Saturday, November 2, 2013

कुरान की प्रेरणा बाइबिल से ली गयी !

डॉ0 संतोष राय की कलम से

मुस्लिम विद्वान् कहते हैं कि कुरान अल्लाह की किताब है ,जो अल्लाह ने अपने रसूल मुहम्मद के ऊपर नाजिल कि थी .लेकिन यदि हम कुरान और बाइबिल की शिक्षा और कहानियों को ध्यान से पढ़ें तो उनमे काफी समानता मिलती है .इस बात को सभी मानते हैं कि बाइबिल कुरान से काफी पुरानी है .बाइबिल के दो भाग हैं , पुराना नियम और नया नियम .पुराने नियम को यहूदी "तनख " कहते हैं ,इसमे 39 किताबें शामिल हैं .पुराना नियम करीब 535 ई .पू में सकलित हो चूका था .और नए नियम में 27 किताबें शामिल हैं ,जो सन 66 संकलित हो चुकी थी .और यूरोप के अलावा अरब में भी प्रचलित थीं .इस्लाम के अनुसार पुराने नियम में तौरेत और जबूर आती हैं ,और नए नियम को इंजील कहा जाता है .अरब के लोग इन किताबों से अच्छी तरह परिचित थे .कुरान की पहली आयत सन 610 में उतरी थी ,और मुहम्मद की मौत सन 632 तक कुरान की आयतें उतरती ( बनती )रहीं .जिनका सन 644 में खलीफा उस्मान बिन अफ्फान ने संकलन किया था .
आज की कुरान में कोई मौलिकता (Originality ) नहीं दिखाई देती है ,सब बाइबिल से ली गयी हैं .यद्यपि किसी भाषा के टेक्स्ट को दूसरी भाषा में ज्यों का त्यों अनुवाद करना असंभव होता है ,लेकिन उनके भावार्थ में समानता दिखाई मिल जाती है . यही बात कुरान और बाइबिल के बारे में लागु होती है .दौनों के विचारों में असाधारण समानता से सिद्ध होता है ,कि मुहम्मद ने कुरान की रचना बाइबिल से प्रेरणा लेकर की थी .सिफ कुछ थोड़ी सी बातें ऐसी थी ,जो मुहम्मद ,और अरब लोगों से सम्बंधित है .यहाँ पर कुछ उदहारण दिए जा रहे हैं ,जिन से पता चलता है कुरान ऊपर से नहीं उतरी ,बल्कि नीचे ही बैठकर बाइबिल से मसाला लेकर मुहम्मद ने बनायीं थी .देखिये

1-औरतों का हिस्सा पुरुषों से आधा होगा

कुरान -"एक पुरुष का हिस्सा दो औरतों के हिस्से के बराबर होगा "सूरा -निसा 4 :11
बाइबिल -यदि उनकी आयु 20 साल से अधि हो तो ,पुरुषों के लिए 20 शेकेल और औरतों के लिए 10 शेकेल ठहराए जाएँ " लैव्य व्यवस्था .27 :5

2-माहवारी के समय औरतों से दूर रहो

कुरान -"वह औरतों की माहवारी के बारे में पूछते हैं ,तो कह दो यह तो नापाकी है ,तो औरतों की माहवारी के समय उनसे अलग रहो "
सूरा -बकरा 2 :222
बाइबिल -"जब कोई स्त्री ऋतुमती हो ,तो वह सात दिनों तक अशुद्ध मानी जाये .और जो कोई भी उसे छुए वह भी अशुद्ध माना जाये "
लैव्य व्यवस्था -15 :19

3-औरतें खुद को छुपा कर रखें

कुरान -"हे नबी ईमान वाली औरतों से कहदो कि जब वह घर से बहार निकलें तो ,अपने ऊपर चादर के पल्लू लटका लिया करें "
सूरा -अहजाब 33 :59
बाइबिल -स्त्री के लिए उचित है कि वह आधीनता का चिन्ह ओढ़नी अपने सर पर रख कर बाहर निकलें " 1 कुरिन्थियों 11 :11

4-अल्लाह गुमराह करता है

कुरान -शैतान ने कहा ,हे रब जैसा तूने मुझे बहकाया है ,उसी तरह में छल करके लोगों को बहकाऊँगा " सूरा -अल हिज्र 15 :39
"उन लोगों के दिलों में बीमारी थी ,अल्लाह ने उनकी बीमारी और बढा दी "सूरा -बकरा 2 :10
बाइबिल -फिर खुदा ने उनकी आँखें अंधी और दिल कठोर बना दिए ,जिस से वह न तो आँखों से देख सकें और न मन से कुछ समझ सकें "
यूहन्ना -12 :40
"यदि हमारी बुद्धि पर परदा पड़ा हुआ है ,तो यह खुदा के कारण ही है .और संसार के ईश्वर ने लोगों की बुद्धि को अँधा कर दिया है "
2 कुरिन्थियों 4 : 3 -4

5 -विधर्मियों को क़त्ल कर दो

कुरान -"और उनको जहाँ पाओ क़त्ल कर दो और घरों से निकाल दो "सूरा -बकरा 2 :191
"काफिरों को जहाँ पाओ ,पकड़ो और उनका वध कर दो "सूरा -निसा 4 :89
"मुशरिकों को जहाँ पाओ क़त्ल कर दो ,उन्हें पकड़ो ,उन्हें घेरो ,उनकी जगह में घात लगा कर बैठे रहो "
सूरा -तौबा 9 :5
बाइबिल -"अगर पृथ्वी के एक छोर से दूरारे छोर तक दूसरे देवताओं के मानने वाले हो ,तो भी उनकी बात नहीं मानो,और न उनपर तरस खाना .न उन पर दया दिखाना .औं न उनको शरण देना .बल्कि उनकी खोज करके उनकी घात अवश्य करना .और उनका पता करके उनका तलवार से वध कर देना "
व्यवस्था विवरण -13 :6 से 13
"जोभी यहोवा की शरण को स्वीकार नहीं करें ,उनको क़त्ल कर दो ,चाहे उनकी संख्या कम हो ,या अधिक .और चाहे वह पुरुष हों अथवा स्त्रियाँ हों " 2 इतिहास 15 :13

6-विधर्मी नरक में जलेंगे

कुरान -मुनाफिकों का ठिकाना जहन्नम है ,और वह बुरा ठिकाना है "सूरा -तौबा 9 :73
"काफिरों और मुनाफिकों ठिकाना जहन्नम है ,जहाँ वह पहुँच जायेंगे " सूरा -अत तहरीम 66 :9
बाइबिल -जो पुत्र को नहीं मानता,उस पर परमेश्वर का क्रोध बना रहेगा " यूहन्ना 3 :37
"फिर उन लोगों से कहा जायेगा ,हे श्रापित लोगो हमारे सामने से निकलो ,और इस अनंत आग में प्रवेश करो ,जो शैतान और उसके साथियों के लिए तय्यार की गयी है " मत्ती -25 :41

7-विधर्मियों से दोस्ती नहीं करो

कुरान -ईमान वालों को चाहिए कि वे काफिरों को अपना संरक्षक और मित्र न बनायें ,और जो ऐसा करता है उसका अल्लाह से कोई नाता नहीं रहेगा "
 सूरा -आले इमरान 3 :28
बाइबिल -अविश्वासियों के साथ बराबर का व्यवहार नहीं करो ,इसलिए यातो तुम उनके बीच से निकलो ,या उनको अपने बीच से निकाल डालो .अन्धकार और ज्योति का क्या सम्बन्ध है ." 2 कुरिन्थियों 6 :14 से 17

8-कलमा की प्रेरणा भी बाइबिल से

मुसलमानों का मूलमंत्र या कलमा दो भागों से बना हुआ है जो इस प्रकार है" لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللّٰهِؕ "
 "ला इलाह इल्लल्लाह -मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह "अर्थात नहीं हैं कोई इलाह मगर अल्लाह ,और मुहम्मद अल्लाह का रसूल है .कलामे दूसरा भाग मुहम्मद ने खुद जोड़ लिया था .जबकि पहला भाग बाइबिल में काफी पहले से मौजूद था .यहाँ पर मूल हिब्रू के साथ अरबी और अंगरेजी भी दिए जा रहे हैं .
Hear, O Israel,  the LORD our God— the LORD is ONE  -Deuteronium 6:4
"اسمع يا إسرائيل ، الرب إلهنا، رب واحد "
""शेमा इस्रायेल यहोवा इलोहेनु अदोनाय इहद "
"שְׁמַע, יִשְׂרָאֵל: יְהוָה אֱלֹהֵינוּ, יְהוָה אֶחָד "

He is the God , and there is no other god beside him.
"" हू एलोहीम व् लो इलोही लिदो "
"انه هو الله ، وليس هناك إله غيره بجانبه."
הוא האלוהים של כל בשר, ואין אלוהים לידו
http://www.nabion.org/html/the_shema

इन सभी प्रमाणों से साफ सिद्ध हो जाता है कि मुहम्मद को कुरान बनाने कि प्रेरणा बाइबिल से मिली थी .बाकि बातें उसने अपनी तरफ से जोड़ दी थीं .क्योंकि दौनों में एक जैसी बातें दी गयी हैं .केवल इतना अंतर है कि यहूदी ऐसी अमानवीय बातों पर न तो अमल करते हैं और न दूसरों को मानने पर मजबूर करते हैं .इन थोड़े से यहूदियों ने हजारों अविष्कार किये है ,जिन से विश्व के सभी लोगों को लाभ हो रहा है .लेकिन दूसरी तरफ इतने मुसलमान हैं ,जो कुरान की इसी शिक्षा का पालन करते हुए विश्व का नाश करने पर तुले हुए है .इसी तरह मुट्ठी बार पारसियों ने देश की उन्नति के लिए जो किया है उसे सब जानते हैं .
अगर मुहम्मद बाइबिल की बुरी बातें छोड़ कर अच्छी बातें कुरान में लिख देता तो विश्व में सचमुच का इस्लाम हो जाता .
नक़ल के साथ अकल होना भी जरुरी होता है .नकलची कभी रसूल नहीं हो सकता .


http://dwindlinginunbelief.blogspot.com/search/label/The%20Bible%20and%20the%20Quran%20agree

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