Dainik Jagran Represent:Dr. Santosh Rai
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल को तीन भाग में विभाजित करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सोमवार को रोक लगाते हुए कहा कि यह 'कुछ अजीब' फैसला है क्योंकि किसी पक्ष ने भूमि को तीन भाग में बांटने की मांग नहीं की थी।
न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के 13 सितंबर 2010 को दिए गए फैसले पर रोक लगाते हुए विवादास्पद स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को 'कुछ अजीब' बताते हुए कहा कि विवादास्पद भूमि के विभाजन का आदेश दिया गया जबकि किसी भी पक्ष ने उसे बांटने की बात नहीं की थी।
पीठ ने व्यवस्था दी कि विवादास्पद ढांचे से लगी जिस 67 एकड़ भूमि को केंद्र सरकार ने अधिग्रहित किया है उस पर कोई धार्मिक गतिविधि नहीं होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि शेष भूमि के संदर्भ में यथास्थिति बनाए रखना चाहिए। अदालत के आदेश के मद्देनजर विवादास्पद स्थल में रामलला के अस्थाई मंदिर में पूजा सामान्य तरीके से जारी रहेगी। गत सितंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उस 2.77 एकड़ भूमि को तीन भागों में बांट कर मुसलमानों, हिंदुओं और निर्मोही अखाड़ा को देने का आदेश दिया था जिस पर कभी विवादास्पद ढांचा खड़ा था।
पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक नया आयाम दे दिया क्योंकि पक्षों ने भूमि के विभाजन पर आदेश नहीं मांगा था। इसके लिए किसी ने भी आग्रह नहीं किया था। इस पर रोक लगाई जाती है। यह एक अजीब आदेश है। हाईकोर्ट के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि जब किसी भी पक्ष ने भूमि के विभाजन का अनुरोध नहीं किया तो ऐसी व्यवस्था कैसे दी जा सकती है।
पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि अदालत ने जो किया वह अपनी ओर से किया। यह अजीब है। इस तरह के आदेश पर अमल की अनुमति नहीं दी जा सकती।
न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के 13 सितंबर 2010 को दिए गए फैसले पर रोक लगाते हुए विवादास्पद स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को 'कुछ अजीब' बताते हुए कहा कि विवादास्पद भूमि के विभाजन का आदेश दिया गया जबकि किसी भी पक्ष ने उसे बांटने की बात नहीं की थी।
पीठ ने व्यवस्था दी कि विवादास्पद ढांचे से लगी जिस 67 एकड़ भूमि को केंद्र सरकार ने अधिग्रहित किया है उस पर कोई धार्मिक गतिविधि नहीं होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि शेष भूमि के संदर्भ में यथास्थिति बनाए रखना चाहिए। अदालत के आदेश के मद्देनजर विवादास्पद स्थल में रामलला के अस्थाई मंदिर में पूजा सामान्य तरीके से जारी रहेगी। गत सितंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उस 2.77 एकड़ भूमि को तीन भागों में बांट कर मुसलमानों, हिंदुओं और निर्मोही अखाड़ा को देने का आदेश दिया था जिस पर कभी विवादास्पद ढांचा खड़ा था।
पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक नया आयाम दे दिया क्योंकि पक्षों ने भूमि के विभाजन पर आदेश नहीं मांगा था। इसके लिए किसी ने भी आग्रह नहीं किया था। इस पर रोक लगाई जाती है। यह एक अजीब आदेश है। हाईकोर्ट के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि जब किसी भी पक्ष ने भूमि के विभाजन का अनुरोध नहीं किया तो ऐसी व्यवस्था कैसे दी जा सकती है।
पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि अदालत ने जो किया वह अपनी ओर से किया। यह अजीब है। इस तरह के आदेश पर अमल की अनुमति नहीं दी जा सकती।
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