke dura jagrt kar dete jisko hamne banya jarur hai lakin wo itna pavit or sudh rup hota hai ki usko ham asta or viswas ke duwara jagarat kar dete hai,or wo murti nahi rah ke iswar karup ho jati hai,hindu hi ak asa darm hai jisme maa ki puja hoti hai ,iswar ka sidha matlb hai jinko pavit man se kisi bhi jagah ya rup me yad karo vo tumare shat rahte hai ,isliye hindu me kabhi kishi ko badishe nahi di jati hai ki mandir me akar puja karo ap ko jo acha lage us rup me iswariy shakti ko yad karo wo hamesha tumare sat rahge,hindu dharm dil se manane wala dharm hai jabrdsti ko nahi kahta ase mano vese mono ye kiya to vesa ho jayega vo kiya to vesa ho jayega ,BAS HINDU DHARM KAHTA HAI KI BRAMAND KI ISWARIY SAKTI KISI BHI RUP ME MANO ISWAR TUMARE SATH HAI ,OR TUM KESE BHI PUJA KARO ISWAR KI PUJA HO JATI HAI.kisi ko daba kar mar kar ye dharm nahi banaya gaya hai dil se kese bhi mano.or rahi muslim ki murti or jagah nahi pujane ki to fir masjid me namaj kiyo padte hai.maka madina kiyo jate hai wo bhi to ak jagah hi huina,alha ko yad kar shte hai unko jivan me kabhi maka nahi jana chahiye,masjit bhi nahi jana chahiye ya bhi to bade rup me mrti hi to huye na,hindu mandi me rkhi mrti ko pujata hai muslim mandir kohi pujata hai bade rup me jagah ki puja hui.

Anonymous said...

Agr aisa he to hmesa kabe me parde k pichche ki sacchai ko kyo chhupaya jata he. Use sbke samne kyo nahi laya jata. Islam apne aap ko sabit kyo nahi krta ki wo ak saccha dharam he. Kyo islam pr is trah ungliya uthai jati he. Agr islam itna hi sachcha hota to wo is rahsya ko kabhi ni chhupata

pandit rakesh arya said...

संतोष जी की यह बात तो ठीक है कि अरब पहले हिन्दु देश था । रीति रिवाज संस्कृति हिन्दु ( वैदिक) थी । महेन्द्र जोशी जी का कथन कि मुसलमान मूर्ति कि ही नही मन्दिर ( मस्जिद ) की पूजा करते हैँ सत्य है , लेकिन पंच तत्वोँ वाले शरीर के द्वारा मूर्ति पूजा को सत्य व श्रेष्ठ सिद्ध करना ठीक नही ।अपितु मौहम्मद कमरुद्दीन सिद्दीकी का यह कथन कि सिन्धु के पास (पार ) रहने वाले सब हिन्दु हैँ । और यह हिन्दु धर्म नही अपितु वैदिक धर्म है , जिसमे मूर्ति पूजा का निषेध ( मना ) है , यह सत्य कथन है ।।

पंडित राकेश आर्य
दतियाना मुजफ्फर नगर
08950108708

Vickey Pandit said...

then how can a person who said dat i'm pagamber of allah will be worshipped..
and frm where he recve d so called gyan during his loneliness period..
and why he hve to kill his own family members on d name of alla.

Vickey Pandit said...

sirf wahi log aaye jo bhog vilaas aur hinsa me vishwas rakhte the..
aur jinhe hindu dharm kabhi bhi samaj me manyta nahi de sakta..
aur aaj bhi dekh lo islam dharm ko hinsa sarvopari hai..talwar ke dum pe hi islam ka puri duniya me prasar kyun kiya gaya..?
anya kisi dharm ne to aisa nahi kya..!
to aakhir islam dharm ko hi kyun is tarike se prasar ki aavasykta padi..?

Vickey Pandit said...

baaten to aap bhi bahut karte hain,
par hame lagta hai aapne bhi apne dharm ke baare me dr. saab jitna hi padha hai..
agar aapka dharm 1 parmeshwar ki baat karta hai to aap muslims hi do kaumo me kyun vibhajit hain ..?
aur aapki masjiden kyun alag-alag hai..?
aap kyun ek dusre ki masjido me nahi ja sakte..?
murtiya to prateek hai aastha ki us parmeshwar par jiska saanidhya hamare maanav jeevan ka mool uddesya hai..
aapko ex. se samjhata hun jaise hum class 1 ke bachhe ko jab kuch batana ya sikhana chahte hai to kitaab me likhe hue shabdo ke sath uska chitra bhi dikhate hain..jisse use viswas ho jaye ki yeh vastu ya gyan sahi hai..anytha woh us cheej ko asani se nahi samjh sakta..
usi tarah murti pooja karna vibbhin swaroopo me asstha aur viswas utpann karta hai..par antatah parmeshwar ek hi hai..usi parmeshwar ko prapt karna hota hai.
aap islam dharm aur uski vivechna sambandhi sabhi pustako ka adhyayan kariye.,aur koshish kariye unme vyapt buraiyon ko na apnane ki aur dusro ko bhi is baare me batane ki.
aap shikshit hai aapse hum yeh ummed kar sakte hain.,madarse me padhe hue baccho se nahi,jinhe bachpan se hi yahi sikhaya jata hai ki " anya dharm ko maananewale kaafir hain aur allah unko katla karne ka aadesh deta hai."

Anonymous said...

allha app ke galtiyu ko maaf kare
lekin app islam ka bare kuch nahi pata hai
to please phale pure jankari karo phari koi baat likho
abhi app bache ho

Healthimmunity24.com said...

tum abhi bacche ho tumara akabar bhi esi tarah fudukata tha hindu mata vansno devi ka puja karte the to akabar ne hindu murti puja ko ajmana chahata tha usane aajmaya par ajama nahi paya usane mandir jale dipak ko muh se fukkar bujhana chaha par bujha nahi paya phir kosish kiya pani se bujane ke liye par dipak nahi buja phir tisara kosish kiya kaha apane mantri se ki ghode ka sar kata do
uske mantri ghode ka sir kat dala phir kaha vasno mata agar tumare me sakti hai to es ghode ka sir joddo vanso mata ne apani sakati se ghode ka sir jod diya tab viswas ho gya akaber ko usene bhi murti puja karane laga

Healthimmunity24.com said...

tum abhi bacche ho tumara akabar bhi esi tarah fudukata tha hindu mata vansno devi ka puja karte the to akabar ne hindu murti puja ko ajmana chahata tha usane aajmaya par ajama nahi paya usane mandir jale dipak ko muh se fukkar bujhana chaha par bujha nahi paya phir kosish kiya pani se bujane ke liye par dipak nahi buja phir tisara kosish kiya kaha apane mantri se ki ghode ka sar kata do
uske mantri ghode ka sir kat dala phir kaha vasno mata agar tumare me sakti hai to es ghode ka sir joddo vanso mata ne apani sakati se ghode ka sir jod diya tab viswas ho gya akaber ko usene bhi murti puja karane laga

amo said...

Apne dil ko saaff Karo. Ek jAgh DHAYAN se baithow. Apne dil k tarf DHAYAN do aur souncho me kon hoon kyu banaya gaya hoon. Kis k pass Jane ki jarourat nahi h

amo said...

Hindu dharam kya pathar k pooja karna.

Anonymous said...

Hindu Dharam ek kalpanik aur pet pujari o ka khud ka banaya Hua Dharam hain, rajaram Mohan rai ka Kitab parh ke drlh lo, aur sub se bara ghadha likhne wala hain, arab main arabi chalta hain sangkirit to insaan ka banaya Hua bhasa hain, it is proved.

imran said...

duniya me sabse zyada falne wala majhab islam hai to ye siddh hota hai ke islam is the best religion in the world
naraye takbeer allah ho akber

Rohan Kale said...

Masud And Imran... Agar Tumhe yeh Padhana Galat Laga Toh Apne Prophet Ke Pass Jate..
Hope Tumhe Ye Pata Ho ki Mohammad (u'r Prophet) ne Aisha Naam Ki 6 Saal Ki Ladki Se Shadi ki Thi Sambhog Kiya Tha.
Yeh Bhi Pata Hoga Ki Unhone Apne Mari huvi Aunty Se Sambhog Kiya Tha Ruko Mai Sabut Bhi Deta hu..

(Sahih Al-Bukhari, Volume 5, Book 58, Number 234 and 236).
(Sahih al-Bukhari, Volume 1, Book 6, Number 298-300, Sunan Abu Dawud, Book 1, Number 0270)
( “Kanz Al Umal” (The Treasure of the Workers, by Ali Ibn Husam Aldin, commonly known as Al-Mutaki Al-Hindi. He based his book on the hadiths and sayings listed in “Al-Jami Al-Saghir,” written by Jalal ul-Din Al-Suyuti.)
Eh Padho...

Aur Tum Kehte Ho Jaldi Badhne Wala Dharm..
Jaldi badhne Wali Bimariya Hoti Hai Dharm nahi..
Jao Jake Dekho Ki Jo Desh Puri Tarah Islamic Hai Vahapar Khan, Education, Security Hai Kya?
Aur Hai To Vaha Jake Raho Pavitra Bhumi Kharab Mat karo.

Unknown said...

Dear Santosh Jee,
Kafi khubsurat sa bakwas apne likha hai. Main apki bakwas mein se ek hi bat ka answer de deta hun. Apne bataya ki puri duniya mein sabse pehli bhasha sanskrit thi. to abhi to sindhu ghati se pehle ki sabhyata mil chuki hai uski bhasha sanskrit nahin hai wo abhi tak unknown hai aisa kyon. Chuki pure world me india aur nepal ko chodkar Christan aur muslim hai. Isi baat se pareshan aplog is tarah ke bakwas likhte aur bolte rahte hain. Apne sadhwi pragya ko nirdosh bataya par wo sangh samrthak hai aur desh ka pehla deshdrohi to RSS hi hai unhone desh ka jhanda jalaya phir bhi ap unka sanrthan karte hai. Aur agar ek RSS karkarta pe koi arop hai to wo jhut nahin ho sakta.

Ashima said...

dharam k naam pe mat lado every one is very good unhone te kuch likha kuch kiya chahe hindu ban k chahe musalman ban k apne kya paya sirf ldai ..so thin k about the progress of future with good brotherhood way

Unknown said...

allah ho akbar yeh kutta Dr kitna jhooth bolta ha kutte ki mot mare ga jhooth bol ne wala admi

Unknown said...

Allah ho akbar yeh Dr kutta kitna bada wala jhooth ha jhooth bolne wala kutte ki mot mare ga sala Dr

Unknown said...

Jo achchi chiz hoti WO parse me rehti he
bina parde mera MATLAB bona kapre me apni ghar Orton ko bahar bhej sakte ho
Islam me bare me much pdo tabhi bolo
Warna ase to कुत्ते भोंकते rehte he

Unknown said...

Jo achchi chiz hoti WO parse me rehti he
bina parde mera MATLAB bona kapre me apni ghar Orton ko bahar bhej sakte ho
Islam me bare me much pdo tabhi bolo
Warna ase to कुत्ते भोंकते rehte he

Unknown said...

Duniya men sabse jyada phalane wala dharm muslim hai mai man leta hoo ... Sirf mujhe itna bata do ki kya muslim dharm jabardasti karake muslim nahin banata .
banata hai udahran main deta hun ,.........muhammad gajnavi ,Aurangzeb....tumhare muhammad sahab etc. Unke bare men jankari lekar phir mujhe batana

Facebook id ...praveen goswami

Unknown said...

Koi Facebook. Par to milata hi nahi yarr nahi to mai batata ki M dharm kya hota hai

Unknown said...

Dargah Ko bhi to hamesha chadar se Dhaka jata hai. Mandir alag hote hain aur Masjid alag, sab dharm saman hote hain sirf ibadat ka tareeqa alag hota hai. Please kisi bhi dharm Ko galat na kahain.

GAURAV said...

हिन्दू और मुस्लिम्स मसला सुलझाने का एक हे तरीका है !
ज्ञान - नॉलेज - सच्च
मुस्लिम अपना 150 -300 साल पहले का पुस्तैनी इतहास पर गौर फरमाये कि उनके दादा पर दादा क्या थे इसपर वे खोज करे अपना खुद का इतहास जानना अच्छी बात है . हर धरम में कहा गया है कि सच का साथ दे और सच के मार्ग पर चले !

हिन्दू ये बात भी मान ले कि वे जिनसे नफरत करते है वे इनके अपने ही है . भले ही धर्म अलग है पर भगवान या अल्लाह एक ही तो है. सब सनातन धर्म से ही निकले है. सनातन धर्म या हिन्दू धर्म 4500 ई.पू ये भी जादा पुराना है ( 2015 + 4500 = 6515 * से भी जादा पुराना इतहास है
- बौद्ध धर्म - सिद्धार्थ गौतम शाक्य मुनि ( 6th century BC )( 2015 + 6 = 2121 साल पुराना इतहास )
- जैन धर्म ऋषब & महावीरा ( 5th century BCE )( 2015 + 5 = 2020 साल पुराना इतहास )
- इस्लाम पैगम्बर महुम्मद साहब (570-632 A.डी)(2015 minus 570 = 1445 साल पुराना इतहास)

और रही बात लो लोग कहते है कि हिन्दू पत्थर को पूजते है तो वह पहले खुद को देखे कि वो किसको पूजते है कहाँ चादर चढ़ाते है ( कब्र पर जो कि शायद उनके धरम गुरु का प्रतिक है या अल्लाह का) सबकुछ सनातन धर्म जैसा है , मुस्लिम्स फेस्टिवल भी हिन्दू फेस्टिवल के आस पास होता है .मक्का मदीना पर सफेद कपडे पहन कर जाते है हिन्दू भी ऐसा करते है. पवित्र मक्का मस्जिद के परिक्रमा करते है जैसे मंदिरो में की जाती है.
हा मुस्लिम्स मूर्ति पूजा के विरोधी हो जैसे बौद्ध धर्म और जैन धरम भी है वो भी एक ही god को मानते है

"हिन्दू धर्म में जो ढोंग , जातिवाद, छूत-अछूत और ब्राह्मण वाद जैसी नीतियों के कारन ही ये धर्म बाटने लगा था "

मुस्लिम्स धरम का विस्तार इतना क्यों हुआ
- जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाते है. मुग़ल काल में औरंज़ेब ,बाबर और ना जाने कितनो ने जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाया. इसलिए अपने पुस्तैनी दादा पर-दादा की बारे में पता करो.
- इस्लाम में सभी एक जैसे है कोई भेद भाव नहीं है.ये बेस्ट पार्ट है इस्लाम का इसलिए जो निचले वर्ग या जाती के हिन्दू थे जो उनको इस्लाम काबुल करने में ही अपना फ़ायदा दिखा.
इसलिए अपना दिमाग लगाओ और दिमाग इस्तेमाल करो जो मैंने लिखा है उसपर भी अन्धो की तरह भरोसा मत करो Research करो अपने कल्चर का संस्कृति का जरुर्रत पड़ने पर दुसरो के भी संस्कृति के बारे में जानो. और जब सच समझ में आजाये तब भी अपने धर्मो से जुड़े रहो. सभी धर्मो का सम्मान करो क्यों के सभी धर्मो का लक्ष्य , AIM & INTENTION तो एक ही है गॉड, अल्लाह & भगवान को पाना.

Unknown said...

Bhachpan main pada tha ki "Manavata hi sabse bada dharm hai" I am still believing on that.

Dharma is very broader terms and it is belief for one particular person. He may or may not be following various karma kand of his own religion but broadly belief in it. Let us not be very judgmental for others belief.

Let us work for mankind and look forward to future. We should not be indulged in such debate. It is waste of time.

Regards,
Shalabh

Please do not comment on this post as it would be mine last one.

Unknown said...

Enter your comment...bhaiyo me u nhi kahunga ki kon galat he kon sachi .me v ek shiv bhagkt hu god.is one

Anonymous said...

Agar ved itna purana hain to iska sthapana kaha hua tha india main yah samsan main,,,q ki 5300 saal pehly india kisa tha ,koi nahi paraman ved main nahi milta,,,jisne ved likha uska ilim kaha se paya iska v paraman nahi hain,,,

Anonymous said...

Haha,,kaba mandir tha,,,bhai,,,murti puja ka khilaf hi avatar ko bejha gia tha,,murti bana na ne ke liye nahi,,,

Unknown said...

U know muslim religion taj mahal is not tajmahal. It is tejo mahalya in earliear time.

Unknown said...

अरे हिंदू बेवकोफो,हिंदू तो कोई majhab ही नही हिंदू वर्ड हिंदू घटी सभ्यता से आय हैं isliye हिंदू के सारे अवतार हिंदुस्तान में हुए और वेद कोई आसमानी किताब नही वेद कीं देवताओं पर उतर ये कोई प्रमाण नही,और संस्कृत 1200bc के आसपास जन्मी हैं जबकि अरबी लेंग्वेज और इश्क ग्रूप 36000 bc se phele ka hai tum sab allah ko mante ho

Unknown said...

Musalman koi dharma nahi hai yaha ek panthaa hai vaise too sab paida hoone wale hinduhi hoote hai musalman too sunnat ke bad hi hoota hai chrichan bhi koi dharma nahi hai o bhi baptisma ka vidhi karne ke bad chrtichan kaha lata hai lekin ek sanatan dharmahi aisa hai banavati nahi hai puer hai nakli nahi

Indian humanity said...

Wah wah wah wah bhaiyo nd bahano world war 3 hoga to british ki vajah se nahi tum logo ki vajah se hoga and one thing jisne ye post likha h uske liye aapke ghar me ittar ki botal mile iska matlab aap muslim ban jaoge ..... samjhdar ke liye isara hi kafi h ...... :p nd im just 16 lekin i think mai tum jaise logo se kafi samjhdar hu coz jab ek muslim ladki geeta compition jeet sakti h itne hindu bachcho ke samne to had h aapki aise soch ki ...... nd one thing saalo logo ke maamle me gus ke ya unke dharam me ghusne me tum logo ko paise milte h kya faltu kamine log koi hindu ho ya muslim ya ho isai tere ka kya jata h be teko kahe itni khujali ho rahi h koi kisi bhi dharam ko maane tum logo ke dil me kahe aag lag rahi h kamino aise hi log hote h jo danga karvate h saale na khud chain se jeete h na dusro ko jeene dete h gaaaa khoj rahi h thi ispe najar padi socha aise logoko samjha du koi mare ya jiye tere ka kya jata h koi hindu ho ya muslim aap logo ka kya jata h kyo logo ki life me interfair karte ho chain se jeene kyo nahi dete koi kisi bhi dharam ko maane tum logo se kya indian ho to indian ban ke raho non indian mat bano history me ek baat padhi thi maine devide nd rule o kaam mat karo to better h nahi to world war 3 hoga aur mera bas chale nucliar michail chod du saale tum jaise logo par aur sirf indian bache jo kisi ke dharam ya life me interfair na kare ..... nd one thing ....... request hai................ jiyo aur chai se jine do plzzz

Indian humanity said...

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