Wednesday, August 31, 2011

एक स्‍वयंसेवक का दर्द

रविन्‍द्र कुमार द्विवेदी 

संघ मुस्लिम तुष्‍टीकरण को देश के लिये घातक मानता है, गांधी जी को अति मुस्लिम तुष्‍टीकरण के कारण ही नाथूराम गोडसे ने उन्‍हें गोली मारा था जिसके कारण संघ को प्रबिबंध झेलन पड़े। यानी संघ का निर्माण हिन्‍दू हितों  को ध्‍यान में रखकर किया गया था मगर आज जो कुछ भी संघ में चल रहा है वो संघ को पूरी तरह से खत्‍म करने की बहुत बड़ी अर्न्‍तराष्‍ट्रीय स्‍तर पर साजिश चल रही है। ये साजिश पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और खाड़ी देशों के इशारे पर हो रहा है। इन्‍द्रेश जी जैसे प्रचारक पाकिस्‍तानी और खाड़ी देशों के इशारे पर संघ के माध्‍यम से हिन्‍दुओं का सत्‍यानाश करने पर तुले हैं।
संघ के स्वयंसेवकों  का कहना है कि सरकार एवं देश की अधिकांश पार्टियाँ अल्पसंख्यक-तुष्टीकरण में लिप्त रहती हैं। उदाहरणार्थ- विवादास्पद शाहबानो प्रकरण एवं हज यात्रा में दी जानेवाली भारी सब्सिडी इत्यादि,  जिन्‍हें  समाप्‍त करने की आये दिन मांग की जाती है । मगर आज संघ के प्रचारक इन्‍द्रेश जी मुस्लिम तुष्‍टीकरण के चलते संघ को समाप्‍त करने पर तुले हुये हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक हिंदू राष्ट्रवादी संघटन है जिसके सिद्धांत हिंदुत्व मे निहित और आधारित हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर एस एस नाम से अधिक प्रसिद्ध है।
इसकी शुरुआत 1925 में डॉ0 केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी । बीबीसी के अनुसार, संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है । 1925 के बाद से धीरे-धीरे इस संस्थान का राजनैतिक महत्व बढ़ता गया और इसकी परिणति  भाजपा जैसे राजनैतिक दल के रूप में हुई जिसे आमतौर पर संघ की राजनैतिक शाखा के रूप में देखा जाता है जो भारत के केन्द्रीय सत्ता पर अन्तत: सन 2000 में आसीन हुई। मगर आज आईएसआई और मुस्लिम देशों की सह पर इन्‍द्रेश  जी इस हिन्‍दुत्‍वादी संगठन को  पूरी तरह से मुस्लिममय बनाने पर तुले हुये हैं।
आईएसआई और मुस्लिम देशों की साजिश है कि क्‍यों न हम संघ के मूल सिद्धान्‍तों को ही बदल दें और इसको मुस्लिमों के हित के लिये प्रयोग कर लें। ज्ञात रहे कि संघ के प्रचारक इन्‍द्रेश जी काफी समय तक जम्‍मू कश्‍मीर में संघ के प्रचारक थे वहीं से ये पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में आये और आईएसआई ने भी इन्‍हें मोटा पैसा दिया और यहीं से ही संघ का हिन्‍दुओं के हितों के खिलाफ प्रयोग शुरू कर दिया इंद्रेश ने। आईएसआई ने इन्‍द्रेश जी को इतना पैसा खिला दिया है कि वो हिन्‍दू हित व हिन्‍दू राष्‍ट्र की बात स्‍वप्‍न में भी नही सोच सकते। अगर इंसान अपने दिमाग का भी प्रयोग करे तो उसे पता चल जायेगा कि हिन्‍दू हित में काम करने वाला संगठन का नेता मुस्लिम हितों व उसे संतुष्‍ट करने में क्‍यों लगा हुआ है। दिमाग पर थोड़ा जोर लगाने पर स्‍वच्‍छ दर्पण की भांति सबकुछ स्पष्‍ट नजर आने लगता है। ऐसे में हम इन्‍द्रेश जी को  इन्‍द्रेश वनाम इदरीश खान कहें तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। तो आइये इदरीश खान की दूसरी हकीकत जानें।
     इन्‍द्रेश जी की कुछ कहानी ऐसे ही है जैस भारतीय राजनयिक माधुरी गुप्‍ता की थी जिसने अपनी अय्याशी के लिये इस्‍लाम तो स्‍वीकार किया ही साथ में भारत की खुफिया जानकारी भी लीक कर दी और देश के साथ बहुत बड़ी गद्दारी की। ज्ञात हो कि  जब इन्‍द्रेश जी कश्‍मीर में थे तभी वे आईएसआई के संपर्क में आये और अपना हिन्‍दू धर्म छोड़कर इस्‍लाम कबूल कर लिया था और वे इन्‍द्रेश्‍ से इदरीश हो गये। जिस मौलवी ने  फतीहा पढ़ा था उसके पास इन्‍द्रेश के कबूलनामा भी हैं। तभी से इन्‍द्रेश जी संघ का प्रयोग मुसलमानों के लिये करने लगे। इन्‍द्रेश जी आप क्‍या यह बतायेंगे कि ये मुसलमान   भगवाध्‍वज को प्रणाम करने के लिये तैयार हैं? क्‍या वे भारतमाता की जय व वंदेमातरम् गाने के लिये तैयार हैं? आज भी संघ की राजनैतिक शाखा  भाजपा में अल्‍पसंख्‍यक मोर्चा के कार्यक्रमों में वंदेमातरम् गाये जाने से परहेज किया जाता है। आज आईएसआई व मुस्लिम खाड़ी देश इन्‍द्रेश को मोहरा बनाकर अपने उद्देश्‍य में सफल दिख रहे हैं।
संघ का यह मानना है कि ऐतिहासिक रूप से हिंदू स्वदेश में ही हमेशा से उपेक्षित और उत्पीड़ित रहे हैं और हम सिर्फ़ हिंदुओं के जायज अधिकारों की बात करते हैं। आलोचकों का कहना है कि ऐसे विचारों एवं प्रचारों से भारत का धर्मनिरपेक्ष बुनियाद कमज़ोर होता है। संघ की इस बारे में मान्यता है कि हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति का नाम है, किसी विशेष पूजा पद्धति को मानने वालों को हिन्दू कहते हों ऐसा नहीं है। हर वह व्यक्ति जो भारत को अपनी जन्म भूमि मानता है, पितृ भूमि मानता है (अर्थात्‌ जहां उसके पूर्वज रहते रहे) तथा पुण्य भूमि मानता है (अर्थात्‌ जहां उसके देवी देवताओं का वास है), वह हिन्दू है। संघ की यह भी मान्यता है कि भारत यदि धर्मनिरपेक्ष है तो इसका कारण भी केवल यह है कि यहां हिन्दू बहुमत में है।
 मगर सही मायने में देखा जाय तो आज भी मुसलमान भारत को अपनी मातृभूमि व पितृभूमि नही मानते हैं उनका सब कुछ मक्‍का और मदीना होता है। यदि वहां बरसात भी होती है तो वे यहां छाता लगा लेते हैं इतना सब कुछ जानने के बाद भी आज इन्‍द्रेश जी संघ के माध्‍यम से मुसलमानों को क्‍यो इतना बढ़ावा दे रहे  हैं, ये बात आम हिन्‍दू के दिमाग से परे हो गया है। यही कारण है कि अब संघ की शाखाओं में स्‍वयंसेवकों की अब वो  भीड़ नही दिखती जो पहले दिखायी देती थी। हिन्‍दुओं का संघ से मोहभंग होता जा रहा है। मगर संघ की अक्‍ल पर ताला लग गया है वो सब कुछ देखते हुये भी अनजान बना पड़ा है।
   अभी अन्‍ना हजारें के आंदोलन में जो भीड़ देखने को मिली क्‍या संघ इस तरह की भीड़ जुटा सकता है। हिन्‍दू संगठन के नाम पर हिन्‍दू हितों की जड़ों में मट्ठा डालने का काम जो इन्‍द्रेश जी कर रहे हैं उससे हर आम हिंदू वाकिफ है वो सही समय का इंतजार कर रहा है और वह इन्‍द्रेश के इन  कुकृत्‍यों  का माकूल जवाब जरूर देगा।
ध्‍यान रहे कि नेपाल में भी इन्‍द्रेश जी के संगठन द्वारा जो जघन्‍य कुकर्म किया गया उसे एक आम हिन्‍दू भी कभी भूला नही सकेगा। कौन  नही जानता है कि नेपाल हिन्‍दू राष्‍ट्र था मगर इन्‍द्रेश जी के संगठन ने वहां के माओवादियों के पक्ष में एक अभियाना चलाया। आज कहने की आवश्‍यकता नही है नेपाल के हिन्‍दू राष्‍ट्र के रूप में क्‍या हश्र हुआ जिसे आज इसे पूरा विश्‍व जानता है।
यदि संघ को सही मायने में हिन्‍दू राष्‍ट्र के लिये काम करना है तो उसे इन्‍द्रेश जैसे देश के साथ गद्दारी करने वाले व हिन्‍दुओं के साथ विश्‍वासघात करने वालों को अपने पास नही फटकने देना है वर्ना हिन्‍दुस्‍थान को दारूल इस्‍लाम बनने में ज्‍यादा समय नही लगेगा। अब भी समय है संघ अपनी तंद्रा छोड़कर जागे,  सत्‍ता मोह को त्‍यागे वर्ना तब पछताये क्‍या होत है जब चिडि़या चुग गई खेत।

Courtsey:   www. mediaclubofindia.com


1 comment:

Ashwani Tripathi said...

bahut sahi! indresh ki karyprnali poori tarah se sandigdh hai, aise ko turant RSS se nikal dena chahiye