Monday, April 11, 2011

इस्लाम और भारतीय आत्मविज्ञान

बी.एन. शर्मा              प्रस्‍तुतिःडॉ0 संतोष राय


भारत के मनीषियों ने हजारों साल पहिले यह सिद्ध कर दिया था कि मनुष्य की म्रत्यु के बाद उसका शरीर तो अवश्य नष्ट हो जाता है .लेकिन मौत के बाद उसका अस्तित्व पूरी तरह समाप्त नहीं होता है . मृत्यु के बाद भी प्राणी का सूक्ष्म शरीर बना रहता है .जिसे आत्मा या Soul भी कहा जाता है .इस्लाम में इसे "रूहروح "और "नफ्सنفس "भी कहा गया है .और दौनों का अर्थ आत्मा ही है . 
भारतीय ऋषियों ने यह भी प्रमाणित किया कि,हरेक व्यक्ति को उसके जीवन भर में किये गए प्रत्येक शुभ अशुभ कर्मों का फल अवश्य ही भोगना पड़ता है .चाहे वह यही जीवन हो ,और चाहे मृत्यु के बाद का जीवन हो .यह एक अटल नियम है .इसे भारत में "कर्मसिद्धांत Law of Karma "कहा जाता है .सूफी इसे "उसूल अल अमल اصول العمل"कहते हैं .कालांतर में यह ज्ञान भारत से निकल कर के ईरान से होकर अरब तक पहुँच गया .और इस्लाम में इस विज्ञानं को "रूहानियतروحانيت "और यूरोप में इसे Spritualism कहा जाता है .जब यह विज्ञानं अरब में गया तो उसका असर इस्लाम पर भी पड़ा .और कुरान में भी इसकी झलक मिलती है .और कुछ बातें ऐसी हैं जो ,भारतीय दर्शन और सिद्धांतों से पूरी तरह मेल खाती हैं .और कुछ मुसलमानों के दिमाग की उपज हैं .जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है ,और केवल मान्यताएं हैं . 
इस लेख में केवल उन्हीं बातों पर चर्चा की जा रही है जो ,इस्लाम ने भारत से लेकर अपनायी हैं .जैसे -
1 -आत्मा परिपूर्ण और शुद्ध होती है 
"हमने आत्मा को परिपूर्ण बनाया है "सूरा -अश शम्श 91 :7
"तुम सबको एकही आत्मा से पैदा किया है "सूरा अन निसा 4 :1
"रूह अल्लाह के हुक्म से है ,और तुम्हें इसका केवल थोडा सा ही ज्ञान दिया गया है "सूरा बनी इस्राएल 17 :85
2 -सबकी आत्मा एक जैसी है 
"चाहे धरती पर चलने वाला कोई जीव हो ,चाहे दो पंखों से उड़ने वाला पक्षी हो ,सबतुम्हारे जैसे ही हैं ,और सब एक ही गिरोह से हैं ,हने किताब में इनके बारे में कोई बात नहीं छोड़ी है .यह सब अपने रब की तरफ जमा किये जायेंगे और अपना हिसाब देंगे ."सूरा अनआम 6 :38
3 -सबको मरना है 
"तुम्हें मरना है ,और इन लोगों को भी मरना है "सूरा - अज जुमुर 39 :30
"हरेक जीव को मौत का स्वाद चखना है ,और हमारी तरफ वापस लौट कर आना है "सूरा -अल अम्बिया 21 :35
4 -जीवन मृत्यु का चक्र अनवरत है
"अल्लाह सजीव से निर्जीव ,और निर्जीव से सजीव पैदा करता रहता है .और मृत्यु के बाद भी जीवन प्रदान करता है "सूरा -अर रूम 30 :19
"जातस्य ध्रुवो मृत्यु ध्रुवो जन्म मृतस्य च "गीता -2 :27
"तुम अल्लाह के साथ कुफ्र की नीतियाँ क्यों अपनाते हो ,जबकि उसने जब तुम निर्जीव थे फिर से जीवित किया था .और वही तुम्हें फिर फिर से मारता है ,और फिर फिर से जिन्दा करता है .और तुम मर कर फिर उसी के पास लौटाए जाओगे "सूरा -बकरा 2 :28
"पुनरपि मरणं पुनरपि जन्मं ,पुनरपि जननी जठरे शयनं "मोह मुद्गर -शंकराचार्य
5 -कर्मों का फल भोगना ही पड़ेगा 
"जो एक कण के बराबर भी भलाई करेगा ,उसका फल देख लेगा ,और जो एक कण के बराबर भी बुराई करेगा उसका फल भी देख लेगा "
सूरा -जिल जलाल 99 :7 -8
"अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभा शुभम "गीता
"कोई किसी दूसरे के कर्मों का बोझ नहीं उठा सकेगा ,और न कोई किसी की सहायता कर सकेगा "सूरा- अल फातिर 35 :18
6 -म्रत्यु के बाद क्या होता है 
"मौत के बाद अल्लाह लोगों की आत्मा को ग्रस्त कर लेता है .और मृतक के फैसला होने तक रख लेता है .और जब निश्चित समय के बाद फैसला हो जाता है ,तो आत्मा को छोड़ देता है "सूरा- अज जुमुर 39 :42
"जब किसी की मौत आती है ,तो वह कहेगा कि मुझे संसार में वापिस लौटा दो .ताकि मैं जो अधुरा काम छोड़ आया हूँ ,उसे पूरा कर सकूँ .लेकिन हम उसके पुनः जीवित होने तक उस पर बरजख का पर्दा डाल देते हैं .और उम उन लोगों से बात नहीं कर सकते "सूरा -फातिर 35 :22
7 -सात्विक और संयमी लोगों पर कृपा होगी 
"मार्गदर्शन और दयालुता केवल सात्विक लोगों के लिए है "सूरा -लुकमान 31 :3
"और जिसने अपनी नफस को वश में कर लिया होगा ,उसका ठिकाना जन्नत ही है "सूरा -अन नाजिआत 79 :40 -41
8 -आत्मा के तीन गुण 
1 .शांत -सात्विक मुतमइन्नाمُطمئنّةُ Soul at peace -"हे शांत आत्मा लौट चल अपने प्रभु की ओर तू उस से खुश ,वह तुझ से खुश " 
-सूरा -फज्र 89 :27 -28 
2 -राजसिक -अम्मारा امّارة( Soul enjoineth evil ) "मैं नहीं कहता कि मैं बुराई से बरी हूँ ,मेरी आत्मा भी मुझे बुराई पर उकसाती है " 
सूरा -यूसुफ 12 :53 
3 -तामसी लव्वामा لوّامة(Accusing soul ) "नहीं कसम खाता हूँ मलामत करने वाली आत्मा की"सूरा -अल कियामा 75 :2 
9 -मृत्यु के बाद आत्मा कहाँ जायेगी 
"मनुष्य कहता है कि ,जब मैं मर गया तो फिर से जीवित कैसे किया जाऊँगा ,क्या मनुष्य को पता नहीं है कि ,हम उसे इसी तरह पाहिले भी पैदा कर चुके हैं "
सूरा -मरियम 19 :66 -67
"हमने तुम्हें मर जाने के बाद फिर से पैदा किया है ,ताकि तुम कृतज्ञता प्रकट करो "सूरा -बकरा 2 :56
"संभव है कि तुम्हारा रब (अल्लाह )तुम पर दया कर दे ,लेकिन यदि तुम उसी कुफ्र (गुनाह )के रस्ते पर चलोगे तो ,हम(अल्लाह ) भी तुम्हारे साथ फिर पहिले जैसा ही व्यवहार करेंगे .और फिर से जहन्नम में डाल देंगे "सूरा -बनी इस्राएल 17 :8
(आकर चार लाख चौरासी ,भ्रमत फिरत यह जिव अविनासी 
कबहुँक कर करुना नर देही ,देत ईश बिन हेत सनेही .तुलसी दास ) 
10 -पुनर्जन्म पर इस्लाम के विचार 
यद्यपि कुरान और हदीसों में आत्मा द्वारा कर्मों के फल भोगने ,और आत्मा के अमर होने के बारे में जोभी लिखा है ,वह भारतीय दर्शन से पूरी तरह मिलता जुलता है .लेकिन आत्मा के पुनर्जन्म के बारे में केवल संकेत ही दिए गए हैं .और न भारतीयों की तरह मुसलमानों ने पुनर्जन्म के  बारे में कोई खोज की है .क्योंकि खुद अल्लाह ने मुसलमानों की अक्ल पर परदा डाल रखा है .
"जब भी तुम कुरान पढ़ना चाहते हो ,हम तुम्हारे और कुरान के बीच में एक परदा डाल देते हैं ,जो तुम्हें कुछ भी समझने से रोक देता है "
सूरा -बनी इस्रायेल 17 :45
मुसलमानों का अध्यात्म और आत्मा के बारे में ज्ञान बहुत ही कम है ,वह हमेशा जिहाद में लगे रहते थे .और यदि कोई आत्मज्ञान के बारे में प्रयत्न भी करता था तो ,अल्ल्लाह उनकी अक्ल पर पर्दा डाल देता था .इसीलिए मुसलमान आत्मा के पुनर्जन्म के बारे ने बहुत कम जानते है .इस्लाम में पुनर्जन्म (Rebirth ) को " تناسُخतनासुख "कहा जाता है .इस्लाम के कई विद्वान् पुनर्जन्म के सिद्धांत को मानते थे .उनमे एक महान सूफी संत "مولانا جلال الدّين رومي بلخيमौलाना जलालुद्दीन रूमी बल्खी "ने अपनी "मसनवी "में आत्मा के पुनर्जन्म के बारे में जो लिखा है ,वह सौ प्रतिशत भगवद गीता के सिद्धांतों से मिलता है .यद्यपि इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलता है कि मौलाना रूमी कभी भारत में आये थे .लेकिन उनकी किताब "مثنويमसनवी "इस्लाम जगत में इतनी प्रसिद्ध और प्रमाणिक मानी जाती है कि उसे दूसरी कुरान का दर्जा प्राप्त है .और मसनवी के बारे में कहा जाता है कि 
"ईं कुराने पाक हस्त दर ज़ुबाने फारसी ایں قرانِِ پاک ہست در زبان فارسی"अर्थात यह पवित्र कुरान है जो फारसी भाषा में है .मसनवी में लिखा है - 
"तू अजां रोज़े कि दर हस्त आमदी 
आतिश आब ओ ख़ाक ओ बादे बदी 
ईं बकाया बर फनाये दीद ई 
बर फनाए जिस्म चुन चस्पीद ई 
हम चूँ सब्ज़ा बारहा रोईद अम 
हफ्त सद हफ्ताद क़ालिब दीद अम "
अर्थात आज जो भी तेरा शरीर है ,वह अग्नि ,जल ,पृथ्वी ,और वायु से बना हुआ है .और किसी पिछले शरीर के नष्ट होने पर तुझे यह शरीर मिला है .इसलिए इस शरीर से इतना मोह क्यों करता है .मैं तो एक पौधे की तरह कई बार उगता आया हुआ हूँ ,यहाँ तक मैंने सात सौ सत्तर जन्म देख लिए है . 
"बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानी तव चार्जुन "गीता 4 :5

मेरा उद्देश्य इस्लाम को सही ठहराना नहीं है ,बल्कि भारतीय मनीषियों ने आत्मा के पुनर्जन्म के बारे में जो भी सत्य प्रतिपादित किया है उसे सही साबित करना है .जिसे आज भी कई वैज्ञानिक सही मानाने लगे हैं .हर साल हरेक देश और हरेक धर्म के लोगों में पुनर्जन्म के प्रमाण मिल रहे हैं .इसके बारे में एक किताब "Born Again "भी छप चुकी है .इसमे ऐसे कई उदहारण दिए गए हैं ,जो शत प्रतिशत सही निकले हैं .चाहे मुसलमान कुछ भी कहें .पुनर्जन्म एक अटल सत्य है .मुसलमान इसका सिर्फ इसलिए विरोध करते हैं ,क्योंकि यह सिद्धांत भारत के सभी धर्मों में मान्य है .और मुसलमान हर भारतीय मान्यता के शत्रु है . 
लेकिन जब हिन्दुओं को गुमराह करके उनको मुसलमान बनाने बात आती है ,तो मुहम्मद जैसे अत्याचारी को ,भगवान बुद्ध (मैत्रेय )का अवतार बता देते हैं या कभी मुहम्मद को कल्कि और अंतिम अवतार कह देते है .फिर भी यदि मुसलमानों ने हमारे धर्मों से कुछ चुराकर अपने धर्म में शामिल कर लिया है ,तो इस्लाम को सच्चा धर्म नहीं नहीं कहा जा सकता है .फिर भी मुसलमान अपने मतलब के लिए मुहम्मद को किसी का भी अवतार बता देते हैं 
यदि मुसलमान मुहमद को कल्कि का अवतार कहते हैं ,तो वराह को मुहम्मद का अवतार क्यों नहीं मान सकते ?

 

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