Monday, August 6, 2012

इस्लाम ईमान या घोर अज्ञान !

सत्‍यवादी

प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय


इस्लाम का अर्थ शांति है ,इसलिए इस्लाम दुनियां में शांति फैलाना चाहता है .और शांति के द्वारा विश्व के सभी मनुष्यों में एकता और भाईचारा स्थापित करना चाहता है .लेकिन यह सारी बातें सरासर झूठ और गुमराह करने वाली हैं . ऐसा सिर्फ वही कहते हैं , जिन्हें यातो इस्लाम का सही ज्ञान नहीं है . या पूर्वाग्रह से ग्रस्त सेकुलर होते हैं .
वास्तव में इस्लाम कोई धर्म नहीं बल्कि एक विघटनकारी विचार है ,जिसने पैदा होते ही अपनी तर्कहीन मान्यताओं के आधार पर सारे विश्व के लोगों को एक ही झटके में मुस्लिम और गैर मुस्लिम ऐसे दो समूहों में विभाजित कर दिया था .चूँकि इस्लाम में ऐसी कई मान्यताएं मौजूद हैं जो परस्पर विरोधी है .जिन पर मुसलमान बिना सोचे समझे विश्वास करते है .इसी को इस्लाम में ईमान कहा जाता है .मुसलमानों के इसी अलगाववादी इमान के कारण देश का विभाजन हुआ था ,क्योंकि इस्लामी मान्यता के अनुसार हिन्दू मुशरिक बहुदेववादी है . और उनको क़त्ल करना धार्मिक कार्य है . बहुत कम लोग जानते होंगे कि जिहादी आतंकवाद के पीछे मुसलमानों का यही इमान है .इसलिए हमें पहले शिर्क और मुशरिक की परिभाषा समझना जरुरी है .
1-शिर्क और मुशरिक 

शिर्क का तात्पर्य बहुदेववाद ( Polytheism ) होता है .और अल्लाह के साथ किसी को शामिल करना (Association with Allah ) भी होता है
कुरान के हिंदी अनुवाद के अंत में कुरान की शब्दावली के पेज 1241 और 1245 पर व्याख्या दी गयी है .
शिर्क -अल्लाह के गुणों ,अधिकारों , स्वत्व .में किसी को शामिल समझना,या अल्लाह के साथ किसी को पुकारना .अथवा आदर करना .
मुशरिक -यदि कोई ऐसा माने कि जोभी भला बुरा काम अल्लाह कर सकता है वैसा ही कोई और कर सकता है .या कोई अल्लाह कीव्यवस्था में हस्तक्षेप कर सकता है .ऐसे  लोगों के मुशरिक होने में संदेह नहीं है .
2-सभी मुशरिक अपराधी हैं 
इस्लामी मान्यता के अनुसार शिर्क सबसे बड़ा गुनाह है , जिसकी सजा सिर्फ मौत होती है .
-"निसंदेह अल्लाह इस बात को कभी माफ़ नहीं करेगा कि उसके साथ किसी को शामिल किया जाये .और इस से कम किसी भी गुनाह को माफ़ कर देगा "
 सूरा-निसा 4 : 116 
-"तुम्हें जहाँ भी मुशरिक मिलें ,उनको क़त्ल कर दो .या फिर उनको तब तक कैद में रखो जब तक वह ईमान नहीं लाते " सूरा -तौबा 9 :5 
" فَٱقۡتُلُواْ ٱلۡمُشۡرِكِينَ حَيۡثُ وَجَدتُّمُوهُمۡ وَخُذُوهُمۡ وَٱحۡصُرُوهُمۡ وَٱقۡعُدُواْ لَهُمۡ ڪُلَّ مَرۡصَدٍ۬‌ۚ فَإِن تَابُواْ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَ   "
यही कारण है की मुसलमान आतंकवाद और निर्दोष लोगों की हत्या को अपराध नहीं मानते . बल्कि ऐसा करने वालों का बचाव करते हैं .लेकिन सेकुलर लोग मुसलमानों को खुश करने के लिए इस कटु सत्य को स्वीकार नहीं करते कि मुसलमानों ईमान दोगला होता है .क्योंकि जिन कामों के कारण वह हिन्दुओं को मुशरिक बताते हैं वही काम जब खुद करते है तो उसे अपने इमान आधार बताते हैं . इस बात को स्पष्ट करने के लिए शिर्क और मुशरिक की परिभाषा ध्यान से पढ़िए और फिर देखिये मुसलमान क्या क्या मानते हैं ,
3-शैतान और अल्लाह की समान शक्ति 
अबू कतदा ने कहा की रसूल मानते थे कि अच्छे सपने अल्लाह दिखाता है और बुरे सपने शैतान दिखाता है "
बुखारी - जिल्द 9 किताब 87 हदीस 113 
सईदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने कहा कि अगर तुम बुरे सपने देखो तो समझो कि वह शैतान कि तरफ से हैं .तो उसके बारे में किसी को नहीं बताओ .और शैतान से बचने के लिए अल्लाह की शरण मांगो " बुखारी - जिल्द 9 किताब 87 हदीस 114 
अबू कतदा ने कहा कि रसूल ने कहा अगर तुम्हें बुरा सपना आये तो बायीं तरफ थूक दो . क्योंकि उस तरफ शैतान रहता है "
बुखारी -जिल्द 9 किताब 87 हदीस 115 
इन हदीसों से सिद्ध होता है कि जो काम अल्लाह कर सकता है वही काम शैतान भी कर सकता है .इसीलिए कुरान में कहा है ,
जब कुरान पढो तो शैतान से बचने के लिए अल्लाह को याद कर लो " सूरा-अन नहल 16 :98 
इसका मतलब है कि जितनी बार भी मुसलमान अल्लाह को याद करेंगे उसके साथ शैतान का नाम जरुर लेंगे .यह शिर्क नहीं तो क्या है .
4-बुरी नजर और जादू पर इमान 
रसूल मानते थे कि बुरी नजर ( Evil eye ) सचमुच होती है . जिसके असर से लोग बीमार हो जाते है " इब्ने माजा- किताब 5 हदीस 3506 और 3507 
किसी कि बुरी नजर के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए लोग एक बर्तन में पानी में रसूल का बाल डाल देते थे . और वह पानी लोगों को पिला देते थे .लोग मानते थे कि इस टोटके से बीमारी दूर हो जाएगी " बुखारी - जिल्द 7 किताब 72 हदीस 784 
रसूल मानते थे कि झाड़फूंक करने से जादू का और बुरी नजर का प्रभाव दूर हो सकता है " सही मुस्लिम - किताब 26 हदीस 5450 
आयशा ने कहा कि रसूल ने अपनी पत्नियों से सम्भोग करने के लिए उनकी बारी ( Turn ) निश्चित कर रखी थी .लेकिन बनी जुरैक के एक तांत्रिक यहूदी लाबिद बिन असम ने रसूल पर ऐसा कला जादू कर दिया था ,जिस से रसूल यह भी भूल जाते थे कि उन्होंने किस औरत से सम्भोग किया है .कई महीनों तक रसूल किसी से भी सम्भोग कर लेते थे . जब मैंने उन पर से जादू उतरवाया तभी वह ठीक हो सके "
बुखारी - जिल्द 8 किताब 73 हदीस 89 
5-अंधविश्वास पर ईमान 
रसूल मानते थे कि अल्लाह लोगों को डराने ले लिए जमीं पर भूकंप भेजता रहता है " बुखारी -जिल्द 2 किताब 18 हदीस 167 
रसूल मानते थे कि फ़रिश्ते काले कुत्तों से इतना डरते है कि यदि किसी के घर में काले कुत्ते का चित्र भी होगा तो , फरिशे उस घर के अन्दर नहीं जायेंगे "
 बुखारी -जिल्द 7 किताब 72 हदीस 833 
जिहादियों में मल मूत्र और पसीने से कस्तूरी की सुगंध निकलती रहती है "इब्ने माजा - किताब 4 हदीस 2795 
रसूल को विश्वास था कि जोभी रेशम या ऊन के वस्त्र पहिनेगा वह बन्दर या सूअर के के रूप में बदल जायेगा " सुन्नन अबू दाऊद- जिल्द 3 किताब 32 हदीस 4028 
6-जिन्नों की शक्तियों पर ईमान 
रसूल ने बताया है कि अक्सर जिन्न साँपों का रूप धर लेते हैं ,और यदि तुम्हारे घर में कोई भयानक सांप आ जाये और यदि वह तीन दिन तक नहीं काटे तो समझ लो वह मुसलमान जिन्न है . और उसे जाने दो . यदि वह काट ले तो वह काफ़िर होगा . उसे मार डालो " सही मुस्लिम -किताब 26 हदीस 5558 
7-रसूल के मूत्र और थूक पर ईमान 
हदीसों के अलावा मुसलमान " अश शिफा बि तारीफे हुकूके मुस्तफा  كتاب الشفاء بتعريف حقوق المصطفى‎" नामकी किताब को मानते है , जिसे " काजी इलयाद"ने लिखा था .इनका काल हि० 544 यानि सन 1149 ई ० है . इस किताब में मुहम्मद की चमत्कारी शक्तियों . और उनके थूक और मूत्र से इलाज करने की विधियाँ दी गयीं है .यही नहीं मुसलमानों का विश्वास है कि इस किताब का पाठ करने से या घर में रखने से सभी बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं .
अब्दुल्लाह बिन जुबैर ने कहा है कि लोग रसूल की पेशाब पिया करते थे .और रसूल भी किसी को ऐसा करने से मना नहीं करते थे .सहाबी मानते थे कि रसूल की पेशाब पीने से पेट का दर्द ( Stomach ) नहीं होगा " अश शिफा - पेज 36 
मिटटी में रसूल का थूक मिला कर चाटने से बुखार मिट जाता है " सही मुस्लिम - किताब 26 हदीस 5444 
8-रसूल के चमत्कारी कान और आंखें

रसूल जब जन्नत गए थे तो , वहीँ बैठे बैठे जमीन पर चलने वाले बिलाल के पैरों की आहट सुनते रहते थे . " बुखारी - जिल्द 2 किताब 21 हदीस 250 
रसूल अपना सर घुमाये बिना ही एक ही समय आगे की और पीछे की तरफ की चीजें देख सकते थे " सही मुस्लिम - किताब 4 हदीस 853 . 854 , 856 
बाकि इब्न मुखलल्द ने कहा कि आयशा ने बताया है कि रसूल घोर अँधेरी रात में भी साफ देख सकते थे .जैसे बिल्लियाँ और उल्लू देख सकते हैं "अश शिफा - पेज 38 
आयशा ने कहा कि जब रसूल मेरे साथ सहवास करते थे तो जिबरील देखता रहता था .और रसूल कहते थे देखो आयशा जिब्राइल तुम्हें सलाम कर रहा है . लेकिन मुझे वहा कोई दिखाई नहीं देता था " बुखारी -जिल्द 8 किताब 74 हदीस 266 
9-अल्लाह के अज्ञान पर ईमान 
अल्लाह ईश्वर नहीं हो सकता इसको साबित करने के लिए यह एकही हदीस काफी है .जिसमे अल्लाह के द्वारा मुहम्मद के दिल के ओपरेशन करने का विवरण दिया है ,
मालिक बिन साअस ने कहा कि रसूल ने कहा .जब मैं जन्नत में गया तो मरे सामने एक सोने का बर्तन लाया गया , जिसमे इल्म और ईमान भरा हुआ था .फिर अल्लाह ने मेरे सीने को दायीं तरफ से ऊपर से नीचे से पेट तक चीर दिया . और मेरा दिल बाहर निकाला और जमजम के पानी से धोकर दिल में ज्ञान और ईमान भर दिया " सही मुस्लिम - किताब 1 ईमान हदीस 315 


"وقد احضرت حوض الذهب كامل من الحكمة والإيمان، وبعد ذلك افتتح اليمين (جزء من الجسم) من الطرف العلوي من الصدر إلى الجزء السفلي من البطن وغسله بماء زمزم، ثم شغل مع الحكمة والايمان."




 Sahih Muslim  - Book 1  Iman   Hadith  no 315 

नोट -अल्लाह इतना मूर्ख था कि उसको इतना भी ज्ञान नहीं था कि दिल सीने में दायीं तरफ नहीं बायीं तरफ होता है .

आज हमें मुसलमानों के ऐसे ऐसे मूर्खता भरी बातों पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है .क्योंकि ऐसी ही बातें मानने पर भी जब मुसलमान मुशरिक नहीं मने जाते है तो उनको हिन्दुओं को मुशरिक कहने का कोई अधिकार नहीं है .सोचिये जब इनका अल्लाह और रसूल खुद इतने मुर्ख और अन्धविश्वासी थे तो मुसलमान कैसे होंगे .और यदि मुशरिक होने सभी गैर मुस्लिम क़त्ल के योग्य है तो मुसलमान वाजिबुल क़त्ल क्यों नहीं . क्योंकि यही सबसे बड़े मुशरिक है .
इन मुशरिकों को जहाँ पाओ क़त्ल कर दो !सूरा -तौबा 9 :5 

http://islam-watch.org/AbulKasem/IslamicVoodoos/Part5b.htm

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