बी एन शर्मा
प्रस्तुति: डॉ0 संतोष राय
इस्लाम का प्रसार तलवार की ताकत से हुआ है ,यह बात सारी दुनिया जानती है .जिस व्यक्ति में थोड़ी भी समझ बूझ होगी वह मुसलमान कभी नहीं बनेगा इसका ताजा सबूत मुझे कुछ दिन पहले मिला है .मुहम्मद साकिब नामके एक मुस्लिम ने मुझे मेल करके बताया कि उसके बाप दादे मुसलमान इस लिए बने थे ,क्योंकि इस्लाम ताकतवर है ,और हिन्दू धर्म कमजोर है .इसके आलावा साकिब ने मेल में गालियाँ भी दी थी .हम उसके मेल का पता भी दे रहे है saquiba996@rediffmail.com
जिस दिन मुहम्मद ने खुद को अल्लाह का रसूल घोषित किया था ,उसी दिन से वह दुसरे धर्म के लोगों को काफ़िर ,या मुशरिक कहने लगा था .और उनपर इस्लाम कबूल करने पर दवाब डालता रहता था .इसके मुहम्मद कई युद्ध भी किये थे.लेकिन मुहम्मद कुरान में जो शिक्षा दूसरों को देता था खुद उसकी प्यारी बेटी फातिमा उसके विपरीत काम करती थी .और मुहम्मद उसे कुछ नहीं कहता था .इस बात को और स्पष्ट करने के लिए आपको ,शिर्क ,फातिमा ,और अमीर हमजा के बारे में जानकारी देना जरुरी है ,जो इस प्रकार है -
1-शिर्क (Sharing )
शिर्क र्का शाब्दिक अर्थ शरीक करना ,साझा करना ,शामिल करना ,या सहयोगी बनाना है .लेकिन इस्लाम की परिभाषा में शिर्क अल्लाह के साथ किसी व्यक्ति या वस्तु को शरीक करना है .अर्थात अल्लाह के सामान किसी व्यक्ति (जीवित या मृतक ) या वस्तु की पूजा करना ,आदर करना ,उसे नमस्कार करना ,प्रणाम करना ,सिजदा करना ,या उसके प्रति आदर भाव प्रकट करना सब शिर्क माना जाता है .और शिर्क करने वाले को "मुशरिक "कहा जाता है .कुरान में शिर्क को गुमराही और सबसे बड़ा गुनाह बताया गया है .और शिर्क को अल्लाह की सत्ता को चुनौती बताया गया है .कुरान में लिखा है -
"जो अल्लाह के साथ किसी को भी शरीक करेगा ,वह भटक कर दूर जा पड़ेगा "सूरा-निसा 4 :116
'यदि तुमने शिर्क किया तो ,तुम्हारा सारा किया धरा भला काम बेकार चला जायेगा ,और तुम घाटा उठाने वाले हो जाओगे "
सूरा -अज जुमर 39 :65
"अल्लाह इस बात को कभी माफ़ नहीं करेगा कि उसका सहभागी ठहराया जाये ,जो अल्लाह के साथ सहभागी ठहराए उसने बहुत बड़ा गुनाह किया "
सूरा -अन निसा 4 :48
"इबादत में अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना बहुत बड़ा जुल्म है "सूरा -लुकमान 31 :31
Prophet said, `And who among us did not commit Zulm against himself' The Ayah,
﴿إِنَّ الشِّرْكَ لَظُلْمٌ عَظِيمٌ﴾
(Verily! Joining others in worship with Allah is a great Zulm (wrong) indeed.) ﴿31:13﴾
"अल्लाह इस बात को क्षमा नहीं करेगा कि उसका कोई सहभागी ठहराया जाये ,जिसने अल्लाह का सहभागी ठहराया उसने बहुत बड़ा गुनाह किया 'सूरा -निसा 4 :48
हदीस में शिर्क के बारे में यह लिखा है -
"अब्दुल्लाह ने कहा कि रसूल ने कहा जो भी अल्लाह के साथ किसी को शरीक करता है ,वह उसे अल्लाह का प्रतिद्वंदी बना देता है .और ऐसा करने वाले को अल्लाह जहन्नम में डाल देगा "बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 64
2 -फातिमाفاطمه Fatima
फातिमा मुहम्मद की तीसरी संतान थी .फातिमा की माँ का नाम "خديجه بنت خويلدखदीजा बिन्त खुवैलिद था .सुन्नी मुसलमान खदीजा और मुहम्मद के पांच बच्चे बताते हैं .जैनब ,रुकैया ,फातिमा और उम्मे कुलसुम .मुहम्मद का एक लड़का "इब्राहीम " भी हुआ था जो एक दासी मारिया से हुआ था ,और बचपन में ही मर गया था .
लेकिन शिया मानते है कि मुहम्मद और खदीजा से सिर्फ एक ही लड़की फातिमा हुई थी .बाकी लड़कियाँ खदीजा की बहिन "हाला "से पैदा हुई थीं .मुहम्मद की बड़ी लड़की जैनब सन 630 में बचपन में मर गयी थी .मुहमद ने दूसरी लड़की "रुकैय्या "की शादी "उस्मान बिन अफ्फान "से कर दी थी .जो सन 624 में मर गयी .रुकैय्या की मौत के बाद मुहम्मद ने अपनी दूसरी लड़की "उम्मे कुलसुम "की शादी फिर उस्मान से कर दी .जबकि उस्मान रिश्ते में मुहम्मद का ससुर लगता था .उम्मे कुलसुम सन 631 में मर गयी .बाद में मुहम्मद ने अपनी तीसरी लड़की फातिमा की शादी अपने चचेरे भाई "علي بن ابوطالبअली बिन अबू तालिब "से करा दी .अली का एक बड़ा भाई "हमजा Hamza Ibn ‘Abdul-Muttalib. (In Arabic: حمزة إبن عبد المطلب"
"
حَمْزَةُ بنُ عَبْدِ المُطَّلِبِ بنِ هَاشِمِ بنِ عَبْدِ مَنَافٍ القُرَشِيُّ"
" भी था जो मुहम्मद से दो साल बड़ा था .और मुहम्मद के साथ युद्ध में जाता था .मुहम्मद ने उसे "असदुल्ल्लाह أسد الله " यानि अल्लाह का शेर की उपाधि दे रखी थी .
फातिमा मुहम्मद की सबसे प्यारी लड़की थी .और एक आदर्श गृहणी थी .वह अली के पॉवर के बड़े लोगों का आदर और सम्मान करती थी .और सादा जीवन व्यतीत करती थी .फातिमा दिल मुहम्मद की तरह कठोर नहीं था .लेकिन मुहमद की मौत के कुछ समय बाद ही मुसलमानों ने उसकी हत्या कर दी थी .जबकि फातिमा उस समय गर्भवती थी (यह घटना दे चुके हैं ) फातिमा की मौत सन 632 में हुई थी .
यहाँ पर सन 625 की घटना दी जा रही है .जब फातिमा और मुहम्मद दौनों जिन्दा थे .यह अमीर हमजा की मौत से सम्बंधित है
3 -अमीर हमजा की दर्दनाक मौत
अमीर हमजा सन 568 में पैदा हुआ था .मुहमद ने यसे मुसलमान बना दिया था .और अपने साथ युद्ध में लेजाता था .एक बार मुहमद के लोगों ने कुरैश के एक सरदार "जबीर बिन मुत अमجبير ابن مُطعم "की हत्या कर दी थी .इस से कुरैश और मुहम्मद के लोगों में युद्ध की नौबत आ गयी .मुसलमानों की तरफ से खुद मुहम्मद और हमजा थे .और कुरैश की तरफ से जाबिर का एक हब्शी गुलाम "वशी इब्न अल हरब "था उसने अपने मालिक की हत्या का बदला लेने की कसम खा रखी थी .यह 19 मार्च 625 की बात है .
इस लड़ाई को "जंगे उहद غزوة أحد Ġazwat ‘Uhud) "कहा जाता है .इसके बारे में फारसी में एक काव्य ग्रन्थ "हमजा नामा همزه نامه" भी लिखा गया है .इस युद्ध में मुहम्मद बुरी तरह से जख्मी हुआ था और हमजा मारा गया था .जैसे यह खबर मुहम्मद की चाची "साफिया बिन्त अब्दुल मुत्तलिबصفيه بنت عبدالمطلب "को लगी तो उसके साथ फातिमा भी युद्ध स्थल पर रोते हुए पहुँच गयी .और देखा मुहम्मद के शरीर से खून बह रहा है .फातिमा एक रस्सी जलाकर उसकी राख मुहम्मद के घावों पर लगा दी .फिर देखा कि कुछ दूर पर हमजा की क्षत विक्षत लाश पड़ी है ."वशी इब्न अल हरबوشي ابن الهرب "ने खंजर से हमजा का पेट फाड़ दिया था और उसका कलेजा बहार निकाल कर फेक दिया था .हमजा की उंगलियाँ ,हाथ .कान ,नाक ,जीभ सब काट दिए गए थे .यहाँ तक हमजा लिंग भी काट दिया गया था .
इस्लाम से पहले अरब अपने पूर्वजों और योद्धाओं की कब्रों की पूजा करते थे .और उनसे आशीर्वाद माँगते थे .चूंकि हमजा फातिमा के पति का बड़ा भाई था ,और एक शहीद भी था ,इसलिए दूसरों की तरह फातिमा भी हमजा की कबर पर हर शुक्रवार जाती थी .और हमजा से अपने परिवार की भलाई के लिए दुआ मांगती थी .मुहम्मद को यह बात पता थी ,लेकिन वह अपनी प्यारी पुत्री को मना नहीं करता था .फातिमा की मौत सन 632 में हुई थी .तब तक फातिमा ऐसा करती रही .
4 -फातिमा ने कब्र से दुआ मांगी
मुहम्मद की प्रिय पुत्री फातिमा जहरा ने शिर्क किया
shirk was practised by Bibi Fatima al-Zahra (as), the beloved daughter of the Holy Prohet (pbuh)!
Imam al-Bayhaqi in his Sunan al-Kubra (Vol. 4, p. 78) records:
انّ فاطمة بنت النبي (صلى الله عليه وآله وسلم) كانت تذهب إلى زيارة قبر عمها حمزة فتبكي وتصلي عنده
Certainly, Fatima daughter of the Holy Prophet used to visit the grave of her uncle Hamza and wept and prayed there.
निश्चय ही रसूल की बेटी फातिमा हमजा की कब्र पर नियमित रूप से जाती थी और वहां पर रोती थी और कब्र से दुआ मांगती थी
Sunan al-Kubra (Vol. 4, p. 78
5-फातिमा का पूरा ससुराल कब्र से दुआ मांगता था
इमाम हकीम ने अपनी मुस्तदरक مستدركमें लिखा है कि,सलमान इब्न दाऊद,जाफर इब्न मुहम्मद ,उसके पिता मुहम्मद इब्न अली ,अली इब्न अबी तालिब ,और रसूल कि बेटी फातिमा हर शुक्रवार को हमजा की कब्र पर जाते थे .और वहां पर रोते थे .और कब्र से दुआ माँगते थे .
Imam al-Hakim too, in his al-Mustadrak (Vol. 1, p. 377) records:
عن سليمان بن داود، عن جعفر بن محمد، عن أبيه، عن علي بن الحسين (عليهم السلام)، عن أبيه، انّ فاطمة بنت النبي (صلى الله عليه وآله وسلم): كانت تزور قبر عمها حمزة كلّ جمعة فتصلي وتبكي عنده
Salman ibn Dawud - Ja'far ibn Muhammad - his father (Muhammad ibn Ali) - Ali ibn Husayn - his father (Ali ibn Abi Talib):
Fatima daughter of the Holy Prophet used to visit the grave of her uncle Hamza EVERY FRIDAY, and used to pray and weep there.
al-Mustadrak (Vol. 1, p. 377)
Al-Hakim says:
وهذا الحديث رواته عن آخرهم ثقات
All the narrators of this hadith are thiqah.
इमाम अल हकीम ने जो कहा है .उसी के बारे में अल जहबी ने भी कहा है कि यह हदीसें प्रमाणिक हैं
Al-Dhahabi has said the same thing in his Talkhis, as well as al-Bayhaqi in his Sunan.
हमें इस बात पर विचार करना होगा कि ,आज भी मुसलमान गैर मुस्लिमों को मुशरिक बता कर क़त्ल कर देते हैं .लेकिन खुद मुहम्मद अपनी लड़की और लड़की के ससुराल वालों को कब्र पर जाकर रोने और हमजा की लाश से दुआ माँगने क्यों नहीं रोक सका .क्या मुहम्मद के रिश्तेदारों को शिर्क करने की अनुमति थी ?क्या कुरान के कानून सिर्फ दूसरों के लिए बना रखे थे ?असल में मुहम्मद अपने बनाये बेतुके कुरान के नियमों से लोगों पर हुकूमत करना चाहता था .और जो उसके अनुसार नहीं चलता था .उसे काफ़िर या मुशरिक बता कर क़त्ल करा देता था .मुहम्मद की यही नीति तालिबान अपना रहे हैं .अगर इस्लाम की नजर से देखें तो आधी से अधिक दुनिया मुशरिक या काफ़िर है .क्या मुसलमान सब को क़त्ल करने का इरादा रखते हैं
अगर इमाम बुखारी का बस चले तो वह सभी गैर मुस्लिमों का सफाया कर देगा
http://www.almujtaba.com/articles/3/000954.html
http://wilayat.net/index.php?option=com_content&view=article&id=239:salafi-banned-beliefs-part-b&catid=55:tauheedshirktawassulshafaat-general&Itemid=60
1 comment:
Payre bhai logon ap mohd s,a ke bare me jyada nahe jante to is tarah ke baten logon ko mat batayen agar Islam talwar ke jor par phaila hota to is duniya me koye dosra daram nahen hota ap apne regu ved me dakheye ke wo kis tarah mohd ke bard me beta raha hai ,,,,insan ke pahchan uske bolne se hote hai aur dosre ke dharam ke bare me Galt mat kaho rAmayan ka shlok hai agar tum dosron ko bora kahoge to WO tumhe bora kahenge agar ap apne dram ko behtar mante hai to ye batye ke is bharat ke alawa nahen aur dewe dewtaon ko kyon nahe mana jata jabke an Hindu bhe Islam ka inkar nahen kar sakta
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