अखिल भारत हिन्दू महासभा के चुनाव स्वागत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 संतोष राय, वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता नंद किशोर मिश्रा व दिल्ली प्रदेश कार्यालय सचिव एडोवोकेट अंग्रेज सिंह ने लालू के उपर प्रहार करते हुये कहा कि एक संत का अपमान करने वाला समाज का सेवक कभी नही हो सकता है। उसे नालायक या इससे भी ज्यादा जो कुछ हो सके वो भी कम है, कहा जायेगा।
आगे उन्होंने कहा कि एक समय था जब लालू जी बाबा रामदेव के अति निकट हुआ करते थे, यह निकटता सिद्धांतों की न होकर मात्र घटियां जातिवादी निकटता थी जिसके द्वारा लालू बिहार से बाहर निकलकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में (विशेषतः अहिर/यादव) का एक मात्र नेता बनने की चाहत थी। परंतु खुद के ही घर में नालायक सिद्ध होने पर लालू जी की मतिभ्रष्ट हो गयी है। लालू जी को पता होना चाहिये की भगवान श्रीकृष्ण के वंशज हमेंशा दुष्टों और विधर्मियों का सर्वनाश करने में सबसे आगे होते हैं न कि इनकी तरह अपने वंश को धर्म-द्रोही, राष्ट्रद्रोही की तरह व्यवहार करते हुये पाये जाते हैं।
लालू की हमेशा आंतरिक इच्छा कंस, जरासंध व शिशुपाल की तरह राक्षसों (विधर्मियों/शर्मनिरपेक्षवादी) को इकट्ठा करना व संत महात्माओं/यदुवंशियों को धोखा देने की रही है। यही कारण है कि बिहार में अपने शासन काल में लालू ने जमकर गोपालकों को गोभक्षक (विधर्मियों के साथ ) बनाने की भरसक कोशिश की लेकिन जैसे ही गोपालकों के मात्र नाक को पानी छूने लगा उन्होंने तुरंत भगवान श्रीकृष्ण की तरह जरासंध, शिशुपाल व कंस रूपी विधर्मी व आततायी लालू का ध्वंस कर दिया। आज भारत के राजनीतिक मानचित्र पर लालू नामक राक्षस का पाटलिपुत्र व राष्ट्र से नामों-निशान मिटाकर यदुवंशियांे ने खुद आगे बढ़कर राक्षसों के समूह को स्पष्टतः यह बता दिया है कि आने वाले महाभारत (लोकसभा चुनाव) के अंदर जो संभवतः 2014 या पहले होगा, कि यदुवंशी संपूर्ण राष्ट्र से लालू जैसे राक्षसों व उसकी विधर्मी सेनाओं का संपूर्णतः संहार कर देंगे। जिससे आगे आने वाले समय में परम पवित्र पूजनीय हिंदू संत-महात्माओं का मनसा,वाचा, कर्मणा से अपमान करने का कदापि दुःसाहस न कर सके।
आगे उन्होंने कहा कि एक समय था जब लालू जी बाबा रामदेव के अति निकट हुआ करते थे, यह निकटता सिद्धांतों की न होकर मात्र घटियां जातिवादी निकटता थी जिसके द्वारा लालू बिहार से बाहर निकलकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में (विशेषतः अहिर/यादव) का एक मात्र नेता बनने की चाहत थी। परंतु खुद के ही घर में नालायक सिद्ध होने पर लालू जी की मतिभ्रष्ट हो गयी है। लालू जी को पता होना चाहिये की भगवान श्रीकृष्ण के वंशज हमेंशा दुष्टों और विधर्मियों का सर्वनाश करने में सबसे आगे होते हैं न कि इनकी तरह अपने वंश को धर्म-द्रोही, राष्ट्रद्रोही की तरह व्यवहार करते हुये पाये जाते हैं।
लालू की हमेशा आंतरिक इच्छा कंस, जरासंध व शिशुपाल की तरह राक्षसों (विधर्मियों/शर्मनिरपेक्षवादी) को इकट्ठा करना व संत महात्माओं/यदुवंशियों को धोखा देने की रही है। यही कारण है कि बिहार में अपने शासन काल में लालू ने जमकर गोपालकों को गोभक्षक (विधर्मियों के साथ ) बनाने की भरसक कोशिश की लेकिन जैसे ही गोपालकों के मात्र नाक को पानी छूने लगा उन्होंने तुरंत भगवान श्रीकृष्ण की तरह जरासंध, शिशुपाल व कंस रूपी विधर्मी व आततायी लालू का ध्वंस कर दिया। आज भारत के राजनीतिक मानचित्र पर लालू नामक राक्षस का पाटलिपुत्र व राष्ट्र से नामों-निशान मिटाकर यदुवंशियांे ने खुद आगे बढ़कर राक्षसों के समूह को स्पष्टतः यह बता दिया है कि आने वाले महाभारत (लोकसभा चुनाव) के अंदर जो संभवतः 2014 या पहले होगा, कि यदुवंशी संपूर्ण राष्ट्र से लालू जैसे राक्षसों व उसकी विधर्मी सेनाओं का संपूर्णतः संहार कर देंगे। जिससे आगे आने वाले समय में परम पवित्र पूजनीय हिंदू संत-महात्माओं का मनसा,वाचा, कर्मणा से अपमान करने का कदापि दुःसाहस न कर सके।
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