Monday, February 28, 2011

वीर सावरकर की सशस्त्र क्रांति ने देश को स्वतंत्र कराया-डा0 संतोष राय

अखिल भारत हिन्दू महासभा ने हिन्दू हृदय सम्राट वीर विनायक दामोदर सावरकर की 45वीं पुण्यतिथि ‘हिन्दू रक्षा दिवस’ के रूप में  लोदी काॅलोनी, नई दिल्ली में स्थित ‘सावरकर पार्क’ में मनाई। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में हिन्दू समाज की रक्षा और उत्थान में अपना अमूल्य योगदान देने वाले पूर्व सांसद बैकुण्ठ लाल शर्मा ‘प्रेम’, हिन्दू महासभा के नेता रविन्द्र कुमार द्विवेदी, प्रो0 ए0के0 मल्होत्रा, रवि रंजन सिंह सहित हिन्दू और सिख समाज की बीसों विभूतियों को ‘सावरकर स्मृति चिह्न’ देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता डाॅ0 गोविन्द बल्लभ जोशी ने की।
इस अवसर पर बी.एल. शर्मा प्रेम ने कहा कि आज देश की परिस्थिति 1947 से भी खतरनाक है। आज की छद्म धर्मनिरपेक्षता एवं तुष्टीकरण के कारण देश में कई पाकिस्तान बनने की तैयारी पर है। सरदार उजागर सिंह ने सावरकर जी के बारे में कहा कि जैसे सिख गुरूओं ने हिन्दुस्तान व हिन्दुओं  को बचाने के लिये अपना निरंतर बलिदान दिया, उसी प्रकार से सावरकर एवं सावरकर बंधुओं ने इस राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए घनघोर यातनाएं सही जिसका वर्णन शब्दों में नही किया जा सकता।
     अपने संबोधन में डाॅ0 संतोष राय ने वीर सावरकर को महात्मा गाँधी से भी ज्यादा विराट व्यक्तित्व और देशभक्त बताया। उन्होंने दोनों की तुलना करते हुये कहा कि मोहनदास करमचंद्र गाँधी की छद्म अहिंसा की अपेक्षा वीर सावरकर की सशस्त्र क्रांति ने देश को स्वतंत्र कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन तुष्टीकरणपरस्त इतिहासकारों ने इतिहास में उनके योगदान को कभी उचित सम्मान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ ग्रंथ की रचना करके अंग्रेज इतिहासकारों के छद्मता की पहचान कराई थी, उसी तरह हिन्दू महासभा भारतीय स्वतंत्रता समर के दूसरे चरण का नया इतिहास लिखवाकर महात्मा गाँधी की ब्रिटिश साम्राज्य के प्र्रति सहिष्णुता और छद्म अहिंसा के सच को  देश के सामने प्रस्तुत करेगी।
प्रो0 ए0के0 मल्होत्रा ने कहा कि आज सावरकर के नाम पर कुछ लोग अपनी दुकानदारी चला रहे हैं व सावरकर के अमूल्य सिद्धांतों की अवहेलना करके राष्ट्र को दिग्भ्रमित कर रहे हैं ऐसे लोगों को आने वाली पीढ़ियां कभी नही क्षमा करेगी।
कर्नल डीके कपूर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार ने 1962 के युद्ध के उपरांत सावरकर के सिद्धांतों को अपनाया जिससे भारत 1965 के भारत-पाक युद्ध में विजयी हुआ।
सरदार अमिर सिंह बिर्क ने कहा कि सावरकर के पुण्य तिथि मनाने का सही अर्थ तब होगा जब संपूर्ण हिन्दू समाज को एक सूत्र में पिरोकर माला का स्वरूप प्रदान करें।
वयोवृद्ध क्रांतिकारी संत स्वामी श्रीराम प्रपन्नाचार्य ने गंधासुर मर्दन काव्य (गांधी) के कुछ पंक्तियों को सावरकर जी के पुण्य स्मृति में समर्पण करते हुये कहा कि नाथूराम गोडसे ने यदि गांधी का वध नही किया होता तो हैदराबाद भी हिन्दुस्तान में नही होता।
   हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता बाबा नन्द किशोर मिश्रा ने कहा कि हिन्दू स्वराज्य के बिना देश का बहुसंख्यक समाज सुरक्षित नहीं रह सकता। इसके लिये उन्होंने हिन्दू महासभा की नीतियों को अपनाकर वीर सावरकर के सपनों को साकार करने का संकल्प लेने का आह्वान किया।
मध्य प्रदेश हिन्दू महासभा के जुझारू युवा नेता शिवकांत शुक्ला ने कहा कि सावरकर के नीतियों के कारण ही नजफगढ़ एवं किशनगंज पाकिस्तान का सीमा नही बन पाया।
हिन्दू महासभा के नेता रविन्द्र कुमार द्विवेदी ने अपना सम्मान ग्रहण करने से पूर्व अपने संबोधन में कहा कि धर्मांतरण हिन्दू समाज के अस्तित्व के लिये सबसे बड़ा खतरा है। जब तक धर्मांतरण समाप्त नही होगा तब तक भारत में नये पाकिस्तान का निर्माण होता रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में धर्मांतरण की इजाजत नही दी जा सकती।
 इस कार्यक्रम में हिन्दू महासभा दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष दीपक चोपड़ा, महामंत्री सपन दत्ता, हिन्दू महासभा के प्रवक्ता जंगबहादुर क्षत्रिय व भारी संख्या में उपस्थित वीर सावरकर के अनुयायियों ने वीर सावरकर की आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके उनके बताये मार्ग पर चलने का का प्रण किया।
 

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