Dainik Bhaskar Represent: Dr. Santosh Rai
नई दिल्ली. अयोध्या में विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर चल रही अदालती लड़ाई में नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़ी विवादित जमीन पर किसी तरह की धार्मिक गतिविधि पर रोक लगाते हुए आज कहा कि इस मामले में विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला 'हैरान' कर देने वाला है।
हाईकोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस आफताब आलम और आरएम लोढ़ा की बेंच ने कहा है कि विवादित जमीन को किसी भी पक्ष ने बांटने की मांग नहीं की थी। ऐसे में विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटे जाने का इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला 'अजीब' और 'चौंकाने' वाला है।
अयोध्या मामले में विभिन्न पक्षों की ओर से दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई शुरू करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने के हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। विभिन्न हिंदू और मुस्लिम समूहों की ओर से दायर इन याचिकाओं में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब गिलानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मीडियाकर्मियों को अवगत कराते हुए कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर 7 जनवरी, 1993 की स्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि अयोध्या में 67.03 एकड़ की विवादित जमीन पर किसी तरह का धार्मिक कार्यक्रम न हो।’
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर, 2010 के फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन हिस्सों-मुस्लिम, हिंदुओं और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने के आदेश दिए थे। इस फैसले के खिलाफ निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारत हिंदू महासभा, जमीयत उलमा-ए-हिंद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया।
'ईश्वर का बंटवारा नहीं हो सकता'
भगवान राम विराजमान की ओर से भी एक याचिका दायर की गई है। भगवान राम विराजमान की याचिका में भूमि के बंटवारे का विरोध करते हुए कहा गया है कि ईश्वर का बंटवारा नहीं हो सकता। जब एक बार भूमि को राम जन्मभूमि घोषित कर दिया गया है, तो फिर उसे अंदर का हिस्सा, बाहर का हिस्सा या केंद्रीय गुंबद में बांटना गलत है।
भगवान राम विराजमान की अपील में सिर्फ जस्टिस एसयू खान व जस्टिस सुधीर अग्रवाल के फैसले को ही चुनौती दी गई है क्योंकि तीसरे जज डीबी शर्मा ने सभी याचिकाएं खारिज करते हुए फैसला भगवान राम विराजमान के हक में सुनाया था। जमीन के बंटवारे पर एतराज निर्मोही अखाड़ा और हिंदू महासभा को भी है। उसने भी बंटवारे का फैसला रद्द करने की मांग की है।
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और जमीयत उलेमा- ए- हिंद ने अपील में कहा है कि हाईकोर्ट का फैसला सुबूतों पर नहीं बल्कि आस्था पर आधारित है। वक्फ बोर्ड ने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में समानता का मुद्दा भी उठाया है और कहा है कि संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता में सभी धर्मों को बराबरी पर रखा गया है, इसे सिर्फ हिंदुओं की आस्था और विश्वास के संदर्भ में परिभाषित करना गलत है।
वक्फ बोर्ड ने कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले में राम जन्मस्थान घोषित करते समय हिन्दुओं की आस्था और विश्वास को संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के तहत तरजीह दी गई है, लेकिन ऐसा करते समय यह ध्यान नहीं रखा गया कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में दिया गया यह मौलिक अधिकार सभी नागरिकों को समान रूप से प्राप्त है।
SC में रखेंगे अयोध्या मामले के हल का फॉर्मूला
No comments:
Post a Comment