Tuesday, July 15, 2014

जिहाद के लिए नए तरीके



इस्लाम के प्रारम्भ से लेकर आधुनिक काल तक मुसलमान जिहाद के लिए तलवार का प्रयोग किया करते थे लेकिन विज्ञानं के इस वर्त्तमान काल में मुसलमानों ने जिहाद के लिए नए तरीके निकाल लिए हैं।
जैसे "लव जिहाद " और "ब्लोगिंग जिहाद " सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिहाद के इन सभी नए तरीकों में अकसर भोली भाली हिन्दू लड़कियों या युवकों को निशाना बनाया जाता है और इंटरनेट या   टी. वी. सीरियल के माध्यम से इस्लाम के अत्याचारी रूप पर बुरका डालने की कोशिश की जाती है और हिन्दू धर्म में कमियां निकाल कर लोगों को इस्लाम के प्रति आकर्षण पैदा करने का प्रयत्न किया जाता है। अपनी इस कपटी योजना को सफल करने के लिए जेहादी मानसिकता वाले  एक तरकीब अपनाते हैं कि सबसे बड़े अत्याचारी, अय्याश, हिन्दू विरोधी मुसलमान बादशाह को न्यायी, धर्मनिरपेक्ष,सदाचारी और दयालु साबित करने लगते हैं .इसका ताजा उदाहरण टी .वी सीरियल " जोधा अकबर " है . जिसे हिन्दू महिलाएं भी नियमित रूपसे देखती हैं .जिस से उनका "ब्रेन वाश " किया जा रहा है .1-जोधा अकबर सीरियल इस सीरियल का निर्माण और प्रदर्शन बाला जी टेली फिल्म्स के बैनर से एकता कपूर कर रही है . और 18जून सन 2013 से यह सीरियल शनिवार और रविवार को छोड़कर रोज रात 8.00 पर जी टी .वी .पर दिखाया जा रहा है . लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि इस सीरियल का " पट लेखक (Script Writer ) एक कट्टर जिहादी विचार रखने वाला व्यक्ति है . जिसका नाम "नावेद असलम " है .इसने"जामिया मिल्लिया इलामिया " से सन 1989 में स्नातक की डिग्री ली थी . जामिया इस्लाम के कट्टरवादी और जिहादी विचारों का गढ़ माना जाता है .लोगों को याद होगा कि पहले महराणा प्रताप के बारे में एक सीरियल निकला था . जिसमे राणा को एक हिन्दू धर्म का रक्षक और अकबर को अत्याचारी बताया गया था .इसलिए लोगों के दिमाग से राणा की वह छवि मिटाने और अकबर को एक सेकुलर और सभी धर्मों का आदर करने वाला बादशाह साबित करने के लिए नावेद असलम ने मुल्लों के इशारे पर इस सीरियल की पटकथा लिखी है . जो सरासर झूठ और निराधार है . यहाँ पर अकबर की असलियत के कुछ नमूने संक्षित में दिये जा रहे हैं .~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
2-अकबर की पत्नियां और रखेल ====हकीकत यह है कि अकबर के सभी पूर्वज बाबर, हुमायूं, से लेकर तैमूर तक सब भारत में लूट, बलात्कार, धर्म परिवर्तन, मंदिर विध्वंस, आदि कामों में लगे रहे. वे कभी एक भारतीय नहीं थे और इसी तरह अकबर भी नहीं था. और इस पर भी हमारी हिंदू जाति अकबर को हिन्दुस्तान की शान समझती रही! अकबर एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था ,इसने अपने नाम में मुहम्मद शब्द जोड़ लिया था. जिस से इसका पूरा नाम "जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर " हो गया .और जैसे मुहम्मद साहब ने कई पत्नियाँ और रखैलें रखी थीं.लेकिन अकबर ने मुहम्मद साहब से कई गुना अधिक औरतें और रखेलें रख ली थीं ,जिन्हें लौंडियाँ कहा जाता है .मुसलमानअकबर की सिर्फ तीन औरतें बताते हैं,
1.रुकैय्या बेगम ,जो अकबर के फूफा बैरम खान की विधवा थी 2.सलीमाँ बेगम जो अकबर की चचेरी बहिन थी .
3. लोग जोधा बाई को अकबर की तीसरी पत्नी बताते हैं .इसका असली नाम हीरा कुंवरी या रुक्मावती था,यह आम्बेर के राज भारमल की बड़ी बेटी थी.लोग इसी को जोधा कहते हैं .जोधा अकबर से आयु में बड़ी थी .और राजा मानसिंह की बहिन लगती थी ,जिसे अकबर ने अपने नवरत्नों में शामिल कर लिया था जोधा और अकबर की शादी जयपुर के पास साम्भर नाम की जगह 20 जनवरी सन 1562 को हुई थी .वास्तव में राजा भारमल ने जोधा की डोली भेजी थी . जिसके बदले अकबर ने उसे मनसबदरी दी थी .लेकिन वास्तविकता कुछ और है ,अबुल फज़ल ने अकबर के हरम को इस तरह वर्णित किया है- अकबर के हरम में पांच हजार औरतें थीं और हर एक का अपना अलग घर था.ये पांच हजार औरतें उसकी 36 पत्नियों से अलग थीं.आइन ए अकबरी में अबुल फजल ने लिखा है- शहंशाह के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था. वहाँ इतनी वेश्याएं इकट्ठी हो गयीं कि उनकी गिनती करनी भी मुश्किल हो गयी. दरबारी नर्तकियों को अपने घर ले जाते थे. अगर कोई दरबारी किसी नयी लड़की को घर ले जाना चाहे तो उसको अकबर से आज्ञा लेनी पड़ती थी. कई बार जवान लोगों में लड़ाई झगडा भी हो जाता था. एक बार अकबर ने खुद कुछ वेश्याओं को बुलाया और उनसे पूछा कि उनसे सबसे पहले भोग किसने किया”.आइन ए अकबरी में अबुल फजल ने लिखा है- शहंशाह के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था. वहाँ इतनी वेश्याएं इकट्ठी हो गयीं कि उनकी गिनती करनी भी मुश्किल हो गयी. दरबारी नर्तकियों को अपने घर ले जाते थे.
अगर कोई दरबारी किसी नयी लड़की को घर ले जाना चाहे तो उसको अकबर से आज्ञा लेनी पड़ती थी. कई बार जवान लोगों में लड़ाई झगडा भी हो जाता था. एक बार अकबर ने खुद कुछ वेश्याओं को बुलाया और उनसे पूछा कि उनसे सबसे पहले भोग किसने किया”.
रणथंभोर की संधि में अकबर महान की पहली शर्त यह थी कि राजपूत अपनी स्त्रियों की डोलियों को अकबर के शाही हरम के लिए रवाना कर दें यदि वे अपने सिपाही वापस चाहते हैं.ग्रीमन के अनुसार अकबर अपनी रखैलों को अपने दरबारियों में बाँट देता था. औरतों को एक वस्तु की तरह बांटना और खरीदना अकबर की की नीति थी .विन्सेंट स्मिथ जैसे अकबर प्रेमी को भी यह बात माननी पड़ी कि चित्तौड़ पर हमले के पीछे केवल उसकी सब कुछ जीतने की हवस ही काम कर रही थी. वहीँ दूसरी तरफ महाराणा प्रताप अपने देश के लिए लड़ रहे थे और कोशिश की कि राजपूतों की इज्जत उनकी स्त्रियां मुगलों के हरम में न जा सकें~~~~~~~~~~~~~~~~~
3-अकबर की कुरूपता ==========इतिहास की किताबों और मुग़ल काल की पेंटिंग में अकबर को एक स्वस्थ और रौबदार चहरे वाला सुन्दर व्यक्ति चित्रित किया जाता ,लेकिन,“अकबर एक औसत दर्जे की लम्बाई का था. उसके बाएं पैर में लंगड़ापन था. उसका सिर अपने दायें कंधे की तरफ झुका रहता था. उसकी नाक छोटी थी जिसकी हड्डी बाहर को निकली हुई थी. उसके नाक के नथुने ऐसे दीखते थे जैसे वो गुस्से में हो. आधे मटर के दाने के बराबर एक मस्सा उसके होंठ और नथुनों को मिलाता था. वह गहरे रंग का था”~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
4-अकबर की धर्म निरपेक्षता=======आजकल बच्चों को इतिहास की किताबों में पढाया जाता है ,कि अकबर सभी धर्मों का आदर करता था . और यहाँ तक कि उसने जोधा बाई को भी एक मंदिर भी बनवा दिया था ,जिसने वह हिन्दू रीती के अनुसार पूजा ,आरती और कृष्ण की भक्ति किया करती थी ,यही" मुगले आजम " पिक्चर में भी दिखाया था .जो के.आसिफ ने बनायीं थी . लेकिन वास्तविकता यह है कि जोधा से शादी के कुछ समय बाद अकबर ने जोधा को मुसलमान बना दिया था . और उसका इस्लामी नाम ",मरियम उज्जमानी ( ﻣﺮﻳﻢ ﺍﺯﻣﺎﻧﻲ) रख दिया था .और 6 फरवरी सन 1562को इसलामी तरीके से निकाह पढ़ लिया था .और इसीलिए जब जोधा मर गयी तो उसका हिन्दू रीती से दाह संस्कार नहीं किया गया,बल्कि एक मुस्लिम की तरह दफना दिया गया.आज भी जोधा की कबर अकबर की कबर जो सिकन्दरा में है उस से से कुछ किलोमीटर बनी है ,देखी जा सकती है .यही नहीं अकबर ने अपनी अय्याशी के लिए इस्लाम का भी दुरुपयोग किया था ,चूँकि सुन्नी फिरके के अनुसार एक मुस्लिम एक साथ चार से अधिक औरतें नहीं रखता . और जब अकबर उस से अधिक औरतें रखने लगा तो ,काजी ने उसे टोक दिया .इस से नाराज होकर अकबर ने उस सुन्नी काजी को हटा कर शिया काजी को रख लिया , क्योंकि शिया फिरके में असीमित अस्थायी शादियों की इजाजत है , ऐसी शदियों को " मुतअ " कहा जाता है .आज भीमुसलमान अपने फायदे के लिए कुरान की व्याख्या किया करते हैं~~~~~~~~~~~~~~~~~

4-बादशाह की रहमदिलीमुसलमान अकबर को न्यायी दयालु नरमदिल बताते हैं ,लेकिन यह भी झूठ है ,क्योंकि,जब 6 नवम्बर 1556को 14साल की आयु में अकबर महान पानीपत की लड़ाई में भाग ले रहा था. हिंदू राजा हेमू की सेना मुग़ल सेना को खदेड़ रही थी कि अचानक हेमू को आँख में तीर लगा और वह बेहोश हो गया. उसे मरा सोचकर उसकी सेना में भगदड़ मच गयी. तब हेमू को बेहोशी की हालत में अकबर महानके सामने लाया गया और इसने बहादुरी से हेमू का सिर काट लिया और तब इसे गाजी के खिताब से नवाजा गया. इसके तुरंत बाद जब अकबर महान की सेना दिल्ली आई तो कटे हुए काफिरों के सिरों से मीनार बनायी गयी जो जीत के जश्न का प्रतीक है और यह तरीका अकबर महान के पूर्वजों से ही चला आ रहा है.हेमू के बूढ़े पिता को भी अकबर महान ने कटवा डाला. और औरतों को उनकी सही जगह अर्थात शाही हरम में भिजवा दिया गयाचित्तौड़ पर कब्ज़ा करने के बाद अकबर महान ने तीस हजार नागरिकों का क़त्ल करवाया.2सितम्बर 1573के दिन अहमदाबाद में उसने2000दुश्मनों के सिर काटकर अब तक की सबसे ऊंची सिरों की मीनार बनायी. वैसे इसके पहले सबसे ऊंची मीनार बनाने का सौभाग्य भी अकबर महान के दादा बाबर का हीथा. अर्थात कीर्तिमान घर के घर में ही रहा!अकबरनामा के अनुसार जब बंगाल का दाउद खान हारा, तो कटे सिरों के आठ मीनार बनाए गए थे. यह फिर से एक नया कीर्तिमान था. जब दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो उसे जूतों में पानी पीने को दिया गया.अकबर ने मुजफ्फर शाह को हाथी से कुचलवाया. हमजबान की जबान ही कटवा डाली. मसूद हुसैन मिर्ज़ा की आँखें सीकर बंद कर दी गयीं. उसके 300साथी उसके सामने लाये गए और उनके चेहरे पर गधों, भेड़ों औरकुत्तों की खालें डाल कर काट डाला गया. विन्सेंट स्मिथ ने यह लिखा है कि अकबर महान फांसी देना, सिर कटवाना, शरीर के अंगकटवाना, आदि सजाएं भी देते थे.~~~~~~~~~~~~~~~~~~

गीतू शर्मा के फेसबुक वाल से

प्रस्‍तुति- डॉ0 संतोष राय 

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