भ्रष्टाचार में सबसे आगे हैं सोनिया की कांग्रेस
280 लाख करोड़ का सवाल है ...
प्रस्तुति-डॉ0 संतोष राय
भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टरaa. यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30सालों का... बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है. या यूँ कहें कि 60 करोड़
रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह
सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने
कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है. हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है. हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ..
स्वामी रामदेवजी से ही क्यों डरती है कांग्रेस? विदेशी लोगों का समर्थ...न करने वाली मिडिया क्यों पड़ी है स्वामी जी के पीछे ???? दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है स्वामी रामदेव जी से ही कांग्रेस क्यों परेशान है और डरती है, जानिए कारण:
स्वामी रामदेवजी जी के तर्क के आगे कांग्रेस के तथाकथित प्रवक्ता 5 मिनट भी नहीं टिकेंगे.
स्वामी जी के पास कांग्रेस का वास्तविक इतिहास का साक्ष्य है और कांग्रेस के कारनामो का काला चिटठा है,
अभी तो बात आएगी मंच पर बहस की, जिसकी की आगे के किसी भी चुनाव में जोर देकर मांग की जायेगी, तब ये अज्ञानी प्रवक्ता मंच पर जनता को क्या जवाब देंगे, सरकार हर साल लोगों से 134 प्रकार के टैक्स से कितना पैसा जमा कराती है और ये पैसे कहा खर्च हो जाते है? मंदिरों का पैसा सरकार किस मद में खर्च कराती है जिसे सिर्फ हिन्दू दान देकर इकठ्ठा करता है, ये बहुत बड़ा प्रश्न है.
मंच पर ये बहस नहीं होगी की क्या विकास किया, बहस होगी की राहुल, सोनिया, चिदंबरम, पवार, मनमोहन, विलासराव देशमुख, अहमद पटेल, प्रणव मुखर्जी जैसे लोंगो के भी काले धन के खाते है क्या?
काले धन का इतिहास क्या है, पहले कपिल सिब्बल ने कहा कोई भी नुकसान २ जी घोटाले में नहीं हुआ है, फिर अहलुवालिया ने कहा की हा वास्तव में कोई घोटाला नहीं हुआ है, फिर मनमोहन ने कहा इसकी जाँच चल रही है, विपक्ष को टालते रहे, राजा जैसा आदमी जिसके पास अपनी मोबाइल को टाप अप करने का पैसा नहीं हो, यदि वह अपनी पत्नी के नाम 3000 करोड़ रुपया मारीशाश में जमा कर दे, क्या यह सब बिना सोनिया की जानकारी के कर सकता है, उस पार्टी में जहा पर बिना सोनिया के पूछे कोई वक्तव्य तथाकथित प्रवक्ता नहीं दे सकते है, फिर आया महा घोटाला देवास-इसरो डील का जिसमे की 205000 करोड़ की बैंड विड्थ को मात्र 1200 करोड़ के 10 साल के उधार के पैसे में दे दिया गया, भला हो सुब्रमनियम स्वामी जी का जिन्हें इन चोरो को नंगा कर दिया, हमारी कांग्रेसी और विदेशी मिडिया सुब्रमनियम स्वामी की तस्वीर हमेशा से गलत पेश किया है जब की वास्तव में भारत देश को ऐसे ही इमानदार नेताओ की जरुरत है जिसने कभी भी चोरी के बारे में सोचा ही नहीं, फिर आया कामनवेल्थ खेल का 90000 करोड़ का घोटाला, फिर कोयला का घोटाला जिसमे ठेकेदारों द्वारा 10 पैसे प्रति किलो के भाव से कोयला खरीदा जाता है और उसे बाजार में 4 रुपये किलो तक बेचा जाता है, यह रकम अब तक 26 लाख करोड़ होती है,
इटली के 8 बैंक और स्वीटजरलैंड के 4 बैंको को 2005 में भारत में क्योंखोला गया है और इसमे किसका पैसा जमा होता है, ये बैंक किसको लोन देते है और इनका ब्याज क्या है, इनकी जरुरत क्यों आ पड़ी भारत में जब की भारत के ही बैंकरों की बैंक खोलने की अर्जियाँ सरकार के पास धूल खा रही है, इन बैंको को चोरी छुपे क्यों खोला गया है, इन बैंको आवश्यकता क्यों है जब भारत में 80% लोग 20 रूपया प्रतिदिन से भी कम कमाते है.
भारत के किसानो से कमीशन लेने वाले चोर कत्रोची के बेटे को अंदमान दीप समूह में तेल की खुदाई का ठेका क्यों दिया गया 2005 में, किसने दिया ठेका, किसके कहने पर दिया ठेका, क्या वहा पर पहले से ही तेल के कुऊ का पता लगाकर वह स्थान इसे दे दिया गया जैसे की बहुत बार खबरों में अन्य संदर्भो में आती है, यह खबर क्यों छुपाई गयी अब तक, इसे देश को क्यों नहीं बताया गया, मिडिया क्यों इसे छुपा गई, और विपक्ष ने इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया.
सरकार ने पहले कहा की बाबा बकवास कर रहे है, काला धन नाम की कोई चीज नहीं है,
फिर खबर आयी की काला धन है और सबसे ज्यादा भारतीयों का है, यह स्विस बैंको के आलावा 70 और दुसरे देशो में जमा है,
सरकार ने कहा की टैक्स चोरी का मामला है, हम उन देशो से समझौते कर रहे है, जिससे की दोहरा कर न देना पड़े,
यह टैक्स चोरी नहीं भारत देशको लूट डालने का मामला है जिसकी सजा किसान से पूंछो तो सिर्फ मौत देना चाहता है वह भी सब कुछ वसूल लेने के बाद
फिर बात आई की यदि ये भ्रष्टाचारी और लुटेरे इसमे से 15% टैक्स सरकार को दे तो इसे भारत के बैंको में जमा करने दिया जायेगा और किसी को यह हक़ नहीं होगा की वह पूछे की या इतना पैसा कैसे कमाया या लूटा. सरकार इस पर एक कानून ला रही है, क्यों? किसको बचाया जा रहा है? जिसने भी यह गद्दारी की है उसे तो भीड़ ही मार डालेगी, इन्ही लोगो की वजह से भारत में इतनी महागायी है की लोग शादी खर्च से बचने के लिए बेटियों की जान ले ले रहे है, किसान आत्महत्या कर रहा ई, गरीब दवा नहीं करा रहा है, बच्चे स्कुल नहीं जा रहे है, इन्हें तो किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जा सकता है, ये यूरिया घोटाला करते है और यूरिया किसान को दुगुने दाम बचा जाता है, फिर गेहू सस्ते में खरीदा जाता है, और अब तो घोटाला 115% हो जायेगा, 115 चुराओ, 15 सरकार को देकर 100 खुद रख लो.
हमारे देश में क्यों अनुसन्धान के लिए पर्याप्त पैसा नहीं दिया जाता है, यह कीसकी चाल है, जिसकी वजह से हम 5-10 गुना दाम में विदेशी चीजे खरीदते है,
ऐसे कौन से कारण है जिनके कारन हम नेहरू के द्वारा ट्रांसफर अफ पॉवर अग्रीमेंट 14 अगस्त 1947 को दस्तखत करने के बाद भी आज तक विक्सित नहीं बन पाए, जब की हमारी जनता हफ्ते में 90 घंटा काम करती है जबकि कामचोर अंग्रेज हफ्ते में सिर्फ 30 घंटा काम करते है,
क्या कारण है की हमारे 45 रुपये में 1 डालर और 90 रुपये में 1 पौंड मिलाता है, जब की 1947 में 1 रुपये में 1 डालर मिलता था.
क्या कारण है की हमारे देश में एक भी सोलर ऊर्जा वैज्ञानिक नहीं है और दुनिया भर के परमाणु वैज्ञानिक है जो हमें हमेशा झूठा अश्वाव्हन देते है की यह परमाणु बिजली सस्ती और निरापद है भारत की परमाणु से सम्बंधित कुल बाजार 750 लाख करोड़ का होगा. जब की हम भारत में 400000 मेगावाट सोलर बिजली बना सकते है,
हम अभी तक सुरक्षित अन्ना भण्डारण की व्यवस्था क्यों नहीं बना पाए जब की हमारे पास धन की कमी ही नहीं है, क्योकि अन्न को सडा दिखाकर उसे कौड़ियो के भाव शराब माफिया को बचा जाता है जब की गरीब अन्ना बिना मर रहा है, इसके लिए तो कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार होगा, उसकी सजा क्या है,
मीडिया को निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है, सभी भारतीयों को पता चल गया है की मिडिया , टीवी और पत्रिकाए सरकार को बिक चुकी है, बड़े शर्म की बात है, शाम को सिर्फ 4 रोटी खाने के लिए भारत माता से गद्दारी क्यों? 19. अगर देश में 2 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेशन में है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 100 लाख करोड़ रुपयों की होती है. और हमारे देश में रिजर्व बैंक अबतक लगभग 18 लाख करोड़ रुपयों के नोट छाप चुका है और कमसे कम 10 लाख करोड़ रुपये सर्कुलेशन में है. इस हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था करीब 400 से 500 लाख करोड़ रुपये होनी चाहिए लेकिन अभी हमारी अर्थव्यवस्था केवल 60 लाख करोड़ की है. जबकि इतनी अर्थव्यवस्था के लिए दो लाख करोड़ से भी कम सर्कुलेशन मनी की जरूरत है.
अगर 400 लाख करोड़ रूपये का काला धन देश में वापिस आ जाता है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 20,000 लाख करोड़ रुपये होगी ... क्या आप जानते हैं कि इस समय अमेरिका सबसे शक्तिशाली देश है और उसकी अर्थव्यवस्था करीब 650 लाख करोड़ की है... मतलब 400 लाख करोड़ रुपये वापिस मिलने पर हम अमरीका से भी 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली बन सकते है.
मीडिया मे बिके हुए देनिक भास्कर ने आज कहा की बाबा स्वदेशी का प्रचार कराते है और खुद के पतंजलि मे 2 एलसीडी सेमसंग की है और ब्लेकबेरी का मोबाइल उनके अधिकारी के पास हैइसी बिके हुए देनिक भास्कर नाम के दल्ले से एक प्रश्न आप अपने आपको मीडिया कहते हो देश बचाने वाले ? क्या आपने कभीकोशिश भी की स्वदेशी को अपनाने की ? आपके लिए एक एग्रीमेंट स्वतन्त्रता हो जाता है लेकिन स्वदेशी आंदोलन कोई महत्व नहीं रखता ? क्योंकि आपकी झोली भारती है सेमसंग जेसी कंपनीय देनिक भास्कर के वैबसाइट पर ही देख लीजिये कितनी विज्ञापन है सेमसंग के देनिक लाखो मे दिल होती है उत्सव मे तो तादात बढ़ जाती है फिर देनिक भास्कर क्यूँ हरामखोरी नहीं करेगा ? बाबा के स्वदेशी आंदोलन से इन दलालो के मालिक कंपनियों ने इन्हे आदेश दिया है की अपनी कलम हमारे यहाँ गिरवी रखें और बाबा का विरोध करें लोगो को बर्गलाए । जिस दिन इस क्रांति ने आक्रामकता का रूप लिया तब इन मीडिया के दलालो का भी हश्र वही होगा जो हेडलाइन टुडे के दफ्तर मे हुआ था आरएसएस के बारें मे झूठ फेलाने के लिए उस स्टिंग से क्या हुआ ना कोई केस ना कोई समान सिर्फ एक झूठ था जनता को बरगलाने के लिए
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