Tuesday, July 15, 2014

जिहाद के लिए नए तरीके



इस्लाम के प्रारम्भ से लेकर आधुनिक काल तक मुसलमान जिहाद के लिए तलवार का प्रयोग किया करते थे लेकिन विज्ञानं के इस वर्त्तमान काल में मुसलमानों ने जिहाद के लिए नए तरीके निकाल लिए हैं।
जैसे "लव जिहाद " और "ब्लोगिंग जिहाद " सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिहाद के इन सभी नए तरीकों में अकसर भोली भाली हिन्दू लड़कियों या युवकों को निशाना बनाया जाता है और इंटरनेट या   टी. वी. सीरियल के माध्यम से इस्लाम के अत्याचारी रूप पर बुरका डालने की कोशिश की जाती है और हिन्दू धर्म में कमियां निकाल कर लोगों को इस्लाम के प्रति आकर्षण पैदा करने का प्रयत्न किया जाता है। अपनी इस कपटी योजना को सफल करने के लिए जेहादी मानसिकता वाले  एक तरकीब अपनाते हैं कि सबसे बड़े अत्याचारी, अय्याश, हिन्दू विरोधी मुसलमान बादशाह को न्यायी, धर्मनिरपेक्ष,सदाचारी और दयालु साबित करने लगते हैं .इसका ताजा उदाहरण टी .वी सीरियल " जोधा अकबर " है . जिसे हिन्दू महिलाएं भी नियमित रूपसे देखती हैं .जिस से उनका "ब्रेन वाश " किया जा रहा है .1-जोधा अकबर सीरियल इस सीरियल का निर्माण और प्रदर्शन बाला जी टेली फिल्म्स के बैनर से एकता कपूर कर रही है . और 18जून सन 2013 से यह सीरियल शनिवार और रविवार को छोड़कर रोज रात 8.00 पर जी टी .वी .पर दिखाया जा रहा है . लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि इस सीरियल का " पट लेखक (Script Writer ) एक कट्टर जिहादी विचार रखने वाला व्यक्ति है . जिसका नाम "नावेद असलम " है .इसने"जामिया मिल्लिया इलामिया " से सन 1989 में स्नातक की डिग्री ली थी . जामिया इस्लाम के कट्टरवादी और जिहादी विचारों का गढ़ माना जाता है .लोगों को याद होगा कि पहले महराणा प्रताप के बारे में एक सीरियल निकला था . जिसमे राणा को एक हिन्दू धर्म का रक्षक और अकबर को अत्याचारी बताया गया था .इसलिए लोगों के दिमाग से राणा की वह छवि मिटाने और अकबर को एक सेकुलर और सभी धर्मों का आदर करने वाला बादशाह साबित करने के लिए नावेद असलम ने मुल्लों के इशारे पर इस सीरियल की पटकथा लिखी है . जो सरासर झूठ और निराधार है . यहाँ पर अकबर की असलियत के कुछ नमूने संक्षित में दिये जा रहे हैं .~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
2-अकबर की पत्नियां और रखेल ====हकीकत यह है कि अकबर के सभी पूर्वज बाबर, हुमायूं, से लेकर तैमूर तक सब भारत में लूट, बलात्कार, धर्म परिवर्तन, मंदिर विध्वंस, आदि कामों में लगे रहे. वे कभी एक भारतीय नहीं थे और इसी तरह अकबर भी नहीं था. और इस पर भी हमारी हिंदू जाति अकबर को हिन्दुस्तान की शान समझती रही! अकबर एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था ,इसने अपने नाम में मुहम्मद शब्द जोड़ लिया था. जिस से इसका पूरा नाम "जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर " हो गया .और जैसे मुहम्मद साहब ने कई पत्नियाँ और रखैलें रखी थीं.लेकिन अकबर ने मुहम्मद साहब से कई गुना अधिक औरतें और रखेलें रख ली थीं ,जिन्हें लौंडियाँ कहा जाता है .मुसलमानअकबर की सिर्फ तीन औरतें बताते हैं,
1.रुकैय्या बेगम ,जो अकबर के फूफा बैरम खान की विधवा थी 2.सलीमाँ बेगम जो अकबर की चचेरी बहिन थी .
3. लोग जोधा बाई को अकबर की तीसरी पत्नी बताते हैं .इसका असली नाम हीरा कुंवरी या रुक्मावती था,यह आम्बेर के राज भारमल की बड़ी बेटी थी.लोग इसी को जोधा कहते हैं .जोधा अकबर से आयु में बड़ी थी .और राजा मानसिंह की बहिन लगती थी ,जिसे अकबर ने अपने नवरत्नों में शामिल कर लिया था जोधा और अकबर की शादी जयपुर के पास साम्भर नाम की जगह 20 जनवरी सन 1562 को हुई थी .वास्तव में राजा भारमल ने जोधा की डोली भेजी थी . जिसके बदले अकबर ने उसे मनसबदरी दी थी .लेकिन वास्तविकता कुछ और है ,अबुल फज़ल ने अकबर के हरम को इस तरह वर्णित किया है- अकबर के हरम में पांच हजार औरतें थीं और हर एक का अपना अलग घर था.ये पांच हजार औरतें उसकी 36 पत्नियों से अलग थीं.आइन ए अकबरी में अबुल फजल ने लिखा है- शहंशाह के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था. वहाँ इतनी वेश्याएं इकट्ठी हो गयीं कि उनकी गिनती करनी भी मुश्किल हो गयी. दरबारी नर्तकियों को अपने घर ले जाते थे. अगर कोई दरबारी किसी नयी लड़की को घर ले जाना चाहे तो उसको अकबर से आज्ञा लेनी पड़ती थी. कई बार जवान लोगों में लड़ाई झगडा भी हो जाता था. एक बार अकबर ने खुद कुछ वेश्याओं को बुलाया और उनसे पूछा कि उनसे सबसे पहले भोग किसने किया”.आइन ए अकबरी में अबुल फजल ने लिखा है- शहंशाह के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था. वहाँ इतनी वेश्याएं इकट्ठी हो गयीं कि उनकी गिनती करनी भी मुश्किल हो गयी. दरबारी नर्तकियों को अपने घर ले जाते थे.
अगर कोई दरबारी किसी नयी लड़की को घर ले जाना चाहे तो उसको अकबर से आज्ञा लेनी पड़ती थी. कई बार जवान लोगों में लड़ाई झगडा भी हो जाता था. एक बार अकबर ने खुद कुछ वेश्याओं को बुलाया और उनसे पूछा कि उनसे सबसे पहले भोग किसने किया”.
रणथंभोर की संधि में अकबर महान की पहली शर्त यह थी कि राजपूत अपनी स्त्रियों की डोलियों को अकबर के शाही हरम के लिए रवाना कर दें यदि वे अपने सिपाही वापस चाहते हैं.ग्रीमन के अनुसार अकबर अपनी रखैलों को अपने दरबारियों में बाँट देता था. औरतों को एक वस्तु की तरह बांटना और खरीदना अकबर की की नीति थी .विन्सेंट स्मिथ जैसे अकबर प्रेमी को भी यह बात माननी पड़ी कि चित्तौड़ पर हमले के पीछे केवल उसकी सब कुछ जीतने की हवस ही काम कर रही थी. वहीँ दूसरी तरफ महाराणा प्रताप अपने देश के लिए लड़ रहे थे और कोशिश की कि राजपूतों की इज्जत उनकी स्त्रियां मुगलों के हरम में न जा सकें~~~~~~~~~~~~~~~~~
3-अकबर की कुरूपता ==========इतिहास की किताबों और मुग़ल काल की पेंटिंग में अकबर को एक स्वस्थ और रौबदार चहरे वाला सुन्दर व्यक्ति चित्रित किया जाता ,लेकिन,“अकबर एक औसत दर्जे की लम्बाई का था. उसके बाएं पैर में लंगड़ापन था. उसका सिर अपने दायें कंधे की तरफ झुका रहता था. उसकी नाक छोटी थी जिसकी हड्डी बाहर को निकली हुई थी. उसके नाक के नथुने ऐसे दीखते थे जैसे वो गुस्से में हो. आधे मटर के दाने के बराबर एक मस्सा उसके होंठ और नथुनों को मिलाता था. वह गहरे रंग का था”~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
4-अकबर की धर्म निरपेक्षता=======आजकल बच्चों को इतिहास की किताबों में पढाया जाता है ,कि अकबर सभी धर्मों का आदर करता था . और यहाँ तक कि उसने जोधा बाई को भी एक मंदिर भी बनवा दिया था ,जिसने वह हिन्दू रीती के अनुसार पूजा ,आरती और कृष्ण की भक्ति किया करती थी ,यही" मुगले आजम " पिक्चर में भी दिखाया था .जो के.आसिफ ने बनायीं थी . लेकिन वास्तविकता यह है कि जोधा से शादी के कुछ समय बाद अकबर ने जोधा को मुसलमान बना दिया था . और उसका इस्लामी नाम ",मरियम उज्जमानी ( ﻣﺮﻳﻢ ﺍﺯﻣﺎﻧﻲ) रख दिया था .और 6 फरवरी सन 1562को इसलामी तरीके से निकाह पढ़ लिया था .और इसीलिए जब जोधा मर गयी तो उसका हिन्दू रीती से दाह संस्कार नहीं किया गया,बल्कि एक मुस्लिम की तरह दफना दिया गया.आज भी जोधा की कबर अकबर की कबर जो सिकन्दरा में है उस से से कुछ किलोमीटर बनी है ,देखी जा सकती है .यही नहीं अकबर ने अपनी अय्याशी के लिए इस्लाम का भी दुरुपयोग किया था ,चूँकि सुन्नी फिरके के अनुसार एक मुस्लिम एक साथ चार से अधिक औरतें नहीं रखता . और जब अकबर उस से अधिक औरतें रखने लगा तो ,काजी ने उसे टोक दिया .इस से नाराज होकर अकबर ने उस सुन्नी काजी को हटा कर शिया काजी को रख लिया , क्योंकि शिया फिरके में असीमित अस्थायी शादियों की इजाजत है , ऐसी शदियों को " मुतअ " कहा जाता है .आज भीमुसलमान अपने फायदे के लिए कुरान की व्याख्या किया करते हैं~~~~~~~~~~~~~~~~~

4-बादशाह की रहमदिलीमुसलमान अकबर को न्यायी दयालु नरमदिल बताते हैं ,लेकिन यह भी झूठ है ,क्योंकि,जब 6 नवम्बर 1556को 14साल की आयु में अकबर महान पानीपत की लड़ाई में भाग ले रहा था. हिंदू राजा हेमू की सेना मुग़ल सेना को खदेड़ रही थी कि अचानक हेमू को आँख में तीर लगा और वह बेहोश हो गया. उसे मरा सोचकर उसकी सेना में भगदड़ मच गयी. तब हेमू को बेहोशी की हालत में अकबर महानके सामने लाया गया और इसने बहादुरी से हेमू का सिर काट लिया और तब इसे गाजी के खिताब से नवाजा गया. इसके तुरंत बाद जब अकबर महान की सेना दिल्ली आई तो कटे हुए काफिरों के सिरों से मीनार बनायी गयी जो जीत के जश्न का प्रतीक है और यह तरीका अकबर महान के पूर्वजों से ही चला आ रहा है.हेमू के बूढ़े पिता को भी अकबर महान ने कटवा डाला. और औरतों को उनकी सही जगह अर्थात शाही हरम में भिजवा दिया गयाचित्तौड़ पर कब्ज़ा करने के बाद अकबर महान ने तीस हजार नागरिकों का क़त्ल करवाया.2सितम्बर 1573के दिन अहमदाबाद में उसने2000दुश्मनों के सिर काटकर अब तक की सबसे ऊंची सिरों की मीनार बनायी. वैसे इसके पहले सबसे ऊंची मीनार बनाने का सौभाग्य भी अकबर महान के दादा बाबर का हीथा. अर्थात कीर्तिमान घर के घर में ही रहा!अकबरनामा के अनुसार जब बंगाल का दाउद खान हारा, तो कटे सिरों के आठ मीनार बनाए गए थे. यह फिर से एक नया कीर्तिमान था. जब दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो उसे जूतों में पानी पीने को दिया गया.अकबर ने मुजफ्फर शाह को हाथी से कुचलवाया. हमजबान की जबान ही कटवा डाली. मसूद हुसैन मिर्ज़ा की आँखें सीकर बंद कर दी गयीं. उसके 300साथी उसके सामने लाये गए और उनके चेहरे पर गधों, भेड़ों औरकुत्तों की खालें डाल कर काट डाला गया. विन्सेंट स्मिथ ने यह लिखा है कि अकबर महान फांसी देना, सिर कटवाना, शरीर के अंगकटवाना, आदि सजाएं भी देते थे.~~~~~~~~~~~~~~~~~~

गीतू शर्मा के फेसबुक वाल से

प्रस्‍तुति- डॉ0 संतोष राय 

इसको कृपा करके पूरा पढ़ो आपकी आत्मा तड़प उठेगी


ये दुनिया का सब से बड़ा दिल दहलाने वाला बच्चों को सेक्शुअल नरसंहार था जो इतना दर्दनाक था की पूरी दुनिया दरिंदे मुसलमानो के द्वारा किए गये इस कृत्य पर सन्न रह गयी.. भारत तक ही नही पूरी दुनिया के न्यूज़ में इस नरसंहार की कहानी पूरी नही आने दी गयी ..
बेसलान के एक बच्चों के स्कूल में अचानक मुस्लिम हमलावरों ने इतिहास का सब से घिनौना हमला बोला ..वो लोग अंदर घुस गये .. इस हमले में जो मुसलमानो ने किया वो आज तक किसी मीडीया ने बोलने की हिम्मत नही दिखाई.. अंदर घुसते ही जो भी स्कूल के अंदर पुरुष थे उनको तुरंत ही मार दिया गया ताकि किसी तरह के प्रतिरोध की संभावना ना रहे..
इसके बाद जैसे ही इनकी नज़रें डरी हुई और बेसहारे स्कूल की छोटी बच्चियों पर गयीं .. इनकी आँखों मे वासना उभर उठी ..इनके अंदर का शैतान अल्लाह जाग उठा ..
बेसलान स्पष्ट रूप से एक यौन हत्या थी. मुसलमान इस स्कूल में आतंकवाद से भी ज़्यादा की दरिंदगी दिखना चाहते थे ..
अल्लाह के सेक्स हत्यारों ने अब सभी छोटी छोटी बच्चियों की तरफ देखा .. उन सबको अंदर बने एक जिम हॉल में ले गये ..
इसके बाद छोटी छोटी बच्चियों की चीखती आवाज़ें इनके ज़ुल्म के आगे दब कर रह गयी ...अपने ही सारे दोस्तों के सामने अपमानित होती रही ...
बारी बारी से ३ साल ५ साल की एक एक बच्ची के साथ कई कई मुसलमानो ने बलात्कार किया गया.. ना सिर्फ़ मुस्लिम हैवानों ने बलात्कार किया बल्कि बच्चों के गुप्तांगों में अपने बंदूकों और अन्य वस्तुओं को ... ****####@@@
दूसरे सारे बंधक बच्चों को ये सब देखने को मजबूर किया गया .. और आतंकवादी हंस रहे थे..
जितना बच्चों के गुप्तांगों से खून निकलता .. मुसलमान उतनी ही ज़ोर से हंसते ..
बहुत सारी छोटी छोटी बच्ची ज़्यादा ब्लीडिंग की वजह से वहीं उसी वक़्त मर गयी .. रेप करने के दौरान दरिंदे वीडियो शूट भी कर रहे थे... खून से फर्श लाल हो गयी थी
लड़कियाँ इस रेप में और हथियार के गुप्तांगों में डालने के वजह से खून से सन गयीं.. जिस्म से इतना खून निकला की तत्काल चिकित्सा नही होने की वजह से वहीं चीखती चिल्लती मासूमों ने दम तोड़ दिया ..
लेकिन इन सब के बाद भी मुसलमानो का दिल सिर्फ़ रेप से और हत्या से नही भरा था .. सारे मुसलमानो ने छोटे छोटे बच्चों को पीटना शुरू किया .. बुरी तरह पीटा ..
वास्तव मे पिटाई तो वो शुरू से ले कर अंत तक करते रहे .. इस दौरान मुसलमान खुश होते.. हंसते ..
आतंकवादियों ने बच्चों को खूब लहू लुहान किया... और खूब ठहाके लगाए .. जैसे जैसे समय बीता .. मुसलमानो के ज़ुल्म और बढ़ते गये.. जब बच्चों ने प्यास के मारे पानी माँगा तो वो लोग हँसे ... मज़ाक उड़ा रहे थे...
उस दिन मौसम भी अजीब था बाहर जबरदस्त गर्मी थी और अंदर के उस हॉल में एयर कंडीशनर भी काम नही कर रहा था..बच्चे प्यास से तड़प रहे थे .. पानी माँग रहे थे
पीड़ित बच्चों के हालत और बुरे उस वक़्त हो गये जब उन दरिंदों ने बच्चों को अपना पेशाब पीने पर मजबूर किया .. कुछ मामलों में तो बंधकों के उपर ही पेशाब किया ..
आतंकवादियों ने एक गेम खेला.. बच्चों के सामने जो बहुत ही ज़्यादा प्यासे थे .. उनके सामने पानी के बर्तन को रख दिया और कहा जो इसको पीने आएगा उसको मैं गोली मार दूँगा ..
जब बच्चों ने पुपचा की क्या वो रेस्ट रूम मे जा कर पानी पी सकते हैं तो उस मे से एक आतंकी मुस्लिम ने कहा कि .. हम तुम्हारे अंकल नही बल्कि आतंकवादी हैं और तुम्हे मारने आए हैं.. इसके बाद बच्चों को मे अपनी मौत का ख़ौफ़ समा गया ... अपने आपको ज़िंदा बच पाने की उम्मीद ख़त्म हो गयी.. बच्चे डर कर चिल्ला भी नही पा रहे थे क्यूँ की ऐसा करने पर उनको मारा जाता पीटा जाता...बच्चों को लगा अगर वो चिल्लाएँगे तो ये लोग उनको गोली मार देंगे
अब तक स्कूल के बाहर भीड़ लग चुकी थी...आतंकी अंदर से खड़े हो कर नगरवासियों पर कॉमेंट करते... अंडे फेंकते... हंसते.. और ये सब रात तक चलता रहा ... बच्चों के उपर इनकी क्रूरता जारी रही .. रात को इन्होने बच्चों को ही कहा की वो नंगे बलात्कार किए हुए मर चुके बच्चों की लाशों को उठा कर के पीछे फेंक कर आयें
इस बीच रशियन सैनिकों ने स्कूल को घेर लिया था.. .समझौते की कोशिशें जारी थी .. सैनिकों ने आतंकवादियों से खाना खाने के लिए फुड देने की बात की पर आतंकियों ने इनकार कर दिया .. क्यूँ कि उन्हे उसमे ज़हर होने का डर था
इस बीच रूस की सब से अच्छी फोर्स Alpha and Vympel (Russia Special forces) आ चुकी थी ..
आतंकियों ने साफ कर दिया था की अगर गैस का इस्तेमाल हुआ आ बिजली काटी गयी तो वो तुरंत बच्चों को मार देंगे ..
आतंकवादी इन फोर्स के पहले की सारी काररवाई की छानबीन कर ली थी .. उन्होने थकान और नींद भगाने वाली दवाई amphetamines लाए थे ..
रूसी विशेष बलों ने विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हुए स्कूल पर हमला कर दिया टैंक से .. बंदूक से ... विस्फोट ए .. हर तरह से हमला किया गया . स्पेशल फोर्स के कमांडो भी जान पर खेल गये ..लेकिन उस अभागे दिन सिर्फ़ रक्तपात को छोड़ कर और कुछ हासिल नही हो पाया

३३० लोग मारे गये जिस मे से १८० छोटे छोटे मासूम बच्चे थे .. बच्चों को गोली मार दी गयी थी ...१८ महीने के बच्चे तक को चाकू घोंप घोंप कर मारा गया था ..२४७ बच्चे जो गंभीर रूप से घायल थे उनको इलाज के तुरंत बाद मास्को सर्जरी के लिए भेजा गया ... कई फोर्स के सैनिक भी मारे गये थे... ३ दिन तक बंधक बच्चों पर ये ज़ुल्म ढाते रहे थे....

अंत में चारो तरफ बच्चों की लाशों को देख कर उनके माँ बाप के चीख पुकार और रोने की आवाज़ से पूरा इलाक़ा दहल उठा.. जो बच्चे स्कूल से निकल रहे थे सब खून से सने हुए थे.. लाशों के ढेर लगे थे ... इस्लाम ने सबकी खुशियाँ छीन ली...
भारत के लोगों अगर अपने नन्हे नन्हे बच्चों से भी तुम्हे प्यार है तो सेकूलरिस्म त्याग दो वरना ... अपने बच्चों के बलात्कार और हत्या के ज़िम्मेदार तुम होगे ..


"जन-जागरण लाना है तो पोस्ट को Share करना है।"

अनुज मिश्र के फेसबुक वाल से 

प्रस्‍तुति- डॉ0 संतोष राय 

Thursday, July 10, 2014

ईश्वर की अराधना करें न की मृत्यु को प्राप्त मनुष्यों की - Dr Santosh Rai

डॉ संतोष राय
वरिष्ठ नेता - हिन्दू महासभा 

चूँकि सनातन वैदिक धर्म इस संसार का आदि धर्म है और यह भी मान्यता है की जब से सृष्टि का सृजन हुआ है तभी से सनातन धर्म है  सनातन धर्म का न तो कोई आदि है और न ही कोई अंत  भारतवर्ष एक महान राष्ट्र है और सनातन धर्म से ही विभिन्न पंथों का भी सृजन भी इसी राष्ट्र में हुआ है इसलिए भारत को विश्व गुरु कहा जाता था लेकिन किन्ही अन्य परिस्थितियों के कारण भारत की पहचान खतरे में है  भारत में अवतरित विभिन पंथों जैसे जैन, बौद्ध, लिंगायत, सिख इत्यादि में एक बात मुख्य है की सभी ओंकार(ॐ) को मानते हैं  यहाँ तक नास्तिक दर्शन(ईश्वरीय सत्ता को न माने वाले) भी भारत के दार्शनिक चार्वार्क की ही देन है लेकिन चार्वार्क ने कभी विदेशी मत या मजहब को समर्थन भी नहीं दिया 

में एक सनातन धर्मी हूँ फिर हिन्दू हूँ और मेरी यही पहचान है और में कई बार अपने पूर्व के लेखों में स्पष्ट कह चूका हूँ की मुझे हिन्दू भौगोलिक रूप से कहा जाता है न की धार्मिक पहचान से और यही सत्य है  भारत के आदि ग्रंथों में कहीं भी हिन्दू शब्द का उल्लेख नहीं है और विदेशी और अरबी आक्रान्ता जब भारत पर आक्रमण करते थे तो सिन्धु घाटी और सिन्धु नदी को पार करके आना होता था और अरबी में "स" शब्द है ही नहीं तो ये अरबी लोग "स" की जगह "ह" शब्द का प्रयोग कर सिन्धु को हिन्दू कहने लगे और यह हिन्दू नाम प्रचलित हो गया और हम हिन्दू हैं 

भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए कई षड्यंत्र रचे गए और आज भी षड्यंत्र हो रहे हैं और अब इसी हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने के लिए अरबी मजहब और सनातन धर्म को तोड़-मरोड़ कर अवतार या देवता घोषित करके काफी प्रयत्न हो चुके हैं और हो भी रहे हैं  कुछ दिवस पूर्व ही द्वारका पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज जी ने साईं बाबा को सनातन धर्म मंदिरों में देवताओं की तरह पूजा जाने का खंडन किया था और उन्होंने यह खंडन आज से 15 वर्षों पूर्व भी किया था और इस खंडन को मात्र शिवसेना के मुखपत्र "सामना" ने छापा था और किसी अन्य ने छापने की हिम्मत नहीं दिखाई  और उस समय स्वामी स्वरूपानंद जी के सम्बन्ध शिव सेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे से भी थे  लेकिन आज भारत के Sickular Media और कुछ तथाकथित हिन्दूवादियों के पेट में दर्द हो गया की स्वामी स्वरूपानंद कांग्रेसी है और इनकी हिम्मत कैसे हुई साईं बाबा को चाँद मियां यानी मुसलमान कहने की 

साईं चरित्र स्वतः सिद्ध कर रही है की बाबा मलेक्ष अथवा यवनी थे और शिर्डी स्थित उनकी कब्र यानी मजार है जिसे कुछ साईं भक्त कहते हैं की ये कब्र नहीं समाधि है तो मेरा यह कथन है की सनातन परंपरा का संत समाधि लेता है और मुसलमान फ़क़ीर की कब्र बनाई जाती है  कब्र में मुसलमानों को सीधा भूमि में दफना दिया जाता है जबकि हिन्दुओं में संतों को पद्मासन की मुद्रा में भूमि या जल में समाधि दी जाती है  साईं बाबा के किसी भी धर्म ग्रन्थ में अवतार होने या देव होने के बारे में कहीं कोई प्रमाण नहीं है और सनातन धर्म में अवतारी न तो बीड़ी या चिलम का सेवन करेगा या न ही बकरीद के दिन बकरे को हलाल करेगा और न ही नमाज पढ़ेगा 

अराधना या पूजा किसकी की जाये और किसकी प्रतिमा बनाकर पूजनी चाहिए इत्यादि का वर्णन हमारे शास्त्रों में है और परमात्मा या अवतारी किसे कहा जाये इसके बारे में भी वर्णन है 

1. ध्यानयोग की सिद्धि के लिए प्रतिमा की उपयोगिता जानी समझी गई है  देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनवाई जानी चाहिए क्योंकि वे श्रेयष्कर और स्वर्गदायिनी होती हैं जबकि मनुष्यादि की मूर्तियाँ नरकदायिनी और अशुभ होती हैं ! - शुक्रनीतिसार 4/4/79,74

2. देवमूर्तियाँ शास्त्रोक्त मान से अधिक और हीन न होने पर ही रम्य जानी गई हैं  यदि देव प्रतिमा शास्त्रोक्त लक्षण से हीन हो तो भी मनुष्यों के लिए श्रेयष्कर होती हैं किन्तु मरणधर्मा मनुष्यों की मूर्तियाँ शास्त्रोक्त लक्षणों से युक्त होने पर भी कभी कल्याणकारी नहीं होती  शुक्रनीतिसार 4/4/75-76

3. विष्णु-पुराण 6/5/74-78 में भगवान् शब्द के सन्दर्भ में लिखा है :

                                           ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्मस्य यशसशिश्रय: 
                                           ज्ञानवैराग्य ज्ञान वैराग्ययोश्चश्चैव पण्णाम् भग इतिरणा ।।

                                           उत्पत्तिं प्रलयं चैव भूतानागती गतिम् 
                                           वेत्ति विद्याविद्यां च स वाच्यो भगवानिति ।।

(परम ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य - इन छह भगों की परिपूर्णता  से जो युक्त होता है वह भगवान् है ! समस्त प्राणियों के उत्पत्ति-नाश, अगति-गति और विद्या-अविद्या को भली-भाँती जानने वाला परमात्मा ही भगवान् कहलाता है ) 

4. सिखों के दसम गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज (1718-1765 विक्रमी) कृत चौबीस अवतार कथा में कलियुग के अवतारों में 23वें और 24वें स्थान पर क्रमशः बुद्ध और निहकलंक = कल्कि का उल्लेख है । बुद्ध के बाद कलियुग के अंत से पहले कल्कि को छोड़कर किसी भी अवतार का कोई प्रसंग प्राप्त नहीं होता है । कलियुग की समाप्ति में अभी 432000-5115 = 426885 सौर-वर्ष शेष रहते हैं । अतः शिर्डी वाले साईं बाबा को विष्णु का अवतार मानने का कोई औचित्य नहीं है 

5. भगवान् राम के कनिष्ठ पुत्र लव के कुल में जन्म लेने वाले प्रतापी विभूति गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज की महानता और राष्ट्रभक्ति को किसी भी प्रकार से कम नहीं आँका जा सकता । ऐसे राष्ट्र उन्नायक अपनी कृति "विचित्र नाटक" 6/32-33 में लिखते हैं :

       जो हमको परमेसर उचरीहैं । ते सभ नरक कुंड महि परिहैं 
       मो को दास तवन का जानो । या मै भेद न रंच पछानो ।।32।।
    
      मै हो परम पुरख को दासा । देखन आयो जगत तमासा 
      जो प्रभ जगती कहा सो कहिहों । मृतलोक ते मौन न रहिहों ।।33।।

इन वचनों से स्पष्ट है की गुरु जी की सैधांतिक दृष्टी में उन्हें परमेश्वर कहने-मानने वाले सभी भक्त लोग नरक कुण्ड को प्राप्त होने योग्य हैं । अतः इस सिद्धांत से शिर्डी के साईं बाबा को परमेश्वर भगवान् अथवा वैष्णव अवतार मानने वाले साईं-भक्त नरकगामी होने से भला कैसे छूट सकते हैं ?

जहाँ तक कण-कण में ईश्वर की व्यापकता को आधार बनाकर बात का बतंगड़ बनाने का प्रश्न है तो इस विषय में पते की बात यह है की परमेश्वर प्रत्येक कण में व्याप्त अवस्य होता है किन्तु सुस्पष्ट है की इस पर भी कण परमेश्वर नहीं कहलाया जा सकता । अतः इस दृष्टी से भी साईं बाबा को परमेश्वर या भगवान् माने का कोई औचित्य नहीं है !

सनातन धर्म की जय ! जय हिन्दू राष्ट्र !
Email : drsrai@yahoo.com