कांग्रेसी नेताओं नपुंसकता त्यागो
हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियां भारत के लिये चिंता का विषय है। ब्रह्मपुत्र के पानी को रोकना हो या पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान में संपर्क मार्ग बनाने का या फिर दक्षिण एशिया तक सम्पर्क कायम करने या तिब्बत में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का मामला हो, चीन के इरादों को समझना जरूरी है। अगर चीन के पैठ की रफ्तार यही रही तो चीन गिलगित-बाल्टिस्तान पर एक न एक दिन कब्जा कर लेगा। इस क्षेत्र पर कब्जा करना चीन का सामरिक इच्छा है।
चीन के मुकाबले हमें अपनी सेना को हर तरह के हथियारों और नवीनतम प्रोद्योगिकी से लैस करना होगा नही तो चीन भारत की सीमाओं को ग्रहण करता जायेगा। मगर चीन को हराने के लिये भारतीय एक और रास्ते को चुन सकते हैं। भारतीय अंग्रेजों के गुलामी के जंजीर से मुक्त होने के लिये अंग्रेजी वस्तुओं की होली जलाना शुरू कर देते हैं। ठीक उसी तरह भारतीयों को चीनी वस्तुओं की होली जलाना शुरू करनी होगी तो चीन को आर्थिक रूप से नुकसान होना शुरू हो जायेगा।
जिस दिन भारतीय बाजार में एक भी चीनी उत्पाद नही होगा चीन स्वयं कांप उठेगा। अब समय आ गया है कि चीनी वस्तुओं की होली जलायी जाये। अगर राजनीतिज्ञों ने चीन के इस दुस्साहस का जवाब नही दिया तो भारत की जनता को यह कर दिखाना होगा। चीन कोई बिल्ली नही जिसको देखकर भारत की कबूतर की तरह आंख बंद करले। हम सबको सिर्फ अपनी आंखें बल्कि हाथ, पांव, कान और दिमाग को चीन की हर गतिविधियों को समझने के लिये पूर्ण रूप से खोल देना चाहिये। क्या आप सब तैयार हैं चीन के वस्तुओं की होली जलाने के लिये? यदि नही तो 1962 के घाव को याद रखें।
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