प्रस्तुति-डॉ0 संतोष राय
हाँ यही बात है...यह सब केन्द्र सरकार के इशारे पर जन आवाज को कुचलने की कवायद है.....आचार्य बाल कृष्ण कोई सरकारी कर्मचारी थोड़े ही हैं जो उनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच की जानी चाहिए....यह अवैध कार्य है...
बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण से कहीं ज्यादा गंभीर आरोप असम से कांग्रेस के पूर्व सांसद एम. के. सुब्बा पर हैं। कांग्रेसी सांसद सुब्बा की भारतीय नागरिकता पर सवाल उठाते हुए सीबीआई चार्जशीट तक दायर कर चुकी है। इसके बावजूद सिर्फ एफआईआर के बाद बालकृष्ण का पासपोर्ट रद्द कराने पर आमदा सीबीआई ने सुब्बा का पासपोर्ट रद्द कराने की कोई कोशिश नहीं की है। इससे सीबीआई ने साबित कर दिया है कि वह स्वतंत्र जांच एजेंसी नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने वाला संगठन है। सीबीआई ने अभी तक बालकृष्ण की भारतीय नागरिकता पर उंगली नहीं उठाई है। उनपर केवल पासपोर्ट ऑफिस में जमा की गईं शैक्षिक डिग्रियों के फर्जी होने के प्रमाण हैं।
वहीं, सुब्बा के मामले में सीबीआई ने अदालत में चार्जशीट दाखिल कर उनके भारतीय नागरिक नहीं होने का प्रमाण पेश किया है। इसके बावजूद आज तक सीबीआई ने सुब्बा का पासपोर्ट रद्द करने के लिए विदेश मंत्रालय से अनुरोध करने की जरूरत नहीं समझी। सीबीआई की चार्जशीट के बावजूद सुब्बा न सिर्फ अपना बिजनेस आराम से चला रहे हैं, बल्कि एक पूर्व सांसद को मिलने वाले सुविधाओं का लाभ भी ले रहा है। इस मामले में सीबीआई का दोहरापन इस बात से भी साफ हो जाता है कि बालकृष्ण के फर्जी पासपोर्ट में तत्काल कार्रवाई शुरू हो गई लेकिन सुब्बा के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने में एक दशक से भी ज्यादा समय लग गया। लंबे समय तक सुब्बा के मामले में निष्क्रिय रहने पर सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गंभीरता से जांच शुरू करनी पड़ी। बाद में अदालत के निर्देश पर ही उसने चार्जशीट भी दाखिल की।
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