अश्वनी कुमार
प्रस्तुति:डॉ0 संतोष राय
दुनिया के किसी देश में धर्म के नाम पर कोई साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार कर डाला। इसके अधिकांश सदस्य 'सैकुलर ब्रिगेड' के हैं, जिनमें भाजपा और हिन्दुत्व विरोधी अभियानकर्ता हर्षमंदर, अरुणा राय का नाम लिया जा सकता है।
इस सम्पादकीय को आगे बढ़ाने से पहले मैं कुछ बिन्दु स्पष्ट करना चाहता हूं :प्रोफेसर के.सी. पाण्डे के भिवंडी, महाराष्ट्र, अहमदाबाद के साम्प्रदायिक दंगों के अध्ययन के अनुसार हिन्दू-मुस्लिम फसाद ''विकास के असमान ढांचे'' के कारण हुए। उनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं था। देशभर में प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर अमृतसर में है। भगवान कृष्ण को लेकर रहीमजी, रसखान ने जनप्रिय रचनाएं लिखीं। मलिक मोहम्मद जायसी ने पदमावत की रचना की। दादूवाणी को लिपिबद्ध करने वाले रज्जबदास (पठान रज्जब खान) थे। अमीर खुसरो की प्रसिद्ध भक्ति रचना ''छाप तिलक सब छोड़ी है।'' बादशाह अकबर ने हिन्दू-इस्लाम का मिला-जुला धर्म चलाया। अकबर के दरबार में अग्नि की पूजा होती थी। शाहजहां के बड़े शहजादे दारा शिकोह ने उपनिषदों का अनुवाद किया। परनामी सम्प्रदाय के संस्थापक महामति प्राणनाथ ने कुरान का अनुवाद किया। आजाद हिन्द फौज में जनरल शाहनवाज खान थे। पठान बादशाह खान सीमांत गांधी कहलाए।
कांग्रेस राजनीतिक रूप से लोकसभा की 185 सीटों में प्रभावी मुस्लिम वोट बैंक पर मोहिनी काम बाण छोडऩा चाहती है। सन् 1984 के लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस का प्रतिबद्ध वोट बैंक अनुसूचित जाति (दलित), अनुसूचित जनजाति (वनवासी) और मुस्लिम (कुल 120 लोकसभा सुरक्षित सीट) था। कांग्रेस में ब्राह्मण नेतृत्व के कारण देश के ब्राह्मण पार्टी से जुड़े थे। अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास (नवम्बर 1989), मंडल आरक्षण आंदोलन (1990), अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस (दिसम्बर 1992), बहुजन समाज पार्टी उदय से ओबीसी, दलित, मुस्लिम स्थायी रूप से कांग्रेस छोड़ गए।
कांग्रेस के सैकुलर वृंदगान-मुस्लिम प्रेम के कारण लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की संख्या 25 वर्षों में घटकर आधी रह गई।
प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का कहना है कि देश के संसाधनों पर ''मुस्लिमों-अल्पसंख्यकों का प्रथम अधिकार है।'' प्रधानमंत्री ने फरमाया कि साम्प्रदायिक दंगों, आतंकी विस्फोटों की जांच करने वाली एजैंसी को पूर्वाग्रह मुक्त, स्वतंत्र और निष्पक्ष छानबीन करनी चाहिए।
न्यायाधीश राजेन्द्र सच्चर रपट के अनुसार सन् 1947 से सन् 2007 के 60 वर्षों में मुस्लिमों की आर्थिक, सामाजिक दशा दयनीय रही अर्थात सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मुस्लिम प्रेम के पाखण्ड में उन्हें मुख्यधारा से नहीं जोड़ा। मुस्लिमों के युवजन उच्च शिक्षा, विशेषज्ञता शिक्षा में पिछड़ गए।
देश में प्रधान न्यायाधीश हिदायतुल्ला रहे। राष्ट्रपति पद पर डा. जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद, डा. एपीजे अब्दुल कलाम रहे। विश्व के किसी भी लोकतांत्रिक देश अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, रूस, कनाडा, अफ्रीका आदि में अल्पसंख्यक मुस्लिम को राष्ट्रपति पद नहीं मिला।
सन् 2004 लोकसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्रों में पीएम सईद, बेगम नूरबानो रामपुर, सीके जाफर शरीफ आदि क्यों हारे?
विश्व के महाकोषों में समाज से सम्प्रदाय शब्द बना है। अधिकांश विकसित देश साम्प्रदायिकता (कम्युनलिज्म), धर्म निरपेक्षता (सैकुलरिज्म) शब्दों का प्रयोग करना ही नहीं चाहते। दूसरे देशों में हिंसा करने वाले समाजकंटक अपराधी हैं। उन्हें धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जाता है। अधिकांश शासनाध्यक्षों-राष्ट्राध्यक्षों के धार्मिक स्थल (गिरजाघर, मस्जिद, बौद्ध विहार, यहूदी मंदिर आदि) में पूजा करते चित्र नहीं प्रकाशित होते हैं।
देश में 10 वर्षों में आतंक से लड़ते 1851 नागरिकों और 6728 पुलिस जवानों ने शहादत दी। उनमें अधिकांश हिन्दू थे। (क्रमश:)
दुनिया के किसी देश में धर्म के नाम पर कोई साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार कर डाला। इसके अधिकांश सदस्य 'सैकुलर ब्रिगेड' के हैं, जिनमें भाजपा और हिन्दुत्व विरोधी अभियानकर्ता हर्षमंदर, अरुणा राय का नाम लिया जा सकता है।
इस सम्पादकीय को आगे बढ़ाने से पहले मैं कुछ बिन्दु स्पष्ट करना चाहता हूं :प्रोफेसर के.सी. पाण्डे के भिवंडी, महाराष्ट्र, अहमदाबाद के साम्प्रदायिक दंगों के अध्ययन के अनुसार हिन्दू-मुस्लिम फसाद ''विकास के असमान ढांचे'' के कारण हुए। उनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं था। देशभर में प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर अमृतसर में है। भगवान कृष्ण को लेकर रहीमजी, रसखान ने जनप्रिय रचनाएं लिखीं। मलिक मोहम्मद जायसी ने पदमावत की रचना की। दादूवाणी को लिपिबद्ध करने वाले रज्जबदास (पठान रज्जब खान) थे। अमीर खुसरो की प्रसिद्ध भक्ति रचना ''छाप तिलक सब छोड़ी है।'' बादशाह अकबर ने हिन्दू-इस्लाम का मिला-जुला धर्म चलाया। अकबर के दरबार में अग्नि की पूजा होती थी। शाहजहां के बड़े शहजादे दारा शिकोह ने उपनिषदों का अनुवाद किया। परनामी सम्प्रदाय के संस्थापक महामति प्राणनाथ ने कुरान का अनुवाद किया। आजाद हिन्द फौज में जनरल शाहनवाज खान थे। पठान बादशाह खान सीमांत गांधी कहलाए।
कांग्रेस राजनीतिक रूप से लोकसभा की 185 सीटों में प्रभावी मुस्लिम वोट बैंक पर मोहिनी काम बाण छोडऩा चाहती है। सन् 1984 के लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस का प्रतिबद्ध वोट बैंक अनुसूचित जाति (दलित), अनुसूचित जनजाति (वनवासी) और मुस्लिम (कुल 120 लोकसभा सुरक्षित सीट) था। कांग्रेस में ब्राह्मण नेतृत्व के कारण देश के ब्राह्मण पार्टी से जुड़े थे। अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास (नवम्बर 1989), मंडल आरक्षण आंदोलन (1990), अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस (दिसम्बर 1992), बहुजन समाज पार्टी उदय से ओबीसी, दलित, मुस्लिम स्थायी रूप से कांग्रेस छोड़ गए।
कांग्रेस के सैकुलर वृंदगान-मुस्लिम प्रेम के कारण लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की संख्या 25 वर्षों में घटकर आधी रह गई।
प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का कहना है कि देश के संसाधनों पर ''मुस्लिमों-अल्पसंख्यकों का प्रथम अधिकार है।'' प्रधानमंत्री ने फरमाया कि साम्प्रदायिक दंगों, आतंकी विस्फोटों की जांच करने वाली एजैंसी को पूर्वाग्रह मुक्त, स्वतंत्र और निष्पक्ष छानबीन करनी चाहिए।
न्यायाधीश राजेन्द्र सच्चर रपट के अनुसार सन् 1947 से सन् 2007 के 60 वर्षों में मुस्लिमों की आर्थिक, सामाजिक दशा दयनीय रही अर्थात सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मुस्लिम प्रेम के पाखण्ड में उन्हें मुख्यधारा से नहीं जोड़ा। मुस्लिमों के युवजन उच्च शिक्षा, विशेषज्ञता शिक्षा में पिछड़ गए।
देश में प्रधान न्यायाधीश हिदायतुल्ला रहे। राष्ट्रपति पद पर डा. जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद, डा. एपीजे अब्दुल कलाम रहे। विश्व के किसी भी लोकतांत्रिक देश अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, रूस, कनाडा, अफ्रीका आदि में अल्पसंख्यक मुस्लिम को राष्ट्रपति पद नहीं मिला।
सन् 2004 लोकसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्रों में पीएम सईद, बेगम नूरबानो रामपुर, सीके जाफर शरीफ आदि क्यों हारे?
विश्व के महाकोषों में समाज से सम्प्रदाय शब्द बना है। अधिकांश विकसित देश साम्प्रदायिकता (कम्युनलिज्म), धर्म निरपेक्षता (सैकुलरिज्म) शब्दों का प्रयोग करना ही नहीं चाहते। दूसरे देशों में हिंसा करने वाले समाजकंटक अपराधी हैं। उन्हें धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जाता है। अधिकांश शासनाध्यक्षों-राष्ट्राध्यक्षों के धार्मिक स्थल (गिरजाघर, मस्जिद, बौद्ध विहार, यहूदी मंदिर आदि) में पूजा करते चित्र नहीं प्रकाशित होते हैं।
देश में 10 वर्षों में आतंक से लड़ते 1851 नागरिकों और 6728 पुलिस जवानों ने शहादत दी। उनमें अधिकांश हिन्दू थे। (क्रमश:)
Courtsey:अश्वनी कुमार, सम्पादक (पंजाब केसरी)
दिनांक- 23-11-2011
दिनांक- 23-11-2011
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