Monday, May 9, 2011

श्रीराम लला विराजमानःहिन्‍दू महासभा की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्‍वीकारी

डॉ0 संतोष राय

अखिल भारत हिन्दू महासभा के स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ0 संतोष राय ने आज जारी अपने वक्तव्य में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल को तीन भाग में विभाजित करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सोमवार को रोक लगा दिया है और यह  कहा कि यह कुछ विचित्र फैसला है क्योंकि किसी पक्ष ने भूमि को तीन भाग में बांटने की मांग नहीं की थी। डॉ0 राय ने कहा कि न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के 13 सितंबर 2010 को दिए गए फैसले पर रोक लगाते हुए विवादास्पद स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
डॉ0 संतोष राय ने आगे अपने बयान में कहा कि पीठ ने व्यवस्था दी कि विवादास्पद ढांचे से लगी जिस 67 एकड़ भूमि को केंद्र सरकार ने अधिग्रहित किया है उस पर कोई धार्मिक गतिविधि नहीं होनी चाहिए। आगे उन्होने बताया कि पीठ ने कहा कि शेष भूमि के संदर्भ में यथास्थिति बनाए रखना चाहिए। अदालत के आदेश के मद्देनजर विवादास्पद स्थल में रामलला के अस्थाई मंदिर में पूजा सामान्य तरीके से जारी रहेगी। डॉ. राय ने बताया कि गत सितंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उस 2.77 एकड़ भूमि को तीन भागों में बांट कर मुसलमानों, हिंदुओं और निर्मोही अखाड़ा को देने का आदेश दिया था जिस पर कभी विवादास्पद ढांचा खड़ा था। डॉ0 राय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संतोष जताया।
    हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता बाबा पण्डित नंद किशोर मिश्रा ने कहा कि पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक नया आयाम दे दिया क्योंकि पक्षों ने भूमि के विभाजन पर आदेश नहीं मांगा था। इसके लिए किसी ने भी आग्रह नहीं किया था। इस पर रोक लगाई जाती है। मिश्रा जी ने आगे बताया कि हाईकोर्ट के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि जब किसी भी पक्ष ने भूमि के विभाजन का अनुरोध नहीं किया तो ऐसी व्यवस्था कैसे दी जा सकती है।
    सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिन्दू महासभाई केशरिया वस्त्रों में उपस्थित थे। उनमें श्री जंग बहादुर क्षत्रिय, श्री दीपक चोपड़ा, सपन दत्ता व रविन्द्र द्विवेदी आदि मुख्य थे।

1 comment:

आशुतोष की कलम said...

कश्मीर से अयोध्या तक
बस संगीनों का साया है
हे राम तुम्हारी नगरी में,
कैसा सन्नाटा छाया है...

ऐसी तो अयोध्या न थी कभी,
जहा मानवता की चिता जले..
इस मर्यादा की नगरी में,
सब खुद की मर्यादा भूले

हे राम तुम्हारी सृष्टी में
हैं कोटि कोटि गृह बसे हुए..
इस गर्भ गृह की रक्षा में,
आखिर अब कितनी बलि चढ़े...

इन लाशों के अम्बारों पर
बाबर और बाबरी बसतें हैं...
यहाँ हनुमान हैं कई खड़े...
जो राम ह्रदय में रखतें हैं...

इन विघ्नों के आवर्तों से
हम नहीं कभी अब तक हैं डरे...
हमने दधिची को पूजा है,
जो वज्र ह्रदय में रखतें हैं..

इस राम कृष्ण की धरती पर
हम भगवा ध्वज लहरायेंगे
ये हिन्दू धर्मं सनातन है
हम हिन्दू धर्म निभायेंगें

आहुति अब पूरी होगी
हम अश्वमेध को लायेंगे
जो जन्म भूमि है राम की...
वहां राम ही पूजे जायेंगे..

एक नहीं दो बार नहीं हर बार यही दोहरायेंगे
सौगंध राम की खाते हैं,हम मंदिर वहीँ बनायेंगे...
सौगंध राम की खाते हैं,हम मंदिर वहीँ बनायेंगे...