Thursday, December 1, 2011

हिन्‍दू संतों को अमानवीय यातना दिये जाने के खिलाफ विशाल प्रदर्शन व राष्‍ट्रपति को ज्ञापन

अखिल भारत हिन्‍दू महासभा ने परम पूज्‍य संत स्‍वामी श्री असीमानंद जी को सुरक्षा एजेंसियां सीबीआई, एनआईए व एटीएस द्वारा अमानवीय यातना व श्‍याम पट (ब्लैकबोर्ड) पर लिखी कहानी याद कराकर जबरन बोलवाने एवं बिना किसी सबूत के अवैध हिरासत में रखने के विरोध में आज 1, दिसंबर 2011 को जंतर मंतर पर सैकड़ों की संख्‍या में अखिल भारत हिन्‍दू महासभा के कार्यकर्ताओं ने विशाल धरना-प्रदर्शन किया।
वरिष्‍ठ हिन्‍दू महासभा के नेता पं0 नंद किशोर मिश्रा ने कहा कि संत असीमानंद जी के  पत्र से यह खुलासा हो गया है कि  सीबीआई, एटीएस और नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी अपनी कहानी लिखते थे और उन्‍हें उस कहानी को याद कर कोर्ट में यही सब बोलने के लिए कहा जाता था। यह मात्र स्‍वामी असीमानंद जी का ही अपमान नही बल्कि देश भर के हिन्‍दू संतों का अपमान है।  आगे श्री मिश्र ने कहा कि  असीमानंद जी को  धमकी दी जाती थी कि अगर ऐसा नहीं किया, तो जान से मार देंगे, उनके परिवार को भी मारने की बात कही जाती थी। अमानवीयता की सीमा तब पार कर गई जब उन्‍हें यह भी कहा गया कि अगर बयान सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक नहीं दिए, तो उनके मां के सामने ही कपड़े उतारे जाएंगे।
वहीं, अखिल भारत हिन्‍दू महासभा के स्‍वागत समिति के अध्‍यक्ष डॉ0 संतोष राय ने कहा कि अजमेर बम ब्लास्‍ट में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ था, मालेगांव बम ब्‍लास्‍ट में सिमी का हाथ था, जिस मस्जिद में ब्‍लास्‍ट हुआ वहां से सिमी की गतिविधियां चलती थी। उन्‍होने आगे कहा कि एक ओर जहां अफजल, कसाब पर करोड़ों खर्चकिया जा रहा है वहीं हिन्‍दू संतों को जान बूझकर फंसाया जा रहा है। साध्‍वी प्रज्ञा के साथ अमानवीय अत्‍याचार किया जा रहा है। कर्नल पुरोहित को इतना पीटा गया कि उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गयी।
हिन्‍दू महासभा के अंर्तराष्‍ट्रीय संयोजक राकेश रंजन ने कहा कि क्‍या हिन्‍दुओं का कोई मानवाधिकार नही होता है। देश की अदालतें हमेशा हिन्‍दुओं के साथ न्‍याय नही करती। हिन्‍दू संतों के साथ जो अमानवीय अत्‍याचार होते हैं उनमें सिर्फ मूकदर्शक की भूमिका ही निभाती हैं।

धरने के प्रदर्शन के बाद हिन्‍दू महासभा के स्‍वागत समिति के अध्‍यक्ष डॉ0 संतोष राय ने राष्‍ट्रपति को एक ज्ञापन भी दिया।
   राष्‍ट्रपति को दिये गये ज्ञापन की प्रतिलिपि


अखिल भारत हिन्‍दू  महासभा
मंदिर मार्ग, नई दिल्‍ली-01, फोन क्र0- ०११ ३२९२८३४२
फैक्‍स& ०११&४७३४०१६५]  ईमेल-  hindumahasabha@ymail.com
क्रमांक--अभाहिम/408                             दिनांक-1/12/2011
 सेवा में
राष्‍ट्रपति महोदय
राष्‍ट्रपति भवन,नई दिल्‍ली
विषय- सीबीआई, एटीएस और  नेशनल इंवेस्‍टीगेशन एजेंसी(एनआईए) के द्वारा स्‍वामी असीमानंद के साथ अमानवीय अत्‍याचार किया जाना व हिन्‍दू होने के कारण उन्‍हें जमानत न दिया जाना।

महोदया
जैसा कि विभिन्‍न समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि स्‍वामी असीमानंद को ब्लैक बोर्ड पर सीबीआई, एटीएस और नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी अपनी कहानी लिखते थे और उन्‍हें उस कहानी को याद कर कोर्ट में यही सब बोलने के लिए कहा जाता था।  
इसके साथ ही उन्‍हें धमकी दी जाती थी कि अगर ऐसा नहीं किया, तो जान से मार देंगे। उनके परिवार को भी मारने की बात कही जाती थी। इतना ही नहीं, उन्‍हें यह भी कहा गया कि अगर बयान - सीबीआई, एटीएस और  नेशनल इंवेस्‍टीगेशन एजेंसी(एनआईए)  मुताबिक नहीं दिए, तो उनके  मां के सामने ही कपड़े उतारे जाएंगे।  क्‍या हिन्‍दू होने के नाते हमारी सुरक्षा एजेंसियां मानवता की सारी सीमायें लांघ गई हैं।
आखिरकार असीमानंद ने यह राज बता ही दिया कि सुरक्षा एजेंसियों की इस प्रताड़ना की वजह से ही उन्‍होंने बयान दिए। यह सब बातें समझौता व अन्य ब्लॉस्ट में आरोपी स्वामी असीमानंद ने अपने पत्र में लिखी हैं और यह पत्र भारत की राष्ट्रपति, गृह मंत्री, ह्यूमन राइट्स, केबिनेट सेक्रेटरी, सुप्रीम कोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट, जयपुर हाई कोर्ट, हैदराबाद हाईकोर्ट, मुंबई हाई कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट व मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा है। यदि उनके साथ यह अमानवीय अत्‍याचार नही होता तो उन्‍हें पत्र लिखने की आवश्‍यकता नही थी।
असीमानंद ने पत्र में लजाते हुये आगे लिखा है कि अधिकारियों की इन हरकतों की वजह से उन्‍हें  अपने हिन्दू होने पर शर्म आ रही है। उन्‍हें जमानत नहीं दी गई, जबकि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई। क्योंकि वे मुस्लिम हैं और स्‍वयं असीमानंद  हिन्दू और उनका कोई मानवाधिकार नहीं हैं। स्वामी असीमानंद ने यह पत्र उस बात से बहुत परेशान होकर लिखा है कि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई, उनके साथ हिन्‍दू होने के कारण अमानवीय व्‍यवहार किया जा रहा है।  अब चूंकि अब स्‍पष्‍टत: इस देश को यह ज्ञात हो गया है कि देश के शीर्ष सत्‍ता प्रतिष्‍ठान पर बैठे लोग मक्‍का और वेटिकन के ईशारे पर इस देश को या तो दारूल इस्‍लाम बना देना चाहते हैं या फिर जेहावा का ईसाई स्‍थल बना देना चाहते हैं।
जब बम विस्‍फोट में लश्कर ए तैयबा का हाथ था तो असीमानंद को क्यों फंसाया गया
स्वामी असीमानंद ने अपने  पत्र में लिखा है कि समझौता ब्लॉस्ट की जिम्मेदारी सर्वप्रथम लश्कर ए तैयबा ने ली थी। जिसके तीन आतंकवादी पकड़े भी गए थे और उन्होंने कबूल किया था कि समझौता ब्लॉस्ट उन्हीं की देन है और पैसा दाउद इब्राहिम ने दिया था। इन तीनों आरोपियों का नारको परीक्षण भी हो चुका है। जब वे  ये बात स्‍वीकार  चुके थे, तो असीमानंद को क्यों इस मामले में बलपूर्वक क्‍यों फंसाया गया।
असीमानंद का मानवाधिकार क्‍यों नहीं
असीमानंद को जमानत नहीं दी गई, जबकि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई। क्योंकि वे मुस्लिम हैं और असीमानंद हिन्दू हैं और इसलिये असीमानंद का कोई मानवाधिकार नहीं हैं। स्‍वामी असीमानंद को एनआईए जानबूझकर फंसाना चाहती है।
जैसा कि स्वामी असीमानंद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि एनआईए जानबूझ कर नमूनों के मिलान के बहाने उन्‍हें फंसाना चाहती है। अदालत ने मामले पर एक दिसंबर के लिए सुनवाई तय की है। समझौता एक्सप्रेस में धमाका 18 सितंबर की देर रात व 19 सितंबर 2007 की सुबह किया गया था।इसमें 68 लोग मरे थे जबकि 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एनएआई ने विस्फोटकों की सील खोल इनकी जांच करने की मांग की थी जिसे पंचकूला की स्पेशल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। कोर्ट के फैसले के खिलाफ स्वामी ने हाईकोर्ट से प्रार्थना देकर इसे खारिज करने की मांग की। कहा गया कि जांच का आदेश दिया गया तो उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा। जैसा कि अभी तक ऐसा ही  होता आया है।महामहिम आपसे नम्र निवेदन है कि निष्‍पक्ष जांच हेतु उच्‍चतम न्‍यायालय एव उच्‍च न्‍यायालय के निवृत्‍त न्‍यायधीशों के द्वारा एक समिति गठित कर त्‍वरित न्‍याय हेतु निर्देशित करें।
                                                          आपका सधन्‍यवाद।

डॉ0 संतोष  राय
अध्‍यक्ष, स्‍वागत समिति
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फैक्‍स. +91 - 11 - 47340165-






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