सत्यवादी प्रस्तुति: डॉ0 संतोष राय
चूंकि ईसाई और मुसलमान भारतीय धर्म ग्रंथों को मानवनिर्मित और कपोलकल्पित बताते हैं , और अपनी किताबों जैसे तौरेत ,जबूर,इंजील और कुरान को अल्लाह की किताबें और प्रमाणिक बताते हैं ,इसी लिए उन्हीं को सही मानकर चलते हैं .यह सभी मानते हैं कि तौरेत यानी बाइबिल कुरान से काफी पहले की अल्लाह की किताब है . यद्यपि मुसलमान यह भी कहते हैं कि तौरेत में लोगों ने बदलाव कर दिया है .लेकिन अधिकांश बाते बाइबिल और कुरान में एक जैसी मिलती हैं यही नहीं कुछ ऐसी परम्पराएँ और रिवाज है ,जो मुसलमानों ने तौरेत से अपना लिए हैं , जिनको यह सुन्नते इब्राहीम भी कहते हैं , जैसे खतना कराना और कुर्बानी का रिवाज ,यानि अल्लाह के नाम पर जानवरों कि हत्या करना ईसाई और मुसलमान दौनों यह मानते हैं कि अल्लाह के पहला व्यक्ति आदम को बनाया था ,जिसके दो पुत्र काबिल और हाबिल हुए थे .जिनमे से एक की संतान से सारे मनुष्य पैदा हुए है .मुसलमानों का यह भी दावा है कि , अल्लाह ने इब्राहीम की परीक्षा लेने के लिए अपने लडके इस्माइल की क़ुरबानी देने को कहा था .लेकिन इस्माइल की जगह एक मेंढा रख दिया था .और उसी की याद में जानवरों की हत्या की जाती है .मुसलमानों का यह भी दावा है कि , अल्लाह को न मांस चाहिए और न खून चाहिए .इस बात में कितनी सच्चाई है , और हकीकत क्या है ,यह बाइबिल और कुरान के आधार पर दिया जा रहा है , देखिये
1-सृष्टि का प्रथम मांसाहारी
मुसलमान "तौरेत " यानि बाइबिल को अल्लाह की किताब कहते हैं, तो इसके अनुसार सृष्टि का पहला मांसाहारी अल्लाह ही है ,
बाइबिल के अनुसार आदम का बड़ा बेटा काबिल खेती करने लगा ,और छोटा बेटा भेड़ बकरियां पालने का काम करने लगा .कुछ समय बाद जब काबिल अपनी उपज से कुछ भेंट खुदा को चढाने के लिए गया तो खुदा ने उसे अस्वीकार कर दिया .लेकिन जब हाबिल ने एक पहिलौठे भेड़ को मारकर उसकी चर्बी खुदा को चढ़ाई ,तो खुदा ने खुश होकर कबूल कर लिया ." बाइबिल -उत्पत्ति 4 :1 से 6
इस बात से पता चलता है कि अल्लाह स्वभाव से हिंसक और मांसप्रेमी है उस समय खुदा का घर नहीं था ,इसकिये उसने आसान तरकीब खोज निकाली
2-स्थायी वधस्थान
कुछ समय के बाद खुदा ने एक जगह स्थायी वधस्थल ( slaughter place ) बनवा दिया जिसे मिज्बह Altars (Hebrew: מזבח, mizbe'ah, कहते हैं ,वहीँ पर खुदा जानवरों की बालियां .स्वीकार करता था .ताकि भटकना नहीं पड़े .खुदा ने कहा ,
"तू मेरे लिए एक मिट्टी की वेदी बनवाना ,और उसी पर अपनी भेड़ -बकरियां और अपने गाय बैलों की होम बलियां चढ़ाना .और मैं वहीँ रह कर तुझे आशीष दूंगा .और अगर तू पत्थर की वेदी बनाये तो तराशे हुए पत्थरों की नहीं बनाना "बाइबिल .व्यवस्था 20 :24 -25
3-खुदा की मांसाहारी पसंद
जब एक बार खुदा में मुंह में मांस का स्वाद लग गया तो छोटे बड़े सभी शाकाहारी जानवरों की कुर्बानियां लेने लगा ,और उनकी आयु .रंग और मरने की तरकीबें भी लोगों को बताने लगा ,जो बाइबिल और कुरान में बतायीं हैं
"खुदा ने कहा ,क्या मनुष्य के और क्या पशु के जोभी अपनी माँ की बड़ी संतान हो ,वे सब तू मेरे लिए रख देना " Exodus 13:2
"खुदा ने कहा कि याजक पाप निवारण के लिए वेदी पर निर्दोष मेंढा लेकर आये "बाइबिल .लेवी 5 :15
अल्लाहने मूसा से कहा गाय न बूढ़ी हो और न बछिया .इसके बीच की आयु की हो "सूरा -बकरा 2 :68
"तुम ऊंटों को पंक्ति में खड़ा कर देना ,और जो गोश्त के भूखे हों वह धीरज रखें ,जब ऊंट ( रक्तस्राव ) के किसी पहलू पर गिर जाये तो उसको कट कर खुद खा लेना और भूखों को खिला देना "सूरा -हज्ज 22 :36
ऊंट के गले में छेद कर देते हैं ,इसे नहर कहते है .कुरान ने विधि बताई है .
4-जानवर कटने के लिए हैं
अपने लिए मांस पहुंचता रहे इसलिए अल्लाह ने घर बैठे ही इतजाम कर लिया और कहा कि,
"क़ुरबानी के जानवरों की बस यही नियति है की , उनको क़ुरबानी की पुरानी जगह तक पंहुचना है "सूरा -हज्ज 22 :33
"हमने प्रत्येक गिरोह के लिए क़ुरबानी का तरीका ठहरा दिया है "सूरा-हज्ज 22 :34
5-खून हराम क्यों किया गया
मुस्लिम विद्वान् खून को हराम बताने के पीछे अनेकों कुतर्क करते हैं ,लेकिन असली कारण तौरेत यानि बाइबिल में मिलता है ,खून खुदा को सबसे अधिक पसंद है .कुरान और बाइबिल के कथन देखिये
"क्योंकि हरेक देहधारी के प्राण उसके खून में रहते हैं ,और इसलिए मैंने लोगों से वेदी पर खून चढाने को कहा है .इसलिए कोई भी व्यक्ति खून नहीं खाए .
बाईबिल लेवी -17 -11 -13
"याजक पशु का खून वेदी के पास रखदे " बाइबिल लेवी -4 : 30
क्योंकि बलि का खून तो खुदा का भोजन है .इसलिए तुम खून नहीं खाना "बाइबिल लेवी -3 :17
"मूसा से खुदा ने कहा ,की तुम पर मुरदार ,खून ,और सूअर और जिसपर अलह के सिवा किसी का नाम लिया गया हो ,सब हराम"
सूरा -बकरा 2 :173 और सूरा-मायदा 5 :3
"तुम मांस को प्राणों के साथ यानि खून के साथ नहीं खाना " बाइबिल उत्पति 9 :4 -5
तौरेत यानी बाइबिल की इन आयतों से साबित हैं कि खून तो खुदा का भोजन है ,इसलिए उसने दूसरोंके किये खून हराम कर दिया था ,
6-खुदा मांस खाकर ऊब गया
जब कई बरसों तक खुदा जानवरों का कच्चा मांस खा कर ,और खून पी चुका तो वह अघा गया ,और उसे इन चीजों से अरुचि होने लगी थी , जो बाइबिल में इन शब्दों में वर्णित है
खुदा ने कहा अब जानवरों की कुर्बानियां मेरे किसी काम की नहीं हैं ,मैं मेढ़ों और जानवरों के खून से अघा गया हूँ .अब में बछड़ों ,और भेड़ के बच्चों और बकरों के खून से प्रसन्न नहीं होता " बाइबिल .यशायाह 1 :11 -12
तब खुदा ने सोचा कि नमक से मांस में स्वाद आयेगा ,तो उसने कहा ,
"खुदा ने कहा ,तू क़ुरबानी की बलियों को नमकीन बनाना ,और बलि को बिना नमक नहीं रहने देना ,इसलिए चढ़ावे में नमक भी रख देना "
बाइबिल लेवी 2 :13
7-लडके लड़कियों कि क़ुरबानी
जब खुदा को जानवरों कि कुर्बानियों से संतोष नहीं हुआ ,तो वह इसानों के लडके लड़कियों कि क़ुरबानी लेने लगा .इब्राहीम और इसहाक ( इस्माइल ) की कथा तो लोग जानते हैं ,लेकिन खुदा ने लड़की की क़ुरबानी भी ले ली थी .देखिये .
"खुदा ने इब्राहिम से कहा तू मेरे द्वारा बताई गयी जगह मोरिया पर जा ,और अपने प्रिय बेटे इसहाक की मेरे लिए होम बलि चढ़ा दे "Genesis 22:1-18
फिर इब्राहीम ने लडके को माथे के बल लिटा दिया ,तब हमने उसकी जन बचाने के लिए एक विशेष कुर्बानी पेश कर दी "
सूरा -अस साफ्फात 37 :103 से 107
बाद में खुदा लड़कियों की कुर्बानियां भी लेने लगा ,यानि मनुष्यभक्षी बन गया .जो बाइबिल से सिद्ध होता है .
"यिप्ताह के कोई पुत्र नहीं था,उसने मन्नत मांगी कि यदि वह युद्ध से कुशल आ जायेगा तो अपनी संतान कि क़ुरबानी कर देगा ,एक ही पुत्री मिज्पाह थी थी . उसने पुत्री की कुर्बानी कर दी .Judges 11:29-40
विश्व के अनेकों लोग मांसाहार करते हैं ,और उसके पक्ष में तरह तरह के तर्क भी देते हैं .और कुछ ऐसे भी धर्म हैं , जिनमे पशुबलि और नरबलि की कुरीति पाई जाती है.जिसको वह लोग अपने धर्मग्रंथ की किसी कथा से जोड़कर ,रिवाज और आवश्यक धार्मिक कार्य मानते हैं .इस्लाम की ऐसी ही परंपरा क़ुरबानी की है , पैगम्बर इब्राहीम द्वारा अपने पुत्र की क़ुरबानी से सम्बंधित है . ,और इसकी कथा , बाइबिल ,और कुरान में मौजूद है . यद्यपि इब्राहीम द्वारा बाइबिल में इसहाक की क़ुरबानी , और कुरान में इस्माइल की क़ुरबानी बताई गई है .अब सवाल यह उठता है कि एक विवादग्रस्त किंवदंती के आधार हर साल करोड़ों निरीह मूक प्राणियों की क्रूर हत्या को एक धार्मिक कार्य मानना कहाँ तक उचित मानना चाहए .जबकि उसी इब्राहीम के अनुयायी यहूदियों और ईसाईयों ने क़ुरबानी को धार्मिक रूप नहीं दिया है .क्या कारण है कि दयालु , और कृपालु ईश्वर , खुदा ,God या अल्लाह अचानक इतना हिंसक और रक्तपिपासु कैसे बन गया कि वह जानवरों के साथ मनुष्यों की कुर्बानियां भी लेकर खुश होने लगा .ड्रैकुला एक ऐसा नरपिशाच होता है जो लोगों का खून पीकर युगों तक जीवित रहता है .इसी तरह बाईबिल के समय खून पीने वाला जो ईसाईयों का खुदा था ,वह कुरान के समय अल्लाह बन गया है .शायद इसीलिए मुसलमान कहते हैं कि अल्लाह एक ही है .
जो खुदा लोगों के सत्कर्मों से नाराज ,और पशुबलि (कुर्बानी ) से प्रसन्न होता है ,वह ईश्वर नहीं हो सकता .
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http://www.evilbible.com/Ritual_Human_Sacrifice.htm
साभार: भांडाफोडू ब्लॉग
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