Friday, November 30, 2012

भारत को मुगलिस्‍तान बनाने की साजिश-भाग:1

अंदर ही अंदर इस्‍लामिक खतरे से भयभीत है कांग्रेस
 
बाला साहब ठाकरे को दिया वचन पूरा किया माननीय राष्‍ट्रपति ने
 

 


डॉ0 संतोष राय



कांग्रेस के कुछ नेताओं को इस्‍लाम का खतरा अंदर ही अंदर बुरी तरह भयभीत किये हुये है। कसाब को फांसी इसी का परिणाम है, वर्ना कांग्रेस के लोग कभी भी कसाब को फांसी नही होने देते। राष्‍ट्रपति बनने से पूर्व माननीय प्रणव मुखर्जी जी उस दौरान बाला साहब ठाकरे से मुलाकात कर अपने राष्ट्रपति उम्‍मीदवारी के लिये समर्थन मांगा था।
 
 
 
 
 
अनुकूल समय व हवाओं के रूख को भांपकर  बाला साहब ठाकरे ने भी उस समय श्री प्रणव मुखर्जी के सामने अपनी शर्त रखी थी कि आपको किसी भी कीमत पर अफजल और कसाब को फांसी पर लटकवाना होगा। बाला साहब के शर्त को पूरा करने का वायदा करते हुये माननीय प्रणव मुखर्जी ने राष्‍ट्रपति बनने के बाद बाला साहब को दिया हुआ अपना वचन पूरा कर दिया। ये एक तरह से  बाल ठाकरे व माननीय राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी में गुप्‍त समझौता था, जिसे एकदम सही समय पर लक्ष्‍य संधान किया गया।
 
बाला साहब ने भाजपा को तब झिड़क दिया था
 
 
 
 
 
 
बाला साहब नें राष्‍ट्रपति उम्‍मीदवार के समर्थन में एनडीए की बात को इसलिये दर-किनार कर दिया था क्‍योंकि एनडीए में शामिल भाजपा एक ऐसे राष्‍ट्रपति प्रत्‍याशी का समर्थन कर रही थी जो हिन्‍दू नही था। ठाकरे साहब भाजपा के नकली हिन्‍दुत्‍व के ढोंग में नही आये। उस दौरान वे कांग्रेस प्रत्‍याशी प्रणव मुखर्जी का समर्थन करना हिन्‍दू हित में अच्‍छा  समझा।
 
 
 
 
 
 माननीय प्रण्‍व मुखर्जी एक ऐसे हिन्‍दू उम्‍मीदवार थे जो काली माता के अनन्‍य भक्‍त थे। यद्यपि उस समय भाजपा को बाला साहब ठाकरे द्वारा माननीय प्रणव मुखर्जी का समर्थन बहुत बुरा लगा था, लेकिन बाला साहब ने देश-हित में कांग्रेस की कार्बन कॉपी भाजपा के विरोध को पूरी तरह अनसुना कर दिया था। जिसका परिणाम आज कसाब को फांसी की सजा के रूप में मिला। एक प्रकार से माननीय प्रणव मुखर्जी ने बाला साहब ठाकरे को दिया हुआ अपना बचन पूरी तरह से निभाया है।
 
कसाब को फांसी देना अति दुष्‍कर कार्य था
 
 
 
 
 
 
कसाब को फांसी देना इतना आसान नही था। अगर ये बात पहले मीडिया में लीक हो जाती तो कुछ मीडियाई, मुस्लिम चरमपंथी संगठन, कांग्रेस के ही कुछ मुस्लिम  परस्‍त नेता इसका विरोध करते। तो फिर कसाब को शूली पर लटकाना बहुत मुश्किल हो जाता। देखा जाये तो कसाब को फांसी की सजा देने के लिये एक गुप्‍त अभियान चलाया गया, जिसकी जानकारी सिर्फ माननीय राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी, केन्‍द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, महाराष्‍ट्र गृहमंत्री आर. आर. पाटिल को ही मात्र थी।
 
 
 
 
गुप्‍त अभियान को बहुत ही गुप्‍त रखा गया
 
 
 सोचिये ये गुप्‍त अभियान इतना गुप्‍त रखा गया था कि देश के प्रधानमंत्री व यूपीए चेयर पर्सन सोनिया गांधी तक को नही पता था। ये माननीय राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी के करिश्‍माई व्‍यक्तित्‍व  का कमाल था कि  जिस सोनिया अम्‍मा के बिना कांग्रेस में एक पत्‍ता भी नही खटकता था, उसे माननीय  दिग्‍गज राष्‍ट्रपति श्री मुखर्जी ने सोनिया व मनमोहन के जाने बिना कैसे अंजाम तक पहुंचा दिया! अन्‍तत: सोनिया व मनमोहन छाती कूट-कूट कर रोते-विलखते ही रह गये।

 
 
 
पहले भी मुस्लिम मुद्दे पर कांग्रेस फंसी है
 
 
 
 
 
 
 
 
ये कोई पहली घटना नही है। कांग्रेस कई बार मुस्लिम मुद्दे को लेकर फंसी है। ठीक इसी तरह एक बार तत्‍कालीन सरकार को चुनौती 1957 की लोकसभा में भारतीय मुस्लिम लीग के सदस्‍यों द्वारा मिली थी। ये मुस्लिम लीगी वही थे जो भारत विभाजन से पूर्व जिन्‍ना के मुस्लिम लीग में थे और भारत में लाखों हिन्‍दुओं के कत्‍ल के गुनहगार थे। ये मुस्लिम लीगी विभाजन के बाद इनके कुछ सदस्‍य पाकिस्‍तान जाकर जिन्‍ना मुस्लिम लीग में शामिल हो गये बाकी कुछ सदस्‍य भारत में रहकर भारतीय मुस्लिम लीग बना लिये। इन मुस्लिम लीग के सदस्‍यों नें संसद में सरकार से भारत के मुसलमानों के पक्ष में प्रश्‍न पूंछकर सरकार के सामने गंभीर संकट पैदा कर दिया था। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को उस समय कोई उत्‍तर नही सुझा तो उनहोंने उस दौरान संसद में कहा कि इस प्रश्‍न का उत्‍तर मैं अगले दिन दूंगा।  

 
नेहरू को इस संकट से हिन्‍दू महासभा ने उबारा

 
 
 
 
 
नेहरू के समक्ष एक प्रकार से भारी संकट आ गया था, खासकर वे मुस्लिम वोटों को लेकर भी बहुत चिंतित थे क्‍योंकि नेहरू स्‍वयं जवाब देते तो उनके मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लग सकती थी। उस  दौरान नेहरू के संकटमोचक उनके प्रमुख सचिव हुये। उनके सचिव के एक उत्‍तर ने मानो उन्‍हें सारे संकटों से उबार लिया। नेहरू के प्रमुख सचिव ने कहा कि आपको इस संकट की घड़ी से अखिल भारत हिन्‍दू महासभा निकाल सकती है। तत्‍पश्‍चात नेहरू ने उसी रात अपने प्रमुख सचिव को अखिल भारत हिन्‍दू महासभा के नेता व तत्‍कालीन सांसद सेठ विशनचंद्र  के निवास पर भेजा और इस संकट से निकलने में मदद मांगी।

 
 इसके बाद मुस्लिम लीगी सदस्‍यों द्वारा पूंछे गये प्रश्‍नों का उत्‍तर हिन्‍दू महासभा के शाहजहांपुर से जीते सांसद सेठ विशनचंद्र ने संसद में दिया और उन मुस्लिम लीगी सांसदों की संसद में बोलती बंद कर दी। कांग्रेस सरकार उत्‍तर देने से बच गयी। ज्ञात हो कि उस समय कांग्रेस और हिन्‍दू महासभा में दलगत मतभेद बहुत थे फिरभी हिन्‍दू महासभा ने कांग्रेस की पूरी सहायता की व कांग्रेस को अपमानित होने से बचा लिया।

 
मुसलमानों से वफादारी की आशा करना मूर्खता होगी

 
 
 
 
 
वैसे आप यदि मुसलमानों के बारे में नेहरू के दृष्टिकोंण को पढ़ेंगे तो हतप्रभ हो जायेंगे। मद्रास में नेहरू ने भाषण देते हुये कहा कि  भारतीय मुसलमानों के मन और आत्‍मा पर बड़ा संकट आ पड़ा है। उनसे वफादारी की आशा करना मूर्खता है। यदि भारतीय मुसलमान मुस्लिम लीग के पुराने सिद्धांतों पर विश्‍वास रखते हैं तो उनकी मातृभूमि और पितृभूमि पाकिस्‍तान है भारत नही। क्‍या हम सांस्‍कृतिक संस्‍थाओं को इसलिये धक्‍का दे देंगे कि मद्रास के कुछ मुस्लिम लीगी उन्‍हें नही चाहते। ऐसा व्‍यक्ति जितने जल्‍दी निकल जाये, उतना अच्‍छा।   

 
पं0 गोविन्‍द बल्‍लभ पंत ने लीगियों को चुनौती दी

 
उत्‍तर प्रदेश के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री पं0 गोविन्‍द बल्‍लभ पंत ने 3 नवंबर 1947 को उत्‍तर प्रदेश की विधान सभा में लीगी सदस्‍यों को फटकारते हुये कहा कि द्विराष्‍ट्रवाद के सिद्धांतों को मुस्लिम लीगियों ने कभी उठाया तो उनको निर्दयतापूर्वक  कुचल दिया जायेगा।
 
मुस्लिम तुष्‍टीकरण करके नेहरू भी रोये

 


 
 
नेहरू जी को लगा कि यदि हम मुस्लिम तुष्‍टीकरण की राह पर न चले होते तो मुसलमानों को इस देश की संस्‍कृति की धारा से जोड़ा गया होता, और फिर, देश एक विभाजन से बच जाता। लाखों लोगों का कत्‍ल न होता।
 
लेकिन बड़े दुर्भाग्‍य की बात है कि आज कांग्रेस के साथ-साथ सभी राजनीतिक पार्टियां उसी रास्‍ते पर चल रही हैं जिस रास्‍ते पर चलकर कांग्रेस ने देश का विभाजन कराया था। आज सभी राजनीतिक पार्टियों का एजेण्‍डा मुस्लिम लीग के सिद्धांत हो गये हैं। भारत मुगलिस्‍तान बनने की ओर द्रुतगति से अग्रसर है।

क्रमश:--------
 
 
(लेखक एमबीबीएस डॉक्‍टर,  फिल्‍म कलाकार,

 फिल्‍म निर्माता व अखिल भारत हिन्‍दू महासभा

 के केंद्रीय उच्चाधिकार समिति के अध्‍यक्ष हैं।)
 

Wednesday, November 28, 2012

अल्लाह का अरबी अवतार !



 डॉ0 संतोष राय


यद्यपि इस्लाम अवतारवाद को नहीं मानता , लेकिन कुरान और हदीस में अल्लाह का जो स्वरूप , स्वभाव ,और काम बताये गए हैं .वह एक अरब के एक अनपढ़ व्यक्ति से बिलकुल मिलते हैं ,जकरिया नायक जैसे मुस्लिम प्रचारक कुछ भी कहें कि कुरान में अल्लाह को निराकार , सर्वव्यापी और सबकुछ जानने वाला ईश्वर बताया गया है .लेकिन यदि कुरान को निष्पक्ष होकर पढ़ें तो स्पष्ट हो जायेगा कि कोई साकार अरबी इन्सान था ,जो अल्लाह के भेस में लोगों से जिहाद और लूटमार करवाया करता था . और कुरान में अल्लाह के बारे में जो बातें लिखी गयी हैं वह भारत , यूनान , और यहूदी कहनियों से लेकर लिखी गयी है , जैसा खुद कुरान में कहा है ,
"यह तो पहले लोगों की कहानियां हैं 'सूरा -नहल 16:24
"और लोग कहते हैं कि यह कुरान तो पहले लोगों की कल्पित   कहानियां हैं ,जिसे तुमने ( मुहम्मद ने ) कुरान में शामिल कर लिया है "
 सूरा -अल फुरकान 25:5
अल्लाह के बारे में बाकी जितनी बातें कुरान में लिखी गयी हैं वह मुहम्मद साहब के दिमाग की उपज हैं ,.तभी मुल्ले कहते हैं कि ईमान के बारे में " अकल का दखल "नहीं होना चाहए .यहाँ पर संक्षिप्त में बताया जा रहा है कि मुसलमानों का अल्लाह कैसा है और क्या करता है ,और लोगों को क्या सिखाता है

1-अल्लाह के नाम से धोखा

"जब मूसा एक मैदान के छोर पर दूर खड़ा था , तो उसे पुकारा गया " हे मूसा मैं ही अल्लाह हूँ
" सूरा -अल कसस 28:30
"इस से साफ़ पता चलता है कि किसी व्यक्ति ने मूसा को धोखा देने के लिए कहा होगा कि " मैं अल्लाह हूँ )

2-शरीरधारी अल्लाह


दी गयीं कुरान की इन आयतों से सिद्ध होता है कि मुसलमानों का अल्लाह निराकार नहीं बल्कि साकार था , जिसके हाथ भी थे
"जब लोग बैयत ( Allegiance ) कर रहे थे अलह का हाथ उनके हाथों में था "सूरा -अल फतह 48:10
"यहूदी कहते हैं कि अल्लाह का एक हाथ बंधा हुआ है ,लेकिन देख लो अल्लाह के दोनो हाथ खुले हिये हैं सूरा - मायदा 5:64


3-अल्लाह का चेहरा


"इस प्रथ्वी की हरेक चीज एक दिन मिट जाएगी .लेकिन सिर्फ अल्लाह का चेहरा बचा रहेगा
"सूरा -रहमान 55:26-27
( इस आयत में अरबी में "वज्हوجهُ " शब्द आया है ,जिसका अर्थ Face होता है )


4-अल्लाह की आदतें और शौक


कुरान के अल्लाह की आदतें और शौक वही हैं ,जो एक अरबी बद्दू के होते हैं ,इनके नमूने देखिये

1.बात बात पर कसम खाना

"कसम है रात की जब वह पूरी तरह से छा जाये "सूरा -अल लैल 92:1
"कसम है चढ़ते हुए सूरज की "सूरा -अश शम्श 91:1

2.नफरत करना

"अल्लाह उन लोगों को पसंद करता है जो जो उसकी बातों पर राजी हो जाएँ "सूरा अल बय्यिना 98:8
"अल्लाह काफिरों से नफरत करता है "सूरा-रूम 30:45

3.गुप्त बातें सुनने का शौकीन

"जब लोग गुप्त बातें करते हैं तो अल्लाह चुपचाप सुनता रहता है .और तीन लोगों में ऐसा कोई नहीं होगा जिसमे चौथा अल्लाह नहीं हो और पांच लोगों में ऐसा कोई नहीं होगा जिसमे छठवां अल्लाह न हो "सूरा -मुजादिला 58:7


5-अल्लाह के काम


कुरान का अल्लाह जो काम करता है और अपने लोगों से करवाता है वही आजकल के हरेक आतंकवादी दल का नेता कर रहा है , जैसा की कुरान की इन आयतों से पता चलता है , जैसे

1.लोगों को घेरना

"अल्लाह लोगों को चारों तरफ से घेर लेता है ,फिर उनकी गिनती भी कर लेता है "
सूरा -मरियम 19:94

2.जिहादियों की परीक्षा

"हम सभी जिहादियों की परीक्षा जरुर करते हैं ,ताकि वह ठीक तरह से जिहाद करें ,और हम उनके जिहाद के बारे में जान सकें "सूरा -मुहम्मद 47:31

3-वसूली करना

हमारे पास वसूली करने वाले हैं ,जो लोगों से दौनों तरफ से वसूली करते हैं .कुछ दायीं तरफ से वसूलते हैं और बायीं तरफ से वसूलते हैं .और बाक़ी लोग इस ताक में रहते हैं कि ( पकडे गए ) लोग के मुंह से कोई आवाज नहीं निकल सके "सूरा -काफ -50:17-18


6-अल्लाह डींगें


प्रसिद्ध कहावत है कि गाड़ी के नीचे चलने वाला कुत्ता यही समझता है कि वह सारी गाडी का बोझ उठा रहा है , इसी तरह कुरान का अल्लाह भी कुरान में ऐसी ही शेखी बघार रहा है ,
"अल्लाह ने ही आकाश को धरती पर गिरने से रोक रखा है 'सूरा -अल हज्ज 22:65
( कुरान की यह आयत यूनानी कहानी से ली गयी है ,जिसमे एक यूनानी देवता टाइटन एटलस (Titan Atlas ) को आकाश उठाते हुए बताया गया है )
अल्लाह आकाश और धरती को रोके रहता है ,कि कहीं यह अपनी जगह से खिसक (deviate ) न जाएँ "सूरा -35:41


7-अल्लाह की मूर्खता


मुसलमान दावा करते रहते हैं कि उनका अल्लाह सब जानता है , लेकिन इस आयत से उसकी मूर्खता साफ पता चलती है ,क्योंकि वह जन्नत को धरती के बराबर बता रहा है .इस जरा सी जन्नत में जिन्दा और मरे हुए सभी मुसलमान कैसे समां जायेंगे , कुरान में कहा है
जन्नत का विस्तार (Breadth ) इस धरती के विस्तार के बराबर है .और उन लोगों के लिए हैं ,जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लायेंगे " सूरा -अल हदीद 57:21
8-अल्लाह का तर्कहीन दावा
अल्लाह ने एक और बेतुका दावा कर दिया कि वह मुर्दों को जिन्दा करेगा और उनसे हिसाब करेगा कि मरने से लेकर जिन्दा होनेतक उन्होंने क्या काम किये हैं , कुरान की इस आयत को देखिये
"हम पहले मुरदों को जिन्दा कर देंगे ,फिर उनके कर्मों का विवरण लिखते जायेंगे "
सूरा -यासीन 36:12


9-अल्लाह का सिंहासन


अल्लाह ने बिना किसी सहारे के आकाश को ऊँचा किया ,फिर उस पर अपना सिंहासन जमा कर आराम से बैठ गया , जैसा तुम देखते हो "सूरा-रअद -13:2
हे नबी तुम देखोगे कि फरिश्ते चारों तरफ से घेरा बना कर अल्लाह का सिंहासन उठा कर खड़े हुए हैं "सूरा अज जुमुर 39:75
( कुरान की यह आयत भारत की प्रसिद्ध कथा "सिंहासन बत्तीसी " से प्रभावित होकर लिखी गयी होगी )

निष्कर्ष -बताइए जिसके हाथ हों , जिसको उठाने के लिए कई लोग चाहिए ,जो लोगों से जबरन धन वसूल करता हो वह ईश्वर कैसे हो सकता है ?इन सभी उदाहरणों को देख कर कोई भी व्यक्ति आसानी से समझ सकता है कि अल्लाह ईश्वर नहीं हो सकता . बल्कि कोई मनुष्य अल्लाह के भेस में लूटमार करके राज करना चाहता था .और उसको यह भी पता था कि मरने के बाद सिर्फ उसकी तस्वीर ही बाकि रह जायेगी .जैसे रोमन सम्राटों के सिक्कों पर उनकी तस्वीर आज तक मौजूद है .
"ईश्वर अल्लाह तेरा नाम " कहने वाले अज्ञानी हैं !

http://www.answering-islam.org/Authors/Fisher/Topical/ch13.htm

You can read this article below link:

http://bhaandafodu.blogspot.in/2012/11/blog-post_27.html


इस्लाम में अल्लाह का नाम बर्बादी है !


डॉ0  संतोष राय

विश्व के लगभग सभी लोग इस सत्य को स्वीकार करते हैं कि जरूर कोई एक ऐसी अलौकिक शक्ति है , जो इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नियंत्रित कर रही है .और बिना किसी की सहायता के संचालित कर रही है .धार्मिक उसी शक्ति को ईश्वर मानकर विभिन्न नामों से पुकारते और याद करते हैं .लोगों में ईश्वर के नाम के बारे में सदा से उत्सुकता बनी रही है .कुछ लोगों का विचार है कि ईश्वर का कोई निजी व्यक्तिगत नाम(Personal Name ) नहीं है .और कुछ लोगों का विचार है कि ईश्वर के अनेकों नाम हो सकते हैं ,जो उसके शुभ गुणों को प्रकट करते हैं .वैदिक धर्म से लेकर यहूदी , ईसाई धर्म तक ईश्वर के द्वारा बताये गए उसके निजी नाम का स्पष्ट पता चलता है .लेकिन मुस्लिम विद्वानों ने अरबी अक्षरों की गणित विद्या के आधार पर अल्लाह के नाम जो खोज की है .चूँकि अरबी भाषा में हरेक अक्षर का एक संख्यात्मक मूल्य होता है .इसलिए बात को स्पष्ट करने के लिए उसी का सहारा लिया गया है .उससे अल्लाह की असलियत उजागर हो गयी है .यहाँ पर सभी धर्मों के आधार पर ईश्वर और अल्लाह का असली नाम दिया जा रहा है

1-ईश्वर का आत्मपरिचय

यह एक निर्विवाद सत्य है कि वेद विश्व के प्राचीनतम धार्मिक ग्रन्थ है .और उसी में ईश्वर द्वारा ही उसके निजी नाम का रहस्य खोला गया है . आज भी सभी योगी ईश्वर के उस गुप्त नाम को " महा वाक्य " कहते हैं .इश्वर द्वारा अपने नाम का उल्लेख यजुर्वेद के चालीसवें अध्याय में किया है .जिसे ईशावास्‍य उपनिषद् भी कहा जाता है .जिसमे ईश्वर ने कहा है"योऽसावसौ पुरुषः सोऽहमस्मि ॥16॥अर्थात जो जो वह ऐसा पुरुष ( ईश्वर ) है वह मैं हूँ (I am  He )कालांतर में यही महावाक्य यहूदी धर्म से ईसाई धर्म तक पहुँच गया ,जिसे काट छांट करके इस्लाम में ले लिया गया

2-तौरेत में ईश्वर का नाम

मुसलमान तौरेत को भी अल्लाह की किताब मानते है , जो कुरान से हजारों साल पुरानी है .और ईसाइयों की वर्त्तमान बाइबिल के पुराने नियम में मौजूद है .तौरेत हिब्रू भाषा में है .इसमें इश्वर का नाम "यहुव " बताया गया है .तौरेत में कहा है ,
Hear, O Israel: Yahweh is our God; Yahweh"  (Deuteronomy 6:4)

"שמע ישראל יהוה "

"शेमा इस्राइल अदोनाय इलोहेनु यहुवा "अर्थात हे इस्राइल (वालो ) सुनो हमारा प्रभु " यहुवा " है (Hear, O Israel: Yahweh is our God;Deuteronomy 6:4)
तौरेत यानी बाइबिल में इश्वर के लिए प्रयुक्त यहुव शब्द को कई प्रकार से बोला जाता है .औरइसी शब्द से कुरान में "हुव " शब्द लिया गया है

3--हिब्रू में यहुव का अर्थ

यहुव का अर्थ जो स्वयं मौजूद है ,जो स्वयं समर्थ है ,जो महान शक्तिशाली और जो जीवित है
हिब्रू भाषा में यहुव का अर्थ " मैं हूँ I AM " है जिसे अंगरेजी में YHWH लिख सकते हैं .चूंकि हिब्रू भाषा में अक्षरों पर लगाने के लिए हिंदी की तरह मात्राएँ नहीं होती है , इसलिए हिब्रू शब्द "יהוה"को लोग  Yahweh or Jehovah की तरह बोलते हैं ,ईसाई धर्म में "यहुव इस चार अक्षरों को  Tetragrammaton कहा जाता है .और परम पवित्र माना जाता है .इस शब्द का उल्लेख बाइबिल के पुराने नियम (Old Testament ) की पुस्तक निर्गमन ("Exodus 3:15,में मिलता है . मुसलमान इस किताब को तौरेत कहते हैं .और इसको अल्लाह की किताब मानते हैं
यहुव का अर्थ जो स्वयं मौजूद है ,जो स्वयं समर्थ है ,जो महान शक्तिशाली और जो जीवित है
(the meaning of the name “YHWH” is “‘He who is self-existing, self-sufficient’, or, more concretely, ‘He who lives )

4-इंजील में यहुव का प्रमाण

मुसलमान इंजील को भी अल्लाह की किताब मानते हैं , इंजील वर्त्तमान बाईबिल के नए नियम में मौजूद है .इसमें भी तौरेत के कथन का समर्थन किया गया है , और कहा गया है ,
"ईसा ने कहा मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ ,कि इब्राहीम के जन्म से पहले " मैं हूँ " मौजूद था" बाइबिल . नया नियम -युहन्ना 8:58

 "I tell you the truth,” Jesus answered, “before Abraham was born, I am!” – [John 8:58

ग्रीक भाषा में इसी का अनुवाद है " एगो एमी "( ἐγώ εἰμί   "Transliterated as: egō eimi "अर्थात मैं हूँ  The words translated as “I am

कुछ कहते हैं कि वह ( वह पुर्लिंग ) है ,और कुछ कहते हैं कि वह उसके (पुर्लिंग ) जैसा है .लेकिन खुद उसने कहा है " मैं वही हूँ "बाइबिल .नया नियम .युहन्ना 9:9
Some said, This is he: others said, He is like him: but he said, I am he. – [John 9:9

5-इस्लाम शब्द में गुप्त नाम


चूंकि मुसलमान किसी गुप्त शब्द को छुपाने के लिए अक्षरों की जगह अंकों (Numbers ) का प्रयोग करते हैं इसलिए पहले इस्लाम शब्द का अरबी में संख्यात्मक मूल्य पता किया गया जो इस प्रकार है ,
अरबी भाषा में इस्लाम को "अल इस्लाम الإسلام" कहा कहा जाता है .इस शब्द में अरबी के कुल सात अक्षर है . जो इस प्रकार हैं ,अलिफ़ ,लाम , अलिफ़ ,सीन ,लाम ,अलिफ़ ,मीम .इन सभी सातों अक्षरों की अलग अलग संख्यात्मक मूल्य का योग 163 है , जो इस प्रकार है .
1 + 30 + 1 + 60 + 30 + 1 + 40 = 163 .इस संख्या से संकेत मिलता है कि कुरान की 163 वीं आयत में अल्लाह का गुप्त नाम छुपा हुआ है

6-अल्लाह का नाम हुव है

इस संकेत के सहारे जब हम कुरान की सूरा बकरा की 163 वीं आयत पढ़ते हैं ,तो तौरेत के ईश्वर के लिए प्रयुक्त " यहुव " शब्द " हुव " शब्द ले लिया गया है .और हिब्रू का "य " अक्षर छोड़ दिया गया है . कुरान में कहा है
"
لاَّ إِلَهَ إِلاَّ هُوَ  "Sura-Bakra .  2 :163
"
"ला इलाह इल्ला हुव "अर्थात नहीं कोई देवता मगर "वह"(" There is no god but He" Sura -bakra 2:163

7-कुरान में यहुव से हुव

दी गयी कुरान की आयत में आये हुए शब्द हुवهُوَ  का अर्थ वह ( He ) होता है . इसमें दो अक्षर हे और वाव है .जो अरबी वर्णमाला में पांचवें और छठवे नंबर पर हैं . और अरबी अंक विद्या (Numerology ) के अनुसार इनकी संख्यात्मक मूल्य क्रमशः 5 और 6 हैं . जिनका योग 11 होता है .
इसके लिए देखिये विडिओ Yahweh' in Islam
http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=94bksJOS21U#!

8-अल्लाह के नाम का गुणांक

और यही ग्यारह (11) की संख्या ही अत्यंत ही महत्वपूर्ण है , क्योंकि इसी संख्या के गुणन खण्डों ( Multiples ) में अल्लाह के असली नाम का रहस्य छुपा हुआ है .जिसे अरबी गणित विद्या के आधार पर बेनकाब किया जा रहा है
अरबी में अल्लाह शब्द में चार अक्षर हैं , अलिफ़ ,लाम ,लाम और हे .और इनकी संख्यात्मक मूल्य  1 + 30 + 30 + 5= 66  है , और जिसे 11 से विभाजित किया जा सकता है .अर्थात अल्लाह के गुप्त नामों के अक्षरों के संख्यात्मक मूल्य का योग 11 से विभाजित होने वाला होगा ,

9-अल्लाह का गुप्त नाम बर्बाद और भयानक

अरबी गणित विद्या के अनुसार अल्लाह के दो गुप्त नाम ' खराब और हलाक "निकलते हैं . जो 11 की संख्या से बराबर विभाजित होते हैं .और अल्लाह के यही गुण सभी मुसलमानो में पाए जाते हैं .प्रमाण देखिये
600+200 +1+2=803 =8+0+3=11  " خراب Destruction/ Devastation-विनाश तबाही
 5+30+1+20=56 =6+5= 11         "    هلاك " Perishing -भयानक, डरावना

इसीलिए तो लोग कहते हैं कि "यथा नाम तथा गुण "हम उन सभी इस्लामी गणित के विद्वानों के आभारी हैं .जिनके कारण हम अल्लाह के असली नाम और गुणों से अवगत हो सके .
निष्कर्ष -जब यहूदियों और ईसाइयों का खुदा भी मुसलमान होने पर बर्बाद और तबाह हो सकता है ,तो कोई व्यक्ति मुसलमान होकर सुरक्षित कैसे रह सकता है .?और जब अल्लाह ही ऐसा है तो सोचिये उस अल्लाह के मानने वाले कैसे होंगे ?


http://www.discoveringislam.org/yahweh_in_quran.htm

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http://bhaandafodu.blogspot.in/2012/11/blog-post_23.html