डॉ0 संतोष राय
जयपुर। '' विगत 500 साल से हिन्दू समाज की अबला स्त्रियों और बच्चियों को अहिंदुओं
द्वारा बलात अथवा लोभ से वशीभूत कर अपनी आबादी बढ़ाने का उपकरण बना कर उपयोग किया
गया है। कूपमंडूक सनातनधर्मी अपने आँख और कान बंद कर अपनी ही बहू-बेटियों
को विधर्मी होता देख रहे हैं। जनगणना के आंकड़े अहिंदुओं की तेजी से बढ़ती तथा हिन्दुओं की तेजी से घटती
जन्मदर का खतरनाक संकेत कर रहे हैं। अगले 50 वर्ष के अंदर हिन्दू जनसंख्या अल्पमत
में होगी और तब बहुसंख्यक अहिंदू धर्म परिवर्तन को हथियार बनाकर असम और कश्मीर की
तरह हिन्दुओं के अस्तित्व के लिए संकट बन जायेंगे।
अतः समय की मांग है की सनातन
धर्मी हिन्दू गोत्र, अल्ल, आंकने, व्यवसाय, क्षेत्र, भाषा, भूषा, इष्ट, विचार धारा आदि के आधार पर बने वैवाहिक प्रतिबंधों को समाप्त कर
युवाओं को मन पसंद जीवन साथी चुनने दें। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार सनातन
धर्मियों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की घटती संख्या को देखते हुए अंतर्वर्गीय, अंतरजातीय, अंतर्भाषिक, अंतर्देशीय, अंतर्धार्मिक
विवाहों को सहर्ष स्वीकार ही न किया जाए अपितु प्रोत्साहित भी किया जाए तथा
अहिंदुओं द्वारा हिन्दू धारण स्वीकारने पर उन्हें कायस्थ समाज का सदस्य स्वीकार
किया जाए।'' राष्ट्रीय कायस्थ महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की आसंदी से जबलपुर से पधारे
आचार्य संजीव 'सलिल' द्वारा प्रस्तुत विचारोत्तेजक उद्बोधन के पश्चात् उक्त प्रस्ताव सर्व सहमति से
स्वीकार किया गया।
इस दुरभिसंधि के
प्रति सजग होते हुए मसिजीवी कायस्थ समाज ने शंखनाद किया है कि अहिंदू समाजों में
गए सभी बंधुओं को वापिस आने पर हिन्दू कायस्थ समाज में ससम्मान ग्रहण किया जाएगा। कायस्थ समाज एसे सभी गैर सनातनियों
तथा अंतरजातीय विवाह के कारण बहिष्कृत युवाओं को पुनः सनातन धर्म ग्रहण कराएगा और
उनके मूल वर्ण (ब्राम्हण, क्षत्रीय, वैश्य या शूद्र) में उन्हें स्थान न मिले तो उन्हें कायस्थ समाज
में सहभागिता देगा।
इस प्रस्ताव के
अनुसार कोई भी मनुष्य जो अन्य किसी भी धर्म से आकर सनातन धर्म अपनाना
चाहता है उसे कायस्थ समाज अपनाएगा। इस हेतु आवेदक सपरिवार प्रतिदिन
ध्यान-उपासना तथा योग करने, गायत्री मन्त्र का जाप करने, हर माह सत्य नारायण की कथा करने, सकल प्राणिमात्र
में आत्मा के रूप में परमात्मा का अंश विद्यमान होने के कारण किसी भी आधार पर
भेद-भाव न करने, देश तथा मानवता के प्रति निष्ठावान होने, पर्यावरण प्रदूषण कम करने, सामाजिक कुरीतियों
को समाप्त करने तथा कायस्थ समाज की गतिविधियों में यथा शक्ति सहभागी होने का
संकल्प पत्र सहित लिखित आवेदन प्रस्तुत कर चित्रगुप्त यज्ञ, गायत्री मन्त्र का जाप तथा सत्यनारायण
की कथा कर चित्रगुप्त जी के चरणामृत का पान तथा बिरादरी के साथ सपरिवार भोज करेगा। उसे समस्त
मानव मात्र को एक समान ईश्वरीय संतान मानने और धर्म, जाति, भाषा, भूषा, लिंग, क्षेत्र, देश आदि किसी भी
अधर पर भेद-भाव न करने और हर एक को अपनी योग्यता वृद्धि का समान अवसर और योग्यता
के अनुसार जीविकोपार्जन के साधन उपलब्ध कराने के सिद्धांत से लिखित सहमति के पश्चात् कायस्थ समाज
में सम्मिलित किया जाएगा।
वर्तमान में चाहने पर भी कोई विधर्मी
हिन्दू नहीं बन पाता क्योंकि हिन्दू समाज का कोई वर्ग उन्हें नहीं अपनाता। अब बुद्धिजीवी कायस्थ
समाज ने यह क्रांतिकारी कदम उठाकर सबके लिए सनातन धर्म का दरवाज़ा
खोल दिया है।कूप मंडूक सनातन धर्मी अपने आँख और कान बंद कर अपनी ही बहू-बेटियों को
विधर्मी होता देख रहे हैं। जयपुर में राष्ट्रीय कायस्थ महा परिषद् की राष्ट्रीय
कार्यकारिणी बैठक में वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की आसंदी से मैंने इस कुचक्र को
रोकने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया। इस
प्रस्ताव के अनुसार कोई भी मनुष्य जो अन्य कोई भी धर्म से आकर सनातन धर्म अपनाना चाहता
है उसे कायस्थ समाज अपनाएगा तथा एक धार्मिक क्रिया संपन्न कराकर समस्त मानव मात्र
को एक समान ईश्वरीय संतान मानने और धर्म, जाति, भाषा, भूषा, लिंग, क्षेत्र, देश आदि किसी भी
अधर पर भेद-भाव न करने और हर एक को अपनी योग्यता वृद्धि का समान अवसर और योग्यता
के अनुसार जीविकोपार्जन के साधन उपलब्ध कराने के सिद्धांत से लिखित सहमति के पश्चात् कायस्थ बनाया
जाएगा।
वर्तमान में चाहने
पर भी विधर्मी हिन्दू नहीं बन पाता क्योंकि हिन्दू समाज का कोई वर्ग उन्हें नहीं
अपनाता। अब बुद्धिजीवी कायस्थ समाज ने यह क्रांतिकारी कदम उठाकर सबके लिए
सनातन धर्म का दरवाज़ा खोल दिया है।
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