Wednesday, December 16, 2015

चक्रपाणी  हिन्दू महासभा  का  सदस्य भी नहीं हैं   : डॉ0 संतोष राय



फिल्म निर्माता एवं हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता ने आज प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि स्वामी चक्रपाणी आये दिन हिन्दू महासभा का स्वयम्भू घोषित अध्यक्ष कहकर मीडिया में सुर्खियाँ पाता है जबकि चक्रपाणी हिन्दू महासभा का सदस्य भी नही है और ऐसा दिल्ली कि माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पीठ द्वारा निर्णय भी दिया जा चुका है । इतना ही नही स्वामी चक्रपाणी हिन्दू महासभा के राष्‍ट्रीय  अध्यक्ष हैं ही  नहीं और इस निर्णय की पुष्टि माननीय भारत के उच्चतम न्यायालय ने कर दी है और चक्रपाणी को अब अपने आपको राष्‍ट्रीय अध्यक्ष नहीं कहना चाहिए और यदि वे  अपनें आपको राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष कहते हैं तो इसमें माननीय न्यायापालिका घोर अपमान है ।  जो व्यक्ति हिन्दू महासभा का सदस्य भी न रहा हो वह अध्यक्ष तो क्या किसी भी पद पर नहीं रह सकता । उपरोक्‍त आधार पर पर यह वाद हिन्दू महासभा कि केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति द्वारा जीता गया है । इतना ही नहीं स्वामी चक्रपाणी एवं चन्द्र प्रकाश कौशिक ने “श्री राम जन्मभूमि” के वाद में केवीएट डाला था वह भी माननीय उच्चतम न्यायलय ने रद्द कर दिया था और यह अधिकार “हिन्दू महासभा की केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति” के पास है और उस समय केन्द्रीय उच्चधिकार समिति के अध्यक्ष डॉ संतोष राय थे और अब “केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति” के अध्यक्ष बाबा नन्द किशोर मिश्र हैं ।  हिन्दू महासभा कि केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति द्वारा डाले गए वाद संख्या SLP3600 को श्री राम लला विराजमान के लिए मान्य किया गया ।

डॉ0 संतोष राय नें आगे कहा कि सभी को यह भी पता है कि जब साधुओं कि “अखाड़ा परिषद्” ने चक्रपाणी को साधू मानने से मना कर दिया तो चक्रपाणी ने एक “संत सभा” नाम का संगठन खड़ा किया और फर्जी लोगों को साधू संत का प्रमाण पत्र देने लगे ।  चक्रपाणी का एक साथी है प्रमोद कृष्णन जो कि अपने को कल्कि पीठाधीश्वर कहता है उसके सम्बन्ध आजम खान और अन्य साम्प्रदायिक नेताओं से अच्छे हैं और चक्रपाणी द्वारा अपने आप को हिन्दू महासभा का  अध्यक्ष कह कर यह सन्देश देना कि कमलेश तिवारी का हिन्दू महासभा से कोई लेना देना नहीं है इसमें घोर षड्यंत्र कि गंध  आती है और इन लोगों ने यह सन्देश देने का भी प्रयास किया कि हिन्दू महासभा कमलेश तिवारी के साथ नहीं है ।  फिल्म निर्माता एवं हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता डॉ संतोष राय ने कहा की मीडिया बिना सोचे समझे किसी भी स्वयंभू व्यक्ति को हिन्दू महासभा का अध्यक्ष या अन्य पदाधिकारी ना बताये और ऐसा करना न्यायलय के आदेशों का उल्लंघन है ।
हिन्दू महासभा के नाम पर अनेक लोगों ने अपने आपको स्वयम्भू अध्यक्ष घोषित कर रखा है जिसके सन्दर्भ में दिल्ली उच्च न्यायलय में वाद संख्या 745/2014 बाबा नन्द किशोर मिश्र बनाम श्री दिनेश चन्द्र त्यागी वगैरह लंबित है ।  अंतरिम आदेश में माननीय उच्च न्यायलय ने, भारत के निर्वाचन आयोग ने किसी भी व्‍यक्ति  को स्वयंभू अध्यक्ष मानने से मना कर दिया है । हिन्दू महासभा की संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत तदर्थ कार्यकारिणी कार्य कर रही है जिसके राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष आचार्य रमेश मिश्र, राष्‍ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बाबा(पं) नन्द किशोर मिश्र, राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ संतोष राय, राष्‍ट्रीय महामंत्री आचार्य मदन सिंह एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता अधिवक्ता राकेश आर्य  इत्यादि द्वारा संचालित हैं  । न्यायलय के निर्णय के पश्चात यह तदर्थ कार्यकारिणी स्वतः समाप्त हो जाएगी और माननीय न्यायलय के देख-रेख में पुनः संगठन का चुनाव होगा ।

श्री कमलेश तिवारी के विरोध में कुछ स्वयम्भू नेताओं द्वारा गलत बयानबाजी  की  जा रही है जिसका हिन्दू महासभा अपने शब्दों में घोर निंदा करती है  और कमलेश तिवारी की  गिरफ्तारी एवं रासुका लगाने के विरुद्ध हिन्दू महासभा का प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्रीराम नाइक जी से मिलने का समय माँगा है ।  कमलेश तिवारी पर लगे रासुका को निरस्त कराने के लिए हिन्दू महासभा हर प्रकार का प्रयास करेगी और सड़क से लेकर न्यायलय तक संघर्ष किया जाएगा ।

डॉ0 संतोष राय नें सांप्रदायिक बयानबाजी करने वाले  आजम  खान पर करारा हमला करते हुए कहा कि आजम खान द्वारा उत्तर प्रदेश में जेहादिओं को सरंक्षण मिल रहा है और उन्हीं  जेहादियों ने कमलेश तिवारी कि हत्या करने के लिए अब तक करोड़ों रूपये का इनाम रख दिया है तो क्या उत्तर प्रदेश सरकार आजम खान और अन्य जेहादी तत्वों पर कार्यवाही करेगी जिनके कारण हिन्दुओं में भय का वातावरण बन गया है और यह वातावरण पूरे भारत में भी फ़ैल चुका है । उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, कर्नाटक इत्यादि जगहों पर कमलेश तिवारी की सरेआम हत्या करने कि घोषणा कि जा रही है और तो और कइयों नें  तो भारत में शरिया के आधार पर ईश निंदा(Bleshphamy) कानून कि मांग कर डाली और ऐसा ही कानून पाकिस्तान में है जहाँ इस कानून का दुरूपयोग गैर-मुसलमानों के विरुद्ध होता है ।  क्या यही है सहिष्णुता ?  हिन्दू नेताओं द्वारा ईश निंदा के लिए रासुका तो विशेष वर्ग के द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं को गाली दी जाय तो उन्हें सम्मान तो ! इस तरह तथाकथित  तुष्‍टीकरण से देश को किस दिशा में ले जाया जा रहा है ?

डॉ राय ने कमलेश तिवारी के विषय पर संघ, विहिप और भाजपा के समर्थन न देने पर भी निंदा कर डाली और उन्होंने कहा कि ये लोग छद्म हिंदूवादी और अवसरवादी हैं जो वोट बैंक के हिसाब से अपने एजेण्‍डे बना रहे हैं इन्‍हें हिन्‍दू हितों से कोई  लेना-देना नहीं है और हिन्दू महासभाई शुद्ध हिन्दू राष्ट्रवादी हैं और हिन्दू महासभा अपने ही दम ऐसे हिन्दू विरोधी एवं राष्ट्र विरोधी लोगों से निपटना जानती है ।

Monday, November 2, 2015

पुरष्कार लौटाने वाले साहित्यकार व फिल्मकार राष्ट्र एवं हिन्दू विरोधी -ब्रह्मऋषि(डॉ) संतोष राय



दिनांक : 2/11/2015, नई दिल्‍ली ।   फिल्म निर्माता एवं हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता ब्रह्मऋषि(डॉ) संतोष राय ने प्रेस नोट के माध्यम से कहा कि आजकल कुछ मुट्ठीभर साहित्यकार व फिल्मकार जो पुरष्कार वापस कर रहें हैं उनकी मानसिकता राष्ट्र विरोधी एवं हिन्दू विरोधी है ! ऐसे लोगों को पुर्व में कांग्रेस द्वारा राशन-पानी मिलता रहा और कांग्रेस से पुरष्कार लेकर हिन्दू संस्कृति को अपमानित करते रहे और ये तुच्छ लोग कभी गौ-मांस को अपना भोजन कहते हैं तो कभी आतंकवादियों को छोड़ने कि बात  करते हैं ! इन पापियों ने कभी भी मोहनदास गांधी के वध के बाद फरवरी 1948 में चितपावन ब्राह्मणों के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा कि गई हत्या और लुटमार, कश्मीर में अतिवादी मुसलामानों द्वारा किये गए हिन्दुओं के नरसंहार, मुलायम सिंह द्वारा रामभक्तों पर पुलिस से गोलियां चलवाकर उनका नरसंहार करवाना , और 1984 में कांग्रेस द्वारा किये गए सिखों के नरसंहार पर ना कभी कुछ लिखा और ना ही कोई आवाज उठाई, तब कहाँ गई थी इन लोगों कि सांप्रदायिक सद्भावना ! डॉ राय ने कहा कि ये लोग अन्दर से खोखले हो चुके हैं और भारत का जनमानस इन्हें कभी भी अपना समर्थन नही देगा ! यदि इन लोगों का भारत देश में दम घुटता है तो ये पाकिस्तान चले जाएँ और वहां जाकर अपना साहित्य लिखें और फिल्मे बनाये !

फिल्म निर्माता डॉ संतोष राय ने कहा कि ऐसे लोगों का सामजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए और जो अनुपम खेर जी ने ऐसे राष्ट्रविरोधियों को नंगा किया है में उनका समर्थन करता हूँ और में कश्मीरी पंडितों के दर्द के साथ पहले भी था, आज भी उनके साथ खड़ा हूँ और आगे भी इसी तरह खड़ा रहूँगा !

Wednesday, June 17, 2015

गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय


       
     फिल्म निर्माता-निर्देशक व अखिल भारत हिन्दू महासभा के कद्दावर नेता डॉ0 संतोष राय ने कहा है कि गोडसे फिल्म पर अदालत द्वारा एकतरफा प्रतिबंध लगाना पूर्णतया गलत  है अदालत को बिना दूसरे पक्ष का निर्णय सुने बिन अपना निर्णय नही सुनाना चाहिये था।

            डॉ0 संतोष राय ने धमकी दी है कि गोडसे फिल्म को भारत में प्रदर्शित करने के लिये और ऊपर का अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे साथ में इस फिल्म को भारत में प्रदर्शित करने के लिये किसी भी हद तक जायेंगे अगर फिर भी बात नही बनी तो सात समुंदर पार विदेश में ‘‘गोडसे’’ फिल्म को प्रदर्शित करने से किसी भी कीमत पर पीछे नही हटेंगे।
            न्यायालय के इस तरह के एकतरफा निर्णय से सोशल मीडिया में न्यायालय के प्रति लोग अपना रोष प्रकट कर रहे हैं। सोशल मीडिया में लोग इसे न्यायिक भ्रष्टाचार कह रहे हैं।
ज्ञात रहे कि गत बृहष्पतिवार को पुणे की एक अदालत ने नाथूराम गोडसे फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया यह फिल्म 30 जनवरी, 2015 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होनी थी जो कि नही हो सकी। याचिकाकर्ता के मुताबिक इस फिल्म के प्रदर्शन से सांप्रदायिकता फैलेगी।
डॉ0 राय ने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि जब भीष्म साहनी ने देश विभाजन की भीषण विभीषिका पर  ‘‘तमस’’ नामक डोकुमेंटरी बनाई थी तब तथाकथित छद्म धर्मनिरपेक्षवादीगण अदालत जाकर उस पर प्रतिबंध लगाने की  मांग की थी, तब उच्चतम न्यायालयक का एक ऐतिहासिक आदेश आया था और उसमें एक ऐतिहासिक टिप्पणी थी---
"History Can not Be Censored."
 ‘‘इतिहास को प्रतिबंधित नही किया जा सकता।’’

डॉ0 संतोष राय ने गोडसे फिल्म के प्रदर्शन पर रोक से रोष प्रकट करते हुये कहा कि नाथूराम गोडसे यदि गलत थे तो अदालत में दिये गये उनके बयान को इतने दिनों तक नेहरू ने क्यों प्रतिबंधित करा रखा था। उनके बयान को निकलवाने के लिये हिन्दू महासभा को क्यों अदालत का रास्ता चुनना पड़ा।
डॉ0 संतोष राय ने आगे कहा कि आज की युवा पीढ़ी जान गई है कि भारत का बंटवारा क्यों और किसने किया ? फिर भी यदि धर्म के आधार पर देश को जब बांटा गया फिर भी मुसलमानों को देश में किसने रोकवाया। गोडसे एक महान् राष्ट्रभक्त थे इसे नकारा नही जा सकता। याद रहे कि सूर्य के सामने बादल आने से सूर्य का अस्तित्व नही समाप्त होता, हां मूर्ख लोग अवश्य कहते हैं कि सूर्य का अस्तित्व नही है।

 ‘‘गोडसे’’ फिल्म देश में ही नही बल्कि पूरे विश्व में प्रदर्शित होगी उस पर कोई भी प्रतिबंध लगाना इतिहास की सच्चाइयों को नकारना है। आज की युवा पीढ़ी में इस तरह के प्रतिबंध से उसके रक्त में और उबाल आयेगा जो कि तथाकथित छद्म मुखौटा लगाये ढोंगी, गद्दार सेकुलरों के लिये बहुत मंहगा पड़ेगा।

गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय


गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय


   गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय


http://www.ugtabharat.com/?p=20739

गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय



गोडसे पर फिल्म अदालत ने लगाया प्रतिबंध

गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय



गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय



गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय



गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत
http://deshhit.blogspot.in/2015/06/blog-post.html

Friday, May 8, 2015

इन्होंने एक विधवा का जीना दुःश्वार कर दिया है

Description: C:\Users\Rajeev\Desktop\urmila jayswal with her husband and daughter.jpg

शासन-प्रशासन ने एक विधवा का जीना दु:श्वार कर दिया है। उर्मिला जायसवाल मौजा खैरूद्दीनगंज (शिवाजी नगर), मकान नं0-15, थाना व कस्बाः मडि़याहूं की रहने वाली एक गरीब विधवा महिला हैं। उर्मिला जायसवाल के पति स्व0 राम दुलार गुप्ता नगर पंचायत मडि़याहूं में ट्युबेल ऑपरेटर के पद पर रहते हुये 23/03/2014 को मृत्यु को प्राप्त हुये। प्रार्थिनी के पति राम दुलार की मृत्यु के बाद उर्मिला जायसवाल को अपनी आजीविका चलाने में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उर्मिला जायसवाल  अपने पति जो मडि़याहूं नगर पंचायत के अधीन ट्युबेल आपरेटर के पद पर कार्यरत थे, के आकस्मिक मृत्यु से अत्यंत दुःखी हैं व वर्तमान में उसे आजीविका का कोई रास्ता नही है। एतएव यदि उर्मिला जायसवाल को उसके पति के स्थान पर नौकरी दे दी जाती है तो उसे अपनी और अपने पुत्र की आजीविका की समस्या का हल निकल जायेगा।
प्रार्थिनी उर्मिला जायसवाल का एक सौतेला बेटा राकेश कुमार जायसवाल उर्फ ननकू है जो एक खूंखार अपराधी किस्म का नशे का आदी बिगड़ैल किस्म का इंसान है। वह हमेंशा प्रार्थिनी को मानसिक रूप से प्रताडि़त करता रहता है राकेश उर्फ ननकू  प्रार्थिनी को अक्सर गंदे व घिनौने गालियां देकर अपमानित करता रहता है इतना ही नही कई बार वह प्रार्थिनी को जान से मारने की धमकियां दे चुका है।
राकेश कुमार जायसवाल उर्फ ननकू सड़क पर की दुकान अपने पिता से पहले ही ले चुका है जिसकी कुल कीमत 17 लाख थी यहां तक की उस राकेश ने बाप-दादा की पुश्तैनी जमीन पहले ही हथिया चुका है अब वह प्रार्थिनी के मकान व अपने पिता के मृत्यु के बाद उनकी नौकरी को हड़पना चाहता है, जिसके लिये वह अनेकों षडयंत्र कर रहा है, उसने कई अधिकारियों को पैसा खिलाकर अपने तरफ कर लिया है पुलिस में शिकायत करने के बाद भी पुलिस कोई कार्यवाही नही कर रही है। 20/11/2014 को राकेश उर्फ ननकू उर्मिला जायसवाल को मारने के लिये घर का दरवाजा तोड़ रहा था  जिसकी उन्होने 21/11/2014  को जौनपुर पुलिस अधीक्षक को शिकायत भी की, 28/11/2014 को तहसील में सी00 ने उन्हें बुलाया की उनसे पूछताछ की जायेगी मगर वे सादे कागज पर विधवा को डरा धमकाकर हस्ताक्षर करवा लिये जो यह साबित करता है कि शासन-प्रशासन रिश्वत के दबाव में ननकू से मिला हुआ है। प्रार्थिनी ने कई बार पुलिस प्रशासन से शिकायतें की मगर मडि़याहूं के रिश्वतखोर पुलिस के आगे प्रार्थिनी बेबश और लाचार हो जाती है।

अपने पति राम दुलार गुप्त की मृत्यु के बाद से प्रार्थिनी उर्मिला दर-दर की ठोकरें खा रही है लेकिन बड़े दुःख की बात है कि उसके पति के विभाग में  काम करने वाले कुछ अधिकारी प्रार्थिनी के बेबसी और लाचारी का भरपूर लाभ उठाना चाहते हैं वे प्रार्थिनी के इस दुःखद घड़ी में उसके उसके मृतक पति के नौकरी के बदले में लाखों रूपये ऐंठ लेना चाहते हैं। ऐसे ही यहां एक नाम का खुलासा किया जा रहा है जिसे सुनकर आप चैंक जायेंगे।
नगर पंचायत मडि़याहूं, जौनपुर, उप्र में बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव हेड क्लर्क के रूप में कार्यरत है। वह काफी समय से प्रार्थिनी के सौतेले बेटे राकेश उर्फ ननकू से मिला है और वह उसी के प्रभाव में काम कर रहा है। यह राधेश्याम श्रीवास्तव स्व0 राम दुलार की पत्नी उर्मिला जायसवाल के नौकरी पाने, फण्ड, पेंशन आदि में हर तरह से तमाम तरह के रोड़े अटका रहा है।
उर्मिला जायसवाल के पति राम दुलार गुप्ता जब नगर पंचायत मडि़याहूं, जौनपुर के अधीन अपने पद पर कार्यरत थे तो एक दिन अचानक बहुत दुःखी होकर उन्होने अपनइ पत्नी उर्मिला जायवाल से कहा था कि बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव (हेड क्लर्क)  फण्ड, बीमा, पेंशन आदि का कागजी कार्यवाही करने के लिये कुल 25000/ की राशि रिश्वत के तौर पर मांग रहा है। उर्मिला के मुताबिक यह मांमला करीब डेढ़-दो साल पूर्व का है।
इतना ही नही प्रार्थिनी अपने पति के मृत्यु के बाद बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव (हेड क्लर्क) से मिली तो उन्होने कहा कि तुम्हारे पति स्व0 रामदुलार ने मुझसे पचीस-पचीस हजार रूपये व कुल एक लाख रूपये चार किश्तों में लिये थे अगर तुम हमें चारों किश्त यानी एक लाख रूपये वापस कर दोगी तो हम तुम्हारा सारा काम: नौकरी, फण्ड, पेंशन आदि अविलंब कर दूंगा लेकिन उर्मिला जायसवाल के मुताबिक उनके पति कभी किसी से उधार लिये ही नही थे यदि लिये होते तो वे हमें अवश्य बताते।
विधवा उर्मिला जायसवाल के स्व0 पति रामदुलार गुप्त ने ट्युबेल ऑपरेटर पद रहते हुये सर्विस बुक में नामिनी के रूप में नाम दर्ज करने के लिये  टाइप राइटर से टाइप करवाकर अपनी बेटी सरिता व पत्नी उर्मिला जायसवाल का नाम हेड क्लर्क राधेश्याम श्रीवास्तव को दिया था मगर उस हेड क्लर्क ने गंदी नियत से गड़बड़ घोटाले करने के लिये उपरोक्त नाम सर्विस बुक में उस दौरान दर्ज नही किये।
उर्मिला जायसवाल का आरोप है कि उपरोक्त विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा जानबूझकर यह दबाव बनाया जा रहा है कि  उर्मिला जायसवाल अपने स्व0 पति की नौकरी न करें वो उस नौकरी को अपने सौतेले बेटे को सुपुर्द कर दें।
उर्मिला के मुताबिक उसके स्व0 पति रामदुलार का उनके नगर पंचायत विभाग द्वारा करीब 4 लाख का बीमा कराया गया था लेकिन उसका कोई बॉण्ड नही दिया गया ।
बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव (हेड क्लर्क) ने विधवा उर्मिला को अपमानित करने में कोई कोर-कसर नही छोड़ी है। कई बार उसने प्रार्थिनी को अपशब्द बोले, गंदी-गंदी गालियां दी। यह राधेश्याम विधवा के पारिवारिक मामले जमीन-जायदाद में भी शुरू से ही हस्तक्षेप करता था, यह हेड क्लर्क श्रीवास्तव उर्मिला के सौतेले बेटे राकेश कुमार जायसवाल उर्फ ननकू से पैसे के लालच में मिला है। इसने कई बार प्रार्थिनी को रंडी-वैश्या, बदमाश जैसे गंदे शब्दों से प्रार्थिनी को अपमानित किया है लेकिन प्रार्थिनी उसके गंदे-घिनौने गालियों को चुपचाप सहती रही लेकिन इस भ्रष्ट राधेश्याम के अत्याचारों को सहते-सहते प्रार्थिनी के सब्र का बांध टूट गया है इतना ही नही यह हेड क्लर्क प्रार्थिनी के सौतेले बेटे राकेश उर्फ ननकू से जा मिला है, यह उसके साथ मिलकर प्रार्थिनी उर्मिला की हत्या तक करवा सकता है।
यह बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव, उर्मिला का सौतेला पुत्र ननकू व अन्य लोगों के साथ मिलकर प्रार्थिनी के बारे में यह अफवाह मचा रहे हैं कि प्रार्थिनी उर्मिला जायसवाल स्व0 रामदुलार गुप्ता की पत्नी नही थी मगर विधवा उर्मिला के पास ऐसे ढेर सारे प्रमाण हैं जिससे यह प्रमाणित होता है कि प्रार्थिनी उर्मिला स्व0 रामदुलार की पत्नी है मगर नगर पंचायत मडि़याहूं, जौनपुर, उप्र में कार्यरत राधेश्याम श्रीवास्तव (हेड क्लर्क) जैसे भ्रष्ट अधिकारी जानबूझकर एक गरीब, लाचार और वेबस विधवा को परेशान कर रखा है वे जानबूझकर ऐसे-ऐसे प्रमाण मांग रहे है जिससे प्रार्थिनी उसीमें उलझकर अपना जीवन गंवा दे।
     प्रार्थिनी उर्मिला जायसवाल का स्व0 रामदुलार गुप्त की पत्नी होने का प्रथम प्रमाण एलआई बीमा है जो उसके पति ने कराया था जिसमें उर्मिला देवी उनकी पत्नी नामिनी के रूप में थी यह बीमा पालिसी संख्या: 2880 34610 है। (बीमा पालिसी की रसीद की छाया प्रति संलग्न)।
     दूसरा प्रमाण राशन कार्ड है जिसमें प्रार्थिनी उर्मिला जायसवाल मुखिया स्व0 रामदुलार गुप्त की पत्नी के रूप में है। (राशन कार्ड की छाया प्रति संलग्न)।
     तीसरा प्रमाण भारत निर्वाचन आयोग का पहचान पत्र है जिसमें प्रार्थिनी उर्मिला के पति स्व0 रामदुलार हैं। (पहचान पत्र की छाया प्रति संलग्न)।
     चैथा प्रमाण गोमती ग्रॉमीण बैंक का खाता जिसमें प्रार्थिनी उर्मिला के पति रामदुलार हैं। (बैंक पास-बुक की छाया प्रति संलग्न)।
     पांचवा प्रमाण स्व0 रामदुलार गुप्त के साथ प्रार्थिनी उर्मिला द्वारा पूजा-अर्चना के समय की तस्वीर (फोटो संलग्न) जिसमें प्रार्थिनी की बेटी सरिता भी मौजूद है।
      छठां सबसे बड़ा प्रमाण मरने से पूर्व रामदुलार गुप्त का वसीयतनामा (वसीयतनामा की छाया प्रति संलग्न) जिसमें उन्होने मैं सोच-समझकर पूरे होश-हवाश में लिखा है कि उनकी दूसरी पत्नी उर्मिला जायसवाल उनके मरने के बाद मालिक होंगी इस वसीयतनामा में स्व0 रामदुलार ने अपना घर, पेंशन, फण्ड, बैंकों में जमा धन राशि की मालिक उर्मिला जायसवाल को बनाया है। इस वसीयतनामा में आगे लिखा है कि रामदुलार की पहली पत्नी शकुंतला देवी के लड़कों से हमारी संपत्ति से कोई सरोकार नही रहेगा, यह वसीयतनामा 29/03/2010 को लिखी गई थी।
इतने सारे प्रमाण देने के बावजूद क्या अब भी उर्मिला जायसवाल को अपने स्व0 पति के स्थान पर नौकरी पाने के लिये और भी प्रमाण देने की आवश्यकता है। इन भ्रष्ट व रिश्वतखोर अधिकारियों के गठजोड़ देखिये कि जब नगर पंचायत मडि़याहूं कार्यालय ने स्व0 रामदुलार की पत्नी होने के लिये प्रार्थिनी उर्मिला से निकट संबंधी प्रमाण पत्र मांगा तो मडि़याहूं के कानून गो ने 500 रूपये का सुविधा शुल्क लेने के बावजूद निकट संबंधी प्रमाण पत्र नही बना के दिया बल्कि प्रार्थिनी के सौतेले पुत्र राकेश जायसवाल उर्फ ननकू की पैरवी किया जब दिल्ली के कुछ पत्रकार उस भ्रष्ट कानून गो से प्रश्न पर प्रश्न किये तब जाकर विधवा का निकट संबंधी प्रमाण पत्र बना।
विधवा  उर्मिला जायसवाल को उनके स्व0 पति रामदुलार गुप्त के स्थान पर उन्हें तुरंत नौकरी क्यों नही दिया जा रहा है इस दौरान वो अपनी आजीविका के लिये क्या करे ? शासन-प्रशासन को उनके साथ हो रहे अन्याय को रोकना चाहिये जिससे वे समाज में सही तरह से गुजर-बसर कर सकें।

इन्होंने एक विधवा का जीना दुःश्वार कर दिया है
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इन्होंने एक विधवा का जीना दुःश्वार कर दिया है

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इन्होंने एक विधवा का जीना दुःश्वार कर दिया है


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इन्होंने एक विधवा का जीना दुःश्वार कर दिया है

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इन्होंने एक विधवा का जीना दुःश्वार कर दिया है


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Thursday, April 16, 2015

राष्‍ट्रवादी होना अपने आप में एक गुनाह, पानी के एक-एक बूंद के लिये एनडीएमसी तड़पा रहा है


रविन्‍द्र कुमार द्विवेदी



     गोल मार्केट, नई दिल्‍ली। आज राष्‍ट्रवादी होना अपने आप में एक गुनाह हो गया है। एक ओर जहां ईमाम बुखारी के जामा मस्जिद का 4 करोड़ 16 लाख का बिल बकाया होने के बावजूद किसी बिजली कम्‍पनी की हिम्‍मत नही है कि उनकी बिजली को काट सके, शाही इमाम के गुर्गे जामा मस्जिद के पार्किंग एवं मार्केट से लाखों रूपया वसूल रहे हैं मगर केन्‍द्र व राज्‍य सरकार की हिम्‍मत नही है कि शाही ईमाम पर कोई कार्यवाही कर सके। वहीं गोल मार्केट के पेशवा रोड पर स्थित महेश्‍वर आश्रम के पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र का  एक  महीने से  जल आपूर्ति के पाइप लाइन को 77720/- (सतहत्‍तर हजार सात सौ बीस)  रूपये बिल  भरने के बाद भी  एनडीएमसी के द्वारा बाधित कर दिया गया है।  आश्रम में रहने वाले पं0 बाबा नंद किशोर  मिश्रा व उनके भक्‍तों का पानी के अभाव में जीना दु:श्‍वार हो गया है। महेश्‍वर आश्रम के पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने 13/01/2014 को नई दिल्‍ली नगर पालिका के अध्‍यक्ष  जलज श्रीवास्‍तव से अपनी समस्‍याएं  लिखित रूप  से अवगत कराया था मानवीय मूल्‍यों के आधार  पर निवेदन किया था एवं सहायता मांगी थी और जलज श्रीवास्‍तव ने आश्‍वासन भी दिया था परन्‍तु उस निवेदन को उनके द्वारा ठंढे बस्‍ते में डाल दिया गया । ज्ञात रहे कि महेश्वर आश्रम एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। आश्रम का संबंध विदेश व देश के सभी प्रदेशों से है। आश्रम जन कल्याण के कार्यों में निरंतर लगा हुआ है। आश्रम राष्ट्रवादी, हिन्दुत्ववादी चिंतकों के आस्था का केन्द्र है। दिल्ली के प्रत्येक क्षेत्र से आश्रम में लोग आते हैं व आश्रम के सामाजिक, आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़े हुये हैं। पानी आपूर्ति बाधित होने के कारण मंदिर व आश्रम की धार्मिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हैं।

      उपरोक्‍त विषय पर पं0  बाबा नंद  किशोर मिश्रा ने 20/03/2015 को सायं पांच बजकर 20 मिनट पर इस विषय के समाधान हेतु निवेदन किये थे किन्तु उस दिन जलज श्रीवास्‍तव समिति के बैठक में व्यस्त थे इसलिये साक्षात्कार नही हो सका।  11 मार्च, 2015 को निदेशक वाणिज्य मैडम गीतिका शर्मा जी को दूरभाष द्वारा आश्रम की समस्या से अवगत कराया था। 13 मार्च, 2015 को पुनः आश्रम की अपनी कठिनाइयों व भारी परेशानियों से अवगत कराया था। माननीय गीतिका शर्मा जी ने तत्काल एक नोट के माध्यम से अधीक्षण अभियंता, जल को निर्देशित भी किया।

   सनद रहे कि पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र व उनके  परिवार की जीविका व भरण-पोषण आकाश वृत्ति के माध्यम से चलती है। वे एक सामाजिक एवं हिन्दू राष्ट्रवादी राजनैतिक कार्यकर्ता है। एक तरफ जहां  सरकार व सरकार के अधीनस्थ  द्वारा ‘‘बेटी बढ़ाओ, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’ का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वहीं एनडीएमसी के कठोर मानवता विहीन रवैये  के कारण श्री मिश्र के परिवार व तीनों बच्चियों के साथ अन्‍याय हो रहा है निश्चित ही एनडीएमसी के कठोर व बर्बर रवैये के कारण उन बच्चियों के स्‍वास्‍थ्‍य व भविष्‍य पर प्रभाव पड़ेगा।  पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र मातृविहीन तीन बच्चियों का पालन-पोषण कर रहे हैं उनके पालन-पोषण में अतिव्यस्तता के कारण बाबा किशोर  और उनका  परिवार सिर्फ एक समय ही भोजन कर पाते हैं। जिन तीन डेढ़ साल की बच्चियों का बाबा पं0 मिश्र लालन-पालन कर रहे हैं उनमें  बेबी नं0 1 आद्या का जन्म से आठ महीने के बाद हृदय बढ़ गया जिसका ईलाज चल रहा हैं वहीं बेबी नं0 3 अनंता का जन्म से ही हृदय में छेद था लेकिन ईलाज व दिन-रात अथक परिश्रम से वह स्वस्थ हो गई। इन बच्चियों की बीमारी में भी बहुत खर्च आ रहा है परिणामस्वरूप बाबा की आर्थिक स्थिति बहुत ही जर्जर हो गई है जिस कारण बाबा पं0 मिश्र ने दिल्ली नगर पालिका से पानी और बिजली के बिल को माफ करने को कहा था जिसमें बाबा ने करीब 77720/- रूपये देने के बावजूद भी नगर पालिका द्वारा सारी जानकारी होने के बावजूद भी जल आपूर्ति पूरी तरह से बाधित कर दिया व जलज श्रीवास्‍तव ने माफी का वायदा करके वायदे से मुकर गये।

     ज्ञात हो कि पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र एक वरिष्ठ नागरिक है और उपरोक्त तीनों बच्चियों की माँ नही हैं व बच्चियों का पिता पत्‍नी के निधन से दु:खी हो मानसिक रूप से जर्जर हो गया है।  श्री मिश्र ने बिजली एवं पानी का बिल माफ करने का निवेदन किया था तत्पश्चात् इस संदर्भ में  जलज श्रीवास्‍तव  15/1/2014 को निदेशक वाणिज्य विभाग को निर्देशित किया था और बाबा पं0 नंद किशोर मिश्र  को आश्वासन दिया था कि उन्‍हें सहयोग मिलेगा लेकिन अभी तक किसी प्रकार सहयोग प्राप्त नही हुआ है। दिनांक 9/3/2015 को नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के वाणिज्य विभाग द्वारा एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें श्री मिश्र  को निर्देशित किया गया कि पानी, बिजली के बिल का अधिभार का बकाया माफ नही किया जायेगा क्योंकि समझौता समिति इस समय अस्तित्व में नही है।

     इसके बाद दिनांक 24/3/2015 को महेश्‍वर आश्रम को  एक लेखा-जोखा जिसमें अनुमानतः 01 लाख, 72 हजार, पांच सौ, पन्द्रह रूपये है, प्राप्त हुआ है जिसमें जलज श्रीवास्‍तव का दबाव है कि बिल अतिशीघ्र दिया जाये।  ज्ञात रहे  कि 1990 से महेश्वर आश्रम में पानी-सीवर की व्यवस्था है व आश्रम में 1978 से बिजली का टेम्प्रोरी कनेक्शन व 1980 से नियमित है जिसमें आश्रम ने 77720/- बिजली के बिल राशि दिया जा चुका है  जिसकी छाया प्रति एनडीएमसी को दी जा चुकी है।

     बाबा पं0 नंद किशोर मिश्र ने जल की आपातकालीन संकट के निवारण हेतु तत्काल पाइप लाइन बदलने एवं नई दिल्ली नगर पालिका के कोष से व्यवस्था कराने के संदर्भ में व मातृविहीन बच्चियों के संरक्षण हेतु कई बार एनडीएमसी के जलज श्रीवास्‍तव से गुहार लगाई लेकिन लेकिन वे माफी की बात करके भी मानवता को शर्मसार करने वाले कृत्‍य किये।

     पानी आपूर्ति बाधित होने के कारण आश्रम के भक्तों  में जनाक्रोश पैदा हो रहा है जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। नवरात्र के  समय धार्मिक कार्य पूर्ण रूपेण बाधित हुआ जिसकी शिकायत करने  के बावजूद एनडीएमसी के कान पर जूं तक नही रेंगा। उपरोक्त विषय-वस्तु का समाधान शीघ्र नही हुआ, इस विषय में आश्रम के भक्तगणों को जानकारी होने पर जनाक्रोश फैलेगा उसका जिम्मेदार स्वतः प्रशासन ही होगा। क्‍योंकि एनडीएमसी का पक्षपातपूर्ण रवैया मानवता को शर्मसार कर देने वाला है। आज इस तरह की समस्‍या  किसी मस्जिद के ईमाम या मौलवी की होती तो शासन-प्रशासन पलक-पांवड़े बिछा देता यदि बात जेहादी आतंकियों की होती तो राज्‍य सरकार, केन्‍द्र सरकार उन्‍हें लाखों की बिरयानी खिलाने में गंवा देती मगर जब बात यहां हिन्‍दुत्‍ववादी राष्‍ट्रवादी की है उसकी दुर्दशा होनी ही है क्‍योंकि इस देश में हिन्‍दुत्‍वादी, राष्‍ट्रवादी होना सबसे बड़ा  अपराध है।

राष्‍ट्रवादी होना अपने आप में एक गुनाह, पानी के एक-एक बूंद के लिये एनडीएमसी तड़पा रहा है

http://teznews.com/ndmc-is-craved-for-water/

 

पानी के एक-एक बूंद के लिये एनडीएमसी तड़पा रहा है

http://www.vijayvani.in/blog/2015/04/14/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%82%E0%A4%A6-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%87-%E0%A4%8F/
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पानी के एक-एक बूंद के लिये एनडीएमसी तड़पा रहा है

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http://savehumanrigt.blogspot.com/2015/04/blog-post.html