Monday, February 28, 2011

जजिया :मुहम्मदी जबरदस्ती !!

B.N. Sharma                                                   Represent: Dr. Santosh Rai

 

विश्व में अरब एकमात्र देश है ,जहाँइस्लाम से पूर्व कोई राजा या शासक नहीं था .अरब ले लोग यातो अपने ऊंट किराये पर देकर सामान पंहुचाते थे ,या काफिलों को लूट कर गुजारा करते थे .मुहमद के पूर्वज भी यही करते थे .मुहम्मद अरबों की यह आदत जानता था .इसलिए जब उसने खुद को रसूल घोषित किया तो ,तो अरब के लुटेरों ने उसे अपना सरदार बना लिया .और जिहाद के नाम से लूट करने लगे .


मुहम्मद चाहता था कि कोई ऐसा उपाय किया जाये जिस से नियमित कमी होती रहे .इसलिए उसने अपने शातिर दिमाग से "जजिया "का अविष्कार कर लिया ,और कुरान में लिख दिया "जो इस्लाम को अपना धर्म नहीं मानते ,उन से इतना लड़ो ,के वह अपमानित होकर जजिया देने पर विवश हो जाएँ "


सूरा -तौबा 9 :29 .

जजियाجزية का अर्थ फिरौती Extortion Money .रंगदारी ,हफ्ता या poll tax है .जो गैर मुस्लिमों से लिया जाता है .और जिन लोगों पर जजिया का नियम लागू होता है उनको "ذِمّي जिम्मी "कहा जाता है .अर्थात सभी गैर मुस्लिम जिम्मी है .मुहम्मद इतना धूर्त था क़ि उसने जजिया की कोई दर निश्चित नहीं की थी .ताकि मुसलमान मनमाना जजिया वसूल कर सकें .मुहम्मद जजिया से अपना घर भरना ,और लोगों को मुसलमान बननेपर मजबूर करना चाहता था .फिर मुहम्मद की मौत के बाद भी मुस्लिम बादशाहों ने यही नीति अपनाई थी मुहम्मद गैर मुस्लिमों से झूठ कहता था कि हम जजिया के धन से तुम्हें सुरक्षा प्रदान करेंगे ,लेकिन मुहम्मद उस धन को अपने निजी कामों ,जैसे अपनी शादियों ,हथियार खरीदने ,और दावतें करने में खर्च कर देता था .उसके लोग बीमार ,गरीब ,और स्त्रियों को भी नहीं छोड़ते थे .और जो जजिया नहीं दे सकता था उसकी औरतें उठा लेते थे .यहांतक क़त्ल भी कर देते थे .जजिया तो एक बहाना था .मुहम्मद लोगों को इस्लाम कबूल करने पर मजबूर करना चाहता था .जैसा मुसलमानों ने भारत में किया था .


जजिया के बारे में हदीसों और इतिहास में यह लिखा है -

1 -जजिया क्यों

"उम्मर खत्ताब ने कहा कि,जिम्मियों से जोभी जजिया लिया जाता है ,वह उनकी भलाई में खर्च किया जाता है "

बुखारी -जिल्द 2 किताब 23 हदीस 475

"उमरने कहा कि जजिया गैर मुस्लिमों की हिफाजत के लिए लिया जाता है "अबू दाऊद-किताब 19 हदीस 2955

"अबू आफाक ने कहा की ,रसूल ने कहा कि,जजिया मूर्ख जिम्मियों को सबक सिखाने के लिए वसूला जाता है ,ताकि वस् समझ जाएँ कि अब उनकी जान हमारे हाथों में है "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 256

2 -फिरौती के लिए

"रसूल ने दूबह के शाहजादे उकैगिर को पकड़वा लिया और कैद कर लिया .रसूल ने उसे तभी छोड़ा ,जब उसके लोगों ने जजिया की पूरी रकम चूका दी थी "अबू दाउद-किताब 11 हदीस 1301

"रसूल ने उमर इब्न अब्दुल अजीज को को तभी छोड़ा था ,जब उसने जजिया की रकम चूका दी थी ,और इस्लाम कबूल किया था "

मुवत्ता-जिल्द 17 किताब 24 हदीस 46

"एक सीरियन किसान हिशाम बिन हाकिम रस्ते से जा रहा था ,तभी रसूल ने उसे पड़ाव लिया .और उस से जजिया की मांग की .जब उसने इंकार किया तो रसूल ने उसे तपती हुई गर्म रेत पर खड़ा कर दिया .शाम को जब एक ईसाई ने उसके बदले जजिया चूका दिया तो रसूल ने हिश्शाम को छोड़ दिया ."

सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 6328 और 6330

3 -निजी लाभ के लिए जजिया

"उमर खत्ताब जजिया के तौर पर एक जवान ऊंट लेकर आये ,और उसे काट कर गोश्त पकाया .फिर रसूल और उनकी औरतों ने फलों के साथ गोश्त को प्लेट में रखकर खाया .इसके बाद रसूल के साथियों ने खाया "मुवत्ता-जिल्द 17 किताब 24 हदीस 45

"अबू हुरैरा ने कहा कि जब रसूल ने आयशा के साथ शादी की थी ,तो शादी खर्चा निकालने के लिए ,मदीना और आसपास के यहूदियों और ईसाइयों से जबरन जजिया वसूल किया था "बुखारी -जिल्द 5 किताब 58 हदीस 234

4 -लोगों को दबाने के लिए

"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल का आदेश था कि ,तुम जिम्मियों से इतना अधिक जजिया वसूल करो ,जिस से वह जैसे तैसे जिन्दा रह सकें ,और उनकी संख्या न बढ़ सके "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 288

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने खा ,तुम जिम्मियों से इतना अधिक जजिया वसूल करो कि,वह हमेशा कर्ज से दबे रहें ,कहीं ऐसा न हो कि वह इतने सरकश हो जाये कि ,जजिया देना ही बंद कर दें "बुखारी -जिल्द ४ किताब 53 हदीस 404

5 -इस्लाम फ़ैलाने के लिए

"अबू मूसा ने कहा कि रसूल ने कहा कि, अल्लाह ने मुझे विजय प्राप्त की है ,और सारे जिम्मियों को मेरे अधीन कर दिया है .इस लिए मुझे अधिकार है कि मैं जिम्मियों से जजिया वसूल कर सकूँ .और इस्लाम को मजबूती प्रदान करूँ "बुखारी -जिल्द 4 किताब 85 हदीस 220

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल नेअपने सैनिकों से कहा कि अगर गैर मुस्लिम इस्लाम कबूल करते ,या जजिया नहीं देते तो ,उनसे युद्ध करके उनको इसके लिए विवश कर दो "सही मुस्लिम -किताब 19 हदीस 4294

6 -हथियार खरीदने के लिए

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल को हथियारों के लिए धन कि जरुरत थी .इसलिए वह बहरैन पर हमला करके हमें जजिया वसूल करने के लिए ले गए .और हमने वहां के जिम्मियों से जबरन जजिया वसूला ,और हथियार ख़रीदे "सही मुस्लिम -किताब 42 हदीस 7065

7 -वसूली का तरीका

"रसूल ने मुहमद अल मुगीरा से कहा ,जाओ जहाँ भी गैर मुसिम मिलें उससे जजिया मांगो ,यदि वह जजिया नहीं दें तो उनसे युद्ध करो .और यहाँ तक लड़ो के वह जजिया देने और अलह कि इबादत करने पर मजबूर हो जाएँ "बुखारी -जिल्द 4 किताब 53 हदीस 386

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने अबू उबैदा बिन अब्दुल्लाह को जजिया वसूल करने को भेजा ,उसने लोगों से कहा कि ,सब अपने घरों से बहार आ जाएँ ,और जिस के पास जो कुछ हो वह रसूल के लिए दे दें .डर के मारे लोगों ने बर्तन भी दे दिए "बुखारी जिल्द 7 किताब 76 हदीस 437

8 -मृतकों से भी जजिया

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,अगर की जिम्मी बिना जजिया चुकाए ही मर जाये ,तो उसके घर के लोगों से दोगुना जजिया वसूल करो ."बुखारी -जिल्द 9 किताब 83 हदीस 17 .और बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 268

9 -बलात्कार से जजिया वसूलो

"एक गरीब औरत ने रसूल से निवेदन किया कि ,उसका पति बीमार है ,इसलिए असूल करने वाले से जजिया कुछ कम करने को कहें .लें उस अधकारी ने उस औरत से बलात्कार कर दिया .रसूल ने कहा तुमने उचित ढंग से जजिया वसूल किया है "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 46

"उमरने कहा कि रसूल ने कहा है ,कि जिम्मी चाहे मौत के बिस्तर पर पड़ा हो ,उससे इतना जजिया वसूल करो कि वह बिस्तर से कभी उठ नहीं सके "बुखारी -जिल्द 2 किताब 23 हदीस 475

10 -जिम्मी कि हत्या गुनाह नहीं

"अबू मूसा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,यदि जजिया वसूल करते समय किसी जिमी कि हत्या भी कर दी जाये तो ,वसूल करने वाला अपराधी नहीं माना जायेगा .कुसूर सिर्फ जिमी का माना जायेगा "बुखारी -जिल्द 1 किताब 3 हदीस 111

11 -जजिया कब हटेगा

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जजिया की बदौलत एक ऐसा समय आयेगा की ,सरे धर्म नष्ट हो जायेंगे ,और सिर्फ इस्लाम ही बाक़ी रहेगा .इसके बाद जजिया की कोई जरुरत नहीं रहेगी "अबू दाऊद-किताब 37 हदीस 4310

12 -जजिया की दरें

"उमर खत्ताब उन जगहों से प्रति व्यक्ति चार दीनार जजिया लेते थे जहाँ सोने के सिक्के चलते थे .और जहाँ चंडी के सिक्के चलते थे वहां से 40 दिरहम वसूल करते थे "मुवत्ता-जिल्द 17 किताब 24 हदीस 44

"रसूल ने कहा कि,जिम्मी के पास सिक्के नहीं हों ,औए वस् सलाम करके कुछ और देना चाहे तो उसके बर्तन और खाने का अनाज लेलो ,चाहे उसके पास खाने को कुछ नहीं बचे "बुखारी -जिल्द 4 किताब 53 हदीस 388

13 -धमकी भरे पत्र भेजो

"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने लोगों को पत्र भेजे थे ,जिनमे जजिया कि मांग की गयी थी .रसूल ने एक अमीर एला( aila )पत्रको भेजकर धमकाया था कि ,अगर वह नियमित जजिया नहीं देगा तो उसके लोग सुरक्षित नहीं रहेंगे "बुखारी -जिल्द 2 किताब 24 हदीस 559

14 -जजिया किन से लिया जाये

"उमर खत्ताब पाहिले तो पारसियों से जजिया नहीं लेता था .लेकिन जब रसूल को पता चला तो वह बोले कि ,जो भी अल्लाह के आलावा और किसी कि इबादत करते हैं , और रसूल पर ईमान नहीं रखते उन सब से जजिया जरुर लिया करो "बुखारी -जिल्द 4 किताब 53 हदीस 384

भारत में जितने भी मुस्लिम शासक हुए हैं सभी ने हिन्दुओं का खून चूसा है .और मनमाने टेक्स वसूल किये है .जब दिल्ली की गद्दी पर खिलजियों की हुकूमत हुई तो अला उद्दीन खिलजीعلاوؤالدّين خلجي (1296 -1316 ) ने अपने काजी अता उल मुल्क से पूछा कि मैं हिन्दुओं से कैसा व्यवहार करूँ .काजी बोला तुम हिन्दुओं को सिर्फ नजराना और शुकराना देने वाला समझो .यानि जब कोई हिन्दू किसी मुस्लिम पदाधिकारी के सामने जाये तो उसे नजराना के रूप में कुछ धन दे .और जब और जब अधिकारी जाने लगे तब भी शुकराना के तौर पर कुछ धन फिर से दे .अगर मुस्लिम अधिकारी हिन्दू से चांदी का सिक्का मांगे तो हिन्दू उसे सोने का सिक्का देकर उसे खुश करे .यदि अधिकारी थूकना चाहे ,तो हिन्दू अपना मुंह खोल दे ,और उसे मुंह में थूकने दे खिलजी बोला काजी तुझे इस्लाम का पूरा ज्ञान है

(तारीखे फिरोजशाही -जिया उद्दीन बरनी )

इसी तरह शेख हमदानी ने अपनी किताब "जखिरतुल मुल्क "में लिखा है औरंगजेब ने जब 1679 में जजिया लागु किया तो ,आदेश दिया कि हिन्दू कोई नया बुतखाना नहीं बना सकते और न उसकी मरम्मत कर सकतेहैं .अगर हिन्दू किसी सम्बन्धी कि मौत पर जोर जोर से रोयेंगे तो जुरमाना लगेगा .शंख बजने ,घंटा बजने पर भी टेक्स लगेगा .अगर हिन्दू जजिया नहीं दे सकें तो उनके मंदिरों को तोड़कर जजिया वसूला जायेगा ,या उनकी लड़कियों को कनीज बना लिया जायेगा .मुसलमान इसी लिए औरंगजेब की तारीफ करते हैं .वह मुसल्लामानों का आदर्श है.

मुसलमानों ने इसी जजिया की ताकत से कई देश मुसलमान बना दिए है .इरान में सन 1884 और ट्युनिसिया और अल्जीरिया में सन 1855 तक जजिया लिया जाता था .इसके कारण वहां के गर मुस्लिम यातो पलायन कर गए या विवश होकर मुसलमान बन गए .यही मुहम्मद चाहता .जिहाद की तरह जजिया भी मुसलमानों का एक आतंक ही है .तालिबानों ने सिक्खों से सन 16 अप्रेल 2009 को 2 करोड़ और 28 जून 2010 सीखो और हिन्दुओं से 6 करोड़ रूपया जजिया वसूल किया था .और सिखों ने चूका दिया था

अगर पंजाब के हिन्दू सिख मिलकर केवल पांच सौ प्रमुख मुले मौलवियों को पकड़ लेते और तालिबानों से कहते या तो अफागानितन के सिखों का जजिया माफ़ करो ,या फिर हम दूसरी तरह से जजिया चूका देंगे .अफसोस कि सिखों कि तलवार म्यान से बाहर नहीं निकली .


सिक्खों को पता होना चाहियेथा कि अगर तालिबानों के पास हजारों सिक्ख हैं ,तो पंजाब में लाखों मुसलमान मौजूद है


इसी तरह हमें कश्मीरियों से झंडा चढाने की इजाजत मांगने क्या जरूरत है .अगर हम कश्मीर के सामान को पजाब के आगे नहीं जाने दें तो ,कश्मीरी अलगाववादी भूखे मर जायेंगे .

Writer's Blog is : http://www.bhandafodu.blogspot.com/

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