Wednesday, May 11, 2011

जेहादी मानसिकता वाले क्या विचार करेंगे ?

B.N. Sharma  Represent:Dr. Santosh Rai

मेरी पिछली पोस्ट के ऊपर टिप्पणियों की बौछार सी लग गयी .लेकिन विचारों का खुले रूप से आदान प्रदान होने से कुछ तथ्य भी सामने आये हैं .ऐसा लगता है कि सभी मुस्लिम ब्लोगरों की तरफ से हमारे मित्र जीशान जैदी ने जो कहा है उसमे सच्चाई है .हमें भी सत्य को स्वीकार करना चाहिए .आप सब ने सारे कमेन्ट पढ़ लिए होंगे .अब जो बातें सामने आयी हैं ,वे इस प्रकार हैं -

१- जैदी साहेब के अनुसार इस्लाम का जो वर्त्तमान स्वरूप है ,वह हज़रत इमाम ,और उनके वंशजों से विपरीत है ,इस्लाम में सुधार की जरूरत है .


२- फातिमा और इमाम हुसैन के सारे वंशज निर्दोष और मासूम थे.उनकी हया कराने वाले सभी लोग मुसलमान थे और अरब के निवासी थे .सभी या तो खलीफा थे या बादशाह थे .कुछ कट्टर मुसलमान इन हत्यारों को इस्लाम का नुमाइंदा मानते हैं .जो कि गलत है .


३-जिन लोगों ने फातिमा और ,जैनब या सकीना को सताया था उनकी नज़र में औरतों की कोई इज्ज़त नहीं थी ,जैसे कि आज भी नही है


४- जैदी साहेब ने फातिमा के वंशजों की जो आगे की लिस्ट दी है ,उस से पता चलता है कि ,जब तक फातिमा के वंशज अरब में रहे उनपर अत्याचार होते रहे .जबकि अरब इस्लामी देश यानी दारुल इस्लाम है.


लेकिन जैसे ही फातिमा के वंशज भारत में आये भारत वासिओं ने उनका सम्मान किया ,और उनको कोई कष्ट नहीं दिया .जबकी भारत दारुल हरब कहकर ,और हिन्दुओं को काफिर और मुशरिक कहकर अपमानित किया जाता है .यह जेहादी विचार वाले भूल जाते हैं कि इन्हीं हिंदुस्तानिओं ने फातिमा के वंशजों को सर आँखों पर बिठाया था .फिर भी इनका धर्म परिवर्तन करा कर अरबी मुसलमानों जैसा कट्टर बनाना चाहते हैं .सोचिये अगर भारत के सारे लोग मुसलमान बन गए होते तो फातिमा का वंश कैसे बचता ?


५-जो लोग हमें सदाचार और संयम की शिक्षा दे रहे हैं ,क्या उन्होंने असलम कासिमी,सलीम ,अनवर जमाल जैसे लोगों को यही शिक्षा दी है ?


६- आप सब लोगों ने देखा होगा कि जब लोगों के पास कोई दलील नहीं होती ,तो वह विषय से ध्यान हटाने के लिए किसी जोकर को प्रकट कर देते हैं .शायद लोगों को यह भ्रम है कि मैं कट्टर हिन्दू हूँ ,या हिन्दुओं का वकील हूँ .अगर इन भदंत महोदय को अपने धर्म के बारे में बात करने का शौक है तो मैं तैयार हूँ .यह जो भी हैं इनके लिए मैं अकेला काफी हूँ "एको चरती भिख्खु खडग बिषान कप्पो "

"आं न मन बाशम कि रोज़े जंग बीं तू पुश्ते मां,गरचे अस्पे खेश गर्के खूं बे लश्कर दुश्मनां"
नी मैं वह आदमी नहीं हूँ ,जो युद्ध में पीठ दिखाऊँ ,चाहे मेरा घोड़ा दुश्मनों के खूं में क्यों न डूब जाए "

मुहम्मद अब्बास रिज़वी जी आपका कहना ठीक है,

अगर वंश बेटी से चलता है तो फातिमा का वंश रसूल का नहीं बल्कि खदीजा का माना जाना जाएगा. यह बात तो खुद जीशान जैदी जी कह चुके हैं.
धीरज रखिये ,अगली पोस्ट का इन्तेजार करिए .

No comments: