1. गोधरा के बाद मीडिया में जो हंगामा बरपा, वैसा हंगामा कश्मीर के चार लाख हिन्दुओं की मौत और पलायन पर क्यों नहीं होता ?
2. विश्व में लगभग 52 मुस्लिम देश हैं, एक मुस्लिम देश का नाम बताईये जो हज के लिये "सब्सिडी" देता हो ?
3. एक मुस्लिम देश बताईये जहाँ हिन्दुओं के लिये विशेष कानून हैं, जैसे कि भारत में मुसलमानों के लिये हैं ?
4. एक मुस्लिम देश का नाम बताईये, जहाँ का राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री गैर-मुस्लिम हो ?
5. किसी "मुल्ला" या "मौलवी" का नाम बताईये, जिसने आतंकवादियों के खिलाफ़ फ़तवा जारी किया हो ?
6. महाराष्ट्र, बिहार, केरल जैसे हिन्दू बहुल राज्यों में मुस्लिम मुख्यमन्त्री हो चुके हैं, क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मुस्लिम बहुल राज्य "कश्मीर" में कोई हिन्दू मुख्यमन्त्री हो सकता है ?
7. 1947 में आजादी के दौरान पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या 24% थी, अब वह घटकर 1% रह गई है, उसी समय तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब आज का अहसानफ़रामोश बांग्लादेश) में हिन्दू जनसंख्या 30% थी जो अब 7% से भी कम हो गई है । क्या हुआ गुमशुदा हिन्दुओं का ? क्या वहाँ (और यहाँ भी) हिन्दुओं के कोई मानवाधिकार हैं ?
8. जबकि इस दौरान भारत में मुस्लिम जनसंख्या 10.4% से बढकर 14.2% हो गई है, क्या वाकई हिन्दू कट्टरवादी हैं ?
9. यदि हिन्दू असहिष्णु हैं तो कैसे हमारे यहाँ मुस्लिम सडकों पर नमाज पढते रहते हैं, लाऊडस्पीकर पर दिन भर चिल्लाते रहते हैं कि "अल्लाह के सिवाय और कोई शक्ति नहीं है" ?
10. सोमनाथ मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये देश के पैसे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिये ऐसा गाँधीजी ने कहा था, लेकिन 1948 में ही दिल्ली की मस्जिदों को सरकारी मदद से बनवाने के लिये उन्होंने नेहरू और पटेल पर दबाव बनाया, क्यों ?
11. कश्मीर, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, क्या उन्हें कोई विशेष सुविधा मिलती है ?
12. हज करने के लिये सबसिडी मिलती है, जबकि मानसरोवर और अमरनाथ जाने पर टैक्स देना पड़ता है, क्यों ?
13. मदरसे और क्रिश्चियन स्कूल अपने-अपने स्कूलों में बाईबल और कुरान पढा सकते हैं, तो फ़िर सरस्वती शिशु मन्दिरों में और बाकी स्कूलों में गीता और रामायण क्यों नहीं पढाई जा सकती ?
14. किसी एक देश का नाम बताईये, जहाँ 85% बहुसंख्यकों को "याचना" करनी पडती है, 15% अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करने के लिये ?
अगर नरेन्द्र मोदी जी अपने उपवास के दौरान किसी मुल्ला की टोपी नहीं पहनते तो अपने आप को सेकुलर कहने वाले भांड मीडिया और कांग्रेसी कुत्ते भौंकने लगते है कि यह सांप्रदायिक और हिन्दुवादी है परन्तु इन कुत्तों से यह पूछो कि क्या यह मुल्ला अपने माथे पर तिलक और शरीर पर भग्वा चादर ओढ सकते है या अपने गले में तुलसी की माला पहन सकते है अगर कोई हिन्दू इन्हें यह पहनाना चाहे तो, यहां तक कि यह तो भारतमाता की जय और वंदे मातरम बोलना भी इस्लाम के विरूद्ध मानते है तो पूछो इस भांड और बिकाउ मीडिया और उन कांग्रेसी कुत्तों से जरा जो बार बार मोदी जी पर एक टोपी न पहनने के कारण सांप्रदायिक और हिन्दूवादी होने का आरोप लगा देते है परन्तु उस वक्त कांग्रेस सहित उन सभी राजनीतिक दलो एवं भांड तथा बिकाउ मीडिया का सेकुलरवाद कहां चला जाता है?
श्री नरेन्द्र मोदी जी के तीन दिन के उपवास के दौरान बिकाउ और भांड मीडिया ने तथा कांग्रेसी कुत्तों व अन्य विरोधी राजनीतिक दलों ने मुसलमानों को खुश करने के लिए अपनी पूरी ऐडी चोटी का जोर लगा दिया कि किसी भी तरह नरेन्द्र मोदी को बदनाम किया जाए और इसी काम में यह रात दिन लगे रहे और इसके लिए दो दो टके के कांग्रेसी व मल्लिका साराभाई जैसे सेकुलर कुत्तों को अपने स्टुडियों में लाकर बैठा दिया गया और वहां से मोदी जी को बदनाम करने की पूरी ताकत लगा दी मैंने इससे पहले इस सारी मीडिया को केवल बाबा रामदेव के खिलाफ ही एकजुट देखा था जब इस बिकाउ और भांड मीडिया ने बाबा रामदेव जी को बदनाम करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और कांग्रेस ने इस पूरी भांड और बिकाउ मीडिया को खरीदने के लिए इन पर चौदह सौ करोड रूपये खर्च किए थे
जिस तरह यह भांड और बिकाउ मीडिया देशभक्त बाबा रामदेव और श्री नरेन्द्र मोदी जी को बदनाम करने के लिए एकजुट हो जाती है इसी तरह यह बिकाउ और भांड मीडिया देश में जब यह कांग्रेस महंगाई करती है या देश पर इनके कारण आतंकवादी हमले होते या यह भ्रष्टाचार करते है तब यह एकजुटता दिखाई नहीं देती है केवल अलग अलग करके सभी केवल ज्यादा से ज्यादा एक या दो दिन ही उस खबर को गर्म रखते है वो भी केवल लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए और अपनी टीआरपी बढाने के लिए परन्तु कुछ दिन में ही एक साथ सारे बिकाउ चैनलों पर से महंगाई , आतंकवाद, भ्रष्टाचार आदि मुददों को दबा दिया जाता है और फिर से एक बार कांग्रेसी कुत्तें और बिकाउ और भांड मीडिया मुसलमानों की तेल मालिश में लग जाते है
अब शांति नहीं सिर्फ क्रांति आजादी की दूसरी लडाई के लिए
देशहित में इस ईमेल को अधिक से अधिक आगे भेजे - भारतमाता की जयहमारा लक्ष्य भ्रष्ट व्यवस्था परिवर्तन
2. विश्व में लगभग 52 मुस्लिम देश हैं, एक मुस्लिम देश का नाम बताईये जो हज के लिये "सब्सिडी" देता हो ?
3. एक मुस्लिम देश बताईये जहाँ हिन्दुओं के लिये विशेष कानून हैं, जैसे कि भारत में मुसलमानों के लिये हैं ?
4. एक मुस्लिम देश का नाम बताईये, जहाँ का राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री गैर-मुस्लिम हो ?
5. किसी "मुल्ला" या "मौलवी" का नाम बताईये, जिसने आतंकवादियों के खिलाफ़ फ़तवा जारी किया हो ?
6. महाराष्ट्र, बिहार, केरल जैसे हिन्दू बहुल राज्यों में मुस्लिम मुख्यमन्त्री हो चुके हैं, क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मुस्लिम बहुल राज्य "कश्मीर" में कोई हिन्दू मुख्यमन्त्री हो सकता है ?
7. 1947 में आजादी के दौरान पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या 24% थी, अब वह घटकर 1% रह गई है, उसी समय तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब आज का अहसानफ़रामोश बांग्लादेश) में हिन्दू जनसंख्या 30% थी जो अब 7% से भी कम हो गई है । क्या हुआ गुमशुदा हिन्दुओं का ? क्या वहाँ (और यहाँ भी) हिन्दुओं के कोई मानवाधिकार हैं ?
8. जबकि इस दौरान भारत में मुस्लिम जनसंख्या 10.4% से बढकर 14.2% हो गई है, क्या वाकई हिन्दू कट्टरवादी हैं ?
9. यदि हिन्दू असहिष्णु हैं तो कैसे हमारे यहाँ मुस्लिम सडकों पर नमाज पढते रहते हैं, लाऊडस्पीकर पर दिन भर चिल्लाते रहते हैं कि "अल्लाह के सिवाय और कोई शक्ति नहीं है" ?
10. सोमनाथ मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये देश के पैसे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिये ऐसा गाँधीजी ने कहा था, लेकिन 1948 में ही दिल्ली की मस्जिदों को सरकारी मदद से बनवाने के लिये उन्होंने नेहरू और पटेल पर दबाव बनाया, क्यों ?
11. कश्मीर, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, क्या उन्हें कोई विशेष सुविधा मिलती है ?
12. हज करने के लिये सबसिडी मिलती है, जबकि मानसरोवर और अमरनाथ जाने पर टैक्स देना पड़ता है, क्यों ?
13. मदरसे और क्रिश्चियन स्कूल अपने-अपने स्कूलों में बाईबल और कुरान पढा सकते हैं, तो फ़िर सरस्वती शिशु मन्दिरों में और बाकी स्कूलों में गीता और रामायण क्यों नहीं पढाई जा सकती ?
14. किसी एक देश का नाम बताईये, जहाँ 85% बहुसंख्यकों को "याचना" करनी पडती है, 15% अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करने के लिये ?
अगर नरेन्द्र मोदी जी अपने उपवास के दौरान किसी मुल्ला की टोपी नहीं पहनते तो अपने आप को सेकुलर कहने वाले भांड मीडिया और कांग्रेसी कुत्ते भौंकने लगते है कि यह सांप्रदायिक और हिन्दुवादी है परन्तु इन कुत्तों से यह पूछो कि क्या यह मुल्ला अपने माथे पर तिलक और शरीर पर भग्वा चादर ओढ सकते है या अपने गले में तुलसी की माला पहन सकते है अगर कोई हिन्दू इन्हें यह पहनाना चाहे तो, यहां तक कि यह तो भारतमाता की जय और वंदे मातरम बोलना भी इस्लाम के विरूद्ध मानते है तो पूछो इस भांड और बिकाउ मीडिया और उन कांग्रेसी कुत्तों से जरा जो बार बार मोदी जी पर एक टोपी न पहनने के कारण सांप्रदायिक और हिन्दूवादी होने का आरोप लगा देते है परन्तु उस वक्त कांग्रेस सहित उन सभी राजनीतिक दलो एवं भांड तथा बिकाउ मीडिया का सेकुलरवाद कहां चला जाता है?
श्री नरेन्द्र मोदी जी के तीन दिन के उपवास के दौरान बिकाउ और भांड मीडिया ने तथा कांग्रेसी कुत्तों व अन्य विरोधी राजनीतिक दलों ने मुसलमानों को खुश करने के लिए अपनी पूरी ऐडी चोटी का जोर लगा दिया कि किसी भी तरह नरेन्द्र मोदी को बदनाम किया जाए और इसी काम में यह रात दिन लगे रहे और इसके लिए दो दो टके के कांग्रेसी व मल्लिका साराभाई जैसे सेकुलर कुत्तों को अपने स्टुडियों में लाकर बैठा दिया गया और वहां से मोदी जी को बदनाम करने की पूरी ताकत लगा दी मैंने इससे पहले इस सारी मीडिया को केवल बाबा रामदेव के खिलाफ ही एकजुट देखा था जब इस बिकाउ और भांड मीडिया ने बाबा रामदेव जी को बदनाम करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और कांग्रेस ने इस पूरी भांड और बिकाउ मीडिया को खरीदने के लिए इन पर चौदह सौ करोड रूपये खर्च किए थे
जिस तरह यह भांड और बिकाउ मीडिया देशभक्त बाबा रामदेव और श्री नरेन्द्र मोदी जी को बदनाम करने के लिए एकजुट हो जाती है इसी तरह यह बिकाउ और भांड मीडिया देश में जब यह कांग्रेस महंगाई करती है या देश पर इनके कारण आतंकवादी हमले होते या यह भ्रष्टाचार करते है तब यह एकजुटता दिखाई नहीं देती है केवल अलग अलग करके सभी केवल ज्यादा से ज्यादा एक या दो दिन ही उस खबर को गर्म रखते है वो भी केवल लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए और अपनी टीआरपी बढाने के लिए परन्तु कुछ दिन में ही एक साथ सारे बिकाउ चैनलों पर से महंगाई , आतंकवाद, भ्रष्टाचार आदि मुददों को दबा दिया जाता है और फिर से एक बार कांग्रेसी कुत्तें और बिकाउ और भांड मीडिया मुसलमानों की तेल मालिश में लग जाते है
अब शांति नहीं सिर्फ क्रांति आजादी की दूसरी लडाई के लिए
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