Wednesday, October 12, 2011

इस्लाम का असली सदाचार ?


 बी एन शर्मा

प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय 


इस बात में सभी सहमत होंगे कि विश्व के हरेक समुदाय में धर्म के नाम पर अनेकों कुरीतियाँ और अनैतिक परम्पराएं प्रचलित हैं .लेकिन सभ्य समाज उनका सदैव विरोध करता आया है .भारत में हिन्दुओं की बुरी रीतियों का समाज सुधारकों ने कभी समर्थन नहीं किया .और पुरजोर खंडन किया है .यदि हमें समाज को इन कुरीतियों से मुक्त बनाना है तो हमें इनका विरोध करना चाहिए .और जिस भी ग्रन्थ में कुकर्मों को जायज कहा गया हो उसे त्याग देना चाहिए .यही समय का तकाजा है . 
लेकिन मुसलमान अपनी पापपूर्ण कुरीतियों का विरोध करने के बजाय किसी न किसी हदीस की आड़ लेकर उसे जायज बताने का प्रयत्न करते रहते हैं .और अपनी कमियों को छुपाने के लिए अनेकों कुतर्क करते है .और दूसरों पर अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं .यहांतक कि इतिहास को भी झुठलाने की चेष्टा करते हैं .लेकिन ऐसे लोगों पोल जल्दी ही खुल जाती है .
मैंने दिनांक 22 सितम्बर 2011 को "मुहम्मद का आदर्श पुत्रीप्रेम"के शीर्षक से एक लेख पोस्ट किया था .जिस पर हमारे एक जागरुक पाठक श्री मनु त्रिपाठी ने 23 सितम्बर की टिप्पणी में कहा है कि इसका क्या प्रमाण है कि मुहम्मद अपनी पुत्री से अनैतिक सम्बन्ध रखता था .यही बात एक मुस्लिम ने कही है कि मैंने जो तथ्य रखे हैं वह गलत हैं ,क्योंकि यह घटना मुहम्मद के "मेराज " यानि स्वर्ग यात्रा के समय की है .जिसे 'इसरा " भी कहा जाता है .इन जनाब ने तर्क दिया है कि खदीजा "मेराज "से पहले ही मर चुकी थी .इसलिए इसका खुलासा करने के लिए हमें थोडा सा इतिहास और मेराज के बारे में जानना जरुरी है .लेकिन इस से भी मुहम्मद का पाप नहीं छुप सकेगा .
मुहम्मद और खदीजा की शादी सन 595 में हुई थी .उस समय मुहमद की आयु 25 साल और खदीजा की आयु 40 साल थी .मुहम्मद तीसरी लड़की फातिमा थी जिसका जन्म सन 605 में हुआ था .इस्लाम के इतिहासकारों के अनुसार मेराज ( Night Journey ) की घटना खदीजा की मौत के बाद की है .और उसके कुछ समय पूर्व ही मुहम्मद के चाचा अबूतालिब मौत हुई थी .सबूतों के अनुसार अबूतालिब सितम्बर 619 में और खदीजा दिसंबर 619 में मर गए थे . और मुसलमान मुहम्मद के पाप पर पर्दा डालने के लिए मेराज की घटना सन 620 की बताते हैं .क्योंकि मेराज मुहम्मद का एक सपना था .मुहम्मद ने दावा किया था कि उसने जरा सी देर में मक्का से यरूशलेम की यात्रा की थी .जिसकी दूरी 766 कि.मी .है कुरान में इस यात्रा को "इसरा अल मेराजالاسراءوالمعراج "कहा गया है .


1-मेराज Miraj की हकीकत क्या है 
हदीस सही मुस्लिम किताब 1 हदीस 309 के अनुसार मुहम्मद एक बुर्राकالبراق नामके जानवर पर बैठकर यरूशलेम गया और वहां दो रकात नमाज पढ़कर वापस मक्का आगया ,कुरान में इसके बारे में यह लिखा है -
"और वह ( मुहम्मद ) उसे एक बार देख चूका ,परली सीमा के बेर के पेड़ के पास ,जिसके निकट ही जन्नत है ,जो सदा का ठिकाना है .और जब वह गया तो बेर के पेड़ पर छाया हुआ था ,फिर न तो उसने अपनी निगाहें उस जगह से हटायीं और न उस जगह से अपनी निगाहें आगे बढायीं ,और फिर उसी जगह से अपने रब (अल्लाह ) की बड़ी निशानियाँ देखीं " सूरा-नज्म 53 आयत 13 से 18 
इस बेतुकी और असंभव बात पर कोई भी विश्वास नहीं करेगा .खुद मुहम्मद की पत्नी आयशा ने बाद में इस बात का खंडन किया था ,जो इस हदीसों से साबित होती है -
" मसरूक ने कहा कि ,आयशा ने कहा है कि जोभी यह कहता है कि रसूल ने अल्लाह को देखा था ,वह झूठ बोलता है ."
सही बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 378 
"आयशा ने कहा कि अगर कोई कहता है कि रसूल अल्लाह से मिले थे और उन्होंने अल्लाह को देखा था ,तो वह सरासर झूठ बोलता है "
सही बुखारी -जिल्द 9 किताब 93 हदीस 477 
"मसरूक ने कहा मैं आयशा के पास बैठा था ,और उनसे कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि रसूल जब मेराज में गए थे उन्होंने अल्लाह को अपनी आँखों से देखा था ,तो आयशा ने कहा यह अल्लाह के सम्बन्ध में सबसे बड़ा झूठ है "सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 337 
इन हदीसों से साबित होता है कि मेराज की घटना मुहम्मद का सिर्फ दिवास्वप्न (day dream ( था .मुहम्मद कहीं नहीं गया था ,और अपने घर में ही था .फिर भी यदि मुसलमान इस घटना को आधार बनाकर मुहम्मद को बचाना चाहते है तो ,वह इन हदीसों का क्या जवाब देंगे ?




2-मुहम्मद का फातिमा के साथ अश्लील व्यवहार 
हरेक पिता अपनी पुत्री को चाहता है ,लेकिन मुहम्मद अपनी पुत्री फातिमा से किस तरह से प्रेम करता था इसका उदहारण शिया मुसलमानों की प्रमाणिक किताब "चौदह सितारेچوده ستارے " से मिलता है ,इसके लेखक "सैय्यद नजमुल हसन سيّد نجم الحسن"है और यह पुस्तक लाहौर से छपी है .इसके पेज संख्या 93 पर लिखा है "आयशा ने कहा कि जब फातिमा छोटी थी तो रसूल उसको अपनी गोद में बिठा लेते थे ,और उसके होंठ चूमते थे .फिर अपनी जीभ फातिमा के मुंह में डालकर उसका रस लेते थे .और फिर कहते थे ,क्या तुम्हें पता नहीं है ,कि जब मैं मेराज के समय जन्नत में गया था ,तो मुझे जिब्राईल ने एक सेब दिया था ,जिसे मैंने खा लिया था .और उसके खाने से जो वीर्य बना था ,उसी" वीर्य نتفه" से फातिमा का जन्म हुआ है .जब मैं जानत में काफी देर तक रहा ,तो जन्नत की वही खुशबू फातिमा के मुंह से आती है .और मैं जन्नत का वही स्वाद ले रहा हूँ "
Shia's one of the most authentic book 14 stars, by Syed Najmul Hassan, printed in Lahore, Pakistan, Page#93.
خلال مرحلة الطفولة من النبي الكريم  المستخدمة لجعل فاطمة الشاب يجلس في حضنه واستخدامها لقبلة على شفتيها. وتعليقا على هذا عائشة قالت إن النبي القبلات لسان فاطمة ويضع لسانه في فم فاطمة. أجاب النبي.


أعطى "أنت لا تعرف ، عندما ذهبت في` جبرايل "ميراج لي تفاحة في السماء، وأنا أكل التفاح والنطفة التي جاءت إلى الوجود والتي تم إنشاؤها من خلال نطفة فاطمة. يا عائشة! عندما كنت لفترة طويلة ثم انني السماء رائحة رائحة وفاطمة من فم فاطمة الاستمتاع بطعم الفاكهة من السماء ".


During the childhood of Hz.Fatimah  the Holy Prophet used to make young Fatima sit on his lap and used to kiss her lips. Commenting on this action.Hazrat Ayesha said that the Prophet kisses the lips of Fatimah  and puts his tongue in the mouth Fatima. The Prophet replied.


"You dont know, when I went on `Miraj' Jibrael gave me an apple in heaven. I eat that apple and nutfah came in to being and through that nutfah Fatima was created. Oh Ayesha! when I long for heaven then I smell the scent of Fatima and from the mouth of Fatima enjoy the taste of the fruit of heaven". 


http://yasoob.com/books/htm1/m012/10/no1006.html


3-फातिमा के जन्म का रहस्य 
नजमुल हसन ने सुन्नी मुसलमानों की दलीलों का खंडन करते हुए कहा ,अबूतालिब नबूवत की दसवीं साल में मर गए और उसके दो तीन महीने बाद खदीजा भी मर गयी .और वह समय रसूल के लिए बड़ा ही कठिन था .और यह बात सभी मानते हैं कि रसूल इस घटना के बाद मेराज में गए थे ,और यह भी साबित है रसूल सिर्फ एक ही बार मेराज में गए थे ,तो फातिमा का जन्म कैसे संभव हो सकता है ?क्या वह बिना माँ के ही पैदा हो गयी ?जैसे ईसा मसीह बिना बाप के पैदा हुए थे ? 
.Abu talib died in yr.10 of nabuate during the month of Rajab, some say two months, some say after three days, Ummal Momineen Syeda Hz. Khadiatul Kubra passed away, this was hard times for RasoolAllah, almost all historians agree that RasoolAllah went on Meeraj during these hard times. It is also a established fact that RasoolAllah[saw] went on Meeraj only once during his life time.
If RasoolAllah went on Meeraj after the death of Ummal Momineen Syeda Hz. Khadijah, them to whom was Hz. Fatima was born to? or is it a miracle like Hz. Jesus  was born without father,
इस से साबित होता है कि सुन्नी इतिहास की किताबों से गलत जानकारी दे रहे हैं ,
लेकिन हमें शिया -सुन्नी के चक्कर में नहीं उलझना है .यह दोनो ही दुराचारी हैं ,और हरेक कुकर्म को रसूल की सुन्नत बता कर उसे जायज बताने वाले हैं .अधिक लिखने से समय की बर्बादी होती है ,इसलिए नीचे दो विडियो की लिंक दी जा रही है .एक में अपनी सगी बेटी से सहवास करने को जायज बताया गया है ,और दुसरे में अपनी बहिन और माँ से सहवास करने को हलाल बताया गया है ,आप इन विडियो को ध्यान से देखें .
4-मुसलमान बेटी से निकाह कर सकते हैं 
 Islam allow Muslims to marry with their own daughter !
इस विडियो में बताया गया है ,कि हरेक मुसलमान अपनी ऐसी पुत्री से सहवास कर सकता है ,जो हराम से पैदा हुई हो ,यानि जिसकी माँ से निकाह नहीं किया गया हो .और ऐसी पुत्री के साथ सम्भोग करना ,कानूनी ,और शरियत के अनुसार कोई गुनाह नहीं है 
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http://www.youtube.com/watch?v=c-Ua5FhCQCo


5-अपनी बहिन और माँ से निकाह हलाल है 


इस विडियो में एक किताब "क्या शिया मुसलमान हैं کیا شیعه مسلمان ہیں" के हवाले में कहा गया है ,कि शिया के उलेमा माजन्दरानी ने शिया हदीस "हयातुल कुलूब "के जिल्द 3 पेज 10 में फतवा दिया है कि मुसलमान उन सभी औरतों के साथ सम्भोग कर सकते हैं ,जिन से शादी करना हराम है ,जैसे माँ ,बहिन ,बेटी ,चाची,बुआ ,साली आदि .और ऐसा करना वाजिब है ,क्योंकि औरतें आदम की बेटियां हैं .जिनका काम सिर्फ बच्चे पैदा करनाहै .लेकिन एक शर्त है अगर कोई मर्द इन औरतों से ,या माँ सम्भोग करे तो ,उसे उनपर रेशम का कपड़ा डाल देना चाहिए .ऐसा करने से कोई गुनाह नहीं होगा .और न गुसल की जरुरत होगी .
 NIKAH WITH SISTER AND MOTHER (HAMIDKHAN36     
http://www.youtube.com/watch?v=KrWYCPWzI9s     
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 इस लेख को पढ़ने के बाद लोगों को यह बात स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए कि मुसलमान जितने भी अपराध ,कुकर्म और दुराचार करते हैं ,वह मुहम्मद का अनुसरण होता है .और इस्लाम इसकी आज्ञा देता है .विश्व में जितने प्रकार के भी अपराध और पाप हो रहे हैं सबके पीछे इस्लाम की शिक्षा है .और हरेक गुनाह की जड़ केवल मुहम्मद ही है .
जिस दिन भारत के लोग इस सत्य को मान लेंगे, देश से अपराध ,आतंक ,और पाप का अंत हो जायेगा .
इस्लाम विश्व में शांति नहीं , विश्व का सत्यानाश करना चाहता है .
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 http://islamic-forum.net/index.php?showtopic=12834


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