आतंकवादिओं का संरक्षक -दिग्विजय सिंह
मित्रों यह लेख 16 मार्च 2009 को बी.एन. शर्मा ने अपने ब्लॉग पर लगया था मगर उसके कुकर्मों का खुलासा करने के लिये यहां आपको पढ़ाना जरूरी है.
प्रस्तुतिः डॉ0 संतोष राय
दिग्विजय सिंह एक तिकड़म बाज़,मक्कार, और सत्तालोलुप व्यक्ति है.यह पैदायशी हिंदूविरोधी स्वभाव के लिए कुख्यात है। दुर्भाग्यवश यह व्यक्ति १९९३ से २००३ तक मध्य प्रदेश का मुख्य मंत्री रहा .इसने अपने १० साल के कार्यकाल में मध्य प्रदेश को पूरी तरह से बरबाद कर दिया। और अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए सिम्मी जैसे आंतकवादी संगठन को संरक्षण देकर ,उसे फलने फूलने ,और विस्तार करने के लिए हर तरह की मदद दी .इन १० सालों के अन्दर ही सिम्मी ने मध्य प्रदेश के हर जिले में अपना जाल बिछा लिया .और आज यह राष्ट्रीय स्तर का एक आंतकवादी संगठन बन चुका है .सिम्मी की सहायता से ही दिग्विजय सिंह १० साल तक सत्ता पर टिका रहा .आख़िर २००३ के चुनाव में उमा भारती ने मध्य प्रदेश की जनता को इस राक्षस से मुक्ति दिलायी ।
अपने हिन्दू विरोधी स्वभाव के चलते दिग्विजय सिंह अक्सर हिन्दू संगठनो पर झूठे आरोप लगाता रहता है। और मुस्लिम आतंकवादिओं को निर्दोष बताता रहता है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं।
१९९८ में झाबुआ जिले में २४ आदमियों ने कुछ ईसाई नर्सोंसे बलात्कार किया था .अपनी आदत के मुताबिक ,बिना किसी सबूत के,दिग्विजय सिंह ने इसके लिए हिन्दू संगठनों को जिम्मेदार ठहरा दिया। बाद में पता चला की बलात्कारी ख़ुद ईसाई थे।
इस झूठे आरोप के लिए ,भोपाल के एक वकील ने दिग्विजय के ख़िलाफ़ झाबुआ की अदालत में मुकदमा दायर कर दिया था। और अदालत ने दिग्विजय की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया था। दिग्विजय उस समय मुख्य मंत्री था। बाद में दिग्विजय ५००० रु की ज़मानत पर छूटा था।
प्रज्ञा ठाकुर को फ़साने की इसी की चाल थी .परज्ञा ठाकुर के पिता ,चन्द्र पाल सिंह भिंड में एक आयुर्वेद डाक्टर हैं,वे पहले पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ता थे.लेकिन इमरजेंसी के दौरान इंदिरा ने लोगों पर जो अत्याचार किए थे ,वह देख कर चन्द्र पाल सिंह आर एस एस में शामिल हो गए। उस समय उसकी लड़की पढ़ रही थी। वह भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में शामिल हो गयी। संघ का परम शत्रू होने के कारण ,दिग्विजय सिंह को यह अच्छा नहीं लगा। उसने अपने उपगृह मंत्री गोविन्द सिंह को चन्द्र पाल के पास भेजा, जो उसका ख़ास मित्र था। गोविन्द सिंह ने प्रज्ञा ठाकुर को भिंड में टीचर की सरकारी नौकरी देने का ,देने का लालच दिया। और कहा की यह दिग्विजय सिंह का प्रस्ताव है। लेकिन चन्द्र पाल सिंह ने वह प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया की वह दुबारा कोंग्रेस में नहीं जा सकते .इसपर गोविन्द सिंह ने चेतावनी दी की दिग्विजय सिंह का प्रस्ताव ठुकराना ,भविष्य में आपके और आपकी बच्ची के लिए भारी पडेगा।
तब से दिग्विजय सिंह ,एक कुचले हुए सौंप की तरह ,प्रज्ञा ठाकुर को फ़साने की तरकीबें तलाश रहा था।
यह सारी घटना इंडियन एक्सप्रेस दिनांक २७ अक्टूबर २००८ में छपी है।
दिग्विजय सिंह और सिम्मी के सम्बन्ध १९९५ में ही उजागर हो गए थे।
दिनांक २६ जुलाई ९५ जनसत्ता के अनुसार इंदौर में ,रतलाम नगर निगम के कांग्रेसी पार्षद आर आर खान के फार्म हाउस से हथियारों का बड़ा ज़खीरा बरामद हुआ था .यह फार्म हाउस आर आर खान के भाई महमूद खान की पत्नी के नाम था। दोनों भाई कांग्रेस की कई संस्थाओं से जुड़े थे। कई बार इनको दिग्विजय सिंह और राज्यपाल शफी कुरेशी के साथ फोटो में मंच पर बैठे दिखाया गया .दिग्विजय सिंह ने आर आर खान को अल्प संख्यक समिति का संयोजक नामज़द किया था। दिग्विजय सिंह की सिफारिश पर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इब्राहीम कुरैशी ने अपने लैटर पेड पर आर आर खान की नियुक्ति की थी ।
दिखाने को तो खान टैंकर चलाता था ,लेकिन वह दावुद का आदमी था ,और मध्य प्रदेश से गुजरात और दूसरे प्रान्तों में हथियार भेजता था .इसमे उसका ड्राईवर पप्पू उसकी मदद करता था। कुरैशी के साथ यह लोग सारे मालवा में सिम्मी के कायक्रम कराते थे। यहाँ तक की ये सिम्मी के लोग मुख्यमंत्री निवास में आयोजित भोजों में शामिल होते थे, और दिग्विजय सिंह इन आतंकवादिओं को अपने हेलिकोप्टर में जगह जगह ले जाता था।
तत्कालीन रतलाम के विधायक झालानी और विपक्ष के नेता विक्रम वर्मा ने इस मामले की जांच कराने और कुरैशी के इस्तीफे की मांग भी की थी। लेकिन दिग्विजय सिंह ने अपने प्रभाव से यह मामला दबा दिया था। और यह आतंकवादी फरार होकर भूमिगत हो गए। फ़िर इन लोगों ने इंदौर ,खरगौन और आसपास के जंगलों में गुप्त रूप से आंतकवादी प्रशिक्षण शिविर लगाए। और धीमे धीमे इनके तार हूजी और अलकायदा से भी जुड़ गए। आज इस दिग्विजय सिंह के संरक्षण की बदौलत सिम्मी का नेटवर्क सारे भारत में फ़ैल गया है।
राज एक्सप्रेस ३अप्रिल २००८ के अनुसार भोपाल में होने वाली सारी लूटों में सिमी का हाथ है। आज सिम्मी की इतनी हिम्मत हो गयी है की ,सफ़दर नागौरी ने खुली धमकी दे डाली की वह सन २०१० तक भारत को एक इस्लामी देश बना देगा ,और मोदी, अडवानी ,तोगडिया ,व् ठाकरे की ह्त्या कर देगा। लोकस्वामी इंदौर दिनांक ३ अक्टूबर ०८ ।
लेकिन दिग्विजय सिंह ने संजय दत्त जैसे आंतकवादी को निर्दोष बताया है .टाइम्स ऑफ़ इंडिया १६.जन ०९
आज भी दिग्विजय सिंह सिम्मी के निकट संपर्क है.इसीलिए जब समीर कुलकर्णी ने भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट की (नवदुनिया १ मार्च ०९)तो दिग्विजय सिंह इसे कैसे बर्दाश्त करता .उसने फ़िर अपनी चाल चली। और दिग्विजय सिंह के इशारे पर सिम्मी के कोषाध्यक्ष मुहम्मद अली ने जबलपुर की अदालत में एक याचिका दायर कर दी की उसे अभिनव भारत से जान का खतरा है .दैनिक जागरण १० मार्च ०९। चूंकि समीर कुलकर्णी अभिनव भारत का एक कार्यकर्ता है ,और हिन्दू है,इसलिए दिग्विजय सिंह का यह प्लान था की समीर का मामला और उलझ जाए। समीर के ख़िलाफ़ जबलपुर के एक चर्च में आग लगाने का झूठा मुकदमा चल रहा था,जो बाद में दिनांक १४ मार्च ०९ को साक्ष्य के अभाव में खारिज हो गया।
यह दुष्ट दिग्विजय सिंह के गाल पर पहिला तमाचा है.आज देश भर में जितनी भी आंतकवादी घटनाएं हुई हैं ,और हो रही हैं उन सबके पीछे जरूर दिग्विजय सिंह का हाथ है .अगर दिग्विजय सिंह का नारको टेस्ट कराया जाए तो अवश्य इसका घिनोना रूप प्रकट हो जायेगा;
जय भारत बी एन शर्मा भोपाल दिनांक १६ मार्च 09
अपने हिन्दू विरोधी स्वभाव के चलते दिग्विजय सिंह अक्सर हिन्दू संगठनो पर झूठे आरोप लगाता रहता है। और मुस्लिम आतंकवादिओं को निर्दोष बताता रहता है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं।
१९९८ में झाबुआ जिले में २४ आदमियों ने कुछ ईसाई नर्सोंसे बलात्कार किया था .अपनी आदत के मुताबिक ,बिना किसी सबूत के,दिग्विजय सिंह ने इसके लिए हिन्दू संगठनों को जिम्मेदार ठहरा दिया। बाद में पता चला की बलात्कारी ख़ुद ईसाई थे।
इस झूठे आरोप के लिए ,भोपाल के एक वकील ने दिग्विजय के ख़िलाफ़ झाबुआ की अदालत में मुकदमा दायर कर दिया था। और अदालत ने दिग्विजय की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया था। दिग्विजय उस समय मुख्य मंत्री था। बाद में दिग्विजय ५००० रु की ज़मानत पर छूटा था।
प्रज्ञा ठाकुर को फ़साने की इसी की चाल थी .परज्ञा ठाकुर के पिता ,चन्द्र पाल सिंह भिंड में एक आयुर्वेद डाक्टर हैं,वे पहले पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ता थे.लेकिन इमरजेंसी के दौरान इंदिरा ने लोगों पर जो अत्याचार किए थे ,वह देख कर चन्द्र पाल सिंह आर एस एस में शामिल हो गए। उस समय उसकी लड़की पढ़ रही थी। वह भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में शामिल हो गयी। संघ का परम शत्रू होने के कारण ,दिग्विजय सिंह को यह अच्छा नहीं लगा। उसने अपने उपगृह मंत्री गोविन्द सिंह को चन्द्र पाल के पास भेजा, जो उसका ख़ास मित्र था। गोविन्द सिंह ने प्रज्ञा ठाकुर को भिंड में टीचर की सरकारी नौकरी देने का ,देने का लालच दिया। और कहा की यह दिग्विजय सिंह का प्रस्ताव है। लेकिन चन्द्र पाल सिंह ने वह प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया की वह दुबारा कोंग्रेस में नहीं जा सकते .इसपर गोविन्द सिंह ने चेतावनी दी की दिग्विजय सिंह का प्रस्ताव ठुकराना ,भविष्य में आपके और आपकी बच्ची के लिए भारी पडेगा।
तब से दिग्विजय सिंह ,एक कुचले हुए सौंप की तरह ,प्रज्ञा ठाकुर को फ़साने की तरकीबें तलाश रहा था।
यह सारी घटना इंडियन एक्सप्रेस दिनांक २७ अक्टूबर २००८ में छपी है।
दिग्विजय सिंह और सिम्मी के सम्बन्ध १९९५ में ही उजागर हो गए थे।
दिनांक २६ जुलाई ९५ जनसत्ता के अनुसार इंदौर में ,रतलाम नगर निगम के कांग्रेसी पार्षद आर आर खान के फार्म हाउस से हथियारों का बड़ा ज़खीरा बरामद हुआ था .यह फार्म हाउस आर आर खान के भाई महमूद खान की पत्नी के नाम था। दोनों भाई कांग्रेस की कई संस्थाओं से जुड़े थे। कई बार इनको दिग्विजय सिंह और राज्यपाल शफी कुरेशी के साथ फोटो में मंच पर बैठे दिखाया गया .दिग्विजय सिंह ने आर आर खान को अल्प संख्यक समिति का संयोजक नामज़द किया था। दिग्विजय सिंह की सिफारिश पर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इब्राहीम कुरैशी ने अपने लैटर पेड पर आर आर खान की नियुक्ति की थी ।
दिखाने को तो खान टैंकर चलाता था ,लेकिन वह दावुद का आदमी था ,और मध्य प्रदेश से गुजरात और दूसरे प्रान्तों में हथियार भेजता था .इसमे उसका ड्राईवर पप्पू उसकी मदद करता था। कुरैशी के साथ यह लोग सारे मालवा में सिम्मी के कायक्रम कराते थे। यहाँ तक की ये सिम्मी के लोग मुख्यमंत्री निवास में आयोजित भोजों में शामिल होते थे, और दिग्विजय सिंह इन आतंकवादिओं को अपने हेलिकोप्टर में जगह जगह ले जाता था।
तत्कालीन रतलाम के विधायक झालानी और विपक्ष के नेता विक्रम वर्मा ने इस मामले की जांच कराने और कुरैशी के इस्तीफे की मांग भी की थी। लेकिन दिग्विजय सिंह ने अपने प्रभाव से यह मामला दबा दिया था। और यह आतंकवादी फरार होकर भूमिगत हो गए। फ़िर इन लोगों ने इंदौर ,खरगौन और आसपास के जंगलों में गुप्त रूप से आंतकवादी प्रशिक्षण शिविर लगाए। और धीमे धीमे इनके तार हूजी और अलकायदा से भी जुड़ गए। आज इस दिग्विजय सिंह के संरक्षण की बदौलत सिम्मी का नेटवर्क सारे भारत में फ़ैल गया है।
राज एक्सप्रेस ३अप्रिल २००८ के अनुसार भोपाल में होने वाली सारी लूटों में सिमी का हाथ है। आज सिम्मी की इतनी हिम्मत हो गयी है की ,सफ़दर नागौरी ने खुली धमकी दे डाली की वह सन २०१० तक भारत को एक इस्लामी देश बना देगा ,और मोदी, अडवानी ,तोगडिया ,व् ठाकरे की ह्त्या कर देगा। लोकस्वामी इंदौर दिनांक ३ अक्टूबर ०८ ।
लेकिन दिग्विजय सिंह ने संजय दत्त जैसे आंतकवादी को निर्दोष बताया है .टाइम्स ऑफ़ इंडिया १६.जन ०९
आज भी दिग्विजय सिंह सिम्मी के निकट संपर्क है.इसीलिए जब समीर कुलकर्णी ने भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट की (नवदुनिया १ मार्च ०९)तो दिग्विजय सिंह इसे कैसे बर्दाश्त करता .उसने फ़िर अपनी चाल चली। और दिग्विजय सिंह के इशारे पर सिम्मी के कोषाध्यक्ष मुहम्मद अली ने जबलपुर की अदालत में एक याचिका दायर कर दी की उसे अभिनव भारत से जान का खतरा है .दैनिक जागरण १० मार्च ०९। चूंकि समीर कुलकर्णी अभिनव भारत का एक कार्यकर्ता है ,और हिन्दू है,इसलिए दिग्विजय सिंह का यह प्लान था की समीर का मामला और उलझ जाए। समीर के ख़िलाफ़ जबलपुर के एक चर्च में आग लगाने का झूठा मुकदमा चल रहा था,जो बाद में दिनांक १४ मार्च ०९ को साक्ष्य के अभाव में खारिज हो गया।
यह दुष्ट दिग्विजय सिंह के गाल पर पहिला तमाचा है.आज देश भर में जितनी भी आंतकवादी घटनाएं हुई हैं ,और हो रही हैं उन सबके पीछे जरूर दिग्विजय सिंह का हाथ है .अगर दिग्विजय सिंह का नारको टेस्ट कराया जाए तो अवश्य इसका घिनोना रूप प्रकट हो जायेगा;
जय भारत बी एन शर्मा भोपाल दिनांक १६ मार्च 09
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