सत्यवादी प्रस्तुति: डॉ0 संतोष राय
जो लोग अन्धविश्वासी ,
लालची और बिना
परिश्रम के लाभ प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं , वह किसी न किसी ऐसे ढोंगी पाखंडी के जाल में जरुर फंस जाते है .जो उनकी
कमजोरियों का फायदा उठाकर अपना उल्लू सीधा करता है..अक्सर ढोंगी लोग साधारण लोगों
को या तो किसी बात का डर दिखाते हैं , या किसी चीज का लालच दिखाकर अपना अनुयायी बना लेते .मुहम्मद साहब ने यही डराने
और लालच देने की नीति अपनाकर अरब के मुर्ख बद्दुओं को मुसलमान बना दिया था . फिर
उनके द्वारा जिहाद और लूटमार करके अरब में इस्लामी राज्य स्थापित कर दिया था .आज यह
बात साबित हो चुकी है कि जैसे दुनिया भर को डराने वाला ओसामा बिन लादेन खुद सबसे
बड़ा डरपोक था , वैसे ही मुहम्मद साहब भी अन्धविश्वासी और
सबसे बड़े डरपोक व्यक्ति थे .इसका प्रमाण कुरान और बुखारी कि हदीस से मिलता हैइसका
एक उदहारण यहाँ पर दिया जा रहा है . .
1-डराने वाला रसूल
जैसे आजकल कुछ लोगों ने यह अफवाह फैला रखी है कि 22 दिसंबर 2012 को दुनिया समाप्त हो जाएगी . उसी तरह मुहम्मद भी लोगों को कयामत के जल्द ही
आने का डर दिखाते रहते थे . और कहते थे मुझे अल्लाह ने लोगों को डराने के लिए ही
भेजा है , कुरान में लिखा है ,
"यह रसूल तो सभी डराने वालों में सबसे आगे
डराने वाले हैं "सूरा -अन नज्म 53 :56
हे नबी हमने तो तुम्हें सभी मनुष्यों
के लिए सूचना देने वाला और उनको डराने वाला बना कर भेजा है . लेकिन अधिकाश लोग
इसकी असलियत नहीं जानते हैं "
सूरा -अस सबा 34 :28
2-डरपोक रसूल
सब जानते हैं कि अरब में बहुत कम बरसात होती है . और अगर कभी थोड़ी बहुत बरसात
भी होती है , तो उसके पहले धूल भरी आंधी और तूफान जरुर
आते है , अपने अंधविश्वास के कारण मुहम्मद ऐसी
किसी भी घटना को क़यामत के आसार समझ लेते थे . और भागादौड़ी करने लगते थे . और पडौसियों
को भी बुला लेते थे . यह हदीस देखिये ,
मक्की बिन इब्राहीम बिन जरीज अता ने रवायत की है , कि आयशा ने कहा है मैं रसूल की इस आदत को
अच्छी तरह से जानती हूँ ,
कि जब भी कभी कोई
बादल की घटा आसमान से उतर कर मैदान की ओर आने लगती थी ,तो डर के मारे रसूल का चेहरा पीला पड़
जाता था .और वह बेचैन होकर घर से अन्दर बहार दौड़ते फिरते रहते थे . और बरसात हो
जाने पर ही उनको तसल्ल्ली मिलती थी . आयशा ने कहा लेकिन मुझे कोई डर नहीं लगता था
. ऐसी ही एक घटना है ,
जब आसमान पर घटा
छा गयी , डर के मारे रसूल लोगों को इकठ्ठा करने
कहने लगे कि यह वही क़यामत की घटा है , जिसकी तुम लोग जल्दी मचाते हो . फिर रसूल ने यह आयत सुनाई जिस से लोग डर जाएँ
.
حَدَّثَنَا مَكِّىُّ
بْنُ إِبْرَاهِيمَ حَدَّثَنَا ابْنُ جُرَيْجٍ عَنْ عَطَاءٍ عَنْ عَائِشَةَ – رضى
الله عنها - قَالَتْ كَانَ النَّبِىُّ صلى الله عليه وسلم إِذَا رَأَى مَخِيلَةً
فِى السَّمَاءِ أَقْبَلَ وَأَدْبَرَ وَدَخَلَ وَخَرَجَ وَتَغَيَّرَ وَجْهُهُ ،
فَإِذَا أَمْطَرَتِ السَّمَاءُ سُرِّىَ عَنْهُ ، فَعَرَّفَتْهُ عَائِشَةُ ذَلِكَ ،
فَقَالَ النَّبِىُّ صلى الله عليه وسلم « مَا أَدْرِى لَعَلَّهُ كَمَا قَالَ
قَوْمٌ ( فَلَمَّا رَأَوْهُ عَارِضاً مُسْتَقْبِلَ أَوْدِيَتِهِمْ ) » . الآيَةَ .
طرفه 4829 تحفة 17386 – 133/4
“Sahih” Al-Bukhari Volume 4. Hadith #428
Bukhari Hadith (Arabic) Serial No. 3206-
बुखारी की यह हदीस साबित करती है कि आयशा मुहम्मद से कहीं अधिक हिम्मतवाली थी , जबकि मुहम्मद साहब डरपोक ,वहमी और अन्धविश्वासी थे .
3-डर के मारे आयत बना दी
जैसे ही बादल छाये और आंधी चलने लगी तो मुहम्मद साहब ने पडौसियों से कहा कि
अल्लाह ने मुझे इस क़यामत के आने की सूचना पहले ही दे दी थी , कुरान के लिखा हैं
सही ज्ञान तो अल्लाह के पास है , मैं तो तुम्हें इसकी ( आंधी ) की खबर दे रहा हूँ , लेकिन तुम लोग नहीं समझ रहे हो "
सूरा - अल अहकाफ 46
:23
"قَالَ إِنَّمَا الْعِلْمُ عِنْدَ اللَّهِ وَأُبَلِّغُكُمْ مَا
أُرْسِلْتُ بِهِ وَلَٰكِنِّي أَرَاكُمْ قَوْمًا تَجْهَلُونَ "Quran-Sura.al ahkaf 46:23
मुहम्मद साहब ने उस समय लोगों को कयामत का डर दिखने के लिए जो आयत सुनाई थी , वह इस प्रकार है,
और जब हम लोगों ने घटा के रूप में किसी चीज को अपने मैदानों के ऊपर आते हुए
देखा तो ऐसा लगा कि यह छायी हुयी घटा हमारे ऊपर वर्षा करेगी , लेकिन नहीं , वह तो कोई ऐसी चीज थी , जिसके बारे में लोगों ने जल्दी मचा रखी
है . वास्तव में वह एक आंधी थी ,
जो एक दुखदायी
कष्ट ले कर आई थी " सूरा-अल अहकाफ़ 46 :24
فَلَمَّا
رَأَوْهُ عَارِضًا مُسْتَقْبِلَ أَوْدِيَتِهِمْ قَالُوا هَٰذَا عَارِضٌ
مُمْطِرُنَا بَلْ هُوَ مَا اسْتَعْجَلْتُمْ بِهِ رِيحٌ فِيهَا عَذَابٌ أَلِيمٌ
"Quran-Sura.al ahkaf 46:24
4-मुहम्मद ने धमकाया
जैसा कि देखा गया है कि क़यामत की ऐसी भविष्य वाणियाँ हमेशा झूठ निकलती हैं , उसी तरह उस दिन भी तूफान के बाद सब कुछ
ठीक हो गया था .और मुहम्मद साहब की पोल खुल गयी लेकिन अपने आप को रसूल साबित करने
के लिए मुहम्मद साहब ने लोगों को डराना और धमकाना शुरू कर दिया .और यह आयतें सुना
डालीं ,
" जिन लोगों ने रसूल की बात नहीं मानी ,वह एक दिन पछता कर ऎसी इच्छा करेंगे , कि काश उनके साथ ही यह जमीन बराबर कर दी
जाये "
सूरा -अन निसा 4
:42
"जो लोग अल्लाह के इस रसूल की बात नहीं
मानेंगे , उनके लिए जहन्नम में दहकती हुई आग तैयार
कर राखी गयी है "सूरा -अल फतह 48 :13
5-आखिर में लालच दिया
इस्लाम का असली आधार डर और लालच पर ही टिका हुआ है , जब तूफान सकुशल निकल गया और लोगों का डर
निकल गया , तो मुहमद साहब ने लोगों पर लालच का
हथियार अपनाया . क्योंकि उनको पता था कि अरब के लोग लोभी और लालची हैं . और लालच
देने से वह उनकी हरेक झूठ को सही मान लेंगे . इसलिए मुहमद साहब ने यह आयत सुना
डाली ,
" अगर तुम रसूल के कहने पर चलोगे तो .
अल्लाह तुम्हारी इच्छाएं पूरी करने में कोई कमी नहीं रखेगा " सूरा -अल
हुजुरात 49 :14
इस लेख का उद्देश्य लोगों को यही समझाना है कि , वह कैसी ऐरे गैरे स्वयंभू भगवान , अवतार , या रसूल के डराने या लालच दिलाने पर
देखादेखी उसके अनुयायी नहीं बन जाएँ .और मुसलमान तो कदापि नहीं बनें . क्योंकि
जैसे निर्मल बाबा का भंडा फूट गया है , एक दिन मुहमद साहब का भंडा भी जरुर फूट जायेगा .गुरु गोविन्द सिंह ने कहा है
,"न काहू को देत भय ,न भय मानत आप "
http://www.websrilanka.com/chapter-13-%E2%80%93-bloopers-6-prophet-s-childish-and-superstitious/
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