Tuesday, May 24, 2011

केरल विधानसभा का खरा-खरा “साम्प्रदायिक” चित्र पेश है

सुरेश चिपलुनकर           प्रस्‍तुति-  डॉ0 संतोष राय

… Kerala Assembly Elections, Muslim League and Secularism

केरल विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, और कांग्रेस मोर्चे की सरकार मामूली बहुमत से बन चुकी है। जीते हुए उम्मीदवारों एवं मतों के बँटवारे के आँकड़े भी मिलने शुरु हो चुके हैंकुल मिलाकर एक भयावह स्थिति सामने आ रही है, जिस पर विचार करने के लिये ही कोई राजनैतिक पार्टी तैयार नहीं है तो इस समस्या पर कोई ठोस उपाय करने के बारे में सोचना तो बेकार ही है। आईये आँकड़े देखें

कांग्रेस मोर्चे ने 68 हिन्दुओं, 36 मुस्लिमों और 36 ईसाईयों को विधानसभा का टिकिट दिया था, जिसमें से 26 हिन्दू 29 मुस्लिम और 17 ईसाई उम्मीदवार चुनाव जीते। राहुल बाबा भले ही दिल्ली में बैठकर कुछ भी मुँह फ़ाड़ें, हकीकत यही है कि तमिलनाडु में कांग्रेस पूरी तरह साफ़ हो गई है, जबकि केरल में जिस कांग्रेससरकार के निर्माण के ढोल बजाये जा रहे हैं, असल में उम्मन चाण्डी की यह सरकार मुस्लिम लीग” (ज़ाहिर है कि सेकुलर”) और केरल कांग्रेस (ईसाई मणि गुट) (ये भी सेकुलर) नामक दो बैसाखियों पर टिकी है।

अब वर्तमान स्थिति क्या है यह भी देख लीजिये केरल विधानसभा के कुल 140 विधायकों में से 73 हिन्दू हैं (शायद?), 37 मुस्लिम हैं और 30 ईसाई हैं, यह तो हुई कुल स्थितिजबकि सत्ताधारी पार्टी (या मोर्चे) की स्थिति क्या है?

सामान्य तौर पर होता यह है कि किसी भी विधानसभा में विधायकों का प्रतिनिधित्व राज्य की जनसंख्या को प्रतिबिंबित करता है, सत्ताधारी मोर्चे यानी सरकार या मंत्रिमण्डल में राज्य की वास्तविक स्थिति दिखती हैलेकिन केरल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि सत्ताधारी मोर्चाकेरल की जनसंख्या का प्रतिनिधित्व नहीं करेगाकैसे? 140 सीटों के सदन में कांग्रेस मोर्चे को 72 सीटें मिली हैं, इन 72 में से 47 विधायक या तो ईसाई हैं या मुस्लिमयानी केरल मंत्रिमण्डल का 65% हिस्सा अल्पसंख्यकोंका हुआ, जबकि केरल में 25% जनसंख्या मुस्लिमों की है और 20% ईसाईयों की। इसका मोटा अर्थ यह हुआ कि 45% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिये 65% विधायक हैं, जबकि 55% हिन्दुओं का प्रतिनिधित्व करने के लिये सिर्फ़ 35% विधायक (जिसमें से पता नहीं कितने मंत्री बन पाएंगे)ऐसा कैसे जनता का प्रतिनिधित्व होगा?
आँकड़ों से साफ़ ज़ाहिर है कि विगत 10-15 वर्ष में मुस्लिमों और ईसाईयों का दबदबा केरल की राजनीति पर अत्यधिक बढ़ चुका है। इस बार भी सभी प्रमुख मंत्रालय या तो मुस्लिम लीग को मिलेंगे या केरल कांग्रेस (मणि) कोमुख्यमंत्री चांडी तो खैर ईसाई हैं ही। एक निजी अध्ययन के अनुसार पिछले एक दशक में मुस्लिम लीग और चर्च ने बड़ी मात्रा में जमीनें खरीदी हैं और बेचने वाले अधिकतर मध्यमवर्गीय हिन्दू परिवार थे, जो अपनी सम्पत्ति बेचकर कर्नाटक या तमिलनाडु शिफ़्टहो गये। एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि केरल के सर्वाधिक सघन मुस्लिम जिले मलप्पुरम की जन्मदर में पिछले और वर्तमान जनगणना के अनुसार 300% का भयानक उछाल आया है। केन्द्रीय मंत्री ई अहमद ने दबाव डालकर, मलप्पुरम में पासपोर्ट ऑफ़िस भी खुलवा दिया है। मदरसा बोर्ड के सर्टीफ़िकेट को CBSE के समकक्ष माने जाने की सिफ़ारिश भी की जा चुकी है, अलीगढ़ मुस्लिम विवि की एक शाखा भी मलाबार इलाके में आने ही वाली है, जबकि शरीयत आधारित इस्लामिक बैंकिंग को सुप्रीम कोर्ट द्वारा झटका दिये जाने के बावजूद उससे मिलती-जुलती अण्डरग्राउण्ड बैंकिंग व्यवस्थामुस्लिम बहुल इलाकों में पहले से चल ही रही हैं।
हालात ठीक वैसे ही करवट ले रहे हैं जैसे किसी समय कश्मीर में लिये थे। ज़ाहिर सी बात है कि जब सत्ताधारी गठजोड़, राज्य की जनसंख्या के प्रतिशत का वास्तविक प्रतिनिधित्व ही नहीं करता, तो अभी जो नीतियाँ दबे-छिपे तौर पर जेहादियों और एवेंजेलिस्टों के लिये बनती हैं, तब वही नीतियाँ खुल्लमखुल्ला बनेंगी। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के विधायकों और कार्यकर्ताओं में इसे लेकर बेचैनीनहीं है, लेकिन वह भी सत्ता का लालच, वोट बैंक की मजबूरी और केंद्रीय नेतृत्व के चाबुक की वजह से वही कर रहे हैं जो वे नहीं चाहते। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA), अब्दुल नासेर मदनी और PFI के आतंकी नेटवर्क की सघन जाँच कर रही है, इसकी एक रिपोर्ट के अनुसार त्रिवेन्द्रम हवाई अड्डे के समीप बेमापल्ली नामक इलाका सघन मुस्लिम बस्ती के रूप में आकार ले चुका है। विभिन्न सुरक्षा एवं प्रशासनिक एजेंसियों की रिपोर्ट है कि एयरपोर्ट के नज़दीक होने की वजह से यहाँ विदेशी शराब, ड्रग्स एवं चोरी का सामान खुलेआम बेचा जाता है, परन्तु विभिन्न मुस्लिम विधायकों और मंत्रियों द्वारा जिला कलेक्टर पर उस इलाके में नहीं घुसने का दबाव बनाया जाता है। वाम मोर्चे के पूर्व गृहमंत्री कोडियरी बालाकृष्णन ने एक प्रेस कान्फ़्रेंस में स्वीकार किया था कि PFI और NDF के कार्यकर्ता राज्य में 22 से अधिक राजनैतिक हत्याओं में शामिल हैं। यह स्थिति उस समय और विकट होने वाली है जब केन्द्र सरकार द्वारा खच्चर” (सॉरी सच्चर) कमेटी की सिफ़ारिशों के मुताबिक मुस्लिम बहुल इलाकों में मुसलमान पुलिसकर्मी ही नियुक्त किये जाएंगे।
2011 के चुनाव परिणामों के अनुसार, 55% हिन्दू जनसंख्या के होते हुए भी जिस प्रकार केरल का मुख्यमंत्री ईसाई है, सभी प्रमुख मंत्रालय या तो मुस्लिमों के कब्जे में हैं या ईसाईयों केतो आप खुद ही सोच सकते हैं कि 2015 और 2019 के चुनाव आते-आते क्या स्थिति होगी। जिस प्रकार कश्मीर में सिर्फ़ मुसलमान व्यक्ति ही मुख्यमंत्री बन सकता है, उसी प्रकार अगले 10-15 साल में केरल में यह स्थिति बन जायेगी कि कोई ईसाई या कोई मुस्लिम ही केरल का मुख्यमंत्री बन सकता है। जब यह स्थिति बन जायेगी तब हमारे आज के सेकुलरबहुत खुश होंगेये बात और है कि केरल में सेकुलरिज़्म को सबसे पहली लात मुस्लिम लीग और PFI ही मारेगी। क्योंकि यह एक स्थापित तथ्य है कि जिस शासन व्यवस्था अथवा क्षेत्र विशेष में मुस्लिमों का तिनिधित्व 40 से 50% से अधिक हो जाता है, वहाँ सेकुलरिज़्मनाम की चिड़िया नहीं पाई जातीजबकि इधर, “सेकुलरिज़्म और गाँधीवाद का डोज़”, हिन्दुओं की नसों में कुछ ऐसा भर दिया गया है कि हिन्दू बहुल राज्य (महाराष्ट्र, बिहार) का मुख्यमंत्री तो ईसाई या मुस्लिम हो सकता है…… देश की 80% से अधिक हिन्दू जनसंख्या पर इटली से आई हुई एक ईसाई महिला भी राज कर सकती है, लेकिन कश्मीर का मुख्यमंत्री कोई हिन्दू नहींजल्दी ही यह स्थिति केरल में भी दोहराई जायेगी
फ़िलहाल इन ताकतोंका पहला लक्ष्य केरल है। जातियों में बँटे हुए हिन्दुओं को रगड़ना, दबोचना आसान है, इसीलिये समय रहते चर्चपर दबदबा बनाने की गरज से ही ईसाई प्रोफ़ेसर के हाथ काटे (Professor hacked in Kerala by PFI) गये थे (और नतीजा भी PFI के मनमुताबिक ही मिला और चर्चपिछवाड़े में दुम दबाकर बैठ गया)। ज़ाहिर है कि केरल के लक्ष्यसे निपटने के बाद, अगला नम्बर असम और पश्चिम बंगाल का होगाजहाँ कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या 60% से ऊपर हो चुकी हैबाकी की कसर बांग्लादेशी भिखमंगे पूरी कर ही देंगे
सेकुलरिज़्म की जय होवामपंथ की जय हो… “एक परिवारके 60 साल के शासन की जय हो। यदि केरल के इन आँकड़ों, कश्मीरी पंडितों के बुरे हश्र और सेकुलरों तथा वामपथियों द्वारा उनके प्रति किये गये बदतर सलूकसे भी कुछ नहीं सीखा जा सकता, तब तो हिन्दुओं का भगवान ही मालिक है
Writer's Blog: http://www.blog.sureshchiplunkar.com/

1 comment:

आशुतोष की कलम said...

संतोष जी लेख लिखने से से ये गद्दार नहीं सुधरेंगे..
आ जहाँ है वहां से कुछ और अजेंडा बनाये. और आगे आयें..देशभक्तों से खाली नहीं है ये देश..
आशा है आशय समझ गए होंगे..