नई दिल्ली, 30 अगस्त। अखिल भारत हिन्दू महासभा के पदाधिकारियों की नई
दिल्ली, गोल मार्केट में
संपन्न हुयी बैठक में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुंबई के 26/11 के आतंकवादी
हमले में शामिल दुर्दांत आतंकवादी अजमल कसाब की फांसी की सजा पर जहां एक ओर
प्रसन्नता व्यक्त की गई, वहीं दूसरी ओर
फांसी की सजा पर मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति की आशंका पर गहरी चिंता जताई गई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुये हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय
महामंत्री बाबा नंद किशोर मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि अजमल कसाब को फांसी पर
लटकाने से आतंकवादियों को कड़ा संदेश मिलेगा और भारत में आतंकवाद के समूल नाश का
मार्ग प्रशस्त होगा। बाबा मिश्र ने कहा कि देश आतंकवाद के समूल नाश के लिये वीर
सावरकर, भाई परमानंद और
डॉ0 मुंजे की
विचारधारा को आत्मसात करना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर
मुस्लिम तुष्टीकरण के नाम पर अजमल कसाब की फांसी की सजा को टालने का प्रयास किया
गया तो देश की हिन्दू जनता अपने वोट बैंक से 2014 के आम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और उसके
सहयोगी दलों को करारा सबक सिखायेगी।
बैठक का संचालन करते हुये महासभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री
डॉ0 संतोष राय ने
कहा कि अजमल कसाब पाकिस्तान का नागरिक और सैकड़ों भारतवासियों का हत्यारा है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद ऐसे खूंखार आतंकवादी को सार्वजनिक रूप से
फांसी पर लटका देना चाहिये। इससे विदेशी धरती से भारतभूमि पर आतंक फैलाने वाले
तत्वों करारा सबक मिलेगा और वो देश में आतंक फैलाने का साहस नही करेंगे।
हिन्दू महासभा उत्तर भारत प्रभारी रविन्द्र द्विवेदी ने
बैठक में आशंका जतायी कि मुस्लिम तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति का अजमल कसाब
की फांसी पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। मुस्लिम वोट बैंक के लालची और छद्म धर्म
निरपेक्षता का राग अलापने वाले राजनीतिक दल अजमल कसाब की फांसी का विरोध करने का
आत्मघाती प्रयास कर सकते हैं। रविन्द्र द्विवेदी ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर संसद
भवन पर आतंकवादी हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरू को फांसी की सजा वोट बैंक की
राजनीति के कारण आज-तक नही दी जा सकी। उन्होने राष्ट्रहित में अजमल कसाब के साथ
अफजल गुरू को अविलंब फांसी पर लटकाने की केन्द्र सरकार से मांग की।
केन्द्रीय सलाहकार समिति एवं केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति के
सदस्य सरदार रवि रंजन सिंह ने बैठक में कहा कि भारत में पनपता विदेशी आतंकवाद
केन्द्र सरकार की रक्षात्मक नीतियों का परिणाम है। देश में आतंकवादी नेटवर्क का
समूल सहित नाश करने के लिये आक्रामक नीतियों को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि
केन्द्र सरकार आतंकवाद विरोधी अपनी नीतियों में व्यापक बदलाव कर आतंकवाद के
नेटवर्क को ध्वस्त करे, अन्यथा देश की
जनता आगामी लोकसभा चुनाव में उसे सत्ता से बेदखल कर उसे उसकी करनी का सबक
सिखायेगी।
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