Saturday, July 2, 2011

भोंदू युवराज" जैसे सम्बोधनों को लगातार उपयोग करके प्रचलन में लाएं…

सुरेश चिपलुनकर
प्रस्‍तुतिः डॉ0 संतोष राय

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उदाहरण के तौर पर, तीस्ता सीतलवाड कहने पर "वो" बात नहीं बनती, जो तीस्ता जावेद सीतलवाड कहने पर बनती है…। अतः सभी फ़ेसबुक मित्रों एवं पाठकों से अनुरोध है कि भविष्य में पोस्ट अथवा टिप्पणी लिखते समय "खास-खास" लोगों के नामों को पूरा-पूरा लिखने का प्रयास करें, ताकि सम्बन्धित व्यक्ति का "चित्र" पढ़ने वाले के दिमाग में पूरा उभरे।
इसी प्रकार कुछ खास व्यक्तियों, संगठनों के बारे में कुछ शब्द मैंने अपने ब्लॉग पर प्रचलित करने की कोशिश की है उन शब्दों को लगातार फ़ेसबुक पर दोहरा-दोहरा कर उसे "ब्राण्ड" बना दीजिये, ताकि भविष्य में फ़ेसबुक पर आने वाली नई पीढ़ी उन शब्दों से जल्दी परिचित हो जाए… चन्द उदाहरण पेश हैं -
1) धर्मनिरपेक्षता = शर्मनिरपेक्षता
2) सेकुलरिज़्म = "Sick"ularism
3) वामपंथी लेखक = वाम रुदालियाँ
4) राहुल गाँधी = भोंदू युवराज या राउल विंची (Raul Vinci)
5) कांग्रेसी मीडिया = भाण्ड-गवैये
6) NDTV = नेहरु डायनेस्टी टीवी
7) बरखा दत्त = "बुरका" दत्त या फ़िर "बरखा हसीब दत्त" (पूरा नाम)
8) तीस्ता सीतलवाड = तीस्ता जावेद सीतलवाड (पूरा नाम)
9) राजशेखर रेड्डी = "सेमुअल" राजशेखर रेड्डी (पूरा नाम)
10) अफ़ज़ल या कसाब = "कांग्रेसी दामाद"
11) अरुंधती रॉय = "सुज़ैन" अरुंधती रॉय (पूरा नाम)
12) शरद पवार = शकर पगार (शकर खिलाकर लूटने वाला)
13) सोनिया गाँधी = इटालियन विक्टोरिय…
तात्पर्य यह है कि, भले ही शेक्सपियर ने कहा हो कि "नाम में क्या रखा है" लेकिन इन सम्बोधनों और नामों से उस व्यक्ति की "पूरी पहचान" एक शब्द में ही मानस पर अंकित हो जाती है, इसलिये भले ही शुरु-शुरु में इन सम्बोधनों को मूल सम्बोधनों के साथ मिलाकर उपयोग करें, परन्तु धीरे-धीरे लिखने वाले की भी आदत पड़ जाएगी और पढ़ने वाला भी तत्काल समझ जाएगा कि "भोंदू युवराज" कहा गया है तो इसका मतलब क्या होगा…
(रेड्डी, तीस्ता और अरुंधती जैसों के ईसाई-मुस्लिम नाम तो लगभग सभी को पता हैं, जबकि महेश भूपति, अजीत जोगी, माला सिन्हा जैसे कई लोग हैं जो हिन्दू नाम रखे हुए हैं, इनके बारे में भी लोगों को बताना हमारा फ़र्ज़ है)
(ऊपर की लिस्ट के अलावा यदि किसी सज्जन के पास ऐसे ही अन्य "रोचक-भेदक-मारक सम्बोधन" हों तो वह भी शेयर करें, ताकि "डिक्शनरी" और समृद्ध हो)

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