Friday, March 18, 2011

salma said -बेटी की इच्छा हो या न हो अब्बू जैसा प्यार इस्लाम से सीखें

            Represent: Dr. Santosh Rai

शाहजहाँ प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाय ,८००० ओरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा। मुमताज के बाद शाहजहाँ ने अगर किसी को टूट कर चाहा तो वो थी उसकी बेटी जहाँआरा। जहाँआरा को शाहजहाँ इतना प्यार करता था कि उसने उसका निकाह तक होने न दिया। धिक्कार है ऐसे इतहास्कारों पर जिन्होंने जहानारा को शाहजहाँ की रखेल बताया। बेटी और रखैल ,तोबा तोबा किसने कह दिया?वो तो अब्बू का प्यार था। बाप के इस प्यार को देखकर जब महल में चर्चा शुरू हुई, तो मुल्ला मोलवियों ने एक हदीस का उद्धरण देते हुए कहा कि माली को अपने द्वारा लगाये पेड़ का फल खाने का हक़ है।
शाहजहाँ की बात छोड़िये ,पैगम्बर तो आम इंसान नहीं थे। बेटे की पत्नी भी पुत्री के सामान होती है।पैगम्बर ने भी अपने मूह बोले बेटे जैद की पत्नी जैनब को इतना प्यार किया कि उससे निकाह ही कर लिया।
अब इसी बाप बेटी के प्यार का खुमार मुस पर न चढ़े ,एसा कैसे हो सकता है? मुजफ्फर नगर (उत्तर प्रदेश) में इमराना का बलात्कार जब उसके ससुर ने कर दिया तो इमराना के पति ने जैद का रोल अदा किया, और इमराना का निकाह अपने बाप से करा दिया।
बिलकुल यही कांड मेरठ में हुआ। शोकत नाम के एक व्यक्ति ने अपनी तीन बेटियों से नाजायज सम्बन्ध बनाये। लेकिन तीसरी बेटी ने जब उसकी करतूत को पुलिस थाणे में जाकर बताया तब जाकर ये बात खुली। और भी ऐसे हजारों उदहारण है जहाँ इस्लाम के अनुसार अब्बू का प्यार बेटियों पर बरसता रहता है।
तो आदरणीय बहन सलमा जी अब्बू के ऐसे प्यार से बचना चाहो तो सनातन धरम स्वीकार कर लीजिये। वहीँ पर चाहे भतीजी हो,भांजी हो,बुआ की बेटी हो ,मोसी की बेटी हो ,मामा की बेटी हो, चाचा की बेटी हो सभी को धर्मपुत्री व धर्म बहन मन जाता है। सनातन धर्म के ही लोग पागल है कि एक राखी जो २ रूपये kee आती है,उसके हाथ पर बंध जाने के बाद एक गैर लड़की को भी बहन बना लेते है,और उसकी रक्षा का वचन पूरी जिन्दगी भर निभाते हैं।
लमानों
 
Source:http://robeendar.blogspot.com

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