Monday, January 30, 2012

इस्लाम समर्थक हिन्दू आचार्य ?

सत्‍यवादी

प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय

आजकल प्रचार का जमाना है .और लोग अपना प्रचार करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं .इसीलिए कुछ मुस्लिम ब्लोगरों ने इस्लाम का प्रचार करने के लिए यही तरकीब अपना रखी है .सब जानते हैं कि अधिकांश हिन्दू संगठन और संस्थाए भी दोगली विचारधारा रखती हैं .और कुछ तथाकथित स्यंभू आचार्य ,और पंडित अपना धर्म बेच चुके है ,और इस्लाम का प्रचार कर रहे है .कुछ दिनों पूर्व " सनातन धर्म इस्लाम " (http://sanatan-dharm-islam.blogspot.com/)के नाम से एक ब्लॉग नजर में आया ,जिसमे किसी अहमद पंडित और किसी लक्ष्मी शंकर आचार्य के साथ कुछ अन्य हिन्दू लेखकों ने मिलकरयह सिद्ध करने का प्रयास किया है ,कि इस्लाम एक उदार धर्म है ,इसमें जबरदस्ती नहीं है .यह हरेक व्यक्ति को अपना धर्म पालन करने की अनुमति देता है .इस्लाम की नजर में सभी मनुष्य समान हैं .इस्लाम लोगों में सद्भावना फैलाना चाहता है .आदि ,इन्हीं बातों प्रमाणित करने के लिए इस ब्लॉग में कुरान शरीफ की कुछ आयतें और विडिओ भी दिए गए है .यहाँ पर ब्लॉग में किये गए दावों की दुर्भावना रहित समीक्षा दी जा रही है ,ताकि उन हिन्दू विद्वानों को सटीक उत्तर दिया जा सके .और सत्यासत्य का निर्णय हो सके .देखिये -
1 - इस्लाम का अर्थ शांति नहीं है .
अभी तक लोग इसी भ्रम में पड़े हुए हैं ,कि इस्लाम का अर्थ शांति है .और इसलिए इस्लाम शांति का धर्म है .लेकिन इस्लाम का वास्तविक अर्थ शांति नहीं बल्कि समर्पण है ."Islam" does not mean "peace" but "submission"जैसा कि कहा जाता है ("السلام" ولكن "تقديم"استسلاما  )इस्लाम शब्द अरबी के तीन अक्षरों (root sīn-lām-mīm (SLM [ س ل م ) से बना है .और कुरान में कई जगह इस्लाम का अर्थ समर्पण ही किया गया है ,सूरा तौबा 9 :29 में इसका अर्थ-
To surrender -اسلام=Submission  बताया है .इसी तरह सूरा आले इमरान 3 :83 में इसका अर्थ अल्लाह का धर्म और सूरा आले इमरान 3 :19 में भी वही अर्थ"islam is surrender  to  allah 's will استسلاما=To surrender "   दिया है .इस्लाम का अर्थ शांति फैलाना कदापि नहीं है .इस शब्द का प्रयोग लोगों को धमकी देकर आत्मसमर्पण (surrender ) करने के लिए किया जाता रहा है ,जो इन हदीसों से सिद्ध होता है .


"रसूल ने यहूदियों से कहा कि यह सारी जमीन मुसलमानों की है .इसलिए तुम इसे खाली कर दो .और इस्लाम कबूल करो .और खुद को अल्लाह के रसूल के सामने समर्पित कर दो " बुखारी -जिल्द 9 किताब 92 हदीस 447 
"एक औरत ने रसूल से पूछा कि इस्लाम क्या है ,तो रसूल ने कहा ,सिर्फ अल्लाह की इबादत करना , रोजा रखना ,जकात देना और खुद को अल्लाह की मर्जी के हवाले कर देना "बुखारी -जिल्द 1 किताब 1 हदीस 47 
"रसूल ने Byzantine ईसाई शाशक "हरकल Harcaleius को सन्देश भेजा ,जिसमे कहा कि मैं अल्लाह का रसूल मुहम्मद तुम्हें चेतावनी देता हूँ ,कि अगर तुम अपनी जान बचाना चाहते हो ,तो समर्पण कर दो .और इस्लाम स्वीकार कर लो "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 191 
वह इस्लाम भक्त हिन्दू आचार्य बताएं कि क्या इस्लाम का अर्थ समर्पण करना नहीं है ? और इस्लाम के जन्म से लेकर मुसलमान इसी तरह से विश्व में शांति (अशांति ) नहीं फैला रहे हैं ?
2 -इस्लाम में जबरदस्ती नहीं है 
इन इस्लाम परस्त पंडितों ने जकारिया नायक के सामने मुस्लिमों को खुश करने के लिए यह कह दिया कि इस्लाम में किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं है ,और सबको अपना धर्म पालने की आजादी है .इसके लिए इन लोगों ने कुरान की इन आयतों का हवाला दिया है -
अ -"दीन (इस्लाम ( में कोई जबरदस्ती नहीं है " सूरा -बकरा 2 :256 
ब-"तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन और हमारे लिए हमारा दीन "सूरा -काफिरून 109 :6 
बहुत कम लोग यह जानते हैं कि कुरान की सूरतें और आयते घटनाक्रम के अनुसार ( according revelation ) नहीं है .इसलिए इनका सही तात्पर्य और अर्थ समझने के लिए हदीसों का सहारा लेना जरुरी है .पहली आयत 2 :256 यहूदियों से सम्बंधित है .हदीस में कहा है ,
"अब्दुल्ला इब्न अब्बास ने कहा कि इस्लाम से पहले जिन औरतों के बच्चे नहीं होते थे ,या बार बार मर जाते थे ,वह यहूदियों के मंदिर में जाकर रब्बी के सामने यह मन्नत मांगती थीं ,कि अगर मुझे बच्चा होगा ,या मेरी संतान जीवित रहेगी तो उसे मैं यहूदी बनाकर तुम्हारे हवाले कर दूंगी . मक्का में ऐसे बहुत से बच्चे यहूदियों के पास थे . जब इस्लाम आया तो रसूल ने उन सभी बच्चों को यहूदियों से मुक्त कराया और कहा कि " दीन ( मान्यता ) में कोई जबरदस्ती नहीं है " 
अबू दाउद-किताब 14 हदीस 2676 
इसी तरह दूसरी आयत 109 :6 का जवाब उसी सूरा में मिल जाता है ,जिसमे कहा है कि "हे काफिरों मैं उसकी इबादत नहीं करूँगा ,तुम जिसकी इबादत करते हो 
" सूरा -काफिरून 109 :4 .इसी बात को और स्पष्ट करने के लिए कुरान की इस आयत को पढ़िए जो कहती है कि,
"और जो लोग इस सच्चे दीन (इस्लाम )को अपना दीन नहीं मानते ,तुम उनसे लड़ो ,यहाँ तक वह अपमानित और विवश होकर जजिया न देने लगें "
सूरा- तौबा 9 :29 
अब कोई कैसे मान सकता है ,कि इस्लाम बलपूर्वक नहीं फैलाया गया ,और सबको अपने धर्मों के पालन करने की अनुमति देता है ?
3 -इस्लाम वैश्विक भाईचारा चाहता है 


वास्तव में इस्लाम " वैश्विकबंधुत्व "الأخوة العالمية"  universal fraternity" नहीं बल्कि " मुस्लिम भाईचारे "" الاخوان المسلمين"   muslim brotherhood की वकालत करता है . जो इन आयतों से स्पष्ट हो जाती है ,जो कहती हैं .
" ईमान वाले (मुस्लिम ) तो भाई भाई हैं "सूरा -अल हुजुरात 49 :10 
यही बात इन हदीसों में में साफ तौर से कही गयी है ,कि मुसलमान दुसरे धर्म वालों के भाई या मित्र नहीं हो सकते .हदीस में है ,
"रसूल ने कहा कि इमान वालों को सिर्फ इमान वालों से ही दोस्ती करना चाहिए "अबू दाउद -किताब 41 हदीस 4815 और 4832 
"रसूल ने कहा हे ईमान वालो तुम मेरे शत्रुओं ( गैर मुस्लिम ) को अपना भाई या दोस्त नहीं समझो " बुखारी -किताब 59 हदीस 572 
कुरान में गैर मुस्लिमों से दोस्ती न करने का कारण भी दे दिया है और रसूल के स्वभाव के बारे में कहा है कि ,
"मुहम्मद अल्लाह के ऐसे रसूल हैं ,जो काफिरों के प्रति कठोर और अपने लोगों ( मुसलमानों ) के प्रति अत्यंत दयालु हैं "सूरा -अल फतह 48 :29 
सब जानते हैं कि मुसलमान रसूल का अनुकरण करते हैं ,और जब रसूल ही गैर मुस्लिमों से दोस्ती और भाईचारे को बुरा बताते हों ,तो मुसलमानों क्या मजाल जो हिन्दुओं से दोस्ती कर सकें .यही कारण था कि जब केजरीवाल मौलाना अरशद मदनी के पास दोस्ती के लिए गए तो उनको भगा दिया गया .और अन्ना का आन्दोलन फेल हो गया .( जागरण 28 दिसंबर 2011 )याद रखिये गाँधी ने भी यही किया था .
4-विधर्मी भटके लोग और जानवर हैं 
आप सोच रहे होंगे कि इस्लाम गैर मुस्लिमों से मित्रता करने का विरोधी क्यों है .क्योंकि इस्लाम कि नजर में सभी गैर मुस्लिम ,जैसे यहूदी ,ईसाई और हिन्दू भटके हुए लोग और कुत्ते ,बन्दर ,सूअर और चूहे की तरह निकृष्ट प्राणी है .यह कुरान की इन आयातों और हदीसों से सिद्ध होता है .जो कहती हैं कि-
"क्या कभी कोई अँधा और आँखों वाला व्यक्ति बराबर हो सकता है "सूरा -रअद 13 :16 
" निश्चय ही जमीन पर चलने वाले सभी जीवों में अल्लाह कि नजर सबसे निकृष्ट जीव वह लोग हैं जो इस्लाम नहीं लाते"सूरा-अनफ़ाल 8 :55 
"जो इस्लाम को छोड़कर अपनी ही इच्छा पर चलते हैं ,उनकी मिसाल कुते की तरह है .जो अपनी इच्छा पर चलता है "सूरा-आराफ 7 :176 
"जब वह हमारी बात ( इस्लाम लाओ ) छोड़कर ढिढाई से वही पुराना काम करने लगे ,तो हमने (अल्लाह ) कहा जाओ तुम धिक्कारे हुए बन्दर बन जाओ "
सूरा -आराफ़ 7 :166 
"और जब उन लोगों (यहूदी ) हमारे आदेश को नहीं माना तो हमने कहा तुम बन्दर बन जाओ "सूरा -बकरा 2 :65 
"जिन्होंने अल्लाह के आलावा किसी और की इबादत की ,तो उन पर अल्लाह का प्रकोप हुआ .जिस से उन में से बन्दर और सूअर बना दिए गए .
सूरा -अल मायदा 5 :60 .यही बातें इन हदीसों में दी गयी है -
" अबू सईद ने कहा कि रसूल ने कहा "सभी यहूदी और ईसाई भटके हुए लोग है और जानवरों से बदतर है .यह एक दिन गर्त में जा गिरेंगे "
बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 662 
" अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा यहूदी चूहों की तरह है ,जब इनको बकरी का दूध दिया जाता है ,तो पी लेते है .लेकिन जब ऊंटनी का दूध दिया जाता है तो इनको कोई स्वाद नहीं आता.यानि तौरेत पढ़ लेते हैं लेकिन कुरान से इकार करते है "सही मुस्लिम किताब 42 हदीस 7135 यही कारन है कि मुसलमान हिन्दू ,ईसाई और यहूदी जैसे जानवरों से दोस्ती नहीं करते हैं .
5-अल्लाह भटकाता रहे ,और 
लगता है अल्लाह ने जिस दिन कुरान उतारी थी ,उसी दिन से पृथ्वी से काफिरों ( गैर मुस्लिम ) के सफाया की योजना बना रखी थी .कि वह उनको गुमराह करके उनसे गुनाह ,अपराध कराता रहे .फिर जहाँ भी इस्लामी हुकूमत हो जाये वहां जिहादी किसी न किसी बहाने उनको क़त्ल करते रहें .यह बात कुरान कि इन आयतों से स्पष्ट हो जाता है -
" यदि अल्लाह चाहता तो सबको एक गिरोह बना देता ( ताकि वह सत्कर्म करते ) लेकिन वह जिसको चाहे गुमराही में डाल देता है " 
सूरा-अन नह्ल 16 :93 
" वह लोग बिच में ही डावांडोल रहते हैं ,न इधर के और न उधर के . जिसको चाहे गुमराही में डाल देता है,और जिसे खुद अल्लाह भटका दे उनके लिए कोई रास्ता नहीं रहता "सूरा -अन निसा 4 :143 
"अल्लाह जिसको चाहे उसको भटका देता है ,और जिसको चाहे सन्मार्ग दिखा देता है "सूरा-अल मुदस्सिर 74 :31 
"अल्लाह ने जानबूझ कर उनको सन्मार्ग से भटका दिया है ,और उनके कानों और दिलों पर ठप्पा लगा दिया है "सूरा -अल जसिया 45 :23 
अल्लाह के इस काम में शैतान भी मदद करते रहते हैं .जो इस आयत से पता चलता है .
"क्या तुम नहीं जानते कि हमने इन काफिरों पर अपने शैतानों को छोड़ रक्खा है ,जो इनको गुमराह करते रहते हैं "सूरा -मरियम 19 :83 
काश वह हिन्दू पंडित जकारिया नायक से पूछते कि ,जब खुद अल्लाह ही शैतान के साथ मिलकर लोगों को गुमराह कराता रहता है ,तो असली अपराधी अल्लाह क्यों नहीं है .फिर गैर मुस्लिमों पर हमले क्यों किये जाते हैं ?जैसा कि आगे बताया गया है -
6-जिहादी मारते रहें 
क्या इसी को इस्लामी कानून कहते हैं कि ,करे अल्लाह और भरें हिन्दू या गैर मुस्लिम .फिर भी जिहादी अल्लाह की जगह गैर मुस्लिमों पर जिहाद करते रहते हैं .जैसा कि कुरान की इन आयतों में लिखा है ,
"हे ईमान वालो तुम उन सभी काफिरों से लड़ते रहो जो तुम्हारे आस पास रहते हों "सूरा -तौबा 9 :123 
"जो इमान वाले हैं ,वह हमेशा अल्लाह के लिए लड़ते रहते है "सूरा -निसा 4 :76 
"जहाँ तक हो सके तुम हमेशा सेना और शक्ति तैयार रखो ,और काफिरों को भयभीत करते रहो "सूरा -अनफाल 8 :60 
" हे नबी तुम काफिरों और मुनाफिकों के साथ सदा जिहाद करो और उन पर सख्ती करते रहो "सूरा -अत तहरिम 66 :9 .और सूरा तौबा 9 :73 
"तुम उनसे इतना लड़ो की वह बाकि न रहें ,और सभी धर्म इस्लाम हो जाएँ "सूरा -अन्फाल 8 :39 और सूरा -बकरा 2 :193 
"हे नबी तुम ईमान वालों को हमेशा लड़ाई करने पर उकसाते रहो "सूरा -अन्फाल 8 :63 


अब पाठकों से विनम्र नवेदन है कि वह पहले ऊपर दिए गए "सनातन धर्म इस्लाम "में दिए गए हिन्दू पंडितों के तर्कों को पढ़े ,फिर निष्पक्ष होकर कुरान की दी गयी आयतों को पढ़ें . फिर अपना निर्णय टिपण्णी के रूप में देने की कृपा करें .अथवा ,प्रथम अनुच्छेद में जिस ब्लॉग का हवाला दिया गया है ,उसमे उन पंडितों और आचार्यों के पते दिए गए हैं ,जो इस्लाम के भक्त है .आप उन से सवाल कर सकते हैं .




http://www.thereligionofpeace.com/Pages/Quran-Hate.htm

सोनिया गाँधी हमारे भारतीय संस्कृति को को किस तरह...


Ayodhya Prasad Tripathi: aryavrt39@gmail.com

Represent: Dr. Santosh Rai
हमारे पूर्वजों ने ईसा को अपना राजा स्वीकार नहीं किया. उलटे १८५७ से ही ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया. हमें इसी अपराध के लिए १९४७ से ही दंडित किया जा रहा है. भारतीय संविधान का संकलन षड्यंत्र है. अनुच्छेद २९(१).का संकलन आर्य यानी तथाकथित हिन्दू जाति का नरसंहार करने के लिए किया गया है.
कांग्रेस ने भारतीय संविधान का संकलन कर जिन ईसाइयत और इस्लाम को उनकी हत्या, लूट और बलात्कार की संस्कृतियों को बनाये रखने का मौलिक अधिकार दे कर इंडिया में रोका है, {भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१)}, उन्होंने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया. लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए. भारतीय संविधान ने राज्यपालों, जजों व लोकसेवकों की पद, प्रभुता और पेट को वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश से जोड़ दिया है.
कांग्रेस ने भारतीय संविधान का संकलन वैदिक सनातन धर्म और उसके अनुयायियों को मिटाने के लिए किया है. सोनिया के देश पर आधिपत्य को स्वीकार करते ही आप ईसा की भेंड़ हैं. भेंड़ सम्पत्ति नहीं रखते. आप के पास क्यों रहे?
ईसा १० करोड़ से अधिक अमेरिकी लाल भारतीयों और उनकी माया संस्कृति को निगल गया. अब ईसा की भेंड़ सोनिया काले भारतीयों और उनकी वैदिक संस्कृति निगल रही है. जिन्हें देश, वैदिक सनातन धर्म और सम्मान चाहिए-हमारी सहायता करें. अन्यथा मिटने के लिए तैयार रहें.
मीडिया कर्मियों! सोनिया आप लोगों का मांस खायेगी और रक्त पिएगी| (बाइबल, यूहन्ना ६:५३). आप के नारियों का आप की आँखों के सामने बलात्कार कराएगी (बाइबल, याशयाह १३:१६) और आप लोग कुछ न कर पाओगे! आप लोगों के पास सोनिया को मार डालने का कानूनी अधिकार है| (भारतीय दंड संहिता की धाराएँ १०२ व १०५). लेकिन हिंसा का एकाधिकार राज्य के पास होता है| इसीलिए आर्यावर्त सरकार की स्थापना की गई है| क्या आप लोग मानव जाति की रक्षा के लिए आर्यावर्त सरकार की सहायता करेंगे?
जिस समाज के विद्वतजन भ्रष्ट हो जाते हैं, वह समाज नष्ट हो जाता है, क्यों कि शिक्षा और आचरण द्वारा भावी पीढ़ी की मनोवृत्ति बनाने वाले वह ही हैं| जिस जाति को प्रातः स्मरणीय हुतात्मा पंडित नथूराम गोडसे हत्यारे लगें और राष्ट्र व लाखों गैर-मुसलमानों की हत्या, करोड़ों गैर-मुसलमानों का निर्वासन कराने वाला मोहनदास करमचंद गाँधी महात्मा और राष्ट्रपिता लगे और नित्यप्रति अपने लोगों की घटती जनसंख्या की चिंता न हो वह कितने दिन तक जीवित रह सकती है?
Simran Rocha
सोनिया गाँधी हमारे भारतीय संस्कृति को को किस तरह से नष्ट कर रही है ये इसका जीता जगता सुबूत है . पहले सिक्को पर ऋजुवेद का एक अमर सूक्ति "सत्यमेव जयते " लिखा होता था और हमारे महापुरुषों या धर्मो के प्रतिक होते थे .लेकिन इस सोनिया ने पोप के कहने से हमारे सिक्को पर रोमन निशान क्रोस छपवाना शुरू कर दिया और सत्यमेव जयते अब गायब हों गया .:-
 जागो भारतवासियों इनसो कुरुक्षेत्र जिंदाबाद
संस्कृति बचाओ... तिलक धर्म नहीं संस्कृति है... बिंदी धर्म नहीं संस्कृति है... संस्कृत भाषा धर्म नहीं भारतीय संस्कृति है...पैर छूकर बड़ो का आदर करना धर्म नहीं, भारतीय संस्कृति है...देश के प्रति प्यार जताना भारतीय संस्कृति है. क्यों भारतीय मुस्लमान और इसाई यह समजते नहीं है? क्या उनको रोमन और रेबियन संकृति देश में ठुसनी है. मेरे देशवासियों आप धर्म चाहे कोई भी पालन करो लेकिन संस्कृति भारतीय होनी चाहिए....
In India nobody thinks of the national interest and nation; all they want is power to loot the country; let integration go to dogs; they do not want to consider the ultimate outcome for they do not bother for religion as they are pseudo-secular, but they forget that ultimately the religion only will rule but that will be Islam and then they will have to become Muslim to which also they will not mind but only the power will go.

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INDIA’S RULER WHO DOESN’T KNOW EVEN ONE INDIAN LANGUAGE: SONIA GANDHI’S ढोंगOn January 25, 2012, in Current Affairs, India, by Sanjeev SabhlokThis must be true. From a speech  given yesterday in Samrala, Panjab. I've not located the source on the internet, yet, but there is significant evidence, which I discuss below. [Addendum. I've been provided the source: http://epaper.indianexpress.com/c/46596]What I can read from the notes is: "captain amrinder singh, Ambika Soni Ji, … ndar Kaur Bhah??, rak ji, bk han prasad, Singh libra ji, sanai aur viro ki is bhumi ko me ni karti hu". The proper one is: "Swadhinta senani aur viro ki is bhumi ko me naman karti hu" (as noted above in the image).
EVIDENCE OF THE VERACITY OF THESE "NOTES":
a) "Clad in a salwar kameez and donning a mustard duppata". (Tribune) The notes clearly have the salwar as background. The salwar kameez matches the picture in The Hindu.
b) "The UPA chairman was presented a siropa and a shawl by PCC chief Capt Amarinder Singh, MP Partap Bajwa and AICC incharge GS Charak." Amarinder Singh is clearly mentioned in the notes.
c) The bodyguard depicted above matches the one in the picture here, in The Hindu.
d) I've cropped and turned upside down a small section of the picture of Sonia sitting on the chair. It looks like this:

This little snapshot is difficult to read but had this picture been taken with a powerful digital SLR (as it almost certainly was), then it it likely would have, if blown up, matched the image above (which shows the detailed text).
e) While Indians are smart, it is rare for a picture to be "doctored" so quickly and so genuinely. I therefore rule out doctoring of this picture. This is a genuine article. It is also very rare for someone to be smart enough to strike out words, and generally create such a powerful impression of authenticity.
Ideally I'd like to see the original high density 4-6 MB picture from which the "notes" were identified. Nevertheless:
I'm almost 99 per cent convinced about the authenticity of the above picture of Sonia Gandhi's "notes".

If true, it is a sign of EXTREME SHAME for India, that we couldn't find ONE PERSON who knows an Indian language, to govern India.
An Italian who had learnt a Indian language (and taken Indian citizenship) might have been tolerated as the head of India's ruling party. But this is intolerable. A foreigner effectively ruling independent India.

And we have the shameful picture of a Sikh "honoring" this "Indian" foreigner with a sword. The entire Sikh religion is besmirched by such actions.
Addendum

This is as authentic as it gets: http://epaper.indianexpress.com/c/46596

Thanks, AS Raghunath.

http://sabhlokcity.com/2012/01/indias-ruler-who-doesnt-know-even-one-indian-language-sonia-gandhis-%E0%A4%A2%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%97/



Please express your solidarity in support of Gen VK Singh in his crusade for Justice, by clicking on the following link

http://generalvksingh.info/home/

That's actually the goal of *this* government. Army is the last bastion of India's integrity and there are attempts being made to break the backbone. The goal BREAKING INDIA as detailed in the book http://www.breakingindia.com/

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सोनिया गाँधी हमारे भारतीय संस्कृति को को किस तरह...

Tuesday, January 24, 2012

अय्याशी से मरे जिहादी शहीद हैं !!

सत्‍यवादी
प्रस्‍तुति:डॉ0 संतोष राय


आजकल मुस्लिम नौजवान जिहादियों का अंजाम देखकर भी लव जिहाद कर रहे हैं .और इसे एक धार्मिक कार्य मान रहे हैं .और सोच रहे हैं कि ऐसा करने से उनको मरने के बाद शहीद का दर्जा मिल जायेगा .और वे जन्नत में अय्याशी कर सकेंगे .
आपने यह प्रसिद्ध कहावत जरुर सुनी होगी "हर्र लगे न फिटकरी ,रंग पक्का हो जाये "यह कहावत इस्लाम में जिहाद सम्बन्धी मान्यताओं पर सटीक उतरती है .इस बात को स्पष्ट करने के लिए हमें कुरान और कुछ प्रमुख हदीसों का हवाला होगा ,जिसे बिन्दुवार दिया गया है .
1-जिहाद अल्लाह को प्रिय है
इस्लाम में जिहाद को अनिवार्य ,और अल्लाह की नजर में सबसे प्रिय कार्य बताया गया है .कुरान में कहा है कि,
"अल्लाह उन लोगों लो प्यार करता है ,जो पंक्ति बनाकर जिहाद करते है "सूरा-अस सफ्फ 61 :4
"जिहाद करना अल्लाह कि नजर में सबसे प्रिय कार्य है "सूरा -तौबा 9 :24
आजकल जकारिया नायक जैसे इस्लामी प्रचारक यह कहते हुए नहीं थकते कि ,जिहाद असल में एक संघर्ष (struggle ) है जो धर्म की रक्षा करने ,अपना बचाव करने ,पीड़ितों को उनका अधिकार दिलवाने और शांति स्थापना के लिए किया जाता है .लेकिन जिहाद का असली मकसद कुछ और ही है ,जो यहाँ दिया जा रहा है .
2-जिहादियों के लिए प्रलोभन
लोग देश ,धर्म और न्याय की रक्षा के लिए बिना किसी प्रतिफल की इच्छा के अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते है ,यहाँतक अपने प्राणों का बलिदान कर देते है .अगर जिहाद का यही मकसद है तो ,अल्लाह जिहादियों को लालच क्यों देता है .जैसा कुरान और इन हदीसों में है -
"जितने भी लोग अपनी जान लगाकर जिहाद करेंगे उनके लिए फायदा ही फायदा होगा "सूरा -तौबा 9 :88
"हे रसूल कहो जो व्यक्ति जिहाद के लिए हथियार खरीदने के लिए एक दिरहम देगा ,तो जीत के बाद उसे एक दिरहम के बदले 70 हजार दीनार दिए जायेंगे "
इब्न माजा -किताब 4 हदीस 2761
"रसूल ने कहा कि जो व्यक्ति जिहाद के लिए बाहर जायेगा तो ,अल्लाह उसके घर कि रक्षा करेगा .और जब वह वापस आयेगा तो उसे लूट का माल और साथ में औरतें भी मिलेंगीं "मुस्लिम -किताब 3 हदीस 4626
"रसूल ने कहा मैं तुम्हें एक खुशखबरी देता हूँ ,जब मुजाहिद वापिस आएंगे तो उनके लिए बगीचे तैयार मिलेंगे "
बुखारी -जिल्द 1 किताब 52 हदीस 48
"इसी प्रकार ''सर्वोत्तम जिहाद वह है जिसमें घोड़ा और सवार दोनों ही घायल हो जायें।'' इब्न माजाह, खं. 4 हदीस 2794,
3-अय्याशी के लिए जिहाद
इस्लाम में औरतों को माल (property -booty  ) माना जाता है .जिहादी सबसे पहले औरतें ही पकड़ते हैं .ऐसी पकड़ी गयी औरतों को लौंडी कहा जाता है ,या रखैल कहते हैं .इन से सहवास करना कुरान में जायज कहा है .और जब औरत से मन भर जाता था तो उनको बेच देते है ,कुरान की तरह, हदीसों में भी विजित गैर-मुसलमानों के धन, सम्पत्ति व स्त्रियों पर विजेता मुसलमानों का अधिकार होगा.चूंकि जिहादियों को असीमित अय्याशी करने की सुविधा शहीद हो जाने पर जन्नत में ही मिल सकती थी .इसलिए मुसलमानों ने यहीं पर भोग विलास की तरकीब निकाल ली .और पकड़ी गयी औरतों से सहवास जो जायज बना दिया ,यह बार मिर्जा ग़ालिब ने फारसी में लिखा है ,
"सुखने सादा दिलम रा न फरेबदअय ग़ालिब ,बोसये चंद नकद गंज दिहाने बिमन आर "यानि मेरा दिल उधार बातों से नहीं फिसलता ,मुझे तो किसी सुंदरी का नकद चुम्बन चाहिए "कुरान ने जिहादियों को यही देनेका वादा किया है .इसीलिए जिहाद हो रहा है .सबूत देखिये ,
"हमने तुम्हें युद्ध में पकड़ी हुई औरतें (लौंडियाँ ) हलाल कर दी हैं ,और अगर ( इस्तेमाल के बाद ) तुम्हें वह पसंद नहीं आयें ,तो तुम दूसरी औरतें बदल सकते हो "
सूरा -अहजाब 33 :52
"अपनी पत्नियों के साथ जो औरतें तुम्हारे कब्जे में हों ,उनके साथ सहवास करने में कोई निंदनीय काम नहीं है "सूरा -मआरिज 70 :30
इस तरह सिर्फ जिहादी ही अय्याशी नहीं करते हैं ,उनके नाबालिग लडके भी यही करते हैं ,जो इन हदीसों से पता चलता है ,
"रसूल ने कहा कि क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह ने पकड़ी गयी औरतें काफिरों को अपमानित करने के लिए ही तुम्हारी सेवा में दी है "
बुखारी -जिल्द 1 किताब 3 हदीस 803
"रसूल ने कहा कि तुम्हारा अवयस्क लड़का भी बिस्तर (Bed ) का मालिक है .और वह भी पकड़ी गयी औरतों से अवैध सहवास कर सकता है "
बुखारी -जिल्द 1 किताब 8 हदीस 808
The Prophet said, "The boy is for the owner of the bed and the  for the person who commits illegal sexual intercourse."Hadith-vol bk8. hadith no808 Al-Bukhari
इसी शिक्षा के कारण छोटे बड़े सभी अय्याशी करने में व्यस्त हो गए .और जन्नत को भूल गए .
4-जिहाद से अरुचि
कहावत है कि "जहाँ भोग वहां रोग " जब जिहादी असीमित अय्याशी करने लगे तो भिभिन्न रोगों में ग्रस्त हो गए .और उचित इलाज न मिलाने से बीमार होगर जिहाद से विमुख हो गए .उसी समय एक सहाबी "अबू उबैदा अम्मार बिन इब्नल जर्राह (583-638)" यौन रोग से ग्रस्त हो गया .जो बाद में मर भी गया था .तो जिहादियों में भय व्याप्त हो गया ,वह अगले जन्म कि इच्छा करने लगे .तब मुहम्मद ने उन लोगों से यह कहा कि ,
"जो इस दुनिया में मर कर दूसरी दुनिया में फिर से आने कि कमाना रखता है ,उसे अल्लाह रह में जिहाद करते हुए कम से कम दस बार मरना पड़ेगा "
बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 72
"रसूल ने कहा कोई व्यक्ति मर कर दोबारा इस दुनिया में फिर से तब तक नहीं असकता ,जब तक वह अल्लाह कि रह में मर कर जिहादियों में वरीयता प्राप्त नहीं कर लेता "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 53
5 -जिहादियों की पाठ्यपुस्तक
मुहम्मद हर हालत में जिहाद चालू रखना चाहता था .और जब लोग काफी अशक्त हो गए तो मुहमद ने उन लोगों से कहा कि ,
"जो जिहादी पेट के रोग ,प्लेग ,या यौन रोगों के कारण मर जायेगा ,उसे भी शहीद माना जायेगा और वह भी जन्नत का अधिकारी होगा ,जहाँ उसे सारी सुविधाएँ मिलेंगी "बुखारी -जिल्द 1 किताब 7 हदीस 629
उस समय मुहम्मद ने जिहादियों का हौसला बढ़ने के लिए कई ऐसी ही हदीसें कही थीं .जिसे बाद में "(ابو زكريا يحي بن يوسف انووي ادّمشقي )इमाम अबू जकारिया याहया बिन यूसुफ अन नववी दमिश्की (1234 -1278 ) ने हिजरी 676 में सीरिया में संकलित किया था .इस हदीस के संकलन का नाम " रियाज उस्सालिहीनRiyadh as-Saaliheen رياض الصالحين" है .इसीको जिहादियों की पाठ्य पुस्तक (The Gardens of the Righteous ) कहा जाता है .इसमे कुल 19 अध्याय है .और 11 अध्याय के भाग 235 में हदीस संख्या 1353 से लेकर 1357 तक अनेकों रोग से मरने वाले जिहादियोंको शहीद बताया गया है .विषय संख्या 235 की 5 हदीसों का शीर्षक है "martyrdom without fight " उसी का सारांश हिंदी में दिया जा रहा है (अंगरेजी में पूरी किताब की लिंक दी गयी है )देखिये कुकर्म करके मरने वाले भी शहीद कैसे बन जाते हैं ,और जानत में कैसे घुस जाते हैं
"अबू हुरैरा नेकहा किरसूल ने कहा कि शहीद पांच कारणों से हो सकते है ,प्लेग से , पेट के रोगों के कारण,अति सहवास के कारण ,मकान बनाते समय मलबे से दब कर और अल्लाह के लिए लड़ते हुए मरने वाले "हदीस -1353
"अबू हुरैरा ने रसूल से पूछा कि आप हम लोगों में किसको शहीद गिनोगे ,तो रसूल ने कहा ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जो अल्लाह की राह में लड़ कर मर कर शहीद होंगे .कुछ बीमारियों के कारण भी शहीद हो जाते हैं ,जैसे प्लेग से ,तपेदिक से ,यौन रोगों के कारण और पानी में डूब कर मरने वाले भी शहीद माने जायेंगे "
 हदीस -1354
बाकी तीन हदीसों ,1355 ,1356 और 1357 में अपनी सम्पति ,अपने परिवार कि रक्षा में मरने वाले को और दुश्मन से लड़ते हुए मर जाने वालों को भी शहीद का दर्जा देकर जन्नत का अधिकारी बताया गया है .इसलिए यह हदीसें अधिक महत्वपूर्ण नहीं हैं .इन सभी प्रमाणों से सिद्ध होता है कि यह बात झूठ है कि जिहादी अल्लाह की राह में बिना किसी लोभ और स्वार्थ के जिहाद करते हैं .और मर जाने पर शहीद कहलाते हैं .जबकि अधिकांश जिहादी अय्याशी करके अनेकों रोग होने से भी मर जाते थे .चूँकि उस समय एड (AIDS ) के बारे में पता नहीं था ,इसलिए यौन रोगों को तपेदिक ,प्लेग या गुर्दे का रोग कहा दिया होगा .आज भी मुस्लिम देशों में ऐसे रोगियों से अस्पताल भरे पड़े हैं .फिर भी इन्हीं हदीसों के कारण मुसलमान अय्याशी को ही जिहाद का रूप समझते हैं .इसका परिणाम सद्दाम हुसैन ,कर्नल गदाफी ,ओसामा बिन लादेन के रूप में दुनिया जानती है .औरतबाजी का बुरा नतीजा होता है .और इसमे शक नहीं कि लवजिहाद कभी यही अंजाम होगा !
जो व्यक्ति अय्याशी को जिहाद और एड्स से मरने वालों को शहीद मानता है उसका दिमाग ख़राब होगा .

http://www.witness-pioneer.org/vil/hadeeth/riyad/11/chap235.htm