दिल्ली पुलिस ने
अपने हाथों में चूडि़यां पहन ली है?
डॉ0 संतोष राय की कलम से
ये बात अब
सर्वविदित हो गई है कि दिल्ली पुलिस दोगला चरित्र रखती है। इस दिल्ली पुलिस के
लिये मुसलमान ही सर्वो-सर्वोपरि व हिन्दू उनके लिये अब दोयम दर्जे के नागरिक हो
गये हैं। जैसा कि 4 जून को पूरे देश क्या विश्व ने इस दिल्ली
पुलिस की कायराना हरकत को देखा था। कैसे यह पुलिस सोते हुये लोगों महिलाओं और बच्चों
पर ही तरस नही खाई और जमकर लाठियां बरसाई, आंसू गोले छोड़े, यहां तक कि महिलाओं से भी छेड़छाड़ की।
लेकिन जब मुसलमान
की बात आती है तो दिल्ली पुलिस का रवैया बेहद उल्टा हो जाता है। तब यह दिल्ली
पुलिस शांति की दुहाई देती है, दंगा भड़कने की आशंका जताती है। सुभाष पार्क
में जब न्यायालय द्वारा भगोड़ा-अपराधी
जामा मस्जिद के शाही ईमाम अब्दुल्ला अहमद बुखारी व शोएब इकबाल के नेतृत्व
में वहां के स्थानिय मुसलमान अवैध मस्जिद बना रहे थे तो यही दिल्ली पुलिस पूरी
तरह नपुंसक, मूकदर्शक बनी हुयी थी। वहां के स्थानिय
मुस्लिम गुंडों ने इन पुलिस वालों की बहुत बर्बरता पूर्वक पिटायी की, भागने पर भी नही बख्शा, इन पुलिस वालों
को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। लेकिन यह दिल्ली पुलिस उन मुस्लिम गुंडों के सामने एकदम
असहाय नजर आयी। हद तो तब हो गयी जब एक पुलिस वाला मार के डर से बड़ी तेजी के साथ
वहां से भागा, जब उससे पूछा गया कि क्यों भाग रहे हो तो उसने
कहा कि जब जान रहेगी तभी तो नौकरी करूंगा, परिवार का
भरण-पोषण करूंगा। और तो और इन मुस्लिम गुंडों ने दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी की
रिवाल्वर तक छीन ली।
लेकिन अपने
कायराना हरकत के लिये कुख्यात हिजड़ी दिल्ली पुलिस की बहादुरी निर्दोष, निहत्थे,
मासूमों और महिलाओं पर ही
चलते हैं, जैसा कि संपूर्ण भारत ने 4 जून की उस बेहद खौफ़नाक काली रात को देखा था। तब इस दिल्ली
पुलिस को दंगे होने की आशंका नजर नही आयी मगर न्यायालय द्वारा घोषित भगोड़े
अपराधी बुखारी को गिरफ्तार करने की बात होती है तब दिल्ली पुलिस की पैंट गीली हो
जाती है, तब वो शांति की दुहाई देने लगती है। आज वही
दिल्ली पुलिस सुभाष पार्क में अवैध ढांचा को गिराये जाने में पूरी तरह से मेमना
बन गई है, ऐसा लग रहा है कि मानो दिल्ली पुलिस ने अपने
हाथों में चूडि़यां पहन ली है।
दिल्ली पुलिस ने
सुभाष पार्क मामले अवैध ढांचा गिराए जाने हेतु दिल्ली उच्च न्यायलय से समय बढ़ाने
की मांग की जिसका हिन्दू महासभा ने पुरजोर
विरोध किया, समय अवधि बढ़ाने की मांग दिल्ली पुलिस की न्यायालय
द्वारा खारिज भी हो गया।
ज्ञात हो कि
सुभाष पार्क में विवादित अवैध मस्जिद के ढाँचे को गिराए जाने के दिल्ली उच्च
न्यायलय में दिल्ली पुलिस द्वारा समय सीमा बढ़ाने की गुहार की गई, जिसका हिन्दू महासभा द्वारा कड़ा विरोध दर्ज किया गया जिसके
फलस्वरूप दिल्ली उच्च न्यायलय ने दिल्ली पुलिस की मांग खारिज कर दी।
दिनांक 7 जुलाई 2012 को सुभाष पार्क अवैध ढाँचे के मामले में दिल्ली पुलिस ने सेक्शन 151 CPC के अधीन 30 जुलाई 2012 के आदेश में संशोधन हेतु चुपके-चुपके मुख्य न्यायाधीश को
उल्लेख (Mention) किया कि दिनांक 30 जुलाई 2012 के दिए गये आदेश के पैरा नम्बर 34 (V) को स्थगित किया जाये अर्थात मस्जिद को तोड़ने
तथा अभियुक्तों को गिरफ्तार करने का आदेश को स्थगित किया जाये। यानी एक प्रकार से देखा जाये तो दिल्ली पुलिस
अपराधियों से मिली हुयी है वो अपराधियों को बचाना चाहती है, या सरकार की शह पर वह ऐसा करने को बाध्य है। दिल्ली पुलिस
के इस कुकृत्य का हिन्दू महासभा ने पूरी तरह से विरोध किया। हिन्दू महासभा के
दिल्ली प्रदेश के उपाध्यक्ष स्वामी एस एस बाबा ॐ जी ने मुख्य न्यायधीश से कहा कि उपरोक्त आदेश का स्थगन करने के बजाय
उपरोक्त ढाँचे को तोड़ने तथा सम्बन्धित अभियुक्तों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
न्यायालय ने
स्वामी एस एस बाबा ॐ जी कि प्रार्थना को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीध की पीठ
ने दिल्ली पुलिस की याचिका को ठुकरा दिया जिसके बाद फाईल नम्बर 127046 दिनांक 7 अगस्त 2012 को स्वामी बाबा ॐ जी को सर्विस करवाए बिना याचिका दायर कर
दी, जिसके विरोध स्वरूप स्वामी एस एस बाबा ॐ जी तथा
मुकेश शर्मा जी ने विरोध पत्र केवियट (Caveat) दायर किया।
उल्लेखनीय है की
स्वामी एस एस बाबा ॐ जी ने गत दिनों संयुक्त रूप से बयान दिया था की यदि उपरोक्त
अवैध ढांचा तत्काल नही गिराया गया तथा यदि सभी सम्बन्धित अभियुक्तों को तत्काल गिरफ्तार नही किया गया तो हिन्दू महासभा
दिल्ली पुलिस के आयुक्त श्री नीरज कुमार का घेराव करेगी जिससे डर कर दिल्ली पुलिस ने अपनी कायरता को
छिपाने के लिए उपरोक्त याचिका दिल्ली उच्च न्यायलय में दायर की है।
ज्ञात हो की अखिल
भारत हिन्दू महासभा के दिल्ली प्रदेश के उपाध्यक्ष स्वामी एस एस बाबा ॐ जी ने
सुभाष पार्क स्थित विवादित अवैध ढाँचे को गिराने हेतु तथा उस ढाँचे को बनाने में
सहायक अभियुक्तों को गिरफ्तार करने हेतु स्वामी एस एस बाबा ॐ जी ने जुलाई महीने
में W.P.(C) No - 4432 /2012,
W.P.(C) No - 4323 /2012 तथा Contempt Petition CAS
(C) No - 460 /2012 के सन्दर्भ से
दिल्ली उच्च न्यायलय में याचिकाएं दायर की थीं, जिसके सुनवाई के
बाद अक्षरश: उपरोक्त आदेश पारित कर दिया गया था उसके उसके बाद विधायक शुएब इकबाल
ने सुप्रीम कोर्ट में उपरोक्त आदेश के विरुद्ध याचिका डालने का प्रयास किया तो
स्वामी एस एस बाबा ॐ जी एवं श्री मुकेश शर्मा जी ने संयुक्त रूप से शुएब इकबाल तथा
दिल्ली पुलिस के विरुद्ध केवियट (विरोध पत्र) दायर की जिसके परिणामस्वरूप सुप्रीम
कोर्ट न जाकर के दिल्ली पुलिस ने सीधे दिल्ली उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीध को
सीधे Mention करते हुए उपरोक्त आदेश के अनुपालन की अवधि को
बढ़ाने हेतु संशोधन करने सम्बन्धी याचिका हस्तांतरित की जिसका विरोध स्वामी एस एस
बाबा ॐ जी द्वारा किये जाने के परिणाम-स्वरूप माननीय मुख्य न्यायाधीध ने दिल्ली
पुलिस की याचिका को ठुकरा दिया।
अखिल भारत हिन्दू
महासभा के दिल्ली प्रदेश के उपाध्यक्ष स्वामी एस एस बाबा ॐ ने इस निर्णय का
हार्दिक स्वागत किया है तथा आशा व्यक्त की है दिल्ली पुलिस अपनी कायरता को छिपाने
की बजाय अविलम्ब अपना पुरुषार्थ दिखाते हुए तथा न्यायलय के आदेश का पालन करते हुए
उपरोक्त अवैध ढांचा को अविलंब गिरा देगी तथा सम्बन्धित अभियुक्तों को तत्काल
गिरफ्तार करके न्यायलय में प्रस्तुत करेगी।
ज्ञात हो कि जामा
मस्जिद क्षेत्र के डीसीपी देवेश श्रीवास्तव इस अवैध मस्जिद मसले पर मुसलमानों व
स्थानिय कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी नही मोल लेना चाहते। मगर जब दिल्ली पुलिस
को मंदिरों को गिराना होता है, प्राचीन मंदिरों को अवैध बताकर ढहाना होता है
तब इनके अंदर का पुरूषार्थ जग जाता है, वे इसे गिराकर ही
दम लेते हैं। मंदिर गिरने पर हिंदू कोई प्रतिक्रिया नही करता जिससे कि इन
पुलिस-प्रशासन व सेकुलर सरकार का मनोबल चौगुना बढ़ जाता है। मगर अवैध मस्जिद ढहाने की बात हो, जामा मस्जिद के
ईमाम बुखारी जो न्यायालय द्वारा भगोड़े अपराधी है, को गिरफ्तार करने
की बात हो तब दिल्ली पुलिस अपने हाथों में चूडि़यां पहन लेती है।
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