Saturday, March 12, 2011

डीएनए जांच से बेदाग साबित करें अपनें आपको राहुल-डॉ. संतोष राय

डीएनए जांच से बेदाग साबित करें अपनें आपको राहुल-डॉ.  संतोष राय
अखिल भारत हिन्दू महासभा के रिसेप्शन कमेटी के अध्यक्ष डॉ.  संतोष राय ने कहा कि राहुल गाँधी अपने उपर लगे दाग को डीएनए जांच करवाकर बेदाग साबित करें। ऐसा उनके द्वारा करने से उनके प्रति लोगों का विश्वास बढ़ेगा।

क्योंकि उनके उपर यह आरोप कि वे यानी राहुल गांधी और उनके छह दोस्तों ने 3 दिसंबर 2006 की रात अमेठी के एक गेस्ट हाउस में 24 वर्षीय सुकन्या देवी के साथ बारी-बारी से बलात्कार किया या नहीं, इसकी सच्चाई तब सामने आयेगी जब पीड़ित कन्या सुकन्या या फिर उसके परिवार के लोग सामने आयें. यह सच्चाई भी तब तक पता नहीं चल पायेगी कि क्या सचमुच राहुल गांधी और सोनिया गांधी के इशारे पर सुकन्या सहित उसके माता पिता को गायब कर दिया गया है, जब तक कि खुद बलराम सिंह आकर लोगों को इसकी जानकारी न दें. लेकिन इस बीच एक नोटिस ने राज के ऐसे बहुत सारी पर्तों को उघाड़ देती है जो राहुल गांधी बलात्कार कांड को संदेह के घेरे में ला खड़ा करता है. इसलिये समय की मांग है कि राहुल गांधी स्वयं सामने आकर देश के लोगों के भ्रम को दूर करें, यह पूरी तरह से ठीक होगा।

डॉ. संतोष राय ने आगे कहा कि इस संबंध में 1 मार्च 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी को एक नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा था कि वे इस संबंध में अदालत को अपने पक्ष से अवगत कराएं. राहुल गांधी को अदालत ने दो सप्ताह का वक्त दिया था. लेकिन एक सप्ताह के भीतर ही अदालत में एक डबल बेंच बैठी और उसने न केवल उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राहुल गांधी द्वारा सुकन्या तथा उसके परिजनों को बंधक बनाकर रख लेने का संदेह जताया गया था बल्कि याचिकाकर्ता किशोर समरीते पर पचास लाख का जुर्माना भी लगा दिया.

डॉ.  राय ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में सपा के टिकट पर विधायक रहे किशोर समरीते अदालत के इस फैसले के खिलाफ वे सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे. उन्हें शक है कि मध्य प्रदेश मूल के एक कद्दावर कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह के इशारे पर नोटिस को पलट दिया गया है क्योंकि जिस डबल बेंच ने उनके ऊपर पचास लाख का फाइन लगाया है उसमें एक जज उमानाथ सिंह है. उमानाथ सिंह की नियुक्ति बतौर न्यायाधीस मध्य प्रदेश में ही हुई थी और उस वक्त हुई थी जब दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. शक की वजह भी है. अगर न्यायाधीश ने राहुल गांधी को जवाब देने के लिए दो हफ्ते का समय दिया था डबल बैंच बैठाकर इतनी आनन-फानन में फैसला क्यों किया गया? याचिकाकर्ता किशोर समरीते बताते हैं कि जिसे सुकन्या देवी बताकर पुलिस ने अदालत के सामने पेश किया है उसका नाम मोना है, जबकि सावित्री देवी की जगह कीर्ति सिंह और बलराम सिंह की जगह डॉ बलराम सिंह को पेश किया गया है. किशोर कहते हैं कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं और उन्हीं सबूतों के आधार पर वे सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. डाॅ0 संतोष राय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में ये सब मामले जाने से राहुल के सम्मान को और आंच आयेगी इसलिये राहुल को अपना डीएनए जांच में बिल्कुल देरी नही करनी चाहिये।
डाॅ0 रायने आगे बताया कि राज्य के पुलिस महानिदेशक करमवीर सिंह ने मामले की सुनवाई के दौरान बलराम सिंह, उनकी पत्नी सावित्री और पुत्री सुकन्या को अदालत में पेश किया। तीनों ने कहा कि न तो उनका अपहरण हुआ और न उन पर कोई जुल्म किया गया। मगर डाॅ0 राय ने कहा कि  किशोर समरीते जो सवाल उठा रहे हैं उसे बिल्कुल नजरअंदाज नही किया जा सकता क्योंकि समरीते का कहना है कि जिन लोगों को सुकन्या देवी, बलराम सिंह और सावित्री देवी बनाकर पुलिस ने अदालत के सामने पेश किया है वे वह हैं ही नहीं. अदालत के सामने झूठे लोगों को पेश किया गया है. समरीते बताते हैं कि जिसे सुकन्या देवी बताकर पुलिस ने अदालत के सामने पेश किया है उसका नाम मोना है, जबकि सावित्री देवी की जगह कीर्ति सिंह और बलराम सिंह की जगह डॉ बलराम सिंह को पेश किया गया है. किशोर कहते हैं कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं और उन्हीं सबूतों के आधार पर वे सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.
इसमें कोई दो राय नहीं कि पूरा प्रशासनिक अमला, मीडिया और राहुल गांधी और उनके दोस्तों को उस बलात्कार कांड से बचाने की कोशिश कर रही है जो 3 दिसंबर 2006 की रात अमेठी के एक गेस्ट हाउस में किया गया था.


क्या घटना घटित हुयी थी?

3 दिसंबर 2006 की रात नौ बजे अमेठी के गेस्ट हाउस में राहुल गांधी अपने छह विदेशी मित्रों के साथ रुके थे. कांग्रेस के प्रमुख कार्यकर्ता और सोनिया गांधी के भक्त बलराम सिंह उसी गेस्ट हाउस की देखभाल करते थे. ऐसा समझा जाता है कि राहुल गांधी के करीब पहुंचने के लिए बलराम सिंह ने अपनी 24 वर्षीय सुकन्या देवी को किसी बहाने से उनके पास भेजा. वहां सुकन्या देवी को पहले राहुल गांधी और उनके दोस्तों ने शराब पिलाई और बारी बारी से बलात्कार किया. बताते हैं कि सुकन्या देवी चीखती चिल्लाती रही लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी. बलराम सिंह को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी बेटी के साथ गैंगरेप हो जाएगा. घटना के बाद बलराम सिंह ने स्थानीय पुलिस मुख्यालय में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन बलराम सिंह की शिकायत दर्ज नहीं की गयी, उल्टे उन्हें मुंह बंद रखने का सख्त निर्देश भी दिया गया.
उस रात पूरी अमेठी में कांग्रेस के गुंडों ने लोगों को मुंह खोलने पर सबक सिखाने की धमकियां दी और जब इस बारे में सुकन्या की मां सुमित्रा देवी ने प्रेस से बात करने की कोशिश की तो उसे और सुकन्या को जान से मारने की धमकी भी दी गयी. इसके बाद भी सुकन्या और उसकी मां चुप नहीं बैठे और बताया जाता है कि 27 दिसंबर 2006 को बलराम सिंह सहित पूरे परिवार ने सोनिया गांधी से मिलने की कोशिश की. सोनिया गांधी ने मिलने से इंकार कर दिया. इसके बाद भी वह परिवार चुप नहीं बैठा और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की. शिकायत हुए तीन साल से ज्यादा बीत गये लेकिन आज तक इस मामले में राहुल गांधी या सोनियो गांधी को कोई नोटिस जारी नहीं हुआ है.
इस बीच अफवाहों का दौर जारी रहा. लेकिन मामला उस वक्त एक बार फिर सामने आ गया जब सुकन्या सहित उसके पूरे परिवार के गायब होने की खबर सामने आ गयी. लेकिन विडंबना देखिए कि मीडिया ने नोटिस को खबर नहीं बनाया लेकिन जब नोटिस को खारिज करके याची पर जुर्माना लगाया गया तो समूची मीडिया ने उसे खबर बना दिया और यह साबित करने की कोशिश में जुट गया मानों राहुल गांधी पर कोई सिरफिरा आरोप लगा रहा है. कांग्रेस के लिए यह जीवन मरण का प्रश्न है इसलिए सच्चाई बताने या लिखनेवाले को कभी भी कहीं भी मौत की नींद सुलाया जा सकता है. शायद यही डर है कि मीडिया घराने इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे राहुल को पाक साफ घोषित कर रहे हैं लेकिन कोई किशोर समरीते को नहीं सुन रहा है जो चीख चीख कर कह रहे हैं कि उनकी जान को भी खतरा पैदा हो गया है क्योंकि उन्होंने सच्चाई को सामने लाने की कोशिश की है. सुकन्या और उसका पूरा परिवार कहां है यह आज भी रहस्य बना हुआ है.
                                        

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