Tuesday, May 3, 2011

मुहम्मद के ससुर -सहाबियों का आदर्श दुश्चरित्र और महान कुकर्म !

B.N. Sharma  Represent: Dr.Santosh Rai

इस्लाम अल्लाह का पसंदीदा और सर्वश्रेष्ठ धर्म है.इसलिए अल्लाह ने इस्लाम के शुरुआती दौर में ही इस्लाम में आसानी कर दी थी .इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ती अपने सारे जीवन में एक बार भी ,चलते फिरते मुहम्मद को देख लेता था तो वह "सहाबा"यानी मुहम्मद का companion बन जाता था.और जो किसी सहाबा को देख लेता था वह "ताबीइन"बन जाता था .इसी तरह जो व्यक्ति ताबीइन को देख लेता था वह ताबये ताबीइन बन कर महान और इज्जतदार बन जाता था .धीमे धीमे ऐसे लोगों की काफी बड़ी संख्या हो गयी थी .पाहिले यह लोग मुहम्मद की पत्नी आयेशा से मिलकर मुहम्मद के बारे में जानकारियाँ जमा करते थे ,जैसे मुहम्मद ने क्या कहा ,वह क्या खाते या क्या पहिनते हैं ,आदि चूंकि मुहम्मद के ससुर अबूबकर और उमर मुहम्मद के घर के पास रहते थे ,वे पाहिले सहाबी बन गए .इन सहबियों ने मुहम्मद के बारे में में या जो भी कथन था वह लोगों तक पहुंचा दिया .इन लोगों को 'रावी "या narraator भी कहा गया है .सारी हदीसें इन लोगों के द्वारा ही कही गयी हैं .

बाद में यही लोग जिहाद के नामपर जगह जगह से माल लूटने लगे .और लूट का पांचवां हिस्सा आयेशा के घर भेजने लगे .जब यह फ़ौज बढ़ गयी तो अबूबकर ने एक चाल चली .उसने अपनी बेटी मुहम्मद की औरत को "उम्मुल मोमिनीन "यानी मुसलमानों की अम्मा का खिताब देकर सारे लोगों का नेता बना दिया .सब आयेशा की बात मानने लगे.चारों तरफ से लूट का माल आने से अबूबकर धनवान हो गया .इसी तरह उमर भी पैसे वाला बन गया .इन लोगों को सत्ता का खून लग चुका था .और उनके दिलों में बादशाह या खलीफा बनाने का लालच पैदा हो गया .

मुहम्मद को यह पता था ,लेकिन वह अपने दामाद अली को खलीफा बनाना चाहता था.मुहम्मद कयी बार लोगोंके सामने अपनी यह इच्छा प्रकट की ही .क्योंके अली एक नेक दिल इंसान थे वह भारत को शान्ति प्रिय देश मानते थे."मुहम्मद ने कहा की "अना मदीनतुल इल्म व् अलीयुन बाबुहा "मैं ज्ञान का नगर हूँ और अली उसके द्वार हैं .

जब अबूबकर और उमर को इसकी भनक पड़ी तो उन्हों ने अपनी बेटीओं आयेशा और हफ्शा के द्वारा मुहम्मद को जहर दिलवा दिया .मुहम्मद बीमार पड़ गया .जब उसे लगा की उसका अंतिम समय आने वाला है ,तो उसने अबुबकर से कहा कि जल्दी से मेरे पास कागज़ कलम लाओ .ताकि मैं अपनी वसीयत लिख दूँ जिससे बाद में कोई विवाद न हो .

देखिये -कन्जुल उम्माल -जिल्द 1 पेज 283 हदीस 939 .और बुखारी -जिल्द 7 पेज 22 और मुस्लिम जिल्द 2 पेज 14

लेकिन अबूबकर को डरथा कि कहीं मुहम्मद अली को वारिस न बनादें .उसने मुहम्मद से कहा कि या रसूल अगर आप अपनी वसीयत लिखाकर सब को बता देंगे तो आपकी यह पोल खुल जायेगी कि आप अनपढ़ हैं और कुरआन अल्लाह की किताब है .जब लोगों को पता चलेगा कि आप लिख पढ़ सकते हैं यहूदी ईसाई कहेंगे कि कुरआन मुहम्मद ने रची है .यह सुनकर मुहम्मद डर गया .और वसीयत लिखने से रुक गया .

आखिर 63 साल की आयु में दिनाक 8 जून सन 632 को मुहम्मद दुनिया से बिना वसीयत लिखे ही कूच कर गए .

आयेशा और अबूबकर से साथ उमर भी अली से नफ़रत करतेथे .इनके साथ कुरैश के कई लोग भी थे .आयेशा को अली से खतरा था .उस समय अली बसरा में थे आयेशा ने अली की ह्त्या करवाने के लिए एक भारी फ़ौज जमा कि .और अली पर हमला कर दिया आयेशा खुद अल अक्सर नाम के ऊंट पर सवार होकर लोगों को अली की ह्त्या के लिए उकसा रही थी यह युद्ध सन 656 में बसरा में हुआ था .इस युद्ध को इतिहास में "जंगे जमल"यानी ऊंटों का युद्ध कहा गया है .इसमे अली के 1070 लोग मारे गए ,लेकिन वह जीत गए

जब अली जीतकर मदीने आये तो अबूबकर और उमर ने फिर चाली .जैसी मुसलमानों की आदत होती है .इन लोगों में अली से समझौता कर लिया .और पाहिले सहाबियों को रिश्वत देकर पटा लिया .फिर कहा कि जिसके पक्ष में सबसे जादा सहाबी होंगे वे संख्या के अनुसार खलीफा बनेंगे .अली के पक्ष में सिर्फ तीन लोग आये 1 मिकदाद बिन अस्वाद 2 अबू जरार गफारी और ३सलमान फारसी

इसा तरह मक्कारी से इस्लाम की हुकूमत हो गयी .जिसे खिलाफत कहते हैं .अली का क्रम चौथा कर दिया गया .खलीफों के नाम यह हैं -

1 -अबूबकर सन 632 में बना 634 में बीमार हो कर मर गया

2 -उमर बिन खत्ताब 634 से 644 में मर गया

3 -उस्मान बिन अफ्फान 644 से 656 इसकी ह्त्या की गयी

4 -अली बिन अबूतालिब 656 से 661 इनकी भी ह्त्या की गयी थी

इसके बाद मुआविया बिन अबू सुफ़यान और फी यजीद बिन मुआविया खलीफा बने .अली को छोड़ सभी खलीफाओं ने जो जो कुकर्म किये उस से इंसानियत काँप उठी थी .आज भी इनकी औलादें और अनुयायी अरब पर राज कर रहे है ,जिन्हें वहाबी या अहले हदीस कहा जाता है .


   इमाम जाफर सादिक जो सन 703 में पैदा हुए उन्होंने अपनी किताब "हयातुल कुलूब "और "हक्कुल ईमान "में इन खलीफों के बारे में जो लिखा है वह दिया जा रहा है .याद रहे इमाम जाफर मुहम्मद के वंशज है ,जो झूठ नहीं बोल सकते .

1 -आयेशा और हफ्शा ने मुहम्मद को जहर दिया था ,जिससे कुछ दिनों बाद वह मर गए. हक्कुल य -पेज 870

2 -इमाम जैनुल अबिदीन ने कहा कि अबूबकर और उस्मान काफिर हैं .हक्कुल य पेज 522

3 -जो अबूबकर और उमर को मुसलमान मानते हैं उनपर अल्लाह और रसूल की लानत है हक्कुल य पेज 680

4 -इमाम जाफर रोज अपनी फर्ज नमाजों के बाद इन लोगों पर नयमित लानत भेजते थे .अबूबकर,उस्मान ,उमर .,मुआविया ,आयेशा ,हफ्शा और मुआविया की बहिन उम्मुल हकीम पेज -342

5 -इमाम जाफर ने कहा कि सीरिया के लोग रोमनों सेजादा नीच हैं और मक्के वाले उन से अधिक ,लेकिन मदीने के लोग सबसे सत्तर गुना बदकार हैं .हयातुल कुलूब जिल्द 2 पेज 410

6 -हजार जफ़र ने कहा कि अरब की उम्मत वेश्याओं की तरह है ,जो सूअर की तरह बच्चे पैदा कर रही है अरब की उम्मत वेश्याओं की संतान है हयातुल कुलूब -पेज 337

8 -जब खालिद बिन वलीद ने मालिक इब्ने नावरिया के कबीले के सरदार को क़त्ल किया तो उसी समय सबके साने उसकी औरत से बलात्कार किया.और सरदार के सर को तंदूर में पका कर अपनी शादी का वलीमा किया था.हयातुल कुलूब -पेज 100

9 -जब मुहम्मद की औरतें खेत में शौच के लिए जाती थीं ,तो उमर उनसे गंदे इशारे करता था .हया -पेज 430

10 -शराब हराम होने के बाद भी उमर जम कर शराब पीताऔर इसी से उसकी मौत हुई थी हया-पेज 430

11 -उमर अपनी औरतों के साथ पीछे से सम्भोग करता था .anal sex .हया-पेज 432

12 -उस्मान ने अपनी पत्नी को जब वह बीमार थी ,अत्याधिक सम्भोग करके मार डाला था .जब उसकी पत्नी उम्मे कुलसुम मर गयी तो उसकी लाश से भी सम्भोग किया था .हयातुल कुलूब जिल्द 2 पेज 432

13 -सारे अहले सुन्नत बिदती और बिलाशक काफिर है .ह यकीन पेज 384



ऐसे और केई उदाहरण है .लेकिन कुछ लोग इस्लाम की यह खूबियाँ जान कर मुसलमान बन रहे है ,खिलाड़ी ,कबाड़ी ,साहित्यकार और सहत्याकार सभी ऊंट की तरह मक्के की तरफ दौड़ रहे .शायद उन्हें पता है घुसना आसान है पर निकलना असंभव है

मुस्लिम ब्लोगर अक्सर घुमाफिरा कर सेक्स पर
 
Writer's Blog: http://www.bhndadafodu.blogspot.com/

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