डॉ0 संतोष राय की कलम से
आज हमें मुहम्मद
साहब के चरित्र से शिक्षा लेने की जरुरत है . ऐसा इसलिए नहीं कि वह अल्लाह के
सच्चे अनुयायी और सबसे प्यारे अंतिम रसूल थे . बल्कि इसलिए नहीं कि वह जोभी गलत
काम करते थे उसे जायज बताने के लिए अल्लाह की तरफ से कोई न कोई आयत कुरान में जोड़
देते थे . यानि अपने सभी गलत कामों में अल्लाह को शामिल कर लेते थे . यद्यपि
मुस्लिम विद्वान् दावा करते हैं कि मुहम्मद साहब एक सच्चे सीधे और सदा व्यक्ति थे ,और उनको धन संपत्ति से कोई मोह नहीं था . और न
उन्होंने जीवन भर में किसी प्रकार की दौलत और जमीन अपने पास रखी थी . लेकिन हदीसों
और इस्लाम की इतिहास की किताबों से सिद्ध होता है कि मुहम्मद साहब दुनिया में
एकमात्र ऐसे नबी थे इस्लाम की जगह अपनी दौलत पर अधिक प्यार था . उनको इस्लाम की
नहीं दौलत की चिंता बनी रहती थी , जो इस हदीस से
सिद्ध होता है ,
1-महालोभी और लालची
रसूल
मुहम्मद साहब को
धन संपत्ति का कितना मोह और लालच था , इसे साबित करने के लिए यह एक ही हदीस काफी है ,
"उकबा बिन आमिर ने
कहा कि रसूल कहते थे कि मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं है कि मेरी मौत के बाद तुम
इस्लाम त्याग कर फिर से मुशरिक हो जाओ , लेकिन मुझे तो इस बात की सबसे बड़ी चिंता लगी रहती है , कि कहीं मेरी संपत्ति दूसरों हाथों में न चली जाये "
बुखारी-जिल्द 2 किताब 2 हदीस 428
2-बद्र की लूट
मुहम्मद के साथी
पहले भी काफिले लूटते थे , और मुहम्मद की कई
औरतें भी थी ,जिनका खर्चा
चलाना कठिन हो रहा था ,इसलिए मुहम्मद जब
अपने परिवार और साथियों के साथ मदीना में रहने लगे , तो लूटमार करने लगे . इसका नाम उन्होंने "गजवा "
रख दिया था जिसका अरबी बहुवचन " गजवात " होता है .जिसका वास्तविक अर्थ
"युद्ध (Battle ) नहीं बल्कि
"छापा raids " या लूट (plundering) होता है .मुहम्मद
ने अपने जीवन में ऐसे कई गजवे (छापे ) किये , और लूट का माल घर में भर लिया था .चूँकि मदीना से कुछ दूर
ही मुख्य व्यापारिक मार्ग था , जो लाल समुद्र (Red
Sea ) के किनारे यमन से सीरिया
तक जाता था . और इसी मार्ग से काफिले अपना कीमती सामान लाते -लेजाते थे .मुहम्मद
की जीवनी लिखने वाले प्रसिद्ध मुस्लिम इतिहासकार इब्ने इसहाक ( Ibn
Ishaq/Hisham 428) पर लिखा है .कि
अबूसुफ़यान ने रसूल को एक गुप्त सूचना दी , कि मदीना से करीब 80 मील दूर मुख्य मार्ग से काफिला गुजरने वाला है .जिसमे पचास हजार सोने की
दीनार , और चांदी के दिरहम के साथ
काफी कीमती सामान है .अबूसुफ़यान ने यह भी बताया कि उस काफिले में केवल तीस या
चालीस लोग ही हैं .यह खबर मिलते ही रसूल ने अपने लोगों को आदेश दिया कि जल्दी जाओ
और उस काफिले पर धावा बोल दो . और काफिले का जितना भी माल है सब लूट लो .मुहम्मद
के आदेश से मुसलमानों ने मदीना से करीब 80 मील दूर "बद्र " नामकी जगह पर 13 मार्च शनिवार सन 624 तदानुसार 17 रमजान हिजरी सन 2 को उस काफिले पर धावा बोल दिया .मुसलमान इस
लूट को" बद्र का युद्ध Battle
of Badr "या अरबी में "गजवा
बद्र غزوة بدر "कहते हैं .इस लूट का कमांडर अबूसुफ़यान था . जिसके साथी अबूबकर ,उमर .अली ,हमजा ,मुसअब इब्न उमर ,जुबैर अल अब्बास , अम्मार इब्न यासिर और अबूजर अल गिफारी थे . यह लोग 70 ऊंट और दो घोड़े भी लाये थे .इनमे जादातर लोग
मुहम्मद के रिश्तेदार थे . और सबने मिलकर काफिले की संपत्ति लुट ली . क्योंकि
काफिले वाले कम थे .और मुहम्मद ने अल्लाह का डर दिखा कर वह सारा माल घर में भर
लिया .जिसका नाम मुहम्मद ने "अनफाल " रख दिया .
3-कुरान में अनफाल
क्योंकि बद्र की
इस लूट में मुहम्मद के कई रिश्तेदार शामिल थे , इसलिए वह भी अपना हिस्सा मांगने लगे . तब उनका मुंह बंद
करने के लिए मुहम्मद ने आयत बना दी ,
" हे नबी जो लोग
तुम से अनफाल के धन के बारे में सवाल ( आपत्ति ) करते हैं ,तो उनसे कह दो कि इस अनफाल के धन पर केवल रसूल का ही अधिकार
है "
सूरा -अनफाल 8:1
( अनफाल का अर्थ"Accession " होता है .यह ऐसी संपत्ति को कहते हैं ,जो दूसरों से छीन कर प्राप्त की गयी हो )
यह बात इन हदीसों
से प्रमाणित होती है , कि मुहम्मद ने
अकेले ही लूट का माल हथिया लिया था ,
"सईद बिन जुबैर ने
इब्न अब्बास से पूछा कि कुरान की सूरा " अनफाल ( सूरा 8) किस लिए उतरी थी . तो वह बोले यह सूरा बद्र में
लुटे गए माल को रसूल के लिए वैध ठहराने के लिए उतरी थी "बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 404
बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 168
4-लूट का माल रसूल
के घर में
मुहम्मद ने पहले
तो बद्र के लूट की दौलत अपने लिए वैध ठहरा दी और अपने परिवार में बाँट दी ,
जैसा इन हदीसों में कहा है ,
"अली ने कहा ,कि बद्र की लुट में मुझे जो दौलत और सोना मिला ,
उस से मैंने उसी दिन एक ऊंटनी खरीद ली . मैं
फातिमा से शादी करना चाहता था .इस लिए मैंने लूट के सोने से " बनू कैनूना
" के सुनार (Goldsmith ) से फातिमा के लिए
जेवर बनवा लिए . और कुछ सोना सुनारों को बेच कर अपनी और फातिमा की शादी और दावत पर
खर्च कर दिया .और अपने और फातिमा के लिए दो ऊंटनियाँ काठी (Saddles ) सहित खरीद लीं
.बुखारी -जिल्द 5 किताब59 हदीस 340
5-खैबर पर हमला
एकबार जब मुहम्मद
को लूट से काफी दौलत मिल गयी तो लूट से दौलत कमाने का चस्का लग गया , और धन के साथ जमीन पर भी कब्ज़ा करने लगे ,मुहम्मद में ऐसा एक और हमला खैबर पर किया था
.खैबर में फदक का बगीचा यहूदियों के पास था , जो कई पीढ़ियों से वहां के खजूर बेच कर ,पैसा कमा रहे थे , और दुसरे धंधे कर रहे थे . जब मुहम्मद को पता चला कि फदक के
खजूरों को बेचकर यहूदी धनवान हो रहे हैं ,तो मुहम्मद ने 7 मई सन 629 को करीब 1500 जिहादी और 200 घुड़सवारों की फ़ौज बना कर खैबर पर हमला कर दिया .और यहूदियों को मार भगा
दिया . और फदक के बागों पर कब्ज़ा कर लिया .यह घटना इब्न इसहाक ने मुहम्मद की
जीवनी " सीरत रसूलल्लाह " में विस्तार में लिखी है .अरब के उत्तरी भाग
में खैबर नामकी जगह में एक "नखलिस्तान (Oasis ) था . जहाँ पानी की प्रचुरता होने से खजूरों के बड़े बड़े
बाग़ थे . इनका नाम "फदक فدك" था . यह बाग़ मदीना से करीब 30 मील दूर था .फदक के खजूर अच्छे होते थे और इनसे काफी
आमदानी होती थी .खैबर की लूट में मुहमद ने यहूदियों से फदक के बाग़ के साथ 2000 कीमती यमनी कपड़ों की गाठें (Bales ) और 5000 कपड़ों के थान लूट लिये थे ,यहूदी यह सामान
सीरिया भेजने वाले थे . इसके अलावा मुहम्मद ने फदक पास दो बाग़ " अल शिक्क الشِّق" और "अल कतीबाالكتيبة
" पर भी कब्जा कर लिया था .और सबको अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था .जब तक
मुहम्मद जीवित रहे फदक बाग़ उनकी संपत्ति माने गए . उन्हीं की उपज से मुहम्मद अपने
इतने बड़े परिवार का खर्चा चलाते रहे . खलीफा उमर इन बागों की कीमत पचास लाख दीनार
आंकी थी .और जब फातिमा और अली अपने पुत्रों हसन और हुसैन के लिए अबू बकर से फदक के
बागों से अपना हिस्सा मागने गयी थी , तो अबू बकर ने इंकार कर दिया था .शिया -सुन्नी विवाद का यह भी एक कारण है .
6-लुटेरे के घर
डाका
मुहम्मद ने जिस
दौलत और जमीन के लिए हजारों निर्दोष लोगों इस लिए को मार दिया था .कि इस दौलत से
मेरे परिवार के लोग पीढ़ियों तक मजे से ऐश करते रहेंगे , लेकिन मुहम्मद को पता नहीं था कि उसकी मौत के बाद लूट की
सम्पति उसका सगा ससुर एक डाकू की तरह हथिया लेगा ,और मुहम्मद की औरतों , और लड़की दामाद को अबू बकर ने एक फूटी कौड़ी नहीं दी थी ,जो इन हदीसों से पता चलता है ,
"आयशा ने कहा कि
रसूल की मौत के बाद उनकी दूसरी पत्नियाँ रसूल की सम्पति में हिस्सा चाहती थी .
इसके लिए उन्होंने उस्मान बिन अफ्फान को मेरे पिता अबू बकर के पास भेजा . तो मेरे
पिता ने कहा " रसूल का कोई वारिस नहीं होता " मैंने तो रसूल की दौलत
ग़रीबों में खैरात कर दी है "
सही मुस्लिम
-किताब 19 हदीस 4351
अबू बकर ने कहा
कि एकमात्र मैं ही रसूल की संपत्ति का संरक्षक हूँ . और जब अली और अब्बास अबू बकर
से बद्र और "फदक" के बागों में हिस्सा मांगने आये तो . अबू बकर बोला
अल्लाह की कसम खाता इनमे तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं बनता ." सही मुस्लिम
-किताब 19 हदीस 4349
"उरवा बिन जुबैर
ने कहा कि , आयशा ने बताया ,
जब फातिमा और अली मेरे पिता अबू बकर के पास गए ,
और उन से बद्र और खबर की लूट का हिस्सा माँगा ,तो ,मेरे पिता ने कहा , मैं उस अल्लाह की
कसम खाकर सच कहता हूँ जिसके हाथों में मेरी जान है .लूट की वह सारी दौलत इस्लामी
राज्य की स्थापना में खर्च हो गयी . और रसूल की यही अंतिम इच्छा थी . यह सुन कर
फातिमा और अली रुष्ट होकर घर लौट गए .
सही मुस्लिम
-किताब 19 हदीस 4354
7-लूट का क्रूर
तरीका
मुसलमान दावा
करते हैं कि हमारे रसूल तो बड़े दयालु और रहमदिल थे , उन्होंने जिंदगी भर एक व्यक्ति की भी हत्या नहीं की थी .
लेकिन सब जानते हैं लालच में अँधा व्यक्ति कुछ भी कर सकता है .मुहम्मद ने लूटों के
दौरान हत्या का जो तरीका अपनाया था , उसे जानकर कटर से कठोर दिल वाले काँप जायेंगे मुहम्मद लोगों को जिन्दा दफना
देता था , ताकि कोई सबूत्त बाकि
नहीं रहे ,.
"अबू तल्हा ने कहा
कि बद्र की लूट में रसूल ने सभी काफिले वालों बुरी तरह से मारा , जिस से कुछ तो अपनी जान बचा कर काफिले का सामान
छोड़ कर भाग गए .लेकिन 24 लोग रसूल के
हाथों पकडे गए .जो बुरी तरह से घायल थे . तब रसूल ने उन सभी को बद्र के एक सूखे और
गहरे कुंएं में फिकवा दिया .और हमें वहीँ तीन दिन रात रुकने का हुक्म दिया . कहीं
कोई कुंएं से जिन्दा न निकल सके . अबू तल्हा ने बताया की जब भी रसूल काफिले लूटते
यही तरीका अपनाते थे .जिस से घायल काफिले वाले कुंएं में भूखे प्यासे मर जाते थे
" बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 314
8-मुहम्मद की
धूर्तता
जिस तरह हर
मुसलमान अपने अपराधों पर पर्दा डालने के लिए दूसरों पर आरोप लगा देता है , उसी तरह खुद को हत्या के अपराध से निर्दोष
साबित करने के लिए मुहम्मद अल्लाह को ही जिम्मेदार बता देता था . जैसा कुरान में
कहा है ,
" हे रसूल तुमने उनका
क़त्ल नहीं किया , बल्कि अल्लाह ने
उनको क़त्ल किया है . और तुमने उनको कुंएं में नहीं फेका ,बल्कि अल्लाह ने ही उनको कुएं में फेका है .सूरा -अनफाल 8:
17
9-निष्कर्ष
इन सभी प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि मुहम्मद
एक महालोभी , क्रूर लुटेरा और
ऐसा धूर्त था कि लोग उसके द्वारा की गयी हजारों हत्याओं का पता भी नहीं कर सकें .
जब लाश ही नहीं मिलेगी तो लोग मुहम्मद को दयालु मान लेगे , इसके अतिरिक्त यह बात भी सिद्ध है कि मुहमद और अल्लाह एकही
थैली के चट्टे बट्टे है . और अल्लाह भी मुहम्मद की मर्जी के मुताबिक आयतें बना देता
था .
लेकिन इस अटल
सत्य को हजारों अल्लाह मिल कर भी नहीं बदल सकते ,कि हरेक धूर्त का एक दिन "भंडाफोड़ " जरुर हो
जाता है .मुहम्मद ने जैसे क्रूर कर्म किये थे वैसी ही कष्टदायी मौत मारा गया .
यदि धूर्तता
सीखना हो तो रसूल से सीखो
http://www.answering-islam.org/Silas/rf1_mhd_wealth.htm
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