अखिल भारत
हिन्दू महासभा
49वां अधिवेशन पाटलिपुत्र-भाग:9
(दिनांक 24 अप्रैल,1965)
अध्यक्ष बैरिस्टर श्री नित्यनारायण
बनर्जी का अध्यक्षीय भाषण
प्रस्तुति: बाबा पं0 नंद किशोर मिश्र
संघर्ष अनिवार्य है
अंततोगत्वा पूंजीवाद, साम्यवाद और राष्ट्रवाद इन तीनों
वादों एक न एक दिन संघर्ष होना सुनिश्चित है। यदि भारत पर चीन और पाकिस्तान का
आक्रमण हो गया तो यह संघर्ष और अधिक शीघ्र हो जायेगा। इन दोनों देशों ने भारत के
विरूद्ध गठबंधन कर लिया है। और वे संयुक्त अथवा अलग-अलग भारत पर आक्रमण करने की
योजना में संलग्न है। चीन और पाकिस्तान
भारतीय सीमाओं पर सैनिक जमाव करने में दत्तचित्त हैं।
जनरल अयूब ने वस्तुत: असम, प0 बंगाल,
गुजरात और कश्मीर के सीमांत क्षेत्रों में आये दिन युद्धाभ्यास करते रहते हैं।
यदि चीन ने आक्रमण कर दिया तो अपने-अपने हितों को दृष्टिगत रखते हुये राष्ट्रवादी
और पूंजीवादी शक्तियों को संगठित होकर प्रतिरोध करना पड़ेगा।
हमें रूस और चीन तथा उनके पंथानुयायियों में
विद्यमान मतभेदों के भ्रमजाल में अपने आप को नही जकड़ना चाहिये। वियतनाम की स्थिति में रूस ने जिस नीति
का अवलंबन किया है उससे यह तथ्य सुपष्ट हो गया है कि यदि किसी पूंजीवादी देश के
साथ संघर्ष होगा तो सभी कम्युनिस्ट देश
एक हो जायेंगे। किंतु यदि प्रचुर मात्रा में प्राप्त होने वाली अमरीकी सहायता व
चीन के बल पर पाकिस्तान ने भारत के विरूद्ध कोई विपुल आक्रमण कर दिया तो यह भी
संभव है कि पूंजीवादी और साम्यवादी दोनों दूर खड़े तमाशा देखते रहें अथवा उसमें
परिस्थितियों के अनुसार योगदान भी करें।
हमें 1962 ई0 में नेफा के मुसलमानों ने जो रूख
अपनाया था उसे नही भुलाना चाहिये, जिस समय कि नास्तिक
देश चीन ने जो इस्लामी राज्य पाकिस्तान का घनिष्ठ मित्र है, वहां आक्रमण किया था।
मुझे यह सुदृढ़ विश्वास है कि कतिपय राष्ट्रवादी
तत्व जो अपने स्वार्थों के वशीभूत अन्य
दलों में भी हैं, उन्हें भी स्वतंत्रता की रक्षा के इस पावन संघर्ष में एक पताका के नीचे
संगठित होना पड़ेगा। यह भी संभव है कि मुसलमानों का प्रचण्ड बहुमत आक्रमण की
स्थिति में पाकिस्तान अथवा उसके मित्र देश द्वारा ''काफिरों'' पर विजय प्राप्ति के लिये इच्छा ही व्यक्त नहीं करेगा अपितु खुलकर
अपनी भूमिका निभाएगा।
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