Friday, August 31, 2012

हिन्‍दू महासभा दिल्‍ली प्रदेश के उपाध्‍यक्ष स्‍वामी ओम् जी पार्टी से निष्‍कासित

नई दिल्‍ली,31अगस्‍त। केन्‍द्रीय उच्‍चाधि‍कार समिति के अध्‍यक्ष  डॉ0 संतोष राय ने आज दिनांक 31 अगस्‍त, 2012 दिन शुक्रवार को स्‍वत: संज्ञान लेते हुये व पार्टी के वरिष्‍ठ अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद स्‍वामी ओम् जी महाराज को गैर मर्यादित, अनुशासनहीनता, र्दुव्‍यवहार, पार्टी विरोधी  गतिविधियों में लिप्‍त होने के कारण हिन्‍दू महासभा की  प्राथमिक सदस्‍यता व दिल्‍ली प्रदेश के उपाध्‍यक्ष पद से निष्‍काषित कर दिया है।
ज्ञात हो कि पिछले कई दिनों से उनकी मा‍नसिक स्थिति ठीक नही जान पड़ रही  थी, वे असंतुलित मन-मष्तिष्‍क से किसी को कुछ भी कह सकते हैं, किसी के उपर कोई भी निराधार आरोप लगा सकते हैं, ऐसा पार्टी को जान पड़ा। आज से वे न हिन्‍दू महासभा के प्राथमिक सदस्‍य है न ही हिन्‍दू महासभा दिल्‍ली प्रदेश के उपाध्‍यक्ष।
अखिल भारत हिन्‍दू महासभा उनके किसी भी कार्य के लिये उत्‍तरदायी नही होगी, कोई उनसे किसी तरह का संबंध रखता है यह उसकी समस्‍या होगी, उसके लिये हिन्‍दू महासभा किसी भी हाल में जिम्‍मेदार नही होगी।
केन्‍द्रीय उच्‍चाधिकार समिति के अध्‍यक्ष ने यह भी निर्णय लिया है कि सुभाष पार्क के अवैध ढांचे का मुकदमा जो माननीय दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय में चल रहा है, उस मुकदमें की पैरवी  याचक संख्‍या 2 एवं 3 क्रमश: बाबा पं0 नंद किशोर मिश्र राष्‍ट्रीय महामंत्री(तदर्थ) व सरदार रवि रंजन सिंह सदस्‍य केन्‍द्रीय उच्‍चाधिकार समिति व राष्‍ट्रीय सलाहकार समिति, अखिल भारत हिन्‍दू महासभा, करेंगे।
 

Thursday, August 30, 2012

अजमल कसाब की फांसी पर वोट बैंक की राजनीति की आशंका से हिन्दू महासभा चिंतित


नई दिल्ली, 30 अगस्त। अखिल भारत हिन्दू महासभा के पदाधिकारियों की नई दिल्ली, गोल मार्केट में संपन्न हुयी बैठक में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुंबई के 26/11 के आतंकवादी हमले में शामिल दुर्दांत आतंकवादी अजमल कसाब की फांसी की सजा पर जहां एक ओर प्रसन्नता व्यक्त की गई, वहीं दूसरी ओर फांसी की सजा पर मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति की आशंका पर गहरी चिंता जताई गई। 


बैठक की अध्यक्षता करते हुये हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री बाबा नंद किशोर मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि अजमल कसाब को फांसी पर लटकाने से आतंकवादियों को कड़ा संदेश मिलेगा और भारत में आतंकवाद के समूल नाश का मार्ग प्रशस्त होगा। बाबा मिश्र ने कहा कि देश आतंकवाद के समूल नाश के लिये वीर सावरकर, भाई परमानंद और डॉ0 मुंजे की विचारधारा को आत्मसात करना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम तुष्टीकरण के नाम पर अजमल कसाब की फांसी की सजा को टालने का प्रयास किया गया तो देश की हिन्दू जनता अपने वोट बैंक से 2014 के आम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को करारा सबक सिखायेगी। 


बैठक का संचालन करते हुये महासभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ0 संतोष राय ने कहा कि अजमल कसाब पाकिस्तान का नागरिक और सैकड़ों भारतवासियों का हत्यारा है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद ऐसे खूंखार आतंकवादी को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका देना चाहिये। इससे विदेशी धरती से भारतभूमि पर आतंक फैलाने वाले तत्वों करारा सबक मिलेगा और वो देश में आतंक फैलाने का साहस नही करेंगे।


हिन्दू महासभा उत्तर भारत प्रभारी रविन्द्र द्विवेदी ने बैठक में आशंका जतायी कि मुस्लिम तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति का अजमल कसाब की फांसी पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। मुस्लिम वोट बैंक के लालची और छद्म धर्म निरपेक्षता का राग अलापने वाले राजनीतिक दल अजमल कसाब की फांसी का विरोध करने का आत्मघाती प्रयास कर सकते हैं। रविन्द्र द्विवेदी ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर आतंकवादी हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरू को फांसी की सजा वोट बैंक की राजनीति के कारण आज-तक नही दी जा सकी। उन्होने राष्ट्रहित में अजमल कसाब के साथ अफजल गुरू को अविलंब फांसी पर लटकाने की केन्द्र सरकार से मांग की।


केन्द्रीय सलाहकार समिति एवं केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति के सदस्य सरदार रवि रंजन सिंह ने बैठक में कहा कि भारत में पनपता विदेशी आतंकवाद केन्द्र सरकार की रक्षात्मक नीतियों का परिणाम है। देश में आतंकवादी नेटवर्क का समूल सहित नाश करने के लिये आक्रामक नीतियों को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार आतंकवाद विरोधी अपनी नीतियों में व्यापक बदलाव कर आतंकवाद के नेटवर्क को ध्वस्त करे, अन्यथा देश की जनता आगामी लोकसभा चुनाव में उसे सत्ता से बेदखल कर उसे उसकी करनी का सबक सिखायेगी।

Wednesday, August 29, 2012

अखिल भारत हिन्दू महासभा ने हिन्दू जागृत डॉट आर्ग वेबसाइट पर सरकार के प्रतिबंध का विरोध किया


नई दिल्ली, 29/08/2012। अखिल भारत हिन्दू महासभा ने हिन्दू जागृत डॉट आर्ग वेबसाइट पर सरकारी प्रतिबंध का विरोध किया है व आज हिन्दू जनजागृति संस्था द्वारा जंतर-मंतर पर हो रहे भारी प्रदर्शन का पूर्ण रूपेण समर्थन किया है। अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता, अध्यक्ष केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति व राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ0 संतोष राय ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा भयानक हिन्दू जनसंहार, हिन्दू महिलाओं का यौन शोषण के बाद हुये भारी तबाही व करीब 2 लाख हिन्दुओं के विस्थापन के बाद  केन्द्र सरकार पाकिस्तान से चलनेवाली किन वेबसाइटों को बैन किया ये जानकारी तो नही मिली लेकिन सरकार ने सनातन संस्था द्वारा संचालित हिन्दूजागृति डॉट आर्ग को प्रतिबंधित कर दिया है जो सरासर गलत व औरंगजेबी फरमान का ज्वलंत उदाहरण है।


 ज्ञात हो कि असम में व्यापक रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा हिन्दुओं के जनसंहार व मुबई में मुस्लिम जेहादियों द्वारा किये गये दंगों के बाद ससंचार मंत्रालय द्वारा एहतियातन जिन वेबसाइटों को प्रतिबंधित करने का कदम उठाया गया है उसमें सनातन संस्था द्वारा संचालित यह वेबसाइट भी शामिल है। सरकार ने पाया है कि इस वेबसाइट पर ऐसी सामग्री थी जिसके जरिए लोगों की भावनाओं को भड़काया जा रहा था जबकि सच्चाई इससे पूरी तरह उलट है।
वरिष्ठ नेता डॉ0 संतोष राय ने अपने बयान में आगे कहा कि  एक ओर भारत में इस्लामिक जेहाद भड़काने वाले, आतंकियों की मदद करने वाले व उनका मुकदमा लड़ने वाली ‘‘पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’’ पर की वेबसाइट पर सरकार कोई प्रतिबंध नही लगा रही है वहीं सत्य सनातन धर्म का प्रचार करने वाली ‘‘हिन्दूजागृति डॉट आर्ग’’ पर प्रतिबंध लगा दिया।


विदित हो कि यह वही वेबजाल है जिसने सर्वप्रथम असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा हुये हिन्दुओं के भयानक जनसंहार को सर्वप्रथम संपूर्ण विश्व को सूचित किया था, साथ ही इसने मुंबई में हुये इस्लामी जेहादियों के दंगों को सर्वप्रथम संपूर्ण राष्ट्र को अवगत कराया था। 
श्री राय ने आगे कहा कि असम में भयानक हिन्दूओं के जनसंहार के दौरान यह संस्था अपने प्रचार माध्यमों के जरिए यह साबित करने की प्रयास कर रही थी कि वहां हिन्दुओं के साथ अत्याचार हो रहा है और वहां बांग्लादेशी घुसपैठी भारत के जेहादी मुसलमानों के साथ मिलकर  असम का कश्मीर की तरह इस्लामीकरण करना चाहते हैं। 

वरिष्ठ नेता सरदार रविरंजन सिंह ने कहा कि अब सरकार ने सिर्फ हिन्दूजागृति डॉट आर्ग को प्रतिबंधित ही नही किया बल्कि उसका फेसबुक एकाउण्ट भी ब्लाक करवा दिया है। यह केन्द्र सरकार की सरासर ज्यादती है। सरकार ने बिना उनका पक्ष जाने ही अपनी तरफ से पहल करके यह कदम उठाया है जिसका अखिल भारत हिन्दू महासभा पूरी तरह विरोध करती है।

Monday, August 27, 2012

नमाज या मुहम्मद वंदना ?

सत्‍यवादी

प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय


विश्व में जितने भी धर्म और संप्रदाय हैं . उन सभी में उनकी मान्यताओं के अनुसार उपासना करने की विधियां और उपासना के दिन या समय ये किये गए हैं . लगभग सभी धर्मों का विश्वास है कि उपासना का उद्देश्य ईश्वर की अनुकम्पा प्राप्त करना . और आत्मिक शांति प्राप्त होना है .यद्यपि सभी धर्म के लोग अपने रीति रिवाज के अनुसार ईश्वर ही की उपासना करते हैं . लेकिन मुसलमान उनको मुशरिक या काफ़िर समझते है .इसके पीछे यह कारण है कि मुसलमानों का दावा है कि वह केवल एकही अल्लाह को मानते है . इस सिद्धांत को " तौहीद " या एकेश्वरवाद (Monotheism )भी कहा जाता है .तौहीद के सिद्धांत के अनुसार मुसलमान अल्लाह के अतिरिक्त किसी व्यक्ति .की उपासना नहीं कर सकते और उसकी वंदना कर सकते हैं .अरबी में उपासना ( Worship ) "इबादत " शब्द है . और इबादत करने वाले को " आबिद "कहा जाता है .कुरान में अल्लाह की इबादत करने के लिए जो तरीके बताये गए हैं , उनमे नमाज और तस्बीह अधिक प्रसिद्ध हैं .
इस विषय को और स्पष्ट करने के लिए हमें कुरान और हदीसों में प्रयुक्त कुछ मुख्य पारिभाषिक शब्दों के अर्थ समझना जरुरी है . जो मक्तबा अल हसनात रामपुर से प्रकाशित कुरान के हिंदी अनुवाद के अंत में दिए गए हैं.
1 - नमाज या सलात. नमाजنماز एक फारसी शब्द है . इसका अर्थ नमस्कार या प्रणाम करना होता है . अरबी में नमाज के लिए कुरान में और हदीसों " सलवात " शब्द प्रयुक्त किया गया है . जिसे " सलात صلوات" बोला जाता है . इसका अर्थ .उपासना करना , किसी के आगे गिड़ गिडाना,या झुकना होता है ( पेज 1234 )
2 - तसबीह  (  تسبيح ). यह अरबी भाषा के मूल शब्द " सबह سبح" से बना है . इसका अर्थ याद करना . जपना . तारीफ करना .और किसी की महानता के आगे झुक जाना . या उसके आगे बिछ जाना होता है ( पेज 1232 )आम तौर पर जप करने वाली माला को भी तसबीह कहा जाता है . और इस्लामी माला में सौ (100 ) मनके होते हैं 
1-नमाज या सलात किसके लिए 
कुरान के अनुसार नमाज या सलात सिर्फ अल्लाह के लिए होनी चाहिए .क्योंकि अल्लाह सब का स्वामी है .जैसा कि इन आयतों में कहा है
" कह दो मेरी सलात ( नमाज ) मेरी कुर्बानी ,मेरा जीना .मेरा मरना केवल अल्लाह के लिए है . जो सारे संसार का रब है " सूरा -अनआम 6 :163 
कुरान के अनुसार नमाज पढ़ना भी एक प्रकार की इबादत है . जैसा कि इस आयत में कहा गया है 
" बेशक अल्लाह मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब है ,तो उसी की इबादत करो. यही सीधा रास्ता है "सूरा -आले इमरान 3 :51 
2-तस्बीह या जाप 
इस्लाम के पहले भी ईसाइयों .यहूदियों . और पारसियों में माला से जप करने , और सवेरे शाम ईश्वर के नाम का स्मरण करने की परंपरा थी .आज भी ईसाई पादरी जिस माला से जप करते हैं उसे " रोजरी ( Rosary "कहा जाता है . यही रिवाज इस्लाम ने अपना लिया है . जाप को ही तस्बीह कहा गया है . और कुरान में मुसलमानों को दौनों समय तस्बीह करने को कहा गया है .
हे मुहम्मद अपने रब की तस्बीह करो , सूर्य उदय होने के पहले और उसके अस्त होने से रात की घड़ियों में भी " सूरा - ता हा 20 :130 
" तुम अपने रब को बहुत ज्यादा याद करो .और सायंकाल और प्रातः उसी की तस्बीह करते रहो " सूरा -आले इमरान 3 :41 
" और जो लोग अपने रब को प्रातः काल और संध्या के समय पुकारते हैं . और चाहते हैं कि उसकी प्रसन्नता प्राप्त हो जाये . तो तुम ऐसे लोगों नहीं भगाओ " 
सूरा-अनआम 6 :52 
रसूल की बेटी फातिमा सुबह शाम तस्बीह ( माला ) लेकर अल्लाह के नामों का स्मरण करती थी .और माला में अल्लाहू अकबर 34 बार . अलहम्दु लिल्लाह 33 बार और सुबहान अल्लाह 33 बार नामों का जाप करती थी .
सही मुस्लिम -किताब 35 हदीस 6577 
" हमने तो पहाड़ों को उन लोगों के साथ लगा दिया है कि वे भी संध्या के समय और प्रातः काल " तस्बीह " करते रहें " सूरा-साद 38 :18 
3-अल्लाह से सौदेबाजी 
भले मुसलमान मुहम्मद को अनपढ़ कहते रहें , लेकिन वह एक चालाक चतुर सौदेबाज था . उसने बचपन में ही व्यापर और मोलभाव करने की तरकीब सीख ली थी .यही नहीं उसे लोगों की मुर्खता का फायदा उठाने की कला प्राप्त कर ली थी .दिखने के लिए वह लोगों से केवल अल्लाह की इबादत करने की शिक्षा देता था . लेकिन उसकी इच्छा थी कि लोग उसकी और उसकी संतानों की इबादत करते रहें .इसलिए उसने मुसलमानों को सदा के लिए अपना आभारी बनाने के लिए कल्पित कहानी सुना डाली . जिसमे उसने दावा किया कि वह सातवें आसमान पर अल्लाह से मिलने लिए गया था .और अल्लाह ने मुझे लिख कर दिन में पांच पर नमाज पढ़ने का आदेश दिया है .
4-पांच नमाजों का हुक्म 
अबू जर ने कहा कि रसूल ने कहा कि एक दिन मैं अपने घर के अन्दर था , तभी अचानक मेरे घर की छत खोल कर जिब्रईल अन्दर आगया . और उसने मेरा सीना खोल कर मेरे दिल को जमजम के पानी से धोकर साफ किया . फिर एक सोने के बर्तन में रखा हुआ ज्ञान मेरे दिल में भर दिया . फिर मुझे अपने साथ जन्नत ले गया .
और जब वहां के दरबान ने पूछा कि तुम्हारे साथ यह कौन है , तो जिब्राइल ने बताया यह मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं. और दरबान ने जन्नत का द्वार खोल दिया . जब मैं अन्दर गया तो देखा कि दायीं तरफ जन्नत के लोग थे और अगले हिस्से में आदम ,इदरीस , मूसा , ईसा ,और इब्राहिम थे . जिब्राइल ने मेरा सबाहे परिचय कराया और सबने मुझे सलाम किया . फिर जब मैं और आगे गया तो एक जगह से कलम से लिखने आवाज निकल रही थी . जिब्राइल ने बताया कि अल्लाह मुसलमानों के लिए रोज 50 नमाजें पढ़ने का हुक्म लिख रहा है . फिर अल्लाह ने वही आदेश लिख कर मेरे हाथों में दे दिया .जैसे ही वापिस आ रहा था . रस्ते में मूसा मिल गए .मूसा ने कहा कि 50 नमाजें तो बहुत जादा हैं . तुम अल्लाह से कुछ कम कराओ . तब अल्लाह ने नमाजों कि संख्या आधी कर दी . और जब मैं लौटने लगा तो मूसा ने कहा यह भी बहुत जादा है . तुम फिर अल्लाह से और कम करने को कहो . फिर अल्लाह ने उसकी संख्या आधी कर दी .इसी तरह फिर से मूसा ने कहा कि अल्लाह से और कम करने को कहा . जब मैं तीसरी बार अल्लाह के पास गया , और नमाजों की संख्या कम करने को कहा तो अल्लाह ने कहा चलो हम सिर्फ पांच नमाजों का हुक्म देते हैं . लेकिन अब इसमे कोई कमी नहीं हो सकती.यह सुनते ही मैं मक्का वापिस आ गया . इस तरह मैंने अपनी उम्मत के लोगों को नमाजों के भारी बोझ से बचा लिया 
बुखारी -जिल्द 1 किताब 8 हदीस 345 
5-दुरूद 
मुहम्मद ने लोगों पर अपना अहसान जताकर नमाजों में अपनी और अपने परिवार की इबादत की तरकीब निकाली दुरुद कहते हैं
यह एक प्रकार प्रार्थना है . जो नमाज केसाथ पढ़ी जाती है . कुरान में " दुरुद  درود‎ " शब्द नहीं मिलता है . क्योंकि यह फारसी शब्द है .अरबी में दुरुद का वही अर्थ है जो नमाज या सलात"(صلوات  "का होता है .(corresponding to "durood" when used as a general term, is simply: "salawât" )दुरुद फारसी के दो शब्दों " दर " यानि द्वार और " वूद " यानि वंदन से बना है अर्थात किसी के द्वार पर जाकर उसकी वंदना करना . इसी लिए दुरुद को " सलात अलन्नबी الصلاة على النبي " भी कहते हैं .वास्तव में दुरुद के माध्यम से अल्लाह के द्वारा मुहम्मद की वंदना करवाई जाती है .दुरुद और उसका अर्थ देखिये .

  "अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन व् अला आले मुहम्मदिन कमा   सल्लैता अला इब्राहिम व आले इब्राहीम . इन्नक हमीदुन मजीद .
"अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिन व् अला आले मुहम्मदिन कमा बारिकता अला इब्राहिम व आले इब्राहीम . इन्नक हमीदुन मजीद 
अर्थ - हे अल्लाह मुहम्मद की वंदना कर , और उसकी संतानों की . जैसे तूने इब्राहीम और उसकी संतान की ,बेशक तू बहुत महान है . हे अल्लाह तू मुहम्मद और उसकी संतान को संपन्न कर जैसे तूने इब्राहीम की संतान को किया था . बेशक तू बड़ा महान है ."
आज जब भी मुसलमान नमाज के साथ दरूद पढ़ते हैं तो वह परोक्ष रूप से मुहम्मद की वंदना करते हैं . यही नहीं अल्लाह से भी मुहम्मद पर सलात भेजने ( वंदना करने ) का आग्रह करते हैं .और इसके पक्ष में कुरान की यह आयत बताते हैं
"निश्चय ही अल्लाह और उसके फ़रिश्ते नबी पर सलात भेजते रहते हैं . और हे लोगो जो ईमान लाये हो तुम भी नबी पर सलात भेजा करो '
सूरा -अहजाब 33 :56 
6-सिर्फ दो नमाजों का आदेश 
यदि मुसलमान कुरान को अल्लाह की किताब मानते है . तो कुरान में दिन भर में केवल दो बार ही नमाज पढ़ने का हुक्म मिलता है .दिन में पांच बार नमाज पढ़ने नियम मुहम्मद साहब की दिमाग की उपज है .दो बार नमाज पढ़ने आदेश कुरान की इन आयतों में मिलता है .
"और दिन के दौनों समय नमाज कायम करो . कुछ दिन के हिस्से में और कुछ रात के हिस्से में "
सूरा -हूद 11 :114 
"नमाज कायम करो , जब सूरज ढल जाये . और तब से अँधेरा होने तक " सूरा - बनी इस्राइल 17 :78

यद्यपि मुल्ले मौलवी अच्छी तरह से जानते हैं कि कुरान में सवेरे और संध्या के बाद केवल दो ही बार नमाज पढ़ने का स्पष्ट आदेश दिया गया है . लेकिन वह बड़ी चालाकी से " सलात यानि नमाज ' और तस्बीह यानि जप " शब्दों में घालमेल करके मुहम्मद कि वंदना करते है .और अल्लाह से मुहम्मद और उसकी संतानों की रक्षा और सम्पनता के लिए दुआ करते है .
लेकिन इतिहास से साबित होचुका है कि अपने अत्याचारों और अपराधो के कारण मुहम्मद साहब और उनके वंशजों की निर्मम हत्याएं कर दी गयी थी . मुसलमानों का दुरूद भी उनको नहीं बचा सका .
यदि देश की वंदना करना पाप है तो मुहम्मद की वंदना महापाप है .


http://free-minds.org/forum/index.php?topic=9603386.10
 
साभार: 
 
www.bhaandafodu.blogspot.com 

Wednesday, August 22, 2012

ऐसे अल्लाह को क्यों मानें ?

सत्‍यवादी

प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय


किसी के बारे में सुनी सुनाई बातों के आधार पर , और गहराई से जानकारी प्राप्त किये बिना ही विश्वास करना घातक होता है . और जो भी व्यक्ति ऐसी भूल करता है ,उसे बाद में अवश्य ही पछताना पड़ता है .यह बात कहना इसलिए जरूरी हो गयी है , क्योंकि आजकल विदेशी धन से पोषित इस्लाम के कुछ ऐसे प्रचारक पैदा हो गए हैं ,जो अपने कुतर्कों से मुहम्मद को अवतार , कुरान को ईश्वरीय पुस्तक और अपने अल्लाह को सबका ईश्वर साबित करने का कुप्रयास करते रहते हैं .इनका एकमात्र उद्देश्य हिन्दुओं को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन कराना है . ताकि उनके द्वारा भारत में आतंक फैला कर इस्लामी राज्य की स्थापना की जा सके .इसके लिए यह लोग अपने अल्लाह को सर्वशक्तिमान , सर्वज्ञ ,और समर्थ बताते हैं , और कुरान का हवाला देते हैं जैसे ,
अल्लाह से न तो धरती के भीतर की कोई चीज छुपी है , और न आकाश के अन्दर की कोई चीज छुपी है " सूरा -आले इमरान 3 : 5 
अल्लाह को आकाशों और धरती में छुपी हुई बातों का सारा भेद मालूम है " सूरा -अल कहफ़ 18 :26 
धरती और आकाश के एक एक कण के बारे में कोई भी बात अल्लाह से छुपी नहीं है " सूरा-सबा 34 :3 
अल्लाह का ज्ञान हरेक विषय को घेरे हुए है " सूरा -अत तलाक 65 :12 

लेकिन यह कुरान की आयतें लोगों को दिखने के लिए हैं , यदि हम कुरान को व्याकरण सहित ध्यान से पढ़ें तो पता चलेगा कि अल्लाह को ईश्वर समझना बहुत बड़ी भूल होगी .क्योंकि हरेक विषय में उसका ज्ञान अधकचरा और सत्य के विपरीत है ,और जो भी अल्लाह की गप्पों को नहीं मानता था अल्लाह उसे डराता रहता था.और यही काम उसका रसूल भी करता था , कुछ नमूने देखिये ,

1-तारों का ज्ञान 
और अल्लाह " शेअरा Sirius " नामके एक तारे का रब है " सूरा -अन नज्म 53 : 49 
वास्तव में शेअरاشعرى   नामक तारा एक नहीं बल्कि युग्म ( double star.)तारा है , जो नंगी आँखों से एक दिखता है यह दौनों तारे एक दुसरे का चक्कर लगाते हैं , वैज्ञानिकों ने इनके नाम DA1 और DA2 रख दिए हैं .इनको binary star भी कहा जाता है , पृथ्वी से इनकी दूरी  8.6 प्रकाश वर्ष मील है
2-आकाश एक छत है 
और हमने आकाश को एक मजबूत छत बनाया है "सूरा -अल अम्बिया 21 :32 
(इस आयत में आकाश को अरबी में " सकफ سقف" कहा गया है , जिसका अर्थ ऐसी ठोस छत Roof होता है ,अभेद्य impenetrableहो .)

3-बादलों की गर्जना फ़रिश्ते हैं 
और बादलों की गरज और फ़रिश्ते भय के कारण उसकी प्रसंशा के साथ तस्बीह करते रहते हैं .और वह कड़कती बिजलियाँ जिस पर चाहे गिरा देता है " 
सूरा - राअद 13 :13 
4आकाश धरती में धंस सकता है 
यह जो इनके आगे और पीछे जो आकाश और धरती है उसे नहीं देखते .यदि हम चाहें तो आकाश को जमीन के अन्दर धंसा देंगे " 
सूरा -सबा 34 :9 
(इस आयत में " नख्सिफنخسف" शब्द है जिसका अर्थ We (could) cause to swallow होता है यानि अल्लाह आसमान को पृथ्वी से निगलवा देगा .)
5-आकाश से दैत्य निकलेगा 
और जो लोग हमारी बातों पर विश्वास नहीं करेंगे हम उनके लिए जमीन से एक भयानक पशु निकालेंगे , जो उन से बातें करेगा 
.सूरा- नम्ल 27 : 82 
(इस आयत में उस कल्पित जानवर beast को दाब्बह (دابّة)कहा गया है , इसका अर्थ है जब अल्लाह अपनी बात लोगों नहीं समझा पाया तो कल्पित जानवर से डराने लगा )
6-अल्लाह ध्रुव प्रदेश से अनभिज्ञ है 
और खाओ पियो यहाँ तक कि प्रभात की सफ़ेद धारी तुम्हें रात की काली धारी से स्पष्ट अलग दिखाई देने लगे " सूरा - बकरा 2 : 187 
(यह आयत रोजा रखने के बारे में है . लेकिन अल्लाह को पृथ्वी के ध्रुव प्रदेशों polar regions और वहां के रहने वाले एस्किमो Eskimosलोगों के बारे में कोई ज्ञान नहीं था . क्योंकि वहां पर छः महीने रात और छः महीने दिन रहता है .इस से सिद्ध होता है की कुरान सिर्फ अरब के लिए बनी है , सम्पूर्ण विश्व के लिए नही .और अल्लाह का भूगोल के बारे ज्ञान शून्य है .)
7-जन्नत कितनी दूर है 
अब्बास इब्न अबी मुत्तलिब ने कहा की हम लोग बतहा नाम की जगह पर रसूल के साथ बातें कर रहे थे . तभी एक बादल ऊपर से गुजरा . रसूल ने पूछा की क्या तुम्हें पता है कि जमीन से जन्नत की कितनी दूरी है .हमने कहा कि आप ही बता दीजिये . रसूल के कहा कि यहाँ से जन्नत की दूरी इकहत्तर , बहत्तर , या तिहत्तर साल की दूरी है .वहां ऊपर सातवाँ आसमान है . और नीचे एक समुद्र है .और जिसके किनारे आठ पहाड़ी बकरे रहते हैं .और जिनके खुरों के बीच की जगह में जन्नत है , वहीँ अल्लाह का निवास है .अबू दाऊद- किताब 40 हदीस 4705 
8-नवजात शिशु क्यों रोते हैं 
अबू हुरैरा ने कहा की रसूल ने कहा है ,पैदा होते ही बच्चा इसलिए रोता है . क्योंकि शैतान उसके शरीर में उंगली डालता है " 
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 506 
9-शैतान कान में मूत देता है 
अब्दुल्लाह ने कहा की रसूल ने बताया है , यदि कोई देर तक सोता है तो , शैतान उसके कानों में पेशाब कर देता है " 
बुखारी - जिल्द 2 किताब 21 हदीस 245 

10-मुर्गों की बांग और गधे का रेंकना 
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है यदि तुम मुर्गे की बांग की आवाज सुनो तो समझो तुमने फ़रिश्ते के दर्शन कर लिए और अगर तुम गधे के रेंकने की आवाज सुनो तो इसका मतलब है तुमने शैतान को देखा है " 
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 552 और सही मुस्लिम - किताब 35 हदीस 6581 

इन सभी प्रमाणों से सिद्ध होता है कि न तो अल्लाह को अंतरिक्ष यानि आकाश के बारे में कोई ज्ञान है और न पृथ्वी के बारे में कोई ज्ञान है .लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि अल्लाह जो भी रहा होगा वह लोगों को कल्पित चीजों से डराने , और बहकाने में उस्ताद रहा होगा .और अल्लाह का तथाकथित रसूल भी उस से दो हाथ आगे था .
बताइए कोई ऐसे अल्लाह को क्यों मानेगा ?मेरा तो यही जवाब है .आप बताइए . 

" सूरदास प्रभु , कामधेनु तजि बकरी कौन दुहावै "


http://wikiislam.net/wiki/Scientific_Errors_in_the_Hadith

अल्लाह सवालों से डरता है !

सत्‍यवादी 

प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय


मनोविज्ञान में सवाल करना . और प्रश्नों के द्वारा अपनी जिज्ञासा शांत करना मनुष्य का स्वाभाविक गुण बताया गया है . एक बालक जैसे ही बोलना सीख लेता है वह अपने आसपास की चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने माता पिता और बड़े लोगों से सवाल करने लगता है . क्योंकि सवाल करने से उसके ज्ञान में वृद्धि होती रहती है .प्रश्न करना मनुष्य का अधिकार है . इसीलिए अदालतों में भी पख विपक्ष से सवाल करने के बाद ही सही निर्णय हो पाता है .भारतीय परंपरा में शाश्त्रर्थ में प्रश्न प्रतिप्रश्न के द्वारा ही सत्य और असत्य का निर्णय किया जाता है . सवालों और आलोचना से वही भड़क जाते हैं अपना भंडा फूटने से घबराते है,
लेकिन इस्लाम विश्व का एकमात्र असहिष्णु ,उग्र ,तर्कहीन विचार है , जो किसी प्रकार का सवाल करने और आलोचना को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करता .इसीलिए . देखा गया है कि जब भी मुसलमानों से कुरान , इस्लाम , मुहम्मद जैसे विषय पर पूछा जाता है तो वह एकदम भड़क जाते हैं . और उत्तर देने कि जगह अश्लील गालियाँ बकने लगते है .वास्तव में उनको मुहम्मद ने यही सिखाया है .जो इस हदीस से पाता चलती है ,
1-पूछने वालों को फटकारो 
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने हमें सिखाया है कि जब कुछ लोग तुम्हारे पास इस्लाम के बारे में तरह के सवाल पूछें जैसे अल्लाह ने खुद को सबका मालिक कैसे बना लिया . और हम कैसे मानें की अल्लाह सब कुछ जानता है . तो तुम चुपचाप खिसक जाना . लेकिन जब कोई पूछे कि बताओ अल्लाह को किसने बनाया तो तुम उनको फटकार कर झिड़क देना " 
बुखारी - जिल्द 4 किताब 54 हदीस 496 
2-इस्लाम आधार भय है 
इस्लाम समझाने की जगह डराने में विश्वास रखता है . इतिहास गवाह है कि इस्लाम तलवार के जोर से फैला है .क्योंकि बुद्धिमान व्यक्ति दर के बिन कभी इस्लाम स्वीकार नहीं करेगा .क्योंकि केवल डर ही इस्लाम का आधार है ,और इस्लाम का यही उद्देश्य है कि लोग अंधे होकर बिना जाने समझे मुसलमान बन जाएँ .जैसा इस आयत में कहा है ,
जो लोग गैब की बातों को जाने बिना ही अल्लाह से डरते हैं ,उनके लिए बड़ा बदला दिया जायेगा "
 सूरा -मुल्क 67 :12 
नोट- गैब की परिभाषा इस्लाम में इस प्रकार दी गयी है ".गैब الغيب "का अर्थ परोक्ष , छुपा हुआ , जो चीज हमसे गायब हो . जिसके बारे में हमें नहीं बताया गया हो ,जिसके बारे में निश्चित ज्ञान नहीं हो ,जो रहस्य पूर्ण हो , और किसके बारे में जानने और समझने की आवश्यकता नहीं हो "कुरान मजीद. हिंदी अनुवाद मकतबा अल हसनात रामपुर यू .पी . पेज 1229
3-कुरान के बारे में शंका 
क्योंकि लोगों का कहना है कि इस ( मुहम्मद ) ने कुरान खुद ही गढ़ डाली है " सूरा यूनुस 10 :38 
कुरान को सुन कर लोगों ने कहा कि यह अल्लाह की किताब नहीं हो सकती है . यह मुहम्मद ने खुद ही बना डाली है " सूरा - हूद 11 : 13 
4-वह कुरान कौनसी है ?
वह अल्लाह की किताब है .जिसमे शक नहीं करो " सूरा- बकरा 2 :2 
 ( -इस आयत में कुरान के लिए " जालिकल किताबذلك الكتاب " कहा है . जिसका अर्थ " वह किताब That Book " होता है . अर्थात असली कुरान कोई और है . यदि वर्तमान कुरान असली होती तो अरबी में " हाजल किताबهذا الكتاب" यानि यह किताब This Book लिखा गया होता .इसी कारन से लोग कुरान को मुहम्मद की रचना मानते थे .)
वह कुरान महान है . जो पट्टियों में सुरक्षित रखा है " सूरा -बुरुज 85 :21 और 22 
( "वल   ' हुव ' कुरानुं मजीद "इस आयत में कुरान के लिए अरबी में ' हुव ' शब्द आया है ,जिसका अर्थ He होता है .इस से संकेत मिलाता है कि कुरान किसी आदमी ने बनायी थी .और कहीं छुपा रखी थी )
5-बिना समझे ईमान लाओ 

और जो लोग बिना समझे ईमान लाते हैं , और नमाज पढ़ने लगते हैं .वही सफलता प्राप्त करने वाले होंगे " सूरा - बकरा 2 :2 और 5 
6-मुहम्मद का सवालों से भय 
यदि कुरान को ध्यानसे पढ़ जाये तो पाता चलता है की उसमे हर प्रकार की हजारों गलतियाँ है . क्योंकि मुहम्मद अधिकाँश बातें यहूदी और ईसाई धर्म की किताबों से चुरायी थी .जिनका कुरान से कोई तालमेल नहीं था .और जब कोई उनके बारे में सवाल करता था तो मुहम्मद अपनी पोल खुल जाने से डर जाता था .
हे ईमान वालो तुम दीन के बारे में ऐसे ऐसे सवाल नहीं करो , की यदि उनका रहस्य खुल जाये तो तुम्हे बुरा लगेगा " सूरा -अल मायदा 5 :10
अल्लाह जो कुछ भी करता है , कैसा है , इसके बारे में कोई पूछताछ नहीं होना चाहिए " 
सूरा अल अम्बिया 21 :23 
7-आयतों में गलतियाँ नहीं निकालो 
और जो लोग इन आयतों में गलतियाँ निकालकर नीचा दिखाने का प्रयास करेंगे . तो उनके लिए बहुत ही बड़ी यातना है . जो दुखदायी होगी "
सूरा -सबा 34 :5 
8-पूछने से पोल खुल जाएगी 
क्योंकि इसके पहले भी कुछ लोगों ने ऐसे ही सवाल किये थे ,और जब उनको असलियत पता चली ,तो वह इस्लाम से इंकार करने वाले बन गए थे " सूरा -मायदा 5 :102 

यही कारण है जब भी कुरान या इस्लाम के दूसरे विषयों पर कोई सवाल किया जाता है .या उनकी किताबों में गलती बताई जाती है .तो वह निरुत्तर हो जाते हैं . फिर झुंझला कर अश्लील गालियाँ देने लगते हैं.क्योंकि उनके पास जवाब देने के लिए कुछ नहीं होता .और कुछ तो ऐसे भी हैं जो फर्जी नामों से धमकियां भी देते रहते हैं .इसीलिए मुहम्मद शाश्त्रार्थ की जगह आतंक का प्रयोग करता था .यदि इस्लाम में सच्चाई होती तो आतंक की जरुरत नहीं होती .बौद्ध धर्म बिना किसी हिंसा के सम्पूर्ण एशिया में फ़ैल गया था .
इस्लाम एक मुहम्मदी आतंकवाद है .इसका भंडा फोड़ना जरुरी है .

http://mostintolerantreligion.com/2011/12/10/can-we-question-allah-islam/

Tuesday, August 21, 2012

इस्लामी आक्रान्ताओ की जिहादी कुकृत्यो का खुलासा



डॉ0 संतोष राय

अहमदाबाद, जमा मस्जिद और एक हवेली से जुडी महत्वपूर्ण घटना और इस्लामी आक्रान्ताओ की जिहादी कुकृत्यो का खुलासा : -

जामा-मस्जिद नाम से पुकारी जाने वाली, अहमदाबाद (कर्णवती उर्फ
राजनगर) की प्रमुख मस्जिद पुरातन भद्रकाली मंदिर था | वही नगर की आराध्या देवी का स्थान था | द्वारमंडल से लेकर अंदर पूजास्थल तक हिन्दू-कलात्मकता की दिग्दर्शक विषम संगतराशी है | मुख्य प्राथना-स्थल में पास-पास स्थित लगभग १०० से ऊपर खम्बे है जो केवल हिन्दू-देवियों के मंदिरों में होते है | वास्तविक, असली, मूलरूप में मस्जिदों के प्रार्थना-कक्ष मे एक भी खम्बा नही होता क्योंकि सामूहिक नमाज़ के लिए खुला प्रांगण चाहिए |पूजागृह के गवाछों में गड़े हुए प्रस्तर-पुष्प-चिन्ह है, जो नित्याभ्यास लूटे हुए और परिवर्तित स्मारको के सम्बन्ध में मुस्लिमो की ओर से हुआ ही करता था | इस विशाल मंदिर का बड़ा भाग अब कब्रिस्तान के रूप में उपयोग में लाया गया है |संगतराशी से पुष्प, जंजीर, घंटिया और गवाछों जैसे अनेक हिन्दू लछण स्पष्ट दिखाई देते है | देवालय की दो आयताकार चोटियों में से एक को बिलकुल उड़ा दिया गया है, जैसा की उन्मत्त मुस्लिम विजेताओं द्वारा नगर में प्रथम बार प्रविष्ट होने के अवसर पर ही हो सकता था | अहमदशाह के द्वारा भीषण तबाही के पश्चात जो भगदड़ मची उसमे उजड़े, और देखभाल से वंचित मंदिरों के आलंकारिक प्रस्तर-खंड अभी भी अहमदाबाद के आम रास्तो पर आधे गड़े पड़े है | हिन्दू कलाकृति वाले बड़े-बड़े पत्थर, जो भवनों से गिरा दिए गए थे, अब भी धूल से आच्छादित और उसी में समाये पड़े है | एक ऐसा ही फलक तथाकथित जाम-मस्जिद के सामने महात्मा गाँधी मार्ग पर स्तिथ जन-सौचागर में इस्तेमाल किया गया है |इस तथाकथित जामा मस्जिद के सम्बन्ध में एक बड़ी महत्वपूर्ण घटना १९६४-६५ में घटी |

मैंने (पुरुषोत्तम नाग ओ़क) अपने लेखो में यह सिद्ध किया था की जामा-मस्जिद कहलाने वाली अहमदाबाद की यह ईमारत प्राचीन नगरदेवता एवं राजदेवता भद्रकाली का मंदिर था |

मेरे इस प्रकार के लेख ई० सन १९६४ के आसपास कुछ मासिको में प्रकाशित होने के कुछ समय पश्चात् अहमदाबाद के K. C. Bros. (कान्तिचंद्र ब्रदर्स) नाम की एक दुकान पुरानी होने के कारण उसके स्वामी ने उसे गिरवाकर इसी स्थान पर एक ऊँची हवेली खड़ी करवा दी | तथाकथित जामा मस्जिद के निकट ही यह हवेली इस तथाकथित मस्जिद से ऊँची हो गई | हिन्दुओं से एक नया विवाद आरम्भ कर देने का एक अच्छा अवसर मुसलमानों को मिल गया | भारत के सारे मुसलमान हिन्दुओं के पुत्र-पौत्र है | इस्लामी आक्रमण के काल में जो-जो हिन्दू पकडे जाते थे वे सब छल बल से या कपट से मुसलमान बना दिए जाते | भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के सारे मुसलमान इस प्रकार हिंदिओं की संताने है | तथापि बलात् मुसलमान बनाने के पश्चात सदियों से उन्हें यह रटाया जा रहा था की हिन्दू काफ़िर है, उनसे कोई मुसलमान सम्बंधित नहीं है और पग-पग पर वे नए-नए बहाने ढूँढते हुए हिन्दुओं से वैमनस्य, लड़ाई-झगडा करते ताकि भविष्य में किसी दिन सारा हिंदुस्तान-इस्लामस्थान या इस्लामाबाद बन जाये |

इस योजना के अंतर्गत अहमदाबाद के तथाकथित जामा मस्जिद के विश्वस्तो (Trustees) ने K. C. Bros. पर न्यायालय में दावा दाखिल किया की उन्हें उनकी नई हवेली गिरवाने का आदेश दिया जाये | बड़े चिंतित होकर K. C. Bros. इस संकट से हवेली बचने का उपाय हितचिंतकों से पूछने लगे | किसी ने उन्हें बताया कि पुरुषोत्तम नाग ओ़क नाम के कोई इतिहासज्ञ है जिनके कथानुसर अहमदाबाद की जामा-मस्जिद प्राचीनकाल में भद्रकाली का मंदिर था | तब उन्होंने मेरा पता ढूँढकर मुझे पत्र द्वारा अपनी कठिन समस्या से अवगत कराया

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मेरे सुझाव पर K. C. Bros. ने अपने वकील के द्वारा प्रतिवादी का उत्तर न्यायालय में प्रस्तुत किया, उसमे कहा गया था की जिस ईमारत को मुसलमान मस्जिद कह रहे है वह एक अपहृत हिन्दू मंदिर होने के कारण मुसलमानों का उस भवन पर कोई अधिकार ही नहीं प्राप्त होता, अतएव K. C. Bros. कि हवेली गिराने का प्रश्न ही नहीं उठता | यह उत्तर मुसलमानों को पहुचते ही मुसलमानों ने तुरंत अपना दावा वापस ले लिया | उन्हें डर यह पड़ी कि यदि यह दावा चल पड़ा तो K. C. Bros. की हवेली गिरना तो दूर ही रहा मस्जिद कहलाने वाली ईमारत ही हाथो से निकल जायेगी |जो लोग ऐसा पूछते है कि यदि ताजमहल, लालकिला आदि इमारतें हिन्दुओं कि सिद्ध हो जाती है तो उससे लाभ ही क्या है ? उन्हें ऊपर लिखे K. C. Bros. के उदाहरण से यह जान जाना चाहिए कि सत्य का शोध कभी व्यर्थ नहीं जाता | ऐसी खोज से विविध अज्ञात प्रकार के लाभ हो सकते है | उनमे से एक ब्यौरा ऊपर दिया गया है

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श्रोत : भारतीय इतिहास कि भयंकर भूलें ...लेखक ...श्री पुरुषोत्तम नाग ओ़क |

प्रश्न : क्या हमें अपने पुरातन स्थलों को वापस लेने के लिए कुछ करना चाहिए ?कृपया अपने विचार सांझा करें :