Monday, April 30, 2012

कांग्रेस सभी मोर्चों पर पराजित


अखिल भारत  हिन्‍दू महासभा

49वां अधिवेशन पा‍टलिपुत्र-भाग:15
 
(दिनांक 24 अप्रैल,1965)

अध्‍यक्ष बैरिस्‍टर श्री नित्‍यनारायण बनर्जी  का अध्‍यक्षीय भाषण 

प्रस्‍तुति: बाबा पं0 नंद किशोर मिश्र 


कांग्रेस धर्म-निरपेक्षवाद  के नाम पर प्राचीन  हिंदू आदर्शों को ही नष्‍ट-भ्रष्‍ट करने पर तुली हुई है और इसके फलस्‍वरूप ऐसे वातावरण  की सृष्टि हुई है कि आज प्रत्‍येक व्‍यक्ति येन-केन प्रकारेण आर्थिक लाभ की प्राप्ति को ही जीवन का उद्देश्‍य मान लेने की दिशा में प्रवृत्‍त हो रहा है। वस्‍तुत: कांग्रेस अपने शासन के 17 वर्षों में सभी मोर्चों पर पराजित हुई है। वर्तमान शासन के हांथों से पाकिस्‍तान कश्‍मीर का एक तृतीयांश तथा असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और कच्‍छ के बहुत से क्षेत्र को छीनकर दबा लेने में सफल रहा है। चीन के विरूद्ध युद्ध में शासन लद्दाख और नेफा के सामाजिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण उन अंचलों को पुन: प्राप्‍त कर पाने में असफल रहा  है जिन्‍हें चीनी अजगर  ने निगल लिया है।
यह शासन कश्‍मीर  के प्रश्‍न को अपने बुद्धि‍हीनता  के फलस्‍वरूप उलझा कर एक पहेली तो बना ही बैठा है साथ ही कांग्रेस पाकिस्‍तान के उन हिंदू अल्‍पसंख्‍यकों को दिया गया वह वचन पूर्ण करने में भी असफल रही है जो उसने भारत विभाजन के अवसर पर उन्‍हें दिया था। यह सरकार उन लगभग एक करोड़ हिंदुओं का  पुर्नवास करने में भी असफल रही है जिन्‍हें अपने घरों और प्रिय जन्‍मभूमि का परित्‍याग कर केवल हिंदू होने के दण्‍ड स्‍वरूप पाकिस्‍तान से पलायन करना पड़ा है। वर्तमान शासक सम्‍भवत: इसीलिये कानून बनाते हैं  कि उनमें एक वर्ष में अनेक बार संशोधन किये जाय किंतु इतने पर भी उन्‍हें क्रियान्वित न किया जाये।
यह शासन न तो जनसाधारण के लिये रोजगार ही उपलब्‍ध करा पाया है और न ही वस्‍तुओं की मूल्‍य-वृद्धि को रोक पाने में सफल हुआ है, न मुद्रास्फिति ही इसके द्वारा रोकी जा सकी है और न ही भ्रष्‍टाचार पर अंकुश  लगाने में यह सफल सिद्ध हुआ है। अपव्‍यय, ठाट-बाट और शान-शौकत में वर्तमान सरकार और सत्‍तारूढ़ दल ने मुगल सम्राटों को भी पछाड़ दिया है।  इन्‍होंने दुर्गापुर में हुये तीन दिन के तमाशे पर ही जो कांग्रेस के 69 वें अधिवेशन के नाम पर हुआ था, जनता का एक करोड़ रूपये से भी अधिक स्‍वाहा कर दिया। इन्‍होंने नागदेश और केरल में नवीन समस्‍याओं को जन्‍म दिया है, तो इन्‍होंने नेपाल, भूटान तथा सिक्किम सरीखे निकटतम पड़ोसी देशों के संबंध में भी दोषपूर्ण नीति का ही पल्‍ला पकड़ा है। हमारी सरकार की नीतियों का ही यह परिणाम हो रहा है कि  उनमें निराशा घर करती जा रही है। इसी सरकार ने तिब्‍बत को भेडि़यों को सौंप दिया  है।
 हमारी शानदार(?) विदेशी नीति का ही यह चमत्‍कार है कि विश्‍व में आज हम मित्र-वि‍हीन बन कर खड़े रह गये हैं। आज जो देश हमारी सहायता करते हैं वे भी किसी मैत्री भावना से नहीं अपितु स्‍वार्थ भावना से ही ऐसा कर रहे हैं। वर्तमान सरकार ने ही भारतीय मुद्रा का मूल्‍य अंर्तराष्‍ट्रीय बाजार  में गिराया है। हमारी सरकार विदेशों को चीनी का निर्यात 50 पैसा प्रति किलो की दर से करती है और उस राशि से गेहूं और चावल खरीद रही है जबकि भारतीयों को वही चीनी 1.50 रूपये प्रति किलो की दर से खरीदने पर बाध्‍य होना पड़ रहा है और इस पर भी शासक कृषकों को इस बात के लिये प्रोत्‍साहित करते रहते हैं कि वे अपने अनाज के खेतों में ईख और जूट प्रोत्‍साहित करते रहते हैं कि वे अपने अनाज के खेतों में ईख और जूट उगाना आरंभ कर दें। विगत 17 वर्ष के कुशासन में कांग्रेस सरकार यह भी नहीं कर सकी कि चीन, पाकिस्‍तान अथवा ब्रह्म देश के साथ अपनी सीमाओं का निर्धारण कर लें तथा सीमांत क्षेत्रों में निवास करने वाले भारतीय नागरिकों को विदेशियों के जबड़ों में जाने से बचाए।
आज भी कृषि, उद्योग अथवा शिक्षा के लिये कोई समुचित योजना निर्धारित नहीं की जा सकी है। कांग्रेस यद्यपि  समाजवाद की स्‍थापना की प्रतिज्ञा  दोहराती रहती है, किंतु देश के औद्योगिक विकास के नाम पर विदेशी पूंजीपतियों को पूंजी लगाने के लिये आमंत्रित भी करती  है और साथ ही जिन पूंजीपतियों के बल पर यह निर्वाचन संग्राम में विजयी होती है, उन्‍हीं के बल पर टिकी हुई भी है। सरकार ने जो उद्योग आरंभ किये हैं उनमें विपुल पूंजी लगाये जाने पर  भी भारी घाटा हो रहा है। सरकार ने 61 प्रतिष्‍ठानों में 1780 करोड़ रूपये की पूंजी लगाई है, उनमें से केवल 46 ही ऐसे हैं जिनमें कुछ मुनाफा  हो पाया है। हिन्‍दुस्‍थान स्‍टील कॉरपोरेशन-जिसमें संपूर्ण पूंजी की 45 प्रतिशत राशि (804 करोड़ रूपये) लगे हैं वही भी प्रारंभ से ही भारी घाटे में चल रहा है।
दोषपूर्ण योजना, निरर्थक व्‍यय, भ्रष्‍टाचार तथा भाई-भतीजावाद  ही आज सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं के प्रमुख वरदान बन कर रह गये हैं। भ्रष्‍टाचार और शोषण द्वारा कांग्रेसी मंत्री तथा नेता प्रचुर धन और संपदा दोनों हाथों से बटोरते हैं और जब पकड़े जाते हैं तो केवल अपने पद से त्‍यागपत्र देकर पल्‍ला झाड़ कर साफ बच जाते हैं।  विगत 17 वर्ष के शासन काल में कांग्रेस देश को भौतिक, नैतिक अथवा सैनिक, किसी भी दृष्टि से सुदृढ़ बना पाने में सफल नहीं हो पाई। असफलताओं और दुर्बलताओं की एक लंबी सूची है। किंतु इस दुर्बल और वास्‍तविकता से मुख मोड़ कर चलने वाली सरकार का स्थान कौन लेगा। इस प्रकार का प्रश्‍न निराश जनता करती हुई सुनाई पड़ती है। लोग इसलिये कांग्रेस के पक्ष में मतदान करते  हैं, क्‍योंकि उन्‍हें क्षेत्र में दूसरा कोई अच्‍छा विकल्‍प उपलब्‍ध  ही नही हो पाता।

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