Tuesday, December 20, 2011

मोहम्‍मद ने लोगों की अज्ञानता का पूरा फायदा उठाया था


प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय
मुहम्मद जैसा व्यक्ति दुनिया में कोई नहीं हुआ .उसने लोगों कि अज्ञानता ,अंधविश्वास का पूरा पूरा फायदा उठाया था .और लोगों को मुसलमान बनाने के लिए हरेक हथकंडे अपनाये थे .इसमे डराना ,लालच देना सब शामिल हैं .इस्लाम से पाहिले अरब में यहूदियों और ईसाईयों ने अनेकों काल्पनिक बातें फैला रखी थीं ,जैसे शैतान ,फ़रिश्ते ,जन्नत ,दोजख आदि.इन्हींके आधार पर वह धर्म चल रहे थे .मुहम्मद ने इनमे जिन्न ,हूरें ,गिलमा और जोड़ दिए ,जिस से लोगों को ललचाया जाये .इसके आलावा मुहम्मद ने जन्नत और जहन्नम के बीच में एक और स्थान की कल्पना कर डाली .मरने के बाद आत्मा कब्र के अन्दर इसी जगह में तब तक रहेगी जब तक उसका मुर्दा शरीर फिर से जिन्दा नहीं किया जायेगा .फिर अंतिम फैसला हो जाने पर जीव नर्क या स्वर्ग में जायेगा .इस जगह को मुहम्मद ने "बरज़खبرزخ "का नाम दिया . कुरान में लिखा है -
1 -
बरज़ख क्या है ?
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मरने के बाद एक जगह बरज़ख है ,जीवित करके उठाने के दिन तक "सूरा -अल मोमिनीन 23 :100
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स्वर्ग और नर्क के बीच बरज़ख है ,लोग जिसे पार नहीं कर सकते " सूरा -रहमान 55 :20
मुहम्मद पाखंडी तो था ही ,वह कई दावे भी करता था ,जैसे चाँद के तुकडे करना आदि .इसी तरह मुहम्मद ने दावा किया कि वह अपने लोगों को बरज़ख की तकलीफों से बचा सकता है .
मुहमद का बाप अब्दुल्ला बचपन में मर गया था .और बाद में माँ अमीना भी मर गयी .मुहम्मद को उसके चाचा अबूतालिब ने पाला था .जब वह मर गया तो तो मुहम्मद को उसकी चाची "फातिमा बिन्त असदفاطمه بنت اسد "ने अपने पास रख लिया .मुहमद के चारे भाई का नाम अलीعلي था .
सन 626 को मुहम्मद की चाची फातिमा की अचानक मौत हो गयी .जब लोग उसकी लाश को दफना चुके तो मुहम्मद ने अपनी जवान चाची को बरज़ख के बोझ से बचने के लिए जो महान कार्य किया था वह कोई सोच भी नहीं सकता .
इसे हिंदी में "शव सम्भोग 'अंगरेजी में "Necrophilia " और अरबी में "वती उल मौती وطيءالموتي"कहा जाता है .मुहमद ने अपनी चाची की लाश के साथ सम्भोग किया था ,ताकि वह जन्नत में जाये .इसके सबूत में हिंदी ,अंगरेजी और अरबी प्रमाण दिए जा रहे हैं -
2 -
शव सम्भोग (Necrophilia )क्या है ?
शव सम्भोग या Necrophilia एक प्रकार की मानसिक विकृति है ,इसे आम तौर से Sex with dead body भी कहा जाता है. इसका किसी नस्ल और संस्कृति से कोई सम्बन्ध नहीं हैं .ऐसे विकृत लोग सब जगह हो सकते हैं.लेकिन मुझे विश्वास है की मुसलमान कुछ अलग प्रकार के विकृत मानसिकता के रोगी है.धन्य है ऐसे इस्लाम को ,जिसने इस विकृति को पागलपन की सीमा से भी पर कर दिया है .क्या कोई यह दावा कर सकता है की मुस्लिम देशों में ऐसा नहीं होता है .
इसी विषय पर शोध करने पर एक रोचक हदीस मिली है ,जिसे सबको बताया जा रहा है यह हदीस "कन्जुल उम्माल "नामकी किताब से ली गयी है जिसका अर्थ श्रमिकों का खजाना है .इसके एक अध्याय "The issue of womenقضية امراة "में अली इब्न हुस्साम अल दीन ,जिसे लोग अल मुत्तकी अल हिंदी भी कहते है ,अपने हदीसों के संकलन "अल जामी अल सगीरالجامع الصغير "में जिसे जलालुद्दीन शुयूती ने जमा किया यह हदीस दर्ज की है -
Necrophilia: This is a mental disease and it has nothing to do with race or culture. There are sick people everywhere and I am sure Muslims who are sick in many other ways thanks to their sick religion are no better when it comes to this insanity. Do you have any proof that necrophilia does not happen in Islamic countries?

Talking about Necrophilia there is a curious hadith that I would like to share.

This is from a book called "Kanz Al Umal" (The Treasure of the Workers), in the chapter of "The issues of women", authored by Ali Ibn Husam Aldin, commonly known as Al-Mutaki Al-Hindi. He based his book on the hadiths and sayings listed in "Al-Jami Al-Saghir," written by Jalal ul-Din Al-Suyuti.
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शव सम्भोग का हदीस से प्रमाण
इब्ने अब्बास ने कहा कि रसूल ने कहा "मैंने (यानी रसूल ने ) उसके (फातिमा बिन्त असद )के सारे कपडे उतार दिए ताकि वह जन्नत के कपडे पहिन सके .और फिर मैं उसके कफ़न (कब्र )में उसके साथ लेट गया ,जिस से उसे कब्र के संताप का बोझ हल्का हो सके .मेरी नजर में वह अबूतालिब के बाद अल्लाह कि सर्वोत्तम स्रष्टि थी ".यह बात रसूल अली कि माँ फातिमा को इंगित करके कह रहे थे .
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जामीअल सगीर -वाक्य संख्या -3442

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