Thursday, April 14, 2011

गफूर हसन को महाराष्‍ट्र का पुलिस कमिश्‍नर बनाने में हसन अली व दाउद ने प्रमुख भूमिका निभायी

डॉ0 संतोष राय

गफूर हसन को महाराष्‍ट्र का पुलिस कमिश्‍नर बनाने में हसन अली ने प्रमुख भूमिका निभायी थी. ऐसा उसने दाउद इब्राहीम के ईशारे पर किया था. गफूर हसन 1974 के बैच का आईपीएस अधिकारी है, उसे 1 मार्च, 2008 को मुंबई का पुलिस कमिश्‍नर बनाया गया था. गफूर हसन वर्तमान में पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन का डीजी है. गफूर हसन इससे पहले जून 2007 से फरवरी 2008 तक एंटी करप्‍श्‍न ब्‍यूरो का अतिरिक्‍त महानिदेशक था. जब गफूर हसन एंटी करप्‍श्‍न ब्‍यूरो का अतिरिक्‍त महानिदेशक था तब इसने दाउद के गुर्गों की खूब मदद की व इसके कार्यकाल में इस्‍लामिक आत‍ंकवाद को  खूब बढ़ावा मिला व भ्रष्‍टाचार भी खूब फला फूला.
गफूर हसन और हसन अली के पुराने रिश्‍ते हैं. जो भी हसन अली पर दबाव डालता उसके उपर सरकारी दबाव बढ़ जाता था. जिसमें एनसीपी व कांग्रेस के नेता हसन अली को बचाने में प्रमुख भूमिका का निर्वाह करते थे.
     रेलवे पुलिस के निलंबित डीसीपी अशोक देश भ्रातर ने कहा कि हसन अली मामले को रफा-दफा करने के लिये उनके साथ ऐसा सलूक किया गया है. देशभ्रातर का आरोप है कि जब सन् 2008 में हसन अली को फर्जी पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार किया गया तो उन्‍होंने स्टिंग आपरेशन किया और अली से पूछताछ की सीडी बनायी. पुलिस ने कहा कि सीडी में खान को कांग्रेस और राकांपा के नेताओं से संबंधों की बात करते हुये दिखाया गया है. उसने बताया कि किस तरह मुंबई के पांच सितारा होटल में गफूर हसन को मुंबई का कमिश्‍नर बनाने का निर्णय लिया गया. अगर देखा जाये तो हसन अली पूरी तरह देश विरोधी गतिविधियों में पूरी तरह से लिप्‍त हैं. उसके रिश्‍ते हथियारों के तश्‍कर अदनान खगोशी से भी हैं.
     अखिल भारत हिन्‍दू महासभा के स्‍वागत समिति के अध्‍यक्ष डॉ0 संतोष राय ने कहा कि 26/11 को जो मुंबई पर हमला हुआ उसका भी प्रत्‍यक्ष और परोक्ष रूप से गफूर हसन ही जिम्‍मेदार हैं क्‍योंकि गफूर हसन से हशन अली के मधुर रिश्‍ते थे और हसन अली के रिश्‍ते दाउद इब्राहीम से थे और दाउद पाकिस्‍तान की जिहादी मानसिकता को सफल बनाने के लिये  पूरी तरह से हसन अली के माध्‍यम से गफूर हसन का उपयोग करता था. आगे डॉ0 संतोष राय ने कहा कि गफूर हसन के कारण ही हमारे कई पुलिस अधिकारी शहीद हो गये. अतः गफूर हसन भी आतंकियों का मददगार है,  चूंकि कांग्रेस व एनसीपी के नेताओं की कारगुजारियां सामने आ रही हैं वे भी परोक्ष रूप से इनसे जुड़े हैं.
डॉ0 संतोष राय ने कहा कि अशोक भ्रातर एक ईमानदार आईपीएस अधिकारी थे उन्‍हें जानबूझकर बलि का बकरा बनाया गया. अतः हिन्‍दू महासभा मांग करती है कि सुप्रीमकोर्ट इस मसले पर हस्‍तक्षेप करे. आगे राय ने यह भी मांग की कि इस मसले पर एक स्‍वतंत्र एसआईटी का गठन किया जाये जो राजनीतिक हस्‍तक्षेप से मुक्‍त हो और उसे सुप्रीमकोर्ट की निगरानी में रखा जाये.  
हिन्‍दू महासभा के स्‍वागत समित  के अध्‍यक्ष डॉ0 संतोष राय ने आगे कहा कि  गफूर हसन को  पता था कि इस्‍लामिक आतंकवादी मुंबई पर हमला कर सकते हैं और उसने इधर ध्‍यान न देकर पूरी की पूरी मुंबई पुलिस मालेगांव मस्जिद विस्‍फोट के जांच के नाम पर सेना के अधिकारियों व साधु-संतों को फंसाने में लगा दी, गफूर ने ऐसा आईएसआई समर्थित दाउद के इशारे पर किया जिससे हिन्‍दू संगठन बदनाम हो जाये.
आगे डॉ0 राय ने मांग की कि 1974 में हसन गफूर की आर्थिक स्थिति क्‍या थी और आज क्‍या है इसकी पूरी तरह जांच किया जाये और इनके भ्रष्‍टाचार द्वारा कमाये गये धन को सरकारी कोषागार में जमा किया जाये.



 

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