सोचिये और ध्यान से पढिये
बाबा का आन्दोलन सिर्फ काले धन के लिए ही नहीं है.
निम्नलिखित बातो पर जरा गौर करे
१ बाबा ने हमेंशा अपनी योग शिविर में भारत के स्वाभिमान की बात राखी है.
२ बाबा ने हर प्रवचन में भारतीय बनावट की चीजों पर ही आग्रह किया है
...
४ आयुर्वेदिक दवाए जनता के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हुए भारतीयों को आर्थिक रूप से भी लाभकर्ता रही है.
५ भारत वर्ष की सदियों पुरानी परंपरा को बरक़रार रखते हुए टेक्नोलॉजी प्रयोग करने पर बल दिया है..
६ भारत के युवाओ के स्वास्थ्य पर भारी नुकसान पहुंचा रहे विदेशी ठन्डे पेय का विरोध किया है. जिससे भारतीय युवाओ के जींस में जो कमजोरियां पैदा हो रही है वो आप देख ही रहे हो.
७. बाबा हर वक्त यही बताते रहे की यह भूमि राणा प्रताप,छत्रपति शिवाजी, झांसी की रानी को पैदा करती थी. मगर पाश्चात्य संस्कारो और कुसंस्कारों ने आज यही भूमि को जैसे बाझ बना कर रखा है. और यह सच साबित हो रहा है. घी दूध,छाछ और लस्सी पीनेवाले युवा आज कोका,पेप्सी के पीछे बर्बाद हो रहे है.
८ भारत का इतिहास भव्य था और उसे पुनः वह परम वैभव की और ले जाने वाली प्रक्रिया चला रहे थे बाबा.
क्या गलत किया है बाबा ने जो अभी भी हम निजी भाग,विलास और अतृप्त कामनाओं की पूर्ति में लिप्त रहते हुए हमारे और हमारी अगली पीढ़ी के भविष्य के लिए उदासीन क्यों है.३.बाबा ने पाश्चात्य अनुकरण से दूर रहने की बात भारत को कही है.
बाबा का आन्दोलन सिर्फ काले धन के लिए ही नहीं है.
निम्नलिखित बातो पर जरा गौर करे
१ बाबा ने हमेंशा अपनी योग शिविर में भारत के स्वाभिमान की बात राखी है.
२ बाबा ने हर प्रवचन में भारतीय बनावट की चीजों पर ही आग्रह किया है
...
४ आयुर्वेदिक दवाए जनता के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हुए भारतीयों को आर्थिक रूप से भी लाभकर्ता रही है.
५ भारत वर्ष की सदियों पुरानी परंपरा को बरक़रार रखते हुए टेक्नोलॉजी प्रयोग करने पर बल दिया है..
६ भारत के युवाओ के स्वास्थ्य पर भारी नुकसान पहुंचा रहे विदेशी ठन्डे पेय का विरोध किया है. जिससे भारतीय युवाओ के जींस में जो कमजोरियां पैदा हो रही है वो आप देख ही रहे हो.
७. बाबा हर वक्त यही बताते रहे की यह भूमि राणा प्रताप,छत्रपति शिवाजी, झांसी की रानी को पैदा करती थी. मगर पाश्चात्य संस्कारो और कुसंस्कारों ने आज यही भूमि को जैसे बाझ बना कर रखा है. और यह सच साबित हो रहा है. घी दूध,छाछ और लस्सी पीनेवाले युवा आज कोका,पेप्सी के पीछे बर्बाद हो रहे है.
८ भारत का इतिहास भव्य था और उसे पुनः वह परम वैभव की और ले जाने वाली प्रक्रिया चला रहे थे बाबा.
क्या गलत किया है बाबा ने जो अभी भी हम निजी भाग,विलास और अतृप्त कामनाओं की पूर्ति में लिप्त रहते हुए हमारे और हमारी अगली पीढ़ी के भविष्य के लिए उदासीन क्यों है.
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