क्या भारत सही मायने में धर्म-निरपेक्ष हैं
डॉ0 संतोष राय की कलम से
क्या भारत सही मायने में धर्मनिरपेक्ष है? क्या भारत संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों को मानता है? क्या भारत मे हिंदू और मुस्लिम लोगों और उनके नेताओं के बीच भेद-भाव नही किया जाता? यदि हाँ, तो फिर राहुल गाँधी
का सबसे करीबी दोस्त और यूपीए का सांसद असदुद्दीन ओबैसी भारत और संयुक्त राष्ट्र
संघ के द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हमास और हिजबुल्लाह के खूंखार कमांडरों
के साथ बार बार मिलने लेबनान के बेरुत और दहिल्या शहर मे क्यों जाता है?
इजरायल के चेतावनी की अनदेखी
ओवैसी हिजबुल्ला आतंकवादी के साथ
सूत्रों से ज्ञात हुआ की इजराइली ख़ुफ़िया एजेन्सी मोसाद ने भारत सरकार
को कई बार पत्र लिखकर कहा है कि आपका सांसद जो आपकी यूपीए सरकार को समर्थन दे रहा
है वो इजरायल में आतंकवाद फैला रहा है और
साथ ही भारत के गरीब मुस्लिम युवकों का
ब्रेनवाश करके उन्हें हमास और हिजबुल्लाह के लिए भर्ती करता है, लेकिन चूँकि भारत
की यूपीए सरकार को सिर्फ हिंदू ही आतंकवादी नजर आते है इसलिए भारत सरकार ओबैसी को
खुलेआम छुट दे दिया है। ज्ञात रहे कि हिजबुल्लाह आज विश्व का सबसे बड़ा आत्मघाती
दस्ते वाला आतंकवादी संगठन है जो छोटे-छोटे बच्चों को अपने आत्मघाती दस्ते मे भर्ती करता है।
मुस्लिमों ने कैसे धर्म निरपेक्ष देशों को मुस्लिम राष्ट्र बनाया
ओवैसी लेबनान में
पूर्व में लेबनान पहले धर्मनिरपेक्ष देश था और वहाँ ४% हिंदू और १०%
यहूदी भी रहते थे। लेबनान जहां पहले ८०% ईसाई तथा अन्य धर्म और २०% मुस्लिम रहते
थे और लेबनान विश्व का बहुत तेजी से तरक्की करता हुआ मुल्क था, इसकी राजधानी बेरुत
को विश्व का गोल्ड केपिटल कहा जाता था क्योकि बेरुत विश्व की सबसे बड़ी सोने की
मण्डी थी। इतना ही नहीं खूबसूरत लेबनान में कई हॉलीवुड और बॉलीवुड के फिल्मों
की शूटिंग होती थी।
ओवैसी लेबनान में
लेकिन लेबनान की तरक्की और खुशहाली पर लेबनान के मुस्लिम नेताओं ने ग्रहण
लगा दिया, मस्जिदों में और
अपने सम्मेलनों के मुसलमानों को खूब बच्चे पैदा करके लेबनान पर कब्जा करने की बाते करते थे| फिर धीरे-धीरे
लेबनान का जनसंख्या का संतुलन बिगड़ गया और फिर लेबनान 25 सालों से गृहयुद्ध की
चपेट मे आ गया | आज लेबनान के दो
हिस्से है उत्तरी लेबनान जिसमें ईसाई और
अन्य धर्मों के लोग रहते है और दक्षिण
लेबनान जहां मुस्लिम रहते है उसी तरह राजधानी बेरुत का भी दो अघोषित हिस्सा है
जहां एक तरह ईसाई और दूसरी तरफ मुस्लिम रहते हैं|
सांसदों को विदेश यात्रा से पूर्व अनुमति का नियम
जब भी कोई सांसद विदेश यात्रा करता है तो उसे लोकसभा सचिव को लिखित सूचना
देकर अनुमति लेनी पड़ती है भले ही वो उसकी निजी यात्रा ही क्यों न हो| एक आरटीआई के जबाब
मे मीरा कुमार ने पहले बताया कि उनके पास ऐसी कोई फ़ाइल नही आई जिसमे ओबैसी ने
लेबनान और सीरिया के यात्रा की अनुमति मांगी हो | इसका मतलब यही है कि ओवैसी ने बिना अनुमति के
विदेश यात्रा की। सवाल ये उठता है कि आखिर इतना घोर साम्प्रदायिकता फ़ैलाने वाला
ओबैसी को यूपीए साम्प्रदायिक क्यों नही मानती है ?
ओबैसी के डिप्लोमेटिक पासपोर्ट में गांधी परिवार की भूमिका
ओवैसी राहुल गांधी के साथ
सबसे बड़ा चौकने वाला खुलासा ये है कि ओबैसी को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट
राहुल गाँधी की सिफारिश पर मिला था जबकि खुद आन्ध्रप्रदेश की कांग्रेस सरकार की ही
ख़ुफ़िया पुलिस ने ओबैसी को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट न देने की रिपोर्ट भेजी थी लेकिन
जब राहुल गाँधी ने इस मामले मे हस्तक्षेप किया जब जाकर विदेश मंत्रालय ने ओबैसी को
बिना किसी योग्यता-अर्हता के डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जारी कर दिया |
ओवैसी सोनिया गांधी के साथ
ध्यान रहे कि साधारण पासपोर्ट
का कलर नीला होता है जबकि डिप्लोमेटिक पासपोर्ट का कलर मैरून होता है। और तो और
डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखने वाले व्यक्ति की किसी भी हवाई अड्डे पर तलाशी नही होती
और इन्हें "वीजा आन अराइवल" की भी सुविधा होती है और ये पासपोर्ट केवल
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केबिनेट स्तर के
मंत्री और राज्यों में
मुख्यमन्त्रियों और राजदूत तथा
दूतावास में सचिव स्तर के अधिकारियों को ही जारी हो सकता है |
बांग्लादेशी मुसलमानों का
पुर्नवास क्यों
ओवैसी राहुल गांधी के साथ
अभी कुछ दिन पहले संसद में आसाम
पर चर्चा के दौरान ओबैसी ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की उपस्थिति मे कहा कि
"यदि भारत सरकार आसाम मे मुसलमानों का चाहे वो प्रवासी क्यों न हो ठीक ढंग से
पुनर्वास नही करती और उन्हें उचित मुवावजा नही देती तो फिर भारत का मुसलमान इस देश
की ईंट से ईंट बजा देंगे" लेकिन किसी भी सांसद ने ओबैसी के इस बयान की निंदा
नही की | इससे बड़ा राष्ट्र
का अपमान और क्या हो सकता है की पक्ष व विपक्ष दोनों ही इस मुद्दे पर चुप रहे और
तो और मीडिया ने भी इसको ब्रेकिंग न्यूज़ नही बताया सिर्फ टाइम्स नाउ ने ही इस खबर
पर चर्चा की |
यूपीए की नजर में हिन्दू
यूपीए की नजर मे सिर्फ भारत के
हिंदू ही साम्प्रदायिक है |
अगर कोई भारत मे
हिंदू हित की बात करेगा तो वो घोर साम्प्रदायिक और राजनितिक रूप से अछूत बन जायेगा
| पूरी मीडिया और कई
राजनितिक दल सहित कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अपनी दूकान चलाने वाली
छोटी पार्टियां सब उसको साम्प्रदायिक घोषित कर देंगे | लेकिन यदि कोई
सिर्फ मुस्लिम हित की ही बात करेगा तो वो धर्मनिरपेक्ष माना जायेगा |
ओवैसी की नजर में मुस्लिम ही नागरिक
ओवैसी ने आज तक संसद में सिर्फ मुस्लिम हित और मुस्लिमों के बारे मे ही मुद्दे उठाये हैं और वे सिर्फ मुस्लिम लोगों की ही मदद करते है यहाँ तक कि आसाम में भी उन्होंने जब राहत शिविर लगाया तो उसके उपर
लिख दिया "Only for
Muslims" ।
इन्होंने सानिया मिर्जा को कई बार सम्मानित किया लेकिन जब एक पत्रकार ने
इनसे पूछा कि आप सानिया नेहवाल को कब सम्मानित करेंगे तो ये महाशय माइक फेंक दिये |
आईबी ने दंगों के लिये ओबैसी बंधुओं को जिम्मेदार माना
आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार की ही आईबी हैदराबाद में भड़के कई दंगों के लिए ओबैसी बंधुओ को
जिम्मेदार बताती है यहाँ तक की केन्द्र की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने भी कई बार
गृहमंत्रालय को ओबैसी के संदिग्ध गतिबिधियों के बारे मे चेतावनी दी है | लेकिन सब बेकार |
क्रमश:
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