Saturday, July 23, 2011

दिग्विजय सिंह का पर्दाफाश !

बी.एन. शर्मा

प्रस्‍तुति- डॉ0 संतोष राय

दिग्विजय सिंह की हालत उस व्यक्ति की तरह है जो खुद तो मल मूत्र के गड्ढे में पड़ा हो और दूसरों के साफ़ कपड़ों में दाग तलाश करता हो .आज दिग्विजय हरेक के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है.और खुद को भ्रस्ताचार से मुक्त होनेका ढिढोरा पीट रहा है .एक समय यही व्यक्ति सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार को ,जरूरी ,और जायज कहता था.यही नहीं भ्रष्टाचार को कानूनी दर्जा दिलवाने की वकालत भी करता था.दिग्विजय ने अपने मंत्री मंडल में ऐसे लोग भर लिए थे जो भ्रस्ताचार को उचित मानते थे .दिग्विजय ने कहा था कि"वर्त्तमान राजनीतिक व्यवस्था में हमें भ्रष्टाचार कि परिभाषा बदलनी होगी .मैं जो भी करता हूँ पार्टी के लिए करता हूँ "(राज्य की नई दुनिया .भोपाल 28 फरवरी 2001 ) 
यही नहीं सोनिया भी दिग्विजय के इन विचारों का समर्थन करती थी. 14 दिसंबर 1998 को राष्ट्रीय सम्मलेन मेंप्रदेश के गृहमंत्री हरबंस सिंह ने सोनिया से कहा कि मैं मुख्य मंत्री के आदेश से पार्टी के लिए धन जमा कर रहा हूँ .सोनिया ने उसकी तारीफ कि थी (नव भारत भोपाल 15 दिसंबर 1998 )उसके बाद सन 1990 से 1993 तक दिग्विजय के आदेश से हरबंस सिंह ने 100 -100 रुपये के कूपन बेच कर लोगों से रुपये वसूले .और लाखों रूपया इकठे किये .लेकिन रूपया पार्टी के खाते में जमा करने कि जगह जेब में रख लिए .यहांतक कांग्रस कार्यालय के खर्चे के लिए बहार से कर्जा लेना पड़ा था. (हिन्दुस्तान टाइम्स नई दिल्ली .7 मार्च 1993 ) 
दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में जो घोटाले ,गबन ,आर्थिक अनियमितताएं हुई थी ,उनके बारे में महा लेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्र्ट में कहा था कि प्रतिमाह लगभग 70 लाख की हेराफेरी मुख्य मंत्री द्वारा कि गयी है .जिसकी पुष्टि समाचारों ने भी की है .जैसे - 
1 -मध्य प्रदेश की तेरह सिंचाई परियोजनाओं में सब अदूरी हैं ,एक हेक्टर जमीं भी सिंचित नहीं हुई ,24 अरब रूपया खर्च होने पर सिर्फ 12 हेक्टर जमीन सिंचित हुई .(नव भारत 4 जून 2000 ) सिंचाई योजना में घोटाला .(नव भारत 17 जुलाई 1999 ) 
2 -राजिव गांधीराष्ट्रीय पेयजल मिशन के तहत 15400 ग्रामीण बसाहटों में केवल 90 बसाहटों में पानी की व्यवस्था हो सकी .याकि कुल 8 .5 %काम किया गया .बाकी रूपया हड़प लिया गया. (नव भारत .भोपाल 18 जुलाई 1999 ) 
3 -घोटालों के कारण कुएं भी क्म खुदे और मकान भी क्म बने .(नव भारत .7 मई 1999 ) 
4 -मास्टर रोल घोटाले के दोषियों को बहाल कर दिया गया .(नव भारत 4 मई 1999 ) 
5 -करोंड़ों के सड़क घोटाला करने वाले निलंबित अफसरों को मुख्य मंत्री ने राजनीतिक दवाब के कारण काम पर ले लिया .और उनपर कार्यवाही रोक दी (दैनिक भास्कर .8 मई 1999 )
इसके अलावा दिग्विजय ने अपने पद का नाजायज दुरपयोग करते हुए .अपने परिवार के लोगों ,रिश्तेदारों ,और हितेषियो को जो लाभ पहुँचाया और सरकारी धन को हड़प किया था .उसकी जानकारी दिग्विजय की गुप्त रिपोर्ट में से हमें मिली है .इस रिपोर्ट के अनुसार - 
1 -दिग्विजय्ने मुख्य मंत्री रहते हुए अपनी पत्नी ,अपनी नाबालिग पुत्री मंदाकिनी (आयु 12 साल )मृणालिनी (आयु 9 साल )और हरीश चंडोक और बलभद्र के नाम से एक फर्जी कंपनी बनायीं जिसका नाम "Gwalior Coal "था और इस फर्जी कंपनी के नाम पर करोड़ों रूपया लोन लिया था .और रूपया हड़प करके कंपनी बंद कर दी थी . 
2 -संजय सागर Forest Cultivation Project चला कर जमीनों पर कब्ज़ा करके करोड़ों रुपये कमाए . 
3 -दिग्विजय अपने गाँव राघौगढ़ और उसके किले को अपनी जायदाद मानता है .इसलिए उसने किले की चट्टानों को कटवा कर .और पहाड़ी के टीलों को खुदवा कर पत्थर मिटटी बिकवा कर करोड़ों रूपया अपनी जेब में डाल लिया .और कोई टेक्स नहीं दिया. 
4 -दिग्विजय और उसके छोटे भी लक्षमण ने एक गुजरात के व्यवसायी दिनेश पटेल और रणछोड़ सिंह पटेल के साथ मिलकर एक फर्जी कंपनी बनायी .जिसका नाम "Maruti Limited "था इस कंपनी के बहाने दिग्विजय ने राघौगढ़ की ज़मीन और जंगल पर कब्ज़ा कर लिया.और जमीनों को बेचकर रूपया कमाया .बाद में इस फर्जी कंपनी के नाम पर State Bank विजयपुर की ब्रांच अपने प्रभाव से से कर्जा भी दिलवा दिया .यह फर्जी कंपनी गुना स्थित Fertiliser Plant के प्रबंधकों पर ठेका देने पर दवाब देने लगी .लेकिन गुना फर्टीलाइजर प्रबंधकों ने जन मन कर दिया तो दिग्विजय के गुंडे मारा पीटी और तोड़फोड़ करने लगे .जिस से कई लोग जख्मी हो गए .गुना थाने में दिग्विजय के लोगों के विरुद्ध ऍफ़ आई आर भी दर्ज है .केस संख्या .63 /84 धारा 379 
5 -अपने भी के नाम पर गुना में एक सोयाबीन का प्लांट लगाने के बहाने बैंक से आठ लाख रूपया लोन लिया ,और कोई प्लांट नहीं बनाया .सारा रूपया हड़प कर गया.
6 -अपने गाँव राघौ गढ़ में अपने महल में कारपेट बनाने की कंपनी के बहाने सरकार से सब्सिडी लेकर रूपया जेब में भर लिया .कोई कंपनी नहीं बनायी .
7 -दिग्विजय ने एक गरीब कोटवार (एक पिछड़ी जाति) की जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर लिया .और उसकी ज़मीन पर Stone Crusher लगा दिया फिर पांच Dumper के लिए लोन ले लिया .और रूपया हड़प कर लिया. 
8 -गुना में श्वेत क्रान्ति के बहाने अपने एक रिश्तेदार के नाम से डेयरी बना दी और बैंक से 8 लाख रूपया लोन ले लिया .लेकिन डेयरी नहीं बनवाई और रूपया हड़प कर गया .
यह तो कुछ थोड़े से ही नमूने हैं ,जो उन फाइलों से जल्दी जल्दी निकले जा सके हैं .दिग्विजय के भ्रष्टाचार के और भी सबूत है ,जो किसी समर्थ और सक्षम व्यक्ति को दिए जा सकते हैं ,जो दिग्विजय का सामना करने को तय्यार हो .ऐसी करीब 30 -40 फाइलें हैं 
मेरा सिर्फ यही कहना है की भ्रष्टाचार कैसा भी हो अपराध होता है .चाहे एक हजार का हो ,चाहे एक करोड़ का .यदि कोई संगठन व्यवस्था करा सके तो उन महोदय का टी वी पर दिग्विजय से मुकाबला करवा दिया जा सकता है .
मेरा कांग्रेसियों से अनुरोध है कि दिग्विजय से सावधान रहें ,यह किसी का सगा नहीं है .आज यह जिस राहुल की तारीफ़ में ज़मीन असमान एक कर रहा है .एक दिन उसी राहुल के लिए संकट पैदा कर देगा. 
आप लोग भी इस लेख को अपने मित्रों तक भेजने का कष्ट करें .इस विषय के अंतिम एपिसोड में मैं उन महोदय का परिचय भी दूंगा जिन से औरभी जानकारियाँ मिल सकती हैं .तब तक आप तीसरे एपिसोड की प्रतीक्षा करें 
 
लेखक का ब्‍लॉग हैः http://www.bhandafodu.blogspot.com/

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