आखों देखा हाल (4 जून रामलीला मैदान
बाबा को कपड़ा देने वाली महिला के गुप्तांग में राइफल के बट से मारा गया
महिलाओं से छेड़छाड़ हुयी उनके ब्लॉउज के नीचे हाथ डाला गया
प्रस्तुति- डॉ0 संतोष राय
13 अप्रैल 1919, जलियांवाला बाग़ की पुनरावृत्ति 4 जून 2011 भारतीय जनमानस के मन में आज कई प्रकार के उद्वेलन चल रहे हैं, इन्हीं में से एक उद्वेलन भ्रष्टाचार और काले धन की वापसी को लेकर भी उठने लगे l यह अखंड भारत के इतिहास में वरदान कहिये या ईश्वरीय वाणी का लिखा सत्य की जब भी कोई बड़ा परिवर्तन होता है तो उसमे ऋषि परम्परा के... लोगों द्वारा ही ...प्रारम्भ किया जाता है या फिर आगे बढ़ाया जाता है l ऐसे परिवर्तनों के इतिहास का यदि गौर से अध्ययन किया जाए तो आप पायेंगे की सम्पूर्ण जन-मानस में से ज्यादा से ज्यादा केवल 2% लोग ही ऐसे परिवर्तनों वाले आंदोलनों से अपने आपको जोड़ पाते हैं, बाकी 98% किन्हीं अन्य कारणों के कारण इन आंदोलनों से अलग ही रहते हैं l छद्म स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लेकर आज तक के 64 वर्षों में ऋषि भूमि देव-तुल्य अखंड भारत को .... षड्यंत्र भूमि खंड खंड भारत बनाने में सबसे बड़ा हाथ भी भारतीय SICKULARS का ही है l और इन्हीं षड्यंत्रों के चलते अखंड भारत की शिक्षा, चिकित्सा, आम जनता के जरूरी कार्यों के प्रति सरकारें सदैव ही उदासीन रहीं हैं l क्यूबा जैसे देश में जहां लगभग 50 वर्षों से तानाशाही शासन चल रहा है, उस देश में भी साक्षरता प्रतिशत 99.8% पाई जाती है, शिशु मृत्यु दर समस्त विकसित देशों से भी कम, और निशुल्क चिकित्सा सेवाएं 100% तक हैं l स्वतन्त्रता पश्चात ऐसा भारत में भी होना चाहिए था परन्तु हुआ नहीं, क्योंकि जिस संस्कृति के संस्कारों से किसी देश की पीढ़ी को शिक्षित किया जाता है उस देश की शिक्षा में से संस्कृति और सभ्यता दोनों को ही अलग कर दिया जाता है l धर्म, देश, संस्कृति, सभ्यता आदि से पनपने वाली नैतिकता की शिक्षाएं भारतीय जनमानस की पीढ़ियों में अब पाई नहीं जातीं, एक 10 वर्ष के बच्चे में भी द्वेष, महत्वाकांक्षी, स्वार्थ, लोभ, चोरी आदि की नीतियाँ दिनों दिन बलवती होती रहती हैं, वोही पीढी आगे जाकर राष्ट्र-निर्माण का कार्य करे, ऐसी आशा करना ही बेकार है l और गुरुकुलों में या फिर घरेलू स्तर पर धर्म, देश, संस्कृति, सभ्यता की शिक्षाएं मिलने पर नैतिकता के आधार पर कार्य करने वाले राष्ट्रवादी लोगों को येही SICKULAR समाज आतंकवादी, अतिवादी आदि का नाम देने में कोई कसार नहीं छोड़ते क्योंकि यही लोग इनके स्वार्थ और महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं होने देते l आचार्य चाणक्य का एक कथन याद आता है "जो व्यक्ति राष्ट्र-हित से ऊपर अपने व्यक्तिगत, संस्थागत, जातिगत हितों को रखता है, ऐसा व्यक्ति राष्ट्र-द्रोह की परिभाषा में सर्व-प्रथम आता है l " बाबा रामदेव जी जब दिल्ली में पहुंचे तभी कांग्रेस में हडकम्प मचना प्रारम्भ हो गया था, कांग्रेस के 4 शीर्ष नेताओं ने तो हवाई अड्डे पर पहुँच कर बाबा रामदेव जी का चरण-स्पर्श करके आशीर्वाद ग्रहण किया, जिसके लिए बाद में उनको अपनी मौसी द्वारा काफी दांत भी खानी पड़ी l फिर प्रारम्भ हुआ वार्ताओं का दौर... इस दौर में कुछ भी साफ़ नहीं था.... साफ़ था तो केवल इतना की वार्ता क्यों हो रही है .... एक चौर की प्रकृति केवल चोरी होती है .... या सीनाजोरी ... आप उससे यह आशा कैसे कर सकते हैं की वो सब चोरी का माल आपको हंसी ख़ुशी दे दे l सरकार के कई लक्ष्य थे... बाबा अनशन वापिस ले लें, जितना हो सके जनता इस अनशन से दूर रहे, काले धन को लेकर सरकार और उनकी राजमौसी किसी दुविधा में न पडें ... इसीलिए सरकार ने अपनी चौथी टांग को पहले से ही दिशा निर्देश दे रखे थे... मीडिया ने पहले ही दिन से बाबा रामदेव जी के सत्याग्रह आन्दोलन का विरोध करते हुए NEGETIVE REPORTS दिखानी प्रारम्भ कर दी थीं, तरह तरह के आरोप प्रत्यारोप विभिन्न व्यक्तियों द्वारा बाबा रामदेव और एनी संतों पर घड़ी घड़ी लगाए जा रहे थे l ऐसे अनेक मानदंड हैं जिनके आधार पर यह स्पष्ट होता है की मीडिया ने इस आन्दोलन को असफल करने में अपनी और से कोई कसार नहीं छोड़ी l ऐसे ही कुछ मानदंड थे जिनके आधार पर 3 जून की शाम को ही मीडिया ने यह प्रसारित करना प्रारम्भ कर दिया की बाबा रामदेव और सरकार के बीच में सहमती बन गई है, अब बाबा केवल एक ही दिन के लिए सांकेतिक अनशन रखेंगे l इससे प्रत्यक्ष रूप से एक लक्ष्य तो हल हो ही रहा था की बाबा रामदेव जी के अनशन में जो लोग शनिवार 3 जून की शाम को या रात को ट्रेन या बस से दिल्ली आएंगे... वो इस भ्रम में आकर वहीं रुक जाएँ l खैर ये चाल भी नहीं चली.... बाबा बहुत क्रोध में वापिस आये जैसे की उनके साथ कोई अनर्गल बहस आदि या कोई दबाव बनाने का प्रयास किया गया हो l 4 जून 2011 अब सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, विभिन्न राज्यों से अनेक मित्रों के साथ मेल मुलाकात का सिलसिला प्रारम्भ हुआ, कुछ मित्रों के साथ कुछ अनहोनी भी हुई जिनसे वो पहुँच नहीं सके, दुःख हुआ पर इससे आगे और भी दुखी होने का समय था l अनशनकारी पूरे संयम और धैर्य से बैठे थे, पूरे दिन विभिन्न बड़े व्यक्तित्वों के भाषण आदि चलते रहे l शाम को एक प्रेस कांफ्रेंस में कुटिल मुस्कान के शेहन्शाह समझे जाने वाले कपिल सिब्बल जी ने एक चिट्ठी सार्वजनिक करते हुए यह तर्क दिया की बाबा रामदेव जी ने तो अनशन कल ही वापिस लेने की घोषणा कर दी थी ... . यह वही कपिल सिब्बल साहब हैं जिन्होंने कहा था की 2G घोटाला नाम का कोई घोटाला हुआ ही नहीं है, सब ठीक है ... खैर कपिल सिब्बल जी ने जो चाल चली उसके पीछे उनका लक्ष्य था की लोगों के दिल में बाबा के प्रति जहर भर जाए, परन्तु यह चाल भी विफल हो गई l 5 जून 2011 सुबह 1 बजे पुलिस के बहुत से बड़े बड़े अधिकारी मौके पर बाबा रामदेव जी की स्टेज के पास पहुँच गए l 8000 पुलिस कर्मी भी बुलाये गए जिसमे RAF की टुकड़ियां भी शामिल थी l इसी बीच हमने देखा अनशनकारियों के बाड़ों के बीच एक व्यक्ति ऊपर चढ़ा और एक हेलोजन LIGHT के पास कुछ करके आया... जिससे थोड़ी देर में आग लग गई l उसके बाद फटाफट दौड़ कर 4 -5 लोगों के साथ मिल कर उस आग को बुझाया गया l हमको समझते देर न लगी की कुछ अनर्थ होने वाला है, हमने शोर मचाकर सभी सोते हुए अनशन कारियों को जगाना प्रारम्भ किया l सब आश्चर्य-चकित थे इतना बड़ा पुलिस बल देख कर, की यह क्या हो रहा है ? इतने में बाबा रामदेव जी और मंच पर ही सोये हुए अन्य लोग भी जाग गए, पुलिस के एक अधिकारी ने बाबा रामदेव जी का हाथ पकड़ कर उन्हें जबरन ले जाने का प्रयास किया l परन्तु मंच पर स्थित कुछ लोगों के बीच बचाव के कारण बाबा रामदेव जी को कुछ समय दिया गया l इतने में ही बाबा रामदेव जी मंच के बाए और बने कोने पर पहुंचे और नीचे कूद कर दर्शक दीर्घा में आ गए.... एक MIKE उपलब्ध करवाया गया .... माइक पर बाबा की आवाज सुनाई दी "मैं यहीं हूँ , मैं आप सब के बीच, और अंतिम समय तक आप के साथ रहूँगा आप सभी अपने स्थान पर बैठे रहें |" ये पहले शब्द थे जिसे सुन कर कुछ लोगों ने शोर मचाना बंद किया .. .पर सबको कुछ न कुछ न कुछ गलत होने की आशंका हो रही थी, बाबा रामदेव जी अगले शब्द सुनने लायक थे "आप सभी लोग मुझसे प्यार करते हो ना , तो सब लोग शांत हो जाओ और जो जहाँ बैठा है वहीं बैठा रहे मैं आप लोगों के बीच ही हूँ मैं कहीं नहीं गया हूँ l सब लोग अपनी जगह पर ही बैठे रहेंगे l अब हम लोग ॐ शब्द का उच्चारण करेंगे " इसके बार समस्त उपस्थित जान समुदाय ने ३ बार ॐ शब्द का उच्चारण किया l इससे कुछ शांति हो गयी बाबा ने आगे कहा "आप सब लोग बिल्कुल शांत हो जाइये अब हम लोग गायत्री मन्त्र बोलेंगे " इसके बाद बाबा के साथ वहां उपस्थित समस्त जन-समुदाय ने एक बार गायत्री मन्त्र और एक बार महामृत्युंजय मन्त्र का उच्चारण किया | इसके बाद पूरे पंडाल में पूर्ण शांति छा गयी थी l इसके बाद बाबा ने कहा "पुलिस मुझे गिरफ्तार करने के लिए आयी है पर अगर आप लोग मुझे प्यार करते हो तो आप में से कोई भी पुलिस के साथ धक्का मुक्की नहीं करेगा कोई चाहें जो भी स्थिति आ जाय आप लोग पुलिस पर प्रहार नहीं करेंगे पुलिसे को मुझे शांति पूर्वक ले जाने देंगे l" हम लोगों को आशा थी की शायद इसके बाद पुलिसे बाबा को गिरफ्तार कर के ले जायेगी इसके बाद बाबा ने फिर कहा की "मुझे एक तार वाला माइक चाहिए क्योंकी इसकी बैटरी ख़तम हो सकती है और एक व्यक्ति छाए जो माइक को पकड़ सके " परन्तु शायद पुलिस तो कुछ और ही सोच कर आयी थी वो बाबा की तरफ बढ़ने लगी भक्तों को के साथ मार पीट करते हुए बाबा ने फिर कहा "मेरा दो स्तर का सुरक्षा चक्र है , अन्दर वाले चक्र में बहने हैं और बाहर वाले चक्र में युवा हैं पुलिसे इस चक्र को ना तोड़े आप लोग मुझे गिरफ्तार करने आये हैं मैं गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हूँ l" लेकिन पुलिस का इरादा कुछ और ही था और इस समय तक महिलाओं और लड़कियों पर लाठियां चलाने लगी थी बाबा ने फिर कहा "आप लोग बहनों के साथ धक्का मुक्की मत करिए " लेकिन पुलिसे ने बाबा की कोई बात नहीं सुनी बाबा ने फिर कहा "आप लोग एक पुलिसे कर्मी होने से पहले एक भारतीय है इस प्रकार से निहत्थों पर प्रहार मत करिए इन लोगों ने आप का क्या बिगाड़ा है अगर यहाँ पर पुलिसे का कोई बड़ा अधिकारी है तो वो हमसे बात करे ......अगर पुलिसे में कोई बड़ा अधिकारी है तो वो आकर हमसे बात करे हम गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हैं " लेकिन बाबा की इस अपील के जवाब में भी पुलिस की तरफ से लाठियां ही चलीं (अधिकारिक रूप से पुलिस का कहना है की वो बाबा वो सुरक्षा संबंधी खतरे के बारे में बताने के लिए गए थे ) परन्तु यह भी सत्य है की 8000 पुलिस का दल बल लेकर कोई शान्ति वार्ता करने या समझाने हेतु नहीं आता ... वो भी .. रात को 1 बजे l हम कुछ लोग पंडाल के बने गलियारे से होकर मंच के तरफ जा रहे थे थोड़ी दूर चलने के ही बाद कुछ पुलिसकर्मी उस रस्ते को रोककर खड़े हुए थे , वो पुलिसकर्मी लाठियां लिए हुए थे और हेलमेट और बाकी सभी सुरक्षा उपकरणों से युक्त थे मतलब वो सीधे-सीधे संघर्ष करने के प्रयास में थे और उन्होंने हम लोगों पर लाठियां चलानी शुरू कर दीं | हम लोग बिना कोई प्रतिरोध किये उस गलियारे को छोड़ कर बाईं तरफ से मंच की तरफ बढे और दौड़ कर मंच के पास पहुच गए | उस समय तक मंच के पास बहुत भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी और बाबा भी मंच पर बाईं तरक्फ़ ही थी तभी कुछ लोगों ने पीछे की तरफ ध्यान दिलाया तो पंडाल की बाईं तरफ से पुलिसकर्मी मंच की तरफ पहुँचाने का प्रयास कर रहे थे| हम लोगों ने उन पुलिसकर्मियों को आगे नहीं बढ़ने दिया और न ही मंच की तरफ जाने के रस्ते को घेर लिया इससे वो पुलिसकर्मी वापस लौट गए उनके वापस जाने के बाद हम लोग फिर से मंच के ठीक नीचे बाईं तरफ पहुँच गए थे और आगे के क्या होगा इसकी प्रतीक्षा कर रहे थे | तभी मंच पर चढ़े कुछ लोगों ने हमसे कहा की मंच के पीछे जाकर घेरा बनाओ क्योंकी पुलिसे पीछे से मंच पर चढ़ने की कोशिश कर रही है | हम लगभग 30 लोग मंच के पीछे चले गए और वहां पर जो पुलिस्कर्मे खड़े थे और मंच की तरफ जा रहे थे उनके सामने घेरा बना कर खड़े हो गए | हम लोग वन्देमातरम और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे | हमारे घेरे के कारण तो वो पुलिसकर्मी कुछ पीछे हट गए और वहां लगे हुए एक लोहे के द्वार के ठीक बाहर खड़े हो गए इस समय मैं सबसे आगे खड़े हुए 4 या 5 लोगों में से था तभी उन पुलिसकर्मियों के अधिकारी ने उनको आदेश दिया हमें मारने का और उन पुलिस कर्मियों ने हम पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी | यह एक विशुद्ध रूप से भगदड़ मचने का प्रयास था क्यों की उस स्थान पर(मंच के पीछे) ना तो पर्याप्त प्रकाश था और ना ही जमीन ही समतल थी इस लिए भगदड़ में गिरने की संभावना और चोटिल होने की संभावना बहुत अधिक थी (और शायद यही पुलिस का लक्ष्य था )| इस लाठीचार्ज के कारण हम लोगों को वहां से पीछे हटाना पड़ा परन्तु बिना किसी भगदड़ के और हम लोग फिर से मंच के पास आ गए बायीं तरफ परन्तु इस समय तक बाबा हमें दिखाई नहीं दे रहे थे और हम मंच के पास ही खड़े थे और पूरी भीड़ मंच की तरफ ही बढ़ रही थी | लोग इस सब के बाद अपने स्थान पर खड़े तो हो गए थे परन्तु पीछे हटाने के लिए कोई तैयार नहीं था |इस सब के बीच में अफरातफरी और धुएं के कारण बाबा लोगों को दिखाई देना बंद हो गए थे | वहां पर उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति का यही मत था की अगर बाबा को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है तो हम अनशन और सत्याग्रह जारी रखेंगे | इसके बाद अश्रु गैस के गोले भारी मात्र में चलने लगे थे मंच के ऊपर से और अगर आंसू गैस के गोलों की संख्या के बारे में कुछ मानक होते हैं तो उसका निश्चित रूप से उल्लंघन हुआ होगा | मुझे केवल धुएं के कारण 100 मीटर दूरी की चीज भी नहीं दिखाई दे रही थी (पुलिस के अनुसार १८ गोले चलाये गए थे |) |पुलिसकर्मी अब पूरी शक्ति से लाठियां भी चलने लगे थे और वो हर किसी को मार रहे थे हम लोग तो लाठियां खाने के लिए थे शे परन्तु शायद महिलाओं से तो महिला पुलिस निपटाती है , लेकिन वहां पुरुष पुलिसकर्मी ही महिलाओं पर भी लाठियां चला रहे थे (आप ने अगर महिलापुलिस्कर्मियों की कोई फोटो देखि है तो वो शायद वहां पर केवल फोटो के लिए ही बुलाई गयी होंगी करवाई में वो नहीं थीं )यही नहीं वृद्धों और 8 वर्ष के बच्चों पर भी लाठियां चलायी जा रही थीं | इस सत्याग्रह में लोग सारे देश से आये थे और लम्बे समय तक रुकने के लिए आये थे | इस स्थिति में उनके पास बहुत सामान था और उसे उठाकर भगा नहीं जा सकता था लेकिन पुलिस कर्मी बाहर लिकल रहे लोगों को भी मार रहे थे | सत्याग्रही भूखे थे नींद में थे जबकी पुलिसकर्मी पूरी तरह से तैयार थे | सत्याग्रहियों के पास भरी सामान था जिसको लेकर तेज गति से चलाना भी संभव नहीं था और पुलिसकर्मियों के पास लाठी , हेलमेट और अन्य सुरक्षा उपकरण थे | एक महिला को इस प्रकार कुछ पुलिस वालों ने पीटा और इतनी लाठियां बरसाईं की वो महिला उठ ही नहीं सकी, अगले दिन पता लगा की एक महिला की रीढ़ की हड्डी टूट गई है वो अस्पताल में है, तो शंका हुई की शायद वो वही स्त्री हो सकती है l पुलिस कर्मियों को यह ज्ञात था की वो वहां पर क्या करने आये हैं, परन्तु इस बीच पुलिस कर्मियों ने अपने अपने मनोरंजन के लिए महिलाओं से छेड़छाड़ भी की, उनके कपडे फाड़े l उनके कपड़ों के अन्दर हाथ डाल कर उन्हें प्रताड़ित तक किया गया l सत्याग्रही 8 वर्ष के बच्चे भी थे 70 वर्ष के बुजुर्ग भी और पुलिसकर्मी सभी युवा लेकिन फिर भी पुलिसकर्मी हिंसक थे और सत्याग्रही शांत पुलिसकर्मी हुडदंगी और दंगाई थे जबकी सत्याग्रही शांत और अनुसशित थे | सत्याग्रहियों ने न तो कोई भगदड़ होने दी और न ही पुलिसकर्मियों पर प्रहार किया क्यों की बाबा ने हमें ऐसा करने से माना किया हुआ था (अगर आप ने कोई समाचार सुना है तो आप पत्रकारों की कल्पनाशीलता की प्रशंशा कर सकते हैं |) मैंदान से निकालने के लिए केवल एक छोटा सा दरवाजा था जिससे एक बार में केवल एक या दो लोग ही निकल सकते थे (जो दो आपातकालीन दरवाजे बनाये गए थे उनका भी प्रयोग नहीं किया गया लोगों को निकालने के लिए इससे बड़ा आपातकाल क्या हो सकता था ) मैं बाहर निकालने वाले अंतिम शायद 100 लोगों में से था | जब हम लोग हटते हुए दरवाजे तक आ गए थे तो वहां भीड़ बहुत ज्यादा हो गयी थी क्योंकी निकलने के लिए एक छोटा ही दरवाजा था और पुलिस को ये दिख भी रहा हटा परन्तु पुलिस तब भी अंत तक लाठियां चलाती रही ताकि किसी तरह से भगदड़ मच जाय लेकिन सभी सत्याग्रही अत्यंत अनुशाषित थे इसलिए वहां ना तो कोई भगदड़ हुई और ना ही कोई हादसा | ज्यादातर लोग बाहर निकाले जा चुके थे, अन्दर क्या हो रहा था बाहर वालों को नहीं पता था, और बाहर क्या हो रहा है ये अन्दर वालों को नहीं पता था l अन्दर अब नाम-मात्र के ही लोग थे, बाबा रामदेव जी को कुछ पुलिस वालों ने पकड़ कर क्रोधवश घसीटना प्रारम्भ कर दिया l दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों ने बाबा रामदेव जी के कपडे फाड़ कर कहा की "जा भाग अब कहाँ भागेगा, तेरा अनशन आज खुलवा देते हैं l " एक योगी के साथ इस प्रकार का व्यवहार देख कर शर्म आ रही थी की भारत की जनता ने किस आधार पर ऐसी विदेशी मानसिकता की सरकार को अपना अभिभावक बनाया l एक योगी के भगवा वस्त्र फाड़े जाने पर हम सब शर्मसार थे, इस प्रकार नपुंसकता का भाव पैदा हो रहा था जैसे हमारे सामने कोई गौ-हत्या कर रहा है और हम नहीं बचा पा रहे l बाबा रामदेव जी को 40 - 50 पुलिस वालों के बीच में बिठा कर सब पुलिस वाले सारे मैदान का एक दौरा करने अलग अलग टुकड़ियों में जाने लगे l इतने में एक महिला भागती हुई गई और बाबा रामदेव जी को अपने कपडे फेंक कर दिए, उस महिला ने मानो अपना सम्पूर्ण आदमी शौर्य उस समय दिखा दिया, पर उसके बाद जनरल डायर के आदेश पर उक्त वीरांगना महिला को इतना पीटा गया की जिसकी अगर कोई सजा देना चाहे ... वो भी नहीं दी जा सकती l पुलिस वालों को उस महिला में न जाने कौन सा शत्रु दिखाई दिया की उस महिला के गुप्तांगो तक पर रायिफ्लों से वार किये गए l वो महिला खून से लथपथ वहीं पड़ी रही l उसे न तो पुलिसकर्मियों ने उठा कर एम्बुलेंस तक पहुँचाया न ही किसी और को इस कार्य को करने दिया l इस बीच हम सबको भी लाठीचार्ज करके बाहर धकेल दिया गया, बाहर का नजारा तो और भी आश्चर्य-चकित कर देने वाला था l जाकिर हुसैन कालेज वाले रोड पर हजारों की संख्या में घायल लोग सडकों पर और फुटपाथ पर बैठे हुए थे, जिनमे से कुछ लोग नारेबाजी भी कर रहे थे, मीडिया के लिए हलवा पूरी का लंगर अभी भी लगा हुआ था, मीडिया के केमरे कार्यरत थे और वे उन लहुलुहान घायलों की भी तस्वीरें ले रहे थे, पर वो LIVE दिखाई जा रही थीं या नहीं, ये मैं नहीं जानता l इतने में ही कुछ फायर-ब्रिगेड की गाड़ियां बुलाई गईं, और RAF की 4 टीम और बुलाई गईं, साथ ही पुलिस की खाली बसें मंगवाई गईं गिरफ्तारियां करने के लिए l हमको वहां से जाने को कहा गया, हमने कह अकी इतनी देर रात कहाँ जाया जाये, न कोई ट्रेन मिलेगी न ही बस l हमने वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों से कहा की यहाँ पर बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका सामान अन्दर रह गया है, ट्रेन बस की टिकेट भी अन्दर हैं, आप कुछ लोगों को आज्ञा दे दीजिये की वो लोग अपना सामान ले आयें अन्दर से, तो एक ACP ने कहा की किसने कहा था सामान लेके आने को, आये किसलिए थे, अब कोई अन्दर नहीं जायेगा l चलो भागो यहाँ से l जिसका हम सबने विरोध किया, हमने पुलिस वालों को स्पष्ट कहा की डराने की आवश्यकत नहीं है, यदि गिरफ्तार करना है तो करो .... इस पर उन्होंने 2 बसें बुलवायीं और जितने लोग हो सके उसमे बिठा कर हमको पूरी दिल्ली का भ्रमण करवा कर आनंद विहार बस अड्डा पर सुबह 3:45 पर छोड़ दिया l हमारे साथ 40 - 50 औरतें और 25 -30 आदमी थे, कुछ बच्चे भी थे, जो की गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और झारखंड से थे .... ज्यादातर का सामान छूट चूका था, उन सबकी जिम्मेदारी एक तरफ से हमारे ऊपर थी क्योंकि उनमे से ज्यादातर लोग दिल्ली से अनजान थे l हमने उन्हें कहा की आप लोग कुछ देर यहाँ पर आराम करें, सुबह 5 - 6 बजे के बीच मेट्रो रेल सेवा आरम्भ होने पर हम आपको सुरक्षित नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन छोड़ देंगे ... इस बीच हम लोगों ने निर्णय लिया की क्यों न इस बस अड्डे, रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को भी इस बर्बरता पूर्ण रवेइय्ये और बाबा रामदेव जी की गिरफ्तारी के विषय में बता कर जागरूक कर दिया जाए, हम लोग 3 -3 , 4 -4 लोग अलग अलग दिशाओं में गए, और सबको सारा वृत्तान्त सुनाने का प्रयास किया l एक भाई साहब ने बस के अन्दर बैठे बैठे ही बाबा रामदेव जी को आशीर्वाद दे डाला और कहा की बाबा कल आराम से छूट जायेंगे चिंता न करो, मुझे हंसी भी आ रही थी और क्रोध भी, की कैसे कैसे लोग हैं इस दुनिया में जो सड़क पर उतरना तो दूर, जो उतरे हैं उनका ही मजाक बनाने में कोई कसार नहीं छोड़ते l आनंद विहार बस अड्डे और रेलवे स्टेशन के बाहर हम पहुंचे तो कोई 3 -4 गाड़ियां खडी थीं, उसमे कुछ युवा-पीढ़ी के लोग अपनी SATURDAY NIGHT पार्टी मना कर नशे में चूर घर लौट रहे थे और आनंद विहार पर सिगरेट, पानी, चाय आदि के लिए खड़े थे, उन लोगों को भी हमने बताया पर उनमे से कुछ Low Waist Narrow Bottom या कहिये Low Moral Narrow Minded प्रवृत्ति की युवा पीढ़ी ने हमे बहुत ही करार सा जवाब दिया .... CHILL DUDE CHILL ... its all politics ... you better go back to your home and take a rest . हम लोग अपना काम करते रहे, मगर अफ़सोस की कोई साथ नहीं आया .... और आये भी क्यों ? फिर 5:30 बजते ही हमने सबको मेट्रो रेल से नयी दिल्ली की और ले जाना प्रारम्भ किया, नयी दिल्ली उतर कर उन सब महिलाओं और अन्य लोगों को मिन्टो रोड स्थित आर्य समाज मन्दिर पहुँचाया l और हम लोग निकल गए गुरुद्वारा बंगला साहब, वहां पर जाकर देखा तो सब लोग वहां धुप में बैठे हुए हैं, निहाल, कई लोग जख्मी हैं, उनकी मरहम पट्टी की जा रही है, थोड़ी देर उन सबके हाल चाल पूछ कर हम लोग निकले जंतर मंतर की और ... वहां पर अब विरोध प्रदर्शन के समाचार मिले थे कई लोगों से की सम्पूर्णानंद जी विरोध प्रदर्शन करेंगे l जंतर मंतर पहुंचे तो देखा की पूरा जंतर मंतर रोड पूर्णतया सील कर दिया गया है l इससे एक बात और जाहिर हुई की केवल बाबा रामदेव जी के अनशन को ही बंद नहीं करवाया गया अपितु जन्तर मन्तर बैठे अन्य अनशन कारियों को भी जबरन बलपूर्वक वहां से भगा दिया गया था l जंतर मंतर एक ऐसी जगह है जहां पर आपको हर समय कम से कम 20 समूह ऐसे मिल जायेंगे जो किसी न किसी विषय पर धरना प्रदर्शन या विरोध प्रदर्शन कर रहे होते हैं, उन सबके साथ क्या हुआ... ये भी विचार योग्य बात है l इस सब में केवल 2 घंटे का समय ही दिया गया जिसमे राम लीलामैदान खाली करना था और मैदान में १ लाख लोग थे | जलियावाला बाग़ कांड इतिहास से निकल कर वास्तिविकता में आगया था सामने फिर यह सिर्फ बाबा की वाणी का ही प्रभाव था की लोगो ने सयम रखा नहीं तो एक पुलिस बार बार यह प्रयास कर रही थी की सत्याग्रही भड़क कर प्रतिरोध करे और 8000 (जी हाँ 5000 केवल सरकारी आंकड़ा है)पुलिस को गोलियां चलने का बहाना मिले | वहा से कैमरे चोरी कर लिए गए और एडिट करके दिखाया जा रहा है | इस को जितना share कर सकें ... अच्छा होगा l
1 comment:
yai bahot sharamnaak vardaat h jo har ek bharatiyo ko yaad dilane k liyai kafi h hum log abhi tak ajad h ki nhi.
jis desh ki police hi suraksha k naam be aisai abadrr ghinono bartav kare to kya hoga is desh ka aisai police walo ko bich road m nanga kr k maro.... jai hind
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