Friday, March 16, 2012

दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय का ऐतिहासिक निर्णय

संदर्भ- हिन्‍दू महासभा


आज दिनांक 16/03/2012 को अखिल भारत हिन्दू महासभा की याचिका एलपीए संख्या 522/2011 मुख्य न्यायधीश, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायालय में 19/01/2012 से लंबित थी, को आज कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति ए0के0 सीकरी, राजीव सहाय एण्डला के पीठ में अखिल भारत हिन्दू महासभा के एलपीए 522 में अधिवक्ता बलवंत सिंह बिलोरिया, विजय प्रताप सिंह के उपस्थिति में डॉ0 संतोष राय अध्यक्ष, राष्ट्रीय स्वागत समिति नें हिन्दू महासभा के संविधान के   पक्ष को रखा। मुख्य न्यायमूर्ति ए0के0 सीकरी, राजीव सहाय एण्डला याची डॉ0 संतोष राय के याचना को न्यायालय नें स्वीकार किया। पूर्ण निर्णय की सत्यापित प्रतिलिपि माननीय न्यायालय द्वारा 21 मार्च, 2012 को प्राप्त होगा।

ज्ञात हो कि हिन्दू महासभा का अध्यक्ष पद पर विवाद चल रहा है। इस समय अखिल भारत हिन्दू महासभा के तीन भाग हैंः एक भाग का प्रतिनिधित्व श्रीमती हिमानी सावरकर, बाबा पं0 नंद किशोर मिश्र, डॉ0 संतोष राय आदि तथा दूसरे भाग का प्रतिनिधित्व स्वामी चक्रपाणी उर्फ राजेश भारतीय उर्फ राजेश श्रीवास्तव, जो हिन्दू महासभा का सदस्य भी नही है, कर रहा है।
 हिन्दू महासभा के संपत्ति का अपने व्यक्तिगत हितों में खर्च कर रहा है। चक्र्रपाणी असंवैधानिक अध्यक्ष हैं। हिन्दू महासभा के संविधान के अनुसार तीसरा समूह चंद्र प्रकाश कौशिक का है जो संगठन से निष्कासित है। हिन्दू महासभा के संपत्ति का व्यापारीकरण कर चुका है। हिन्दू महासभा एक राजनैतिक संगठन है और महान क्रांतिकारियों, चिंतकों, विद्वानों, समाजसेवियों, साहित्यकारों, पत्रकारों, कवियों द्वारा पोषित संगठन है, जिसका मूल उद्देश्य हिन्दू समाज को जागृत कर राष्ट्रीय एकता, अखण्डता को जागृतकर अक्षुण्ण बनाये रखने का दायित्व है।

संपूर्ण विश्व के शोषित, पीड़ित हिन्दू समाज, मानवाधिकार एवं अस्मिता की रक्षा करना हिन्दू महासभा के कर्तव्य में निश्चित है। हिन्दू महासभा की बहुत लंबी श्रृंखला है। कुछ नामों को यहां उल्लेखित करना अपना कर्तव्य समझता हूं- पं0 मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, स्वामी श्रद्धानंद, भाई परमानंद, डॉ0 बी.एस. मुंजे, स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर आदि।

अखिल भारत हिन्दू महासभा के नेताओं नें माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों के प्रति अपनी कृतज्ञता का भी ज्ञापन किया है।

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