B.N. Sharma Represent: Dr. Santosh Rai
"इस्लाम रंग.नस्ल,जातिआदि के भेदभाव से मुक्त है .इस्लाम सम्पूर्ण संसार के लिए प्रकाश स्तम्भ है .इस्लाम नारी का उद्धारक है .इस्लाम ने नारीओं को पुरषों की दासता से मुक्त कराया .पुरुष और स्त्री एक ही तत्व से पैदा हुए हैं .दौनों में एक ही आत्मा है.रसूल ने कहा है किऔरतें मर्दों का हिस्सा हैं .इस्लाम ने औरतों को सामान अधिकार दिए हैं .इस्लाम अबला का रक्षक है .इस्लाम में जाति पांति के लिए कोई स्थान नहीं है "
लगभग यही बातें कुछ लोग नाम बदल बदल कर अपने ब्लोगों में इस्लाम का प्रचार कर रहे हैं .और समझते हैं कि सारी दुनिया उनकी बात मान लेगी .
जिस तरह से इन लोगों के सर में किसी जानवर की अक्ल है ,यह समझते है कि सब के साथ ही ऐसा ही होगा .इन्हें पता होना चाहिए की लोग मूर्ख नहीं हैं .
यह लोग जो भी अपने फर्जी ब्लोगों में लिख रहे हैं सब झूठ है .यह लोग जो भी अपने फर्जी ब्लोगों में लिख रहे हैं सब झूठ है. आप इन लोगों के ब्लॉग देखिये जैसे इस्लाम इन हिन्दी, स्वच्छ सन्देश हमारी अंजुमन, लखनऊ ब्लोगर एसोसियेशन आदि मुल्ला ब्लोगर सलीम खान, अनवर जमाल, असलम कासमी, मुहम्मद उमर कैरान्वी, शाहनवाज़ आदि सब में यही लिखा है जो सिर्फ इस्लाम का प्रचार मात्र है. ये लोग अपने धर्म की कमियों को भी विशेषताओं की तरह प्रचारित कर रहे हैं. इतना ही नहीं अब तो इन लोगों ने हिन्दुओं के नाम से भी ब्लोग बनाकर दूसरे धर्म को गाली देना शुरु कर दिया है.
इन ब्लोगरों के दावों का भंडाफोड़ उस वक्त हुआ जब मैंने जद्दा स्थित भारतीय दूतावास की वेबसाईट खोली .
कई लोग नौकरी के लिए या सरकारी अनुबंध के अनुसार सौउदी अरब में काम करने के लिए जाते हैं .इनमे विदेशी और हिन्दुस्तानी भी होते है .और दूतावास की रिपोर्ट के मुताबिक़ हर माह दो या तीन लोग किसी न किसी कारण से वहां मर जाते है .
नियमानुसार मृतकों के निकट परिजनों को मुआवजा दिया जाता है .जिसे अरब में "दिय्या"कहा जाता है
इस्लामी शरीयत के अनुसार जिन लोगों को मुआवजा नहीं दिया जाता है वे इस प्रकार है-
1.आत्महत्या 2.ऎसी दुर्घटना जिसके लिए मृतक खुद जिम्मेदार हो 2.हार्ट फेल होने पर 4.आसमानी बिजली गिराने पर 5.लू लगाने पर 6.धूल भारी आंधी के कारण 7.कुदरती मौत के कारण 8 बीमारी के कारण .अधिकतर मौतें इसी प्रकार की होती हैं
लेकिन रोड एक्सीडेंट ,ह्त्या,डूब कर मरने,ऊपर से गिर जाने,सांप काटने ,कारखाने में दुर्घटना होने पर मुआवजा दिया जाता है .जो वहां की शरई अदालत तय करती है .
सरीयत के अनुसार मृतक के रिश्तेदारों को मुआवजा या "दिय्या "की राशी इस प्रकार निर्धारित की गयी है
1-मुसलमान के लिए -एक 100000 (एक लाख रियाल )
2-यहूदी और ईसाई के लिए -50000 (पचास हजार रियाल)
3-हिन्दू,सिख, बौद्ध जैन के लिए -6666.66 रियाल
नोट -अगर मृतक औरत हो तो धर्म के अनुसार पुरुष से आधी राशी मिलेगी
http://www.cgijeddah.com/cgijed/Welfare/deathbooklet.हतं
अब आप लोग खुद फैसला करिए की इन दावों में कितनी सच्चाई है .की इस्लाम की नजर में पुरुष और महिला बराबर है .और इस्लाम सारे इंसानों को बराबर मानता है .अब तो मुल्ला ब्लोगर हिन्दुओं के फर्जी नाम से उसी देश की संस्कृति और उसके देवी-देवताओं का अपमान कर रहे हैं, जिस देश का खा रहे हैं. शायद इसी को कहते हैं जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो. यह है इनकी असलियत दूसरों को अपशब्द कहना.
क्या इनका धर्म इन्हें यही शिक्षा देता है?
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