अश्वनी कुमार
प्रस्तुति- डॉ0 संतोष राय
भारत में हिन्दू धर्म का बार-बार अपमान किया गया। हिन्दुओं के धर्मस्थलों का सरकारीकरण किया गया। कांग्रेस नीत गठबंधन सरकार ने हिन्दुओं के आस्था स्थलों पर आघात करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हिन्दुओं के आराध्य देव श्रीराम द्वारा बनाए गए समुद्री सेतु श्रीराम सेतु को तोडऩे का प्रयास किया गया।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भगवान श्रीराम के अस्तित्व को ही नकार दिया। जब इसके विरोध में जनमानस उमड़ा तो सरकार थर-थर कांपने लगी। जब अलगाववादियों और आतंकवादियों के दबाव में आकर जम्मू-कश्मीर के कांग्रेसी मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने बाबा अमरनाथ यात्रियों की सुविधा के लिए दी गई भूमि वापस ले ली तो हिन्दू समाज ने एकजुट होकर विरोध किया। इस आंदोलन में 11 हिन्दू शहीद हुए और एक हजार से अधिक लोग घायल हुए। स्वतंत्रता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान देने वाले वीर सावरकर को आजादी के बाद भी कांग्रेस ने निशाना बनाया और मौत के बाद भी उन्हें अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
वीर सावरकर ने कहा था कि राजनीति का हिन्दूकरण और हिन्दू का सैनिकीकरण करो-यह अखंड भारत की सुरक्षा का महामंत्र क्रांतिकारियों के पथ प्रदर्शक महान देशभक्त वीर सावरकर ने भारत संतानों को देते हुए 1955 में जोधपुर में हिन्दू महासभा के मंच से बोलते हुए कहा था- ''जब तक देश की राजनीति का हिन्दूकरण और हिन्दू का सैनिकीकरण नहीं किया जाएगा तब तक भारत की स्वाधीनता, उसकी सीमाएं, उसकी सभ्यता व संस्कृति कदापि सुरक्षित नहीं रह सकेगी। मेरी तो हिन्दू युवकों से यही अपेक्षा है कि वे अधिक संख्या में सेना में भर्ती होकर सैन्य विद्या प्राप्त करें ताकि समय पडऩे पर वे अपने देश की स्वाधीनता की रक्षा में योगदान दे सकें। विद्यालयों में सैनिक शिक्षा अनिवार्य रूप में दी जाए।''
मुझे लगता है कि आने वाले 20 वर्षों के भीतर हिन्दुत्व और हिन्दुस्तान पर घोर संकट आने वाला है। भारत विभाजन जिन कारणों से हुआ था उसमें यूरोप के ईसाई देशों ब्रिटेन-अमरीका आदि का कुटिल खेल चल रहा था। कांग्रेस सत्ता प्राप्ति के लिए इतनी लालायित थी कि हिन्दू हितों के विरुद्ध जाकर भी मुस्लिम लीग और जिन्ना के साथ मिलकर देश और सत्ता का बंटवारा स्वीकार कर लिया। मुसलमानों को पाकिस्तान नाम का मुस्लिम देश मिल गया और जो बचा वह हिन्दुस्तान यानी हिन्दुओं का स्थान कहलाया। देश विभाजित होते ही मुसलमानों को भारत की देवभूमि पर एक इस्लामी राष्ट्र मिल गया पर हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर देश का बंटवारा होने के बाद भी हिन्दुओं को उनका हिन्दू राष्ट्र एक दिन भी नहीं मिला। महात्मा गांधी ने जिन्ना मेरा भाई का राग अलापते हुए बड़े जोर-शोर से हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई का नारा लगाया और प्रार्थना सभाओं में ईश्वर अल्ला तेरो नाम खूब गाया, लेकिन गांधी जी के सामने ही भाईचारे का वह नारा फेल हो गया। जिन्ना और सुहरावर्दी के डायरेक्ट एक्शन से लहुलुहान भारत का बंटवारा हो गया। खून से लथपथ अंग-भंग भारत माता के शरीर पर कांग्रेसी दिल्ली में ढोल बजाकर सत्ता प्राप्ति का जश्न मना रहे थे और बंटवारे के दिन को आजादी का दिन बता रहे हैं।
कांग्रेसी नेताओं गांधी-नेहरू के तुष्टीकरण के आदर्शों पर वर्तमान कांग्रेस चल रही है और कांग्रेसी प्रधानमंत्री कहते हैं कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। यह स्पष्टत: हिन्दू हितों की बलि देने की घोषणा ही है। इस वाक्य से हिन्दू युवकों का भविष्य दाव पर लग गया है। सच्चर समिति को लागू करके मुस्लिम तुष्टीकरण का नंगा नाच कांग्रेस ने शुरू कर दिया है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के प्रति जो कार्यवाही इस देश की हिन्दू जनता चाहती है उतनी नहीं हो रही अपितु देश पर हमला करने वाले आतंकवादियों की सुरक्षा पर उन्हीं सुरक्षा बलों को लगाया हुआ है जिन्हें वे मारने आते हैं। आतंकवादियों की सुरक्षा और खाने-पीने पर भी देश की गरीब जनता का पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। करोड़ों नहीं एक अरब से अधिक रुपए भारत में पकड़े गए आतंकियों पर खर्च किए जा चुके हैं। जो सेना कश्मीर में भारत की सुरक्षा में लगी हुई है उसे सीमा से वापस बुला रहे हैं।
पाकिस्तान और बंगलादेश से हथियार और विचार लेकर भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त आतंकवादियों से नरमी बरती जा रही है। स्थितियां बंटवारे से पहले की तरह भयावह हो रही हैं। पर कोई बोलता नहीं और जो बोलता है उसे साम्प्रदायिक और भाईचारा बिगाडऩे वाला बताकर उसके पीछे हाथ धोकर मानवाधिकारियों की फौज साथ लेकर पीछे पड़ जाते हैं। (क्रमश:)
Courtesy: अश्वनी कुमार, सम्पादक (पंजाब केसरी)
दिनांक- 14-11-2011
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