देशपाल सिंह पंवार
प्रस्तुति: डॉ0 संतोष राय
राबर्ट वाड्रा पर घपलों के आरोप
राष्ट्रमंडल खेलों व 2 जी घपले-घोटाले में शामिल
यूनीटेक कंपनी में उनकी 20 फीसदी हिस्सेदारी
शाहरुख की आईपीएल फ्रेंचाइजी में हिस्सा
हिल्टन होटल की श्रंखला के असली मालिक
डीएलएफ को राष्ट्रमंडल खेलों के ठेके के पीछे
तमाम माल व रियल इस्टेट में रकम लगाई
क्वात्रोची के घर पर प्रियंका से पहली मुलाकात
एयरलाइंस में काफी रकम लगाने की बात
टाटा को इतना धन कमाने में सौ साल, अंबानी को 50 साल पर राबर्ट को 10 साल लगे
अनहोनी: राबर्ट के ब्रदर और पिता ने की थी खुदकुशी, बहन की हादसे में गई थी जान
देशपाल सिंह पंवार
जनता पार्टी वही है जिसने पहली बार 77 में गैर कांग्रेसी सरकार बनाई थी। जितनी तेजी से ये पार्टी आई थी उतनी ही तेजी से विदा भी हो गई थी। फिलहाल नाम को है। बस एक ही नेता सुब्रमण्यम स्वामी इसे चला रहे हैं। हां इतना जरूर है कि वो अकेले मनमोहन सरकार को हिलाए हुए है। पहले कोई उन्हें सीरियसली नहीं लेता था, बडबोला माना जाता था पर जबसे ए राजा, एम के कनिमोझी , दयानिधि मारन, चिदंबरम के विकेट हिलाए हैं, हर कोई इनसे हिला रहता है। गांधी परिवार से स्वामी की पुरानी लगी हुई है। पहले इंदिरा, फिर राजीव, फिर सोनिया और अब स्वामी जी कह रहे हैं कि अगला निशाना होंगे प्रियंका गांधी के पति राबर्ट वाड्रा यानि सोनिया के दामाद। फिलहाल उन्होंने ये नहीं बताया कि आखिर राबर्ट वाड्रा ने कौन सा करप्शन किया है? पर सवाल ये जरूर उठने लगे हैं कि आखिर स्वामी महाराज क्या राज छिपाए हुए हैं? संकेत मिल रहे हैं कि स्वामी के पास इस तरह के कागजात हैं जिनमें राबर्ट वाड्रा राष्ट्रमंडल खेल के घपले में फंसेंगे, साथ ही 2 जी में फायदा उठाने वाली एक टेलीकाम कंपनी यूनीटेक में बड़ी हिस्सेदारी सोनिया के दामाद की है। इतना ही नहीं आईपीएल में शाहरुख खान की फ्रेंचाइजी में ज्यादातर रकम राबर्ट की ही बताई जाती है। कहने वाले तो कह ही रहे हैं कि खरबपति होने में टाटा को 100 साल लगे। अंबानी को 50 साल लगे और राबर्ट को केवल दस साल लगे। निर्यात पालिसी को प्रभlवित करने के राबर्ट पर आरोप लगते रहे हैं। राबर्ट देश के उन खास गैरराजनीतिक हस्तियों में से एक है जिसकी एयरपोर्ट पर कोई तलाशी नहीं होती। स्वामी इस फैसले को संदेह की निगाह से देखते हैं।
स्वामी जी इंदिरा गांधी तक से पंगा ले चुके थे। राजीव को लंबे अरसे तक परेशान किया। सोनिया को कभी हिंदुस्तानी बहू मानने को तैयार नहीं हुए। अब राबर्ट वाड्रा निशाने पर हैं। कह रहे हैं कि अब तो मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा पर समय आने पर सबूत के साथ सारी बात जनता के सामने रखूंगा। हां यह बात दावे के साथ कह सकता हूं कि राबर्ट वाड्रा करप्शन में शामिल हैं। स्वामी करप्शन को ही देश की सबसे बड़ी बीमारी मानते हैं। एक अर्थशास्त्री की हैसियत से बोलते हुए कहते हैं कि करप्शन की वजह से ही महंगाई है। वो इस बात को भी कबूल करते हैं कि देश के मौजूदा कानून करप्शन से लड़ने में कारगर हैं।
वैसे तो अरसे से इस बात की चर्चाएं जोरों पर हैं कि राबर्ट करप्शन में शामिल हैं। 10 जनपथ का रिश्तेदार होने का फायदा उठाते हैं । तमाम घपलों -घोटालों में उनका हाथ माना जाता है, हां साबित करना आसान नहीं। कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि मीडिया इसी वजह से राबर्ट की तरफ नहीं जाता क्योंकि वो बेहद ताकतवर हैं। उन्हें झेड़ने से हाथ जलने का खतरा है। पर स्वामी जिस तरह विश्वास से बोल रहे हैं लग रहा है कि देश में नया तूफान खड़ा होने वाला है।
सवाल यही पैदा होते हैं कि आखिर स्वामी को क्या हाथ लगा है जिसकी वजह से वो राबर्ट पर वार करने वाले हैं? 18 अप्रैल 1969 को मुरादाबाद में जन्में राबर्ट को प्रियंका से शादी होने से पहले कोई मुरादाबाद तक में नहीं जानता था पर जैसे ही शादी हुई वो सबसे चर्चित चेहरे में से एक हो गए। 10 जनपथ से इतना गहरा नाता होने के कारण सत्ता पर राबर्ट का असर कोई अनोखी बात नहीं है। दरअसल राबर्ट और प्रियंका की पहली मुलाकात के किस्से ही काफी दिलचस्प हैं। दोनों बोफोर्स कांड में बरसों तक फंसे रहे इटली के ओटियो क्वात्रोची के घर पर पहली बार मिले थे। दरअसल क्वात्रोची राबर्ट के गहरे दोस्त रहे हैं। बाद में 18 फरवरी 1997 को दोनों की शादी हुई। राबर्ट का एक और ब्रदर था- रिचर्ड वाड्रा जो 2003 में वसंत बिहार के घर में मरा हुआ पुलिस को मिला था। इसी तरह एक बहन मिचेल कार हादसे में 2001 में स्वर्ग सिधार गई थी। उनके पिता राजिंदर वाड्रा ने 2 अप्रैल 2009 को आत्महत्या कर ली थी। हां इतना जरूर है कि हिंदुस्तानी मीडिया ने कभी इस ओर झांकने की कोई कोशिश नहीं की। कारण राबर्ट वाड्रा की ताकत। पिता के नजदीकी लोग इस बात को हमेशा कहते रहे हैं कि प्रियकां से शादी के बाद राबर्ट के बदलने से पिता बेहद दुखी थे। वो खुद कहा करते थे कि राबर्ट गलत रास्ते पर है। काफी दौलत कमा चुका है। देश के मुख्य न्यायाधीश, दलाई लामा समेत कुछ गिनी-चुनी हस्तियों में से राबर्ट हैं जिनकी कोई तलाशी एयरपोर्ट पर नहीं होती। इतना ही नहीं एक बार उनका एक बाडीगार्ड संसद में रिवाल्वर लेकर जाते समय रोका जा चुका है। मामला राबर्ट से जुड़ा होने की वजह से कोई एक्शन नहीं हुआ था।
आखिर राबर्ट इतने निशाने पर क्यों हैं? दरअसल इसका एक कारण तो यही है कि वे सोनिया गांधी के दामाद हैं। उन पर आरोप लगने का सीधा सा मतलब है सोनिया गांधी की छवि को धूमिल करना। कांग्रेसी इसे विपक्ष की साजिश ही मानते हैं। पर कहने वाले तो कह ही रहे हैं कि टाटा को सौ साल, अंबानी को 50 साल जितना धन कमाने में लगे राबर्ट ने वो महज 10 साल में कर दिखाया। दरअसल राबर्ट की कमाई देश के तमाम बड़े माल में लगने की सूचना दी जा रही है। इतना ही नहीं राष्ट्रमंडल खेलों में जो घपला हुआ है उसमें शामिल डीएलएफ को ठेके राबर्ट के कहने पर ही दिए गए। डीएलएफ में उनकी काफी हिस्सेदारी बताई जाती है। देश में हिल्टन होटल की चैन राबर्ट की ही बताई जाती है। दिल्ली का हिल्टन होटल वाड्रा का ही बताया जा रहा है। शाहरुख की आई पीएल टीम में राबर्ट की हिस्सेदारी बताई जा रही है। इतना ही नहीं राबर्ट पर ये मामला है कि 2 जी घपले में जिस टेलीकाम कंपनी यूनीटेक को फायदा मिला उसमें 20 फीसदी हिस्सेदारी राबर्ट की बताई जा रही है।
इतना ही नहीं देश के तेजी से आगे बढ़ते प्राइम प्रोपरटी स्थानों पर राबर्ट की काफी जमीनें बताई जा रही हैं। गुडगांव में राबर्ट की बेथाह प्रोपरटी बताई जा रही है। इतना ही नहीं एयरलाइंस में राबर्ट की हिस्सेदारी मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि राबर्ट के पास कुछ प्राइवेट प्लेन हैं? कहने को तो बहुत कुछ कहा जा रहा है। ये गारंटी नहीं कि सब सच ही हो पर इस बात की क्या गारंटी कि सब कुछ गलत ही हो। आजकल जिस तरह दूसरे नामों से प्रापर्टी बनाने का खेला इस देश में चल रहा है उसमें राबर्ट की दो-चार बेनामी संपत्ति होना कोई बड़ी बात नहीं। हां बड़ी बात यही है कि अगर ऐसा है तो फिर वो धन कहां से आया? कैसे कमाया गया?
साभार: पार्चाआउट डॉट कॉम
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